राजस्थान की रियासतों में प्रचलित प्रमुख सिक्के
• सिक्कों के अध्ययन को न्यूमिसमेटिक्स कहा जाता हैं।• राजपूताने की रियासतों के सिक्कों के विषय पर केब ने 1893 ई. में ''द करेंसीज ऑफ दि हिन्दू स्टेट्स ऑफ राजपूताना'' नामक पुस्तक लिखी थी।
पंचमार्क/ आहत/ मार्क्ड सिक्के
ऐसे सिक्के जिन पर किसी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे का चित्र ठप्पा लगाकर अंकित किया गया हो पंचमार्क सिक्के कहलाते हैं।
यह भारत के सबसे प्राचीन सिक्के हैं।
पंचमार्क - पेड़, सांड, मछली, अर्धचंद्र, हाथी।
1835 ईस्वी में सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने इन्हें पंचमार्क नाम दिया।
• गुरारा गांव (सीकर) से 2744 पंचमार्क सिक्के प्राप्त हुए हैं।
• रैढ (टोंक) में डॉ केदारनाथ पुरी की देखरेख में किए उत्खनन से भारत के प्राचीनतम सिक्के मिले हैं, जो कि एक ही स्थान से मिले सिक्कों की सबसे बड़ी संख्या है।
इन सिक्कों को धरण या पण कहा गया है।
धातु के सिक्के
भारत में पहली बार धातु के सिक्के महात्मा बुद्ध के काल में बनने शुरू हुए।
परंतु सिक्कों पर सर्वप्रथम लेख व तिथि यूनानियों ने उत्कीर्ण की थी।
सर्वाधिक सिक्के उत्तरी मौर्यकाल में मिलते हैं जिन पर लेख व तिथियां उत्कीर्ण है।
• नलियासर (सांभर), बैराठ, नगरी से मौर्यकालीन यूनानी सिक्के मिले है।
सोने के सिक्के
• कुषाण शासक विम कदफिसेस ने भारत में सोने का सिक्का चलाया।
नोट - रंगमहल (हनुमानगढ़) में मिले 105 कुषाण कालीन तांबे के सिक्कों को मुरंडा कहा गया है।
• सबसे ज्यादा सोने के सिक्के गुप्त काल के मिले हैं। गुप्त काल में सोने के सिक्कों को दीनार का जाता था।
गुप्तों के सर्वाधिक सिक्के (1821 सिक्के) नगलाछैल (बयाना, भरतपुर) नामक स्थान से मिले है।
• भारत में सर्वप्रथम चांदी के सिक्के शक शासकों (सीथियन) ने चलाए थे।
• रैढ, विराटनगर से इंडो-सीथियन सिक्के मिले हैं, जिन पर राजा के चेहरे एवं अग्नि वेदिका ने भद्दा रूप धारण कर लिया। जिससे इन्हें गधिया सिक्का भी कहा जाता है।
• 1900 ईस्वी में ब्रिटिश काल में राजस्थान में चांदी के कलदार सिक्के प्रचलन में आए।
• जोधपुर टकसाल के चांदी के सिक्के विश्व प्रसिद्ध है।
जयपुर रियासत के सिक्के
सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1728 ईस्वी में जयपुर में टकसाल की स्थापना की।
राजपूताने में जयपुर पहला राज्य था जिसे मुगलों द्वारा स्वतंत्र टकसाल की स्थापना की अनुमति दी गई।
जयपुर का सिरहडयोढी बाजार चांदी की टकसाल नाम से प्रसिद्ध था।
जयपुर में कछवाआ वंश के शासकों ने झाडशाही सिक्कों का प्रचलन किया।
नोट - झाडशाही एक प्रकार की बोली भी होती है।
अन्य प्रचलित सिक्के - रसकपूर सिक्का, हाली सिक्का, मुहम्मदशाही।
मेवाड़ रियासत के सिक्के
एलची - मेवाड़ कि स्थानीय टकसालों में मुगलों का एलची सिक्का बनता था।
मेवाड़ में चांदी का रूपक सिक्का चलता था।
तांबे के ढींगला, भिलाड़ी, कर्षापण, त्रिशूलिया सिक्के चलते थे।
मेवाड़ के स्वरूप सिंह ने सिक्कों पर दोस्ती लंदन लिखवाया।
स्वरूपशाही सिक्का कहां प्रचलित था ? - मेवाड़
बीकानेर के सिक्के
• बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने अपने सिक्कों पर विक्टोरिया इंप्रेस लिखवाया।
• बीकानेर में गजशाही नामक चांदी का सिक्का चलता था।
जोधपुर रियासत के सिक्के
विजयशाही, लल्लूलिया, गधिया, भीमशाही, ढब्बूशाही, फदिया।
चौहानों (अजमेर) के सिक्के - रूपक (चांदी का), दीनार (सोने का)
प्रतिहारों के सिक्के - वराह, द्रम्म, विशोपक
डूंगरपुर के सिक्के - उदयशाही, सालिमशाही
बांसवाड़ा के सिक्के - लक्ष्मणशाही, सालिमशाही
प्रतापगढ़ के सिक्के - आलमशाही, नया सालिमशाही
बूंदी के सिक्के - रामशाही, चेहरेशाही, कटारशाही, ग्यारहसना
कोटा के सिक्के - मदनशाही, गुमानशाही
झालावाड़ के सिक्के - मदनशाही, पृथ्वीशाही
अलवर के सिक्के - रावशाही, अखैशाही
भरतपुर - चांदी का शाहआलम
धौलपुर - तमंचाशाही
जैसलमेर - अखैशाही/अशैशाही, मुहम्मदशाही (चांदी), डोडिया (तांबे का)
गजशाही - बीकानेर
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रावशाही - अलवर
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गुमानशाही - कोटा
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रामशाही - बूंदी
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स्वरूपशाही, चांदोडी - मेवाड़
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ट्रिक - विजय भारती जोधपुर के गैबी आजो रात अलवर में तमंचा से धोएंगे गुमान को उड़ा देंगे राम-2 कहते भागेगा बूंदी में मझा आयेगा सची में
आगे पढ़े 👉 राजस्थान के अभिलेख - 1
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3 Comments
bhai yrr trick yad krne k liye ek or trick banai padegi hahahahahah
ReplyDeleteTrick kuch nhi hoti h.
DeletePadte time kuch baate yaad krne ke liye apne hisab se bnani chahiye.
Mujhe Notes chahiye bhai
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