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मिशन चंद्रयान 2

मिशन चंद्रयान, www.devedunotes.com


मिशन चंद्रयान 2

सामान्य जानकारी:-

लॉन्च हुआ:- 22 जुलाई 2019 को
लॉन्च करने का स्थान:-आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से
चंद्रयान-2 का वजन:-3.8 टन(लगभग 8 वयस्क हाथियों के बराबर।
चंद्रयान-2 का चांद की सतह पर लैंडिंग का समय :-6 या 7 सितंबर

इसरो के अध्यक्ष  डॉ.के. सिवनके अनुसार यह पहला ऐसा अंतर ग्रहीय मिशन होगा जिसकी कमान दो महिलाओं प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम.वनीता और मिशन डायरेक्टर रितु कालीधाल के पास है।

चंद्रयान-2 को जीएसएलवी(जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च व्हीकल) MK3 रॉकेट से लांच किया जाएगा जो इसे अंतरिक्ष में लेकर जाएगा।

भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 में 13 भारतीय पेलोड होंगे।

पेलोड = अंतरिक्ष यान का हिस्सा

यह मिशन पूरी तरह स्वदेशी है जिसे भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो)ने तैयार किया है।

मिशन चंद्रयान 2 में खर्चा:-

चंद्रयान 2 अभियान में उपग्रह से जुड़ी लागत 603 करोड रुपए
जीएसएलवी मार्क 3 की लागत 375 करोड रुपए
कुल लागत 978 करोड रुपए

मिशन चंद्रयान-2 के  मॉड्यूल:-

इसरो के अध्यक्ष  डॉ.के. सिवन के अनुसार इसमें तीन मॉड्यूल होंगे।-
1. ऑर्बिटर
2. लैंडर (विक्रम)
3. रोवर (प्रज्ञान)

1.ऑर्बिटर:-उड़ान के समय वजन लगभग 3500 किलो होगा। यह 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा की परिक्रमा करेगा।
यह लेंडर व रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर भेजेगा । साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर व रोवर तक पहुंचाएगा। इसके अंदर 8 पेलोड होंगे।

2.लैंडर:-इसका नाम विक्रम रखा गया है जो कि इसरो के संस्थापक तथा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर है। इसमें 3 पेलोड होंगे यह चंद्रमा पर उतर कर रोवर को स्थापित करेगा।इसका वजन 1400 किलो होगा।

3.रोवर:-इसका नाम रखा गया हैं  प्रज्ञान जिसका मतलब होता है बुद्धि। इसका वजन 27 किलो होगा और लंबाई 1 मीटर। इस पर ही सारे मिशन की जिम्मेदारी होगी ।यह चंद्रमा की सतह पर लगभग 400 मीटर चलेगा तथा विभिन्न जानकारियां प्राप्त करेगा। इसमें 2 पेलोड होंगे। यह सोलर एनर्जी से चलेगा और अपने 6 पहियों की मदद से चांद की सतह पर घूम घूम कर मिट्टी और चट्टानों के नमूने जमा करेगा।

इस प्रकार चंद्रयान-2 के अंदर कुल 13 पेलोड(वजन) होंगे

ऐसे होगी लैंडिंग:-लांच के बाद धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रयान-2 जब चांद की कक्षा में पहुंचेगा तब इसके बाद  लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा तथा ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा का चक्कर लगाना शुरू कर देगा।

इसके बाद लैंडर चंद्रमा की दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा । यान को उतरने में लगभग 15 मिनट लगेंगे जो कि तकनीकी रूप से सबसे कठिन क्षण होगा क्योंकि भारत ने पहले कभी ऐसा नहीं किया है।

लैंडिंग के बाद रोवर को निकलने में 4 घंटे का समय लगेगा । फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा। इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी।

इस मिशन का सबसे कठिन काम लैंडर का चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से लैंड करना होगा।

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इसरो(ISRO):-

पूरा नाम:-भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (Indian space and research organisation)

संस्थापक:-डॉक्टर विक्रम साराभाई
वर्तमान अध्यक्ष:-डॉ.के. सिवन


चंद्रयान-2  के बारे में अन्य जानकारियां:-
इसरो अध्यक्ष के सिवन के अनुसार यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 6 या 7 सितंबर उतरेगा। चंद्रमा के इस हिस्से के बारे में अधिक जानकारी नहीं है।

चंद्रयान-2 के उतरने के लिए दक्षिणी हिस्से के चुनाव को लेकर इसरो का कहना है कि अच्छी लैंडिंग के लिए जितने प्रकाश और समतल सतह की आवश्यकता होती है वह उसे इस हिस्से मे मिल जाएगा। वहां इसे  मिशन के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा भी मिलेगी। साथ ही वहां पानी और खनिज मिलने की भी उम्मीद है क्योंकि यहां पर ठंड अधिक होती है
इसरो ने कहा कि वहां की चट्टानों को देखकर उनमें मैग्निशियम, कैलशियम और लोहे जैसे खनिज को खोजने का प्रयास करेंगे साथ ही वहां पानी होने के संकेतों की भी तलाश करेंगे।

मिशन की अवधि:-

ऑर्बिटर:- 1 वर्ष
लैंडर:- 14 - 15 दिन
रोवर:- 14 - 15 दिन

क्या करेगा चंद्रयान-2:-

चांद पर लैंडिंग के बाद रोवर एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से 15 से 20 दिनों तक चांद की सतह से डाटा जमा करके ऑर्बिटर तक पहुंचाता रहेगा। ऑर्बिटर उस डाटा को इसरो भेजेगा। लॉन्च के बाद 16 दिनों में ऑर्बिटर धरती के चारों ओर पांच बार  कक्षा बदलेगा।

ज्ञात रहे कि लगभग 10 साल पहले 2008 में भारत ने पहले चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में भेजने में सफलता हासिल की थी हालांकि यान चंद्रमा की सतह पर नहीं उतरा था।

GSLV MK3:-यह 640 टन  किलो वजनी रॉकेट है  यानी कि इसका वजन 5 बोइंग जंबो जेट के बराबर है

मिशन चंद्रयान -1

चंद्रयान-1 चंद्रमा पर जाने वाला भारत का पहला मिशन था । यह मिशन लगभग 1 साल(अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009)तक था। चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में भेजा गया था ।यह 8 नवंबर 2008 को चंद्रमा पर पहुंच गया था तथा इस चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में 312 दिन बिताए थे । उस समय इसरो के चेयरमैन जी माधवन नायर थे।इसे चन्द्रमा की कक्षा मे 100 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया गया था।

22 July 2019 को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया है।

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