Infrastructure in Rajasthan.
आधारभूत संरचना के अंतर्गत सड़क, रेलवे, परिवहन, डाक एवं ऊर्जा को शामिल किया जाता है।
दिसंबर, 2024 तक राजस्थान की अधिष्ठापित (Installed) ऊर्जा क्षमता 26,325.19 मेगावाट (26.32 गीगावाट) है।
विवरण 2023-24 (मेगावाट) RREC, RSMML एवं निजी क्षेत्र पवन ऊर्जा/ बायोमास/ सौर ऊर्जा परियोजनाएं 13763.63 राज्य की स्वयं/भागीदारी की परियोजनाएं 9447.79केंद्रीय परियोजनाओं से राज्य को आवंटन 3113.77 कुल अधिष्ठापित ऊर्जा क्षमता26,325.19 मेगावाट
राजस्थान की अधिष्ठापित ऊर्जा क्षमता में तापीय ऊर्जा की भागीदारी सर्वाधिक है।
राजस्थान में दिसंबर, 2024 तक 44,638 किमी का ऊर्जा ट्रांसमिशन सिस्टम (प्रसारण नेटवर्क) है।इसमें घरेलू उपभोक्ता सर्वाधिक है।
ऊर्जा की उपलब्धता• दिसंबर 2024 तक राजस्थान में ऊर्जा की उपलब्धता 10,948 करोड़ यूनिट हो गई।
उपभोक्तादिसंबर, 2024 तक 196.22 लाख।
ग्रामीण विद्युतीकरण:-राजस्थान में कुल गांव:- 43264 (जनगणना 2011)राजस्थान के विद्युतीकृत गांव:- 43965
पीएम कुसुम योजना:-Kisan Urja Suraksha evam Utthan Mahaabhiyan (KUSUM):-• लक्ष्य:- 2022 तक 30.8 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना।• कुसुम योजना के तीन घटक है -घटक (ए):- ग्राउंड माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लेट लगाना।बंजर या कृषि योग्य भूमि पर 0.5MW से 2MW तक की सोलर प्लेट लगाई जा सकती है।घटक (बी):- स्टैंडअलोन सोलर पंप लगाना।व्यक्तिगत किसानों को 7.5 HP के सोलर पंप लगाने के लिए सपोर्ट किया जाएगा।पंप लगाने में सहायता - केंद्र पंप लागत की 30%, राज्य सरकार पंप लागत की 30%, किसान - 40% (30 ऋण + 10 स्वयं)घटक (सी):- डीजल चालित पंपों को सोलर पंप में बदला जाएगा। (कृषि पंपों का सौरीकरण)
नोट:- सरकार ने कुसुम योजना की समय सीमा 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी है।• घटक-ए का कार्यान्वयन राजस्थान डिस्कॉम्स को स्थानांतरित कर दिया गया है।
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना:-• शुरू:- 13 फरवरी, 2024• उद्देश्य:- 1 करोड़ घरों में सोलर पैनल लगाकर हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करना।• इस योजना के अंतर्गत अधिकतम ₹78,000 (3 किलोवाट या इससे अधिक) का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। • इसके तहत राजस्थान सरकार ने 5 लाख घरों में सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। • इस योजना के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन व्यवस्था उपलब्ध है।• यह योजना सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और दूर-दराज इलाकों में द्वार-द्वार अभियान के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचारित की जा रही है।
मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना (घरेलू अनुदान)• लाभ:- जून, 2023 से। • इसके तहत एक माह में 100 यूनिट तक विद्युत उपभोग करने वाले सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली (शून्य बिल) प्रदान की जायेगी। • इसके अतिरिक्त यदि उपभोक्ता का एक माह में 200 यूनिट तक उपभोग है तो पहले 100 यूनिट के विद्युत शुल्क, फिक्स चार्ज व नगरीय उपकर की बिल में छूट दी जाएगी। • 200 यूनिट से अधिक उपभोग है तो पहली 100 यूनिट मुफ्त मिलेंगी परंतु अन्य सभी शुल्क उपभोक्ताओं को वहन करना होगा।
मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना (कृषि अनुदान)• लाभ:- जून, 2023 से। • 'मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना' के अंतर्गत उपभोक्ताओं को ₹1,000 प्रतिमाह अनुदान दिया जा रहा था।इस योजना को "मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना (कृषि अनुदान)" के साथ मिला दिया गया है तथा इसके अंतर्गत वर्तमान में 2000 यूनिट प्रति माह तक उपभोग करने वाले कृषि उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली प्रदान की जा रही है। • इस योजना का लाभ बिलिंग माह जून 2023 से दिया जा रहा है।• यदि प्रतिमाह विद्युत उपभोग 2000 यूनिट से अधिक है तो पुरानी योजना मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना के तहत उस माह विशेष में ₹1000 प्रति माह सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
अक्षय ऊर्जा:-प्राकृतिक संसाधनों, जैसे-सूर्य ताप, वायु, ज्वार और भूतापीय गर्मी से उत्पन्न ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा कहते है। जैसे - सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पनबिजली, बायोमास और जैव ईंधन।• इसे अक्षय ऊर्जा भी कहते है।
सौर ऊर्जा:-राजस्थान में सौर ऊर्जा की अधिक संभावना के कारण निम्नलिखित हैं:-• 1 वर्ष में 325 से अधिक दिन सूर्यताप।• 6-7 किलोवाट घंटे प्रति वर्ग मीटर प्रतिदिन सूर्यताप मिलता है।• कम औसत वर्षा।
• राजस्थान में सौर ऊर्जा की संभावित क्षमता -142GW• राजस्थान में दिसंबर, 2024 तक 22,676 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं। (अधिष्ठापित क्षमता)
राजस्थान की एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति 2024• इस नीति के तहत 2029-30 तक 115 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और 10 गीगावाट ऊर्जा भंडारण क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।• इसका लक्ष्य 2030 तक 2,000 किलो टन प्रति वर्ष (KTPA) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्राप्त करना है।• इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास और ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा दिया जाएगा।• इन परियोजनाओं को बैटरी स्टोरेज सिस्टम के साथ जोड़ा जाएगा ताकि 24 घंटे लगातार ऊर्जा उपलब्ध हो सके।
भादला सोलर पार्क (जोधपुर)• 2,245 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क चार चरणों में विकसित किया गया है।1. फेज प्रथम (65 MW): राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। (RSDCL)2. फेज द्वितीय (680 MW): राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। (RSDCL)3. फेज तृतीय (1000 MW): IL & FS एनर्जी डेवलपमेंट कंपनी व राजस्थान सरकार की PSUs सौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड। (SUCRL)4. फेज चतुर्थ (500 MW): अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड द्वारा विकसित। (AREPRL)
नोट:- प्रथम फेज राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड (RRECL) द्वारा स्वयं के स्तर पर विकसित किया गया है जबकि शेष तीनों फेज नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार की सोलर पार्क योजना के तहत विकसित किए गए हैं।
सोलर पार्क योजना के तहत 5 सोलर पार्कों का विकास चरणानुसार निम्न हैं:-1. फलोदी-पोकरण सोलर पार्क (750MW):- मैसर्स एसेल सौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (MSUCRL)2. फतेहगढ़ चरण-आईबी (1,500 MW):- मैसर्स अदानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड।3. नोख सोलर पार्क (925 MW):- राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। (RSDCL)4. पूगल सोलर पार्क (2,450 MW):- राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RSDCL) द्वारा तीन चरणों में विकसित किया जाएगा।(1000+1000+450 MW)5. बोडाना सोलर पार्क (2,000 MW):- राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RSDCL) द्वारा जैसलमेर में विकसित किया जायेगा।
रिन्यूबल एनर्जी सर्विस कंपनी (RESCO) मोड सोलर रुफटॉप योजना:-राज्य में सभी राजकीय भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
पवन ऊर्जा:-• राजस्थान में 150 मीटर की ऊंचाई पर पवन ऊर्जा क्षमता - 284 GW• दिसंबर, 2024 तक राज्य में कुल 5,209 मेगावाट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
पवन ऊर्जा नीति:-• प्रथम पवन ऊर्जा नीति:- 18 जुलाई 2012• 18 दिसंबर 2019 को राजस्थान पवन एवं हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी की गई।
राजस्थान में पवन ऊर्जा के प्रोजेक्ट:-• अमर सागर - जैसलमेर (प्रथम पवन संयंत्र - 2000)• देवगढ़ - प्रतापगढ़• फलोदी - जोधपुर• सोधा बंधन - जैसलमेर• आकल - जैसलमेर• बड़ा बाग - जैसलमेर (पहला निजी संयंत्र)
बायोमास ऊर्जा (जैविक द्रव्य ऊर्जा)• प्रमुख स्त्रोत:- सरसों की तूड़ी और विलायती बबूल।• दिसंबर, 2024 तक 128.45 मेगावाट क्षमता के 14 बायोमास संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं।
राजस्थान सरकार ने 29 सितंबर, 2023 को बायोमास एवं वेस्ट टू एनर्जी नीति 2023 जारी की है।
सड़क:-• 1949 में राजस्थान में सड़क मार्ग:- 13,553 किमी• मार्च 2024 तक सड़क मार्ग:- 3,17,121 किमी• मार्च 2024 तक प्रति 100 वर्ग किमी पर:-राजस्थान का सड़क घनत्व:- 92.66 किमीभारत का सड़क घनत्व:- 165.24 किमी
• 31 मार्च 2024 तक सड़कों की लंबाई:- वर्गीकरणसड़कों की लंबाई (किमी) ग्रामीण सड़क 206318 अन्य जिला सड़क 68265 राज्य राजमार्ग 17376 मुख्य जिला सड़क 14372 राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 10790 कुल योग 3,17,121
सड़कों की लंबाई घटते क्रम में:-ग्रामीण सड़क> अन्य जिला सड़क>राज्य राजमार्ग>मुख्य जिला सड़क>राष्ट्रीय राजमार्ग(GO का SaMaN)
नोट:- राज्य में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 43,264 गांव हैं और मार्च, 2024 तक 39,408 गांवों को सड़क से जोड़ दिया गया है, जो कि कुल गांवों का 91.09% है।
नोट:- राजस्थान को भारत की एक्सप्रेस-वे राजधानी बनाने के लिए 5 फरवरी 2024 को टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY):-• शुरुआत:- 25 दिसंबर 2000• उद्देश्य:- ग्रामीण इलाकों में 500 या इससे अधिक की आबादी वाले तथा पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्र में 250 लोगों की आबादी वाले गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना।• इसका तीसरा चरण 2019-20 से 2024-25 के लिए चलाया जा रहा है।तीसरे चरण के तहत 8,662.50 किमी लंबाई की मुख्य ग्रामीण सड़कों का उन्नयन और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
प्रधानमंत्री जनमन योजना:- बारां जिले में 38 बिना जुड़ी हुई बस्तियों को सड़क सुविधा से जोड़ने हेतु 98 किमी नई सड़कों का निर्माण किया जायेगा।
रिडकोर:-सड़क क्षेत्र में पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
• दिल्ली-वडोदरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की राजस्थान में लंबाई:- 374 Km• अमृतसर-जामनगर आर्थिक गलियारे की राजस्थान में लंबाई:- 637 Km
सड़क सुरक्षा वेब पोर्टल:- 14 फरवरी 2024
सड़क दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल पहुंचा कर जान बचाने वाले लोगों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को ₹5000 से बढ़ाकर ₹10000 कर दिया गया है।
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC):-• स्थापना:- 1 अक्टूबर 1964 (सड़क परिवहन निगम अधिनियम 1950 के अधीन)• 24 जुलाई 2024 को निगम की सेवाओं से जुड़ी यात्रियों की शिकायतों के समाधान के लिए समाधान नामक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया।
राजस्थान ई-व्हीकल नीति 2022• 1 सितम्बर 2022 को लागू।• 5 वर्ष की अवधि के लिए लागू।
नोट:- राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 14 नवंबर 2024 को इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत ₹200 करोड़ का ई-वाहन प्रमोशन कोष स्थापित किया गया है।
रेलवे:-राजस्थान में 4 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही है।
डाक:-नवंबर, 2024 के अंत तक राज्य में कुल डाकघरों की संख्या 11,044 है।
शहरी जल आपूर्ति
अमृत मिशन 2.0 (AMRUT)• अटल मिशन ऑफ रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन।• शुरू:- 1 अक्टूबर 2021• उद्देश्य:- सीवरेज, जल निकायों का जीर्णोद्धार एवं जलापूर्ति के कार्य करवाना।• लक्ष्य:- सभी शहरी निकायों में सभी घरों को वर्ष 2025-26 तक "हर घर नल" द्वारा पेयजल उपलब्ध कराना।• केंद्र सरकार का हिस्सा:-एक लाख से कम आबादी वाले शहर:- 50%एक लाख से 10 लाख आबादी:- 33.33%दस लाख से अधिक आबादी:- 25%
ग्रामीण जल आपूर्ति जल जीवन मिशन• घोषणा:- 15 अगस्त 2019• उद्देश्य:- 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना।• जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित।• वित्त पोषण:- केंद्र (50) : राज्य (50)• गोवा 100% घरों को नल से जलापूर्ति प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बना।• इस मिशन के तहत वर्षा जल संग्रहण, भूमि जल पुनर्भरण और घरों से निकले अपशिष्ट जल का पुन:उपयोग करने पर भी बल दिया जा रहा है।राजस्थान में क्रियान्वयन:-• राज्य स्तर:- राज्य जल और स्वच्छता कमेटी• जिला स्तर:- जिला जल एवं स्वच्छता कमेटी• ग्राम स्तर:- ग्राम जल एवं स्वच्छता मिशन• राजस्थान में 1.01 करोड़ ग्रामीण घर हैं।• 59.61 लाख ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। (फरवरी, 2025 तक)
राजस्थान में बाह्य सहायतित परियोजनाएं
आधारभूत संरचना के अंतर्गत सड़क, रेलवे, परिवहन, डाक एवं ऊर्जा को शामिल किया जाता है।
दिसंबर, 2024 तक राजस्थान की अधिष्ठापित (Installed) ऊर्जा क्षमता 26,325.19 मेगावाट (26.32 गीगावाट) है।
RREC, RSMML एवं निजी क्षेत्र पवन ऊर्जा/ बायोमास/ सौर ऊर्जा परियोजनाएं | 13763.63 |
राज्य की स्वयं/भागीदारी की परियोजनाएं | |
केंद्रीय परियोजनाओं से राज्य को आवंटन | 3113.77 |
26,325.19 मेगावाट |
राजस्थान की अधिष्ठापित ऊर्जा क्षमता में तापीय ऊर्जा की भागीदारी सर्वाधिक है।
राजस्थान में दिसंबर, 2024 तक 44,638 किमी का ऊर्जा ट्रांसमिशन सिस्टम (प्रसारण नेटवर्क) है।
इसमें घरेलू उपभोक्ता सर्वाधिक है।
ऊर्जा की उपलब्धता
• दिसंबर 2024 तक राजस्थान में ऊर्जा की उपलब्धता 10,948 करोड़ यूनिट हो गई।
उपभोक्ता
दिसंबर, 2024 तक 196.22 लाख।
ग्रामीण विद्युतीकरण:-
राजस्थान में कुल गांव:- 43264 (जनगणना 2011)
राजस्थान के विद्युतीकृत गांव:- 43965
पीएम कुसुम योजना:-
Kisan Urja Suraksha evam Utthan Mahaabhiyan (KUSUM):-
• लक्ष्य:- 2022 तक 30.8 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना।
• कुसुम योजना के तीन घटक है -
घटक (ए):- ग्राउंड माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लेट लगाना।
बंजर या कृषि योग्य भूमि पर 0.5MW से 2MW तक की सोलर प्लेट लगाई जा सकती है।
घटक (बी):- स्टैंडअलोन सोलर पंप लगाना।
व्यक्तिगत किसानों को 7.5 HP के सोलर पंप लगाने के लिए सपोर्ट किया जाएगा।
पंप लगाने में सहायता -
केंद्र पंप लागत की 30%,
राज्य सरकार पंप लागत की 30%,
किसान - 40% (30 ऋण + 10 स्वयं)
घटक (सी):- डीजल चालित पंपों को सोलर पंप में बदला जाएगा। (कृषि पंपों का सौरीकरण)
नोट:- सरकार ने कुसुम योजना की समय सीमा 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी है।
• घटक-ए का कार्यान्वयन राजस्थान डिस्कॉम्स को स्थानांतरित कर दिया गया है।
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना:-
• शुरू:- 13 फरवरी, 2024
• उद्देश्य:- 1 करोड़ घरों में सोलर पैनल लगाकर हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करना।
• इस योजना के अंतर्गत अधिकतम ₹78,000 (3 किलोवाट या इससे अधिक) का अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
• इसके तहत राजस्थान सरकार ने 5 लाख घरों में सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
• इस योजना के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन व्यवस्था उपलब्ध है।
• यह योजना सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और दूर-दराज इलाकों में द्वार-द्वार अभियान के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचारित की जा रही है।
मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना (घरेलू अनुदान)
• लाभ:- जून, 2023 से।
• इसके तहत एक माह में 100 यूनिट तक विद्युत उपभोग करने वाले सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली (शून्य बिल) प्रदान की जायेगी।
• इसके अतिरिक्त यदि उपभोक्ता का एक माह में 200 यूनिट तक उपभोग है तो पहले 100 यूनिट के विद्युत शुल्क, फिक्स चार्ज व नगरीय उपकर की बिल में छूट दी जाएगी।
• 200 यूनिट से अधिक उपभोग है तो पहली 100 यूनिट मुफ्त मिलेंगी परंतु अन्य सभी शुल्क उपभोक्ताओं को वहन करना होगा।
मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना (कृषि अनुदान)
• लाभ:- जून, 2023 से।
• 'मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना' के अंतर्गत उपभोक्ताओं को ₹1,000 प्रतिमाह अनुदान दिया जा रहा था।
इस योजना को "मुख्यमंत्री निःशुल्क बिजली योजना (कृषि अनुदान)" के साथ मिला दिया गया है तथा इसके अंतर्गत वर्तमान में 2000 यूनिट प्रति माह तक उपभोग करने वाले कृषि उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली प्रदान की जा रही है।
• इस योजना का लाभ बिलिंग माह जून 2023 से दिया जा रहा है।
• यदि प्रतिमाह विद्युत उपभोग 2000 यूनिट से अधिक है तो पुरानी योजना मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना के तहत उस माह विशेष में ₹1000 प्रति माह सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
अक्षय ऊर्जा:-
प्राकृतिक संसाधनों, जैसे-सूर्य ताप, वायु, ज्वार और भूतापीय गर्मी से उत्पन्न ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा कहते है। जैसे - सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पनबिजली, बायोमास और जैव ईंधन।
• इसे अक्षय ऊर्जा भी कहते है।
सौर ऊर्जा:-
राजस्थान में सौर ऊर्जा की अधिक संभावना के कारण निम्नलिखित हैं:-
• 1 वर्ष में 325 से अधिक दिन सूर्यताप।
• 6-7 किलोवाट घंटे प्रति वर्ग मीटर प्रतिदिन सूर्यताप मिलता है।
• कम औसत वर्षा।
• राजस्थान में सौर ऊर्जा की संभावित क्षमता -142GW
• राजस्थान में दिसंबर, 2024 तक 22,676 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं। (अधिष्ठापित क्षमता)
राजस्थान की एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति 2024
• इस नीति के तहत 2029-30 तक 115 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और 10 गीगावाट ऊर्जा भंडारण क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
• इसका लक्ष्य 2030 तक 2,000 किलो टन प्रति वर्ष (KTPA) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्राप्त करना है।
• इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास और ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा दिया जाएगा।
• इन परियोजनाओं को बैटरी स्टोरेज सिस्टम के साथ जोड़ा जाएगा ताकि 24 घंटे लगातार ऊर्जा उपलब्ध हो सके।
भादला सोलर पार्क (जोधपुर)
• 2,245 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क चार चरणों में विकसित किया गया है।
1. फेज प्रथम (65 MW): राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। (RSDCL)
2. फेज द्वितीय (680 MW): राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। (RSDCL)
3. फेज तृतीय (1000 MW): IL & FS एनर्जी डेवलपमेंट कंपनी व राजस्थान सरकार की PSUs सौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड। (SUCRL)
4. फेज चतुर्थ (500 MW): अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड द्वारा विकसित। (AREPRL)
नोट:- प्रथम फेज राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड (RRECL) द्वारा स्वयं के स्तर पर विकसित किया गया है जबकि शेष तीनों फेज नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार की सोलर पार्क योजना के तहत विकसित किए गए हैं।
सोलर पार्क योजना के तहत 5 सोलर पार्कों का विकास चरणानुसार निम्न हैं:-
1. फलोदी-पोकरण सोलर पार्क (750MW):- मैसर्स एसेल सौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (MSUCRL)
2. फतेहगढ़ चरण-आईबी (1,500 MW):- मैसर्स अदानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड।
3. नोख सोलर पार्क (925 MW):- राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित। (RSDCL)
4. पूगल सोलर पार्क (2,450 MW):- राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RSDCL) द्वारा तीन चरणों में विकसित किया जाएगा।
(1000+1000+450 MW)
5. बोडाना सोलर पार्क (2,000 MW):- राजस्थान सोलर-पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RSDCL) द्वारा जैसलमेर में विकसित किया जायेगा।
रिन्यूबल एनर्जी सर्विस कंपनी (RESCO) मोड सोलर रुफटॉप योजना:-
राज्य में सभी राजकीय भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
पवन ऊर्जा:-
• राजस्थान में 150 मीटर की ऊंचाई पर पवन ऊर्जा क्षमता - 284 GW
• दिसंबर, 2024 तक राज्य में कुल 5,209 मेगावाट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
पवन ऊर्जा नीति:-
• प्रथम पवन ऊर्जा नीति:- 18 जुलाई 2012
• 18 दिसंबर 2019 को राजस्थान पवन एवं हाइब्रिड ऊर्जा नीति 2019 जारी की गई।
राजस्थान में पवन ऊर्जा के प्रोजेक्ट:-
• अमर सागर - जैसलमेर (प्रथम पवन संयंत्र - 2000)
• देवगढ़ - प्रतापगढ़
• फलोदी - जोधपुर
• सोधा बंधन - जैसलमेर
• आकल - जैसलमेर
• बड़ा बाग - जैसलमेर (पहला निजी संयंत्र)
बायोमास ऊर्जा (जैविक द्रव्य ऊर्जा)
• प्रमुख स्त्रोत:- सरसों की तूड़ी और विलायती बबूल।
• दिसंबर, 2024 तक 128.45 मेगावाट क्षमता के 14 बायोमास संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं।
राजस्थान सरकार ने 29 सितंबर, 2023 को बायोमास एवं वेस्ट टू एनर्जी नीति 2023 जारी की है।
सड़क:-
• 1949 में राजस्थान में सड़क मार्ग:- 13,553 किमी
• मार्च 2024 तक सड़क मार्ग:- 3,17,121 किमी
• मार्च 2024 तक प्रति 100 वर्ग किमी पर:-
राजस्थान का सड़क घनत्व:- 92.66 किमी
भारत का सड़क घनत्व:- 165.24 किमी
• 31 मार्च 2024 तक सड़कों की लंबाई:-
सड़कों की लंबाई (किमी) | |
सड़कों की लंबाई घटते क्रम में:-
ग्रामीण सड़क> अन्य जिला सड़क>राज्य राजमार्ग>मुख्य जिला सड़क>राष्ट्रीय राजमार्ग
(GO का SaMaN)
नोट:- राज्य में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 43,264 गांव हैं और मार्च, 2024 तक 39,408 गांवों को सड़क से जोड़ दिया गया है, जो कि कुल गांवों का 91.09% है।
नोट:- राजस्थान को भारत की एक्सप्रेस-वे राजधानी बनाने के लिए 5 फरवरी 2024 को टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY):-
• शुरुआत:- 25 दिसंबर 2000
• उद्देश्य:- ग्रामीण इलाकों में 500 या इससे अधिक की आबादी वाले तथा पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्र में 250 लोगों की आबादी वाले गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना।
• इसका तीसरा चरण 2019-20 से 2024-25 के लिए चलाया जा रहा है।
तीसरे चरण के तहत 8,662.50 किमी लंबाई की मुख्य ग्रामीण सड़कों का उन्नयन और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
प्रधानमंत्री जनमन योजना:- बारां जिले में 38 बिना जुड़ी हुई बस्तियों को सड़क सुविधा से जोड़ने हेतु 98 किमी नई सड़कों का निर्माण किया जायेगा।
रिडकोर:-
सड़क क्षेत्र में पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
• दिल्ली-वडोदरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की राजस्थान में लंबाई:- 374 Km
• अमृतसर-जामनगर आर्थिक गलियारे की राजस्थान में लंबाई:- 637 Km
सड़क सुरक्षा वेब पोर्टल:- 14 फरवरी 2024
सड़क दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल पहुंचा कर जान बचाने वाले लोगों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को ₹5000 से बढ़ाकर ₹10000 कर दिया गया है।
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC):-
• स्थापना:- 1 अक्टूबर 1964 (सड़क परिवहन निगम अधिनियम 1950 के अधीन)
• 24 जुलाई 2024 को निगम की सेवाओं से जुड़ी यात्रियों की शिकायतों के समाधान के लिए समाधान नामक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया।
राजस्थान ई-व्हीकल नीति 2022
• 1 सितम्बर 2022 को लागू।
• 5 वर्ष की अवधि के लिए लागू।
नोट:- राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 14 नवंबर 2024 को इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत ₹200 करोड़ का ई-वाहन प्रमोशन कोष स्थापित किया गया है।
रेलवे:-
राजस्थान में 4 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही है।
डाक:-
नवंबर, 2024 के अंत तक राज्य में कुल डाकघरों की संख्या 11,044 है।
शहरी जल आपूर्ति
अमृत मिशन 2.0 (AMRUT)
• अटल मिशन ऑफ रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन।
• शुरू:- 1 अक्टूबर 2021
• उद्देश्य:- सीवरेज, जल निकायों का जीर्णोद्धार एवं जलापूर्ति के कार्य करवाना।
• लक्ष्य:- सभी शहरी निकायों में सभी घरों को वर्ष 2025-26 तक "हर घर नल" द्वारा पेयजल उपलब्ध कराना।
• केंद्र सरकार का हिस्सा:-
एक लाख से कम आबादी वाले शहर:- 50%
एक लाख से 10 लाख आबादी:- 33.33%
दस लाख से अधिक आबादी:- 25%
ग्रामीण जल आपूर्ति
जल जीवन मिशन
• घोषणा:- 15 अगस्त 2019
• उद्देश्य:- 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना।
• जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित।
• वित्त पोषण:- केंद्र (50) : राज्य (50)
• गोवा 100% घरों को नल से जलापूर्ति प्रदान करने वाला देश का पहला राज्य बना।
• इस मिशन के तहत वर्षा जल संग्रहण, भूमि जल पुनर्भरण और घरों से निकले अपशिष्ट जल का पुन:उपयोग करने पर भी बल दिया जा रहा है।
राजस्थान में क्रियान्वयन:-
• राज्य स्तर:- राज्य जल और स्वच्छता कमेटी
• जिला स्तर:- जिला जल एवं स्वच्छता कमेटी
• ग्राम स्तर:- ग्राम जल एवं स्वच्छता मिशन
• राजस्थान में 1.01 करोड़ ग्रामीण घर हैं।
• 59.61 लाख ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। (फरवरी, 2025 तक)
राजस्थान में बाह्य सहायतित परियोजनाएं
वर्तमान में राजस्थान में 14 बाह्य सहायतित परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही है।
1.राजस्थान शहरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (चरण-III)• एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- नवम्बर 2015 से मार्च 2025 तक।• उद्देश्य:- चयनित शहरों के निवासियों को जलापूर्ति सेवा प्रदान करना, सम्पूर्ण स्वच्छता सहित सीवरेज क्षेत्र में सुधार करना।• 12 शहरों में कार्य किए जा रहे हैं।
2.राजस्थान मध्यम नगरीय क्षेत्र विकास परियोजना (चरण -IV) (ट्रॉंच-I)• ADB द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- जनवरी 2021 से नवम्बर 2028 तक।• उद्देश्य:- चयनित शहरों में जलापूर्ति सेवा एवं स्वच्छता में सुधार करना।• 27 शहरों में कार्य किए जा रहे हैं।
3.राजस्थान मध्यम नगरीय क्षेत्र विकास परियोजना (चरण -IV) (ट्रॉंच-II)• ADB द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- अप्रैल 2023 से मई 2028 तक।• 16 शहरों में कार्य किए जा रहे हैं।
4.राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम -1 (ट्रॉंच-II)• ADB द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- दिसंबर 2019 से मार्च 2025• उद्देश्य:- राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना।• 754 किमी लंबाई के 11 राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
5.राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम -1 (ट्रॉंच-III)• ADB द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- दिसंबर 2022 से सितंबर 2026 तक।उद्देश्य:- राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना। • 293 किमी लंबाई के 4 राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
6.राजस्थान राज्य राजमार्ग विकास कार्यक्रम-2• विश्व बैंक द्वारा द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- अक्टूबर 2019 से सितंबर 2024 तक।• उद्देश्य:- राज्य के चयनित राजमार्गो पर यातायात प्रवाह में सुधार करना एवं राजमार्गों के बेहतर प्रबंध के लिए क्षमता निर्माण करना।• 891 किमी लंबाई के 13 राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
7.राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना• JICA द्वारा वित्त पोषित।JICA:- जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी।• अवधि:- अप्रैल 2017 से मार्च 2028 तक।• उद्देश्य:- राजस्थान के सभी जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं के पुनर्वास एवं जीर्णोद्धार के कार्य किए जा रहे हैं।
8.मरू क्षेत्र के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुन: संरचना परियोजना• न्यू डवलपमेंट बैंक (NDB) द्वारा सहायतित।• NDB (70) : राज्य (30)• अवधि:- मई 2018 से फरवरी 2025 तक।• यह परियोजना 2 ट्रान्च में क्रियान्वित की जायेगी।• दूसरा ट्रान्च 31 अक्टूबर 2022 से शुरू।• इंदिरा गाँधी फीडर एवं मुख्य नहर की री-लाईनिंग एवं वितरण प्रणाली के जीर्णोद्वार के कार्य किए जायेंगे।• इससे सेम की समस्या से मुक्ति मिलेगी तथा रावी-व्यास नदियों के व्यर्थ बह कर जाने वाले पानी का उपयोग हो सकेगा।
9.राजस्थान में ट्रांसमिशन सिस्टम हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना-II • KFW द्वारा सहायतित।• नवंबर 2022 से अक्टूबर 2026• हनुमानगढ़, उदयपुर, डूंगरपुर और चित्तौड़गढ़ जिलों में लागू।• उद्देश्य:- बिजली की निकासी।
10.राजस्थान में सार्वजनिक वित्तीय प्रबन्धन के सुदृढीकरण की परियोजना:-• विश्व बैंक द्वारा सहायतित।• अवधि:- जुलाई 2018 से मार्च 2025 तक।• उद्देश्य:- पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक खर्च में दक्षता बढ़ाने के लिए बेहतर नियोजन और बजट निष्पादन में योगदान करना।मुख्य घटक:-1. सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन ढाँचे को मजबूत करना। 2. व्यय और राजस्व प्रणाली को मजबूत करना।3. परियोजना प्रबंधन और क्षमता निर्माण।प्रमुख सुधार:-1. GST कार्यान्वयन के लिए सहयोग।2. एकीकृत नकदी और ऋण प्रबंधन प्रणाली।3. इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली का विकास।
11.राजस्थान ग्रामीण जलापूर्ति एवं फ्लोरोसिस निराकरण परियोजना (चरण-II):-• JICA द्वारा वित्त पोषित।• अवधि:- जुलाई 2021 से दिसंबर 2027 तक।• उद्देश्य:- झुंझुनूं और बाड़मेर जिले में जल उपचार प्लांट और जलापूर्ति संबंधित सुविधाओं का निर्माण करना।
12.बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना-II (DRIP-II)• विश्व बैंक एवं AIIB द्वारा वित्त पोषित।AIIB:- एशियन इन्फ्रास्टक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक• फेज-2:- अप्रैल 2021 से मार्च 2027 तक।• फेज-3:- अप्रैल 2025 से मार्च 2031 तक।• राजस्थान में 212 बड़े बांध है जिनमें से 189 बांध DRIP फेज-2 और फेज-3 में शामिल किए गए हैं।• देश के 13 राज्यों में लागू की गई।• उद्देश्य:- बांधों की सुरक्षा बढ़ाना, बांध सुरक्षा संस्थानों को मजबूत बनाना, बांध सुरक्षा के वित्तीय पोषण एवं संस्थागत ढांचे को बढ़ाना।• बांध पर्यटन को बढ़ावा देना।
13.राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता विकास परियोजना• AFD (फ्रांसीसी विकास एजेंसी) द्वारा वित्त पोषित।• 13 जिलों एवं विभिन्न रिजर्व में संचालित।• अवधि:- अप्रैल 2023 से मार्च 2031• उद्देश्य:- प्राकृतिक वनों की रक्षा और विकास करना और वन संरक्षित क्षेत्र के अंदर वह बाहर स्थानिक प्रजातियों की सुरक्षा, लुप्तप्राय: पौधों की प्रजातियां की बहाली व ओरण विकास तथा जैव विविधता संरक्षण से संबंधित वनीकरण गतिविधियों को शुरू करके राज्य के पूर्वी क्षेत्र में समग्र पारिस्थितिकी संतुलन में सुधार करना।• वृक्षारोपण एवं भू-जल संरक्षण कार्य।
14.राजस्थान जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया और पारिस्थितिकी तंत्र सेवा संवर्धन• JICA द्वारा वित्त पोषित।• अक्टूबर 2024 से मार्च 2035• 19 जिलों में क्रियान्वित की जायेगी।• उद्देश्य:- स्थाई पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना।• प्रमुख गतिविधियां:- कृषि-वानिकी कार्य, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण, ओरण (पवित्र वन) संरक्षण, दुर्लभ और संकटग्रस्त पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए सूक्ष्म रिजर्व की स्थापना, जैव विविधता प्रबंधन समितियों को सशक्त करना।
प्रश्न.विश्व बैंक द्वारा सहायतित चार योजनाओं के नाम बताइए ?
वर्तमान में राजस्थान में 14 बाह्य सहायतित परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही है।
1.राजस्थान शहरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (चरण-III)
• एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- नवम्बर 2015 से मार्च 2025 तक।
• उद्देश्य:- चयनित शहरों के निवासियों को जलापूर्ति सेवा प्रदान करना, सम्पूर्ण स्वच्छता सहित सीवरेज क्षेत्र में सुधार करना।
• 12 शहरों में कार्य किए जा रहे हैं।
2.राजस्थान मध्यम नगरीय क्षेत्र विकास परियोजना (चरण -IV) (ट्रॉंच-I)
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- जनवरी 2021 से नवम्बर 2028 तक।
• उद्देश्य:- चयनित शहरों में जलापूर्ति सेवा एवं स्वच्छता में सुधार करना।
• 27 शहरों में कार्य किए जा रहे हैं।
3.राजस्थान मध्यम नगरीय क्षेत्र विकास परियोजना (चरण -IV) (ट्रॉंच-II)
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- अप्रैल 2023 से मई 2028 तक।
• 16 शहरों में कार्य किए जा रहे हैं।
4.राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम -1 (ट्रॉंच-II)
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- दिसंबर 2019 से मार्च 2025
• उद्देश्य:- राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना।
• 754 किमी लंबाई के 11 राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
5.राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम -1 (ट्रॉंच-III)
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- दिसंबर 2022 से सितंबर 2026 तक।
उद्देश्य:- राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना।
• 293 किमी लंबाई के 4 राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
6.राजस्थान राज्य राजमार्ग विकास कार्यक्रम-2
• विश्व बैंक द्वारा द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- अक्टूबर 2019 से सितंबर 2024 तक।
• उद्देश्य:- राज्य के चयनित राजमार्गो पर यातायात प्रवाह में सुधार करना एवं राजमार्गों के बेहतर प्रबंध के लिए क्षमता निर्माण करना।
• 891 किमी लंबाई के 13 राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
7.राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना
• JICA द्वारा वित्त पोषित।
JICA:- जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी।
• अवधि:- अप्रैल 2017 से मार्च 2028 तक।
• उद्देश्य:- राजस्थान के सभी जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं के पुनर्वास एवं जीर्णोद्धार के कार्य किए जा रहे हैं।
8.मरू क्षेत्र के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुन: संरचना परियोजना
• न्यू डवलपमेंट बैंक (NDB) द्वारा सहायतित।
• NDB (70) : राज्य (30)
• अवधि:- मई 2018 से फरवरी 2025 तक।
• यह परियोजना 2 ट्रान्च में क्रियान्वित की जायेगी।
• दूसरा ट्रान्च 31 अक्टूबर 2022 से शुरू।
• इंदिरा गाँधी फीडर एवं मुख्य नहर की री-लाईनिंग एवं वितरण प्रणाली के जीर्णोद्वार के कार्य किए जायेंगे।
• इससे सेम की समस्या से मुक्ति मिलेगी तथा रावी-व्यास नदियों के व्यर्थ बह कर जाने वाले पानी का उपयोग हो सकेगा।
9.राजस्थान में ट्रांसमिशन सिस्टम हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना-II
• KFW द्वारा सहायतित।
• नवंबर 2022 से अक्टूबर 2026
• हनुमानगढ़, उदयपुर, डूंगरपुर और चित्तौड़गढ़ जिलों में लागू।
• उद्देश्य:- बिजली की निकासी।
10.राजस्थान में सार्वजनिक वित्तीय प्रबन्धन के सुदृढीकरण की परियोजना:-
• विश्व बैंक द्वारा सहायतित।
• अवधि:- जुलाई 2018 से मार्च 2025 तक।
• उद्देश्य:- पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक खर्च में दक्षता बढ़ाने के लिए बेहतर नियोजन और बजट निष्पादन में योगदान करना।
मुख्य घटक:-
1. सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन ढाँचे को मजबूत करना।
2. व्यय और राजस्व प्रणाली को मजबूत करना।
3. परियोजना प्रबंधन और क्षमता निर्माण।
प्रमुख सुधार:-
1. GST कार्यान्वयन के लिए सहयोग।
2. एकीकृत नकदी और ऋण प्रबंधन प्रणाली।
3. इन्वेंटरी प्रबंधन प्रणाली का विकास।
11.राजस्थान ग्रामीण जलापूर्ति एवं फ्लोरोसिस निराकरण परियोजना (चरण-II):-
• JICA द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- जुलाई 2021 से दिसंबर 2027 तक।
• उद्देश्य:- झुंझुनूं और बाड़मेर जिले में जल उपचार प्लांट और जलापूर्ति संबंधित सुविधाओं का निर्माण करना।
12.बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना-II (DRIP-II)
• विश्व बैंक एवं AIIB द्वारा वित्त पोषित।
AIIB:- एशियन इन्फ्रास्टक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक
• फेज-2:- अप्रैल 2021 से मार्च 2027 तक।
• फेज-3:- अप्रैल 2025 से मार्च 2031 तक।
• राजस्थान में 212 बड़े बांध है जिनमें से 189 बांध DRIP फेज-2 और फेज-3 में शामिल किए गए हैं।
• देश के 13 राज्यों में लागू की गई।
• उद्देश्य:- बांधों की सुरक्षा बढ़ाना, बांध सुरक्षा संस्थानों को मजबूत बनाना, बांध सुरक्षा के वित्तीय पोषण एवं संस्थागत ढांचे को बढ़ाना।
• बांध पर्यटन को बढ़ावा देना।
13.राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता विकास परियोजना
• AFD (फ्रांसीसी विकास एजेंसी) द्वारा वित्त पोषित।
• 13 जिलों एवं विभिन्न रिजर्व में संचालित।
• अवधि:- अप्रैल 2023 से मार्च 2031
• उद्देश्य:- प्राकृतिक वनों की रक्षा और विकास करना और वन संरक्षित क्षेत्र के अंदर वह बाहर स्थानिक प्रजातियों की सुरक्षा, लुप्तप्राय: पौधों की प्रजातियां की बहाली व ओरण विकास तथा जैव विविधता संरक्षण से संबंधित वनीकरण गतिविधियों को शुरू करके राज्य के पूर्वी क्षेत्र में समग्र पारिस्थितिकी संतुलन में सुधार करना।
• वृक्षारोपण एवं भू-जल संरक्षण कार्य।
14.राजस्थान जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया और पारिस्थितिकी तंत्र सेवा संवर्धन
• JICA द्वारा वित्त पोषित।
• अक्टूबर 2024 से मार्च 2035
• 19 जिलों में क्रियान्वित की जायेगी।
• उद्देश्य:- स्थाई पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना।
• प्रमुख गतिविधियां:- कृषि-वानिकी कार्य, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण, ओरण (पवित्र वन) संरक्षण, दुर्लभ और संकटग्रस्त पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए सूक्ष्म रिजर्व की स्थापना, जैव विविधता प्रबंधन समितियों को सशक्त करना।
प्रश्न.विश्व बैंक द्वारा सहायतित चार योजनाओं के नाम बताइए ?
सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी)
यह सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बीच ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत सरकार निजी कंपनियों के साथ अपनी परियोजनाओं को पूरा करती है।उदाहरण:- देश के कई हाईवे इसी मॉडल पर बने हैं।
विशेषताएं:-1. निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धा के कारण परियोजना की निर्माण लागत में कमी।2. गुणवत्तापूर्ण कार्य।3. कार्य समय पर पूरा होने से सरकार के राजस्व में वृद्धि।4. पारदर्शिता को बढ़ावा।5. भ्रष्टाचार की संभावना कम।
चुनौतियां:-1. भूमि अधिग्रहण की समस्या। (जन विरोध)2. पर्यावरण विभाग द्वारा पीपीपी परियोजनाओं को महत्व नहीं देना।3. पीपीपी कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार4. निजी कंपनियां केवल अपने लाभ को महत्व देती है। लोक कल्याणकारी कार्य नहीं करती।5. नागरिकों को लंबे समय तक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। जैसे - टोल टैक्स।6. न्यायिक हस्तक्षेप के कारण कार्यों में रुकावट।
निष्कर्ष:- पीपीपी मॉडल में कुछ अच्छाइयां हैं, तो कुछ खामियां भी हैं, लेकिन यह योजना वर्तमान समय की आवश्यकता बन चुकी है। इसकी कुछ खामियों को दूर कर संतुलन साधने की जरूरत है, ताकि सतत्, समावेशी एवं सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया संचालित हो सके।
प्रश्न.पीपीपी मॉडल की आवश्यकता क्यों है ? (50 शब्द)
निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत पहल:-A. संस्थागत व्यवस्था:- पीपीपी परियोजनाओं के सफल विकास और निष्पादन हेतु एक त्रि-स्तरीय संस्थागत ढाँचा अपनाया गया हैं:-
(1) अनुमोदन समितियां:-(i) काउंसिल फॉर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (CID)पीपीपी परियोजनाओं के नीतिगत मामलों के निर्णय हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया।• यह ₹500 करोड़ से अधिक लागत वाली सभी पीपीपी परियोजनाओं को अनुमति प्रदान करती हैं।
(ii) एम्पावर्ड कमेटी फॉर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (ECID):-CID के कार्यों के सुचारू संचालन में सहयोग हेतु।अध्यक्ष:- मुख्य सचिव।
(iii) एम्पावर्ड कमेटी फॉर रोड सेक्टर प्रोजेक्टस् (ECRSP):- सड़क परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन गठित की गई है।अध्यक्ष:- मुख्य सचिव।
(iv) स्विस चैलेंज प्रस्तावों के लिए स्टेट लेवल एम्पावर्ड कमेटी (SLEC):-स्विस चैलेंज पद्धति के तहत प्राप्त प्रस्तावों पर विचार व परीक्षण कर स्वीकृति प्रदान करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई है।
स्विस चैंलेंज किससे संबंधित है ? - पीपीपी सेक्टर से।
2. पीपीपी सेल (नोडल एजेंसी):- • 2007-08 में बनाया गया। • आयोजन विभाग के अधीन कार्य करता है।• यह सेल पीपीपी से सम्बन्धित कानून, दिशा निर्देशों आदि के संग्राहक के रूप में कार्य करता हैं। (Rules)
3. सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग (कार्यकारी एजेंसी)
(B) निजी क्षेत्र सहभागिता के साथ राज्य सरकार द्वारा उन्नत संयुक्त उपक्रम (Joint Venture):-
1. प्रोजेक्ट डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (पीडीकोर):- पीपीपी मोड में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए दिसम्बर 1997 में गठित।
2. रोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (रिडकोर):- राज्य में मेगा हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ष 2004 में गठित।
3.सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (SUCRL):- भडला (जोधपुर) में 1,000 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित।
4.एस्सेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (ESUCRL):- जैसलमेर और जोधपुर में 750 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित।
5.अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (AREPRL):- जैसलमेर और भादला (जोधपुर) में 2,000 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2015 में गठित।
वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना• शुरू:- 2007• उद्देश्य:- सामाजिक क्षेत्र में पीपीपी को बढ़ावा देना।• यह एक ऐसा अनुदान होता है, जो सरकार द्वारा ऐसी आधारभूत ढाँचा परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है, जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो। (Economically Justified but not Financially Viable) • ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है।
परियोजना विकास कोष (PDF)• निजी क्षेत्र की सहभागिता के साथ आधारभूत संरचना परियोजनाओं के विकास में सहायता के लिए वर्ष 2003 में प्रारंभ।
भारत अवसंरचना परियोजना विकास कोष (IIPDF)• पीपीपी परियोजना विकास लागतों को वित्त पोषण प्रदान करना।• एकल प्रस्ताव के लिए अधिकतम ₹5 करोड़ तक का वित्तपोषण किया जा सकता है।
अन्य प्रयास:-(i) सड़क विकास नीति 2013राजस्थान सड़क क्षेत्र में निर्माण- परिचालन- हस्तांतरण (BOT) आधारित परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र के प्रवेश को प्रशस्त करने की नीति तैयार करने वाला देश का प्रथम राज्य था।
(ii) राजस्थान राज्य सड़क विकास निधि अधिनियम 2004:- इसके अन्तर्गत पेट्रोल / डीजल पर ₹1 का उपकर (सैस) लागू कर स्थायी सड़क कोष बनाया गया हैं जिसका उपयोग राज्य में सड़कों के विकास तथा रखरखाव के लिए किया जा रहा हैं। (iii) राजस्थान राज्य राजमार्ग अधिनियम 2014
(iv) Capacity Building (क्षमतावर्द्धन)राजस्थान उन चयनित राज्यों में से एक हैं, जिसे KFW (जर्मन विकास बैंक) के सहयोग से आर्थिक मामलात विभाग, वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में प्रारम्भ किए गए राष्ट्रीय पीपीपी क्षमतावर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत चुना गया है।
राज्य की पीपीपी परियोजनाएं:-दिसंबर 2024 तक 198 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
राजस्थान में हरित बुनियादी ढांचे की पहल• जुलाई 2024 में मिशन हरियालो राजस्थान के तहत वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत।• रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश जी मंदिर और सरिस्का टाइगर रिजर्व के पांडुपोल मंदिर में पर्यटकों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन प्रणाली की शुरुआत।• भादला में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क।• दिसंबर 2024 में पेश की गई राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है जिसमें 90GW सौर ऊर्जा और 25GW पवन और हाइब्रिड ऊर्जा शामिल है।• मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता और कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है।• राजस्थान वन्यजीव और जैव विविधता परियोजना।
यह सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बीच ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत सरकार निजी कंपनियों के साथ अपनी परियोजनाओं को पूरा करती है।
उदाहरण:- देश के कई हाईवे इसी मॉडल पर बने हैं।
विशेषताएं:-
1. निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धा के कारण परियोजना की निर्माण लागत में कमी।
2. गुणवत्तापूर्ण कार्य।
3. कार्य समय पर पूरा होने से सरकार के राजस्व में वृद्धि।
4. पारदर्शिता को बढ़ावा।
5. भ्रष्टाचार की संभावना कम।
चुनौतियां:-
1. भूमि अधिग्रहण की समस्या। (जन विरोध)
2. पर्यावरण विभाग द्वारा पीपीपी परियोजनाओं को महत्व नहीं देना।
3. पीपीपी कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार
4. निजी कंपनियां केवल अपने लाभ को महत्व देती है। लोक कल्याणकारी कार्य नहीं करती।
5. नागरिकों को लंबे समय तक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। जैसे - टोल टैक्स।
6. न्यायिक हस्तक्षेप के कारण कार्यों में रुकावट।
निष्कर्ष:-
पीपीपी मॉडल में कुछ अच्छाइयां हैं, तो कुछ खामियां भी हैं, लेकिन यह योजना वर्तमान समय की आवश्यकता बन चुकी है। इसकी कुछ खामियों को दूर कर संतुलन साधने की जरूरत है, ताकि सतत्, समावेशी एवं सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया संचालित हो सके।
प्रश्न.पीपीपी मॉडल की आवश्यकता क्यों है ? (50 शब्द)
निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत पहल:-
A. संस्थागत व्यवस्था:-
पीपीपी परियोजनाओं के सफल विकास और निष्पादन हेतु एक त्रि-स्तरीय संस्थागत ढाँचा अपनाया गया हैं:-
(1) अनुमोदन समितियां:-
(i) काउंसिल फॉर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (CID)
पीपीपी परियोजनाओं के नीतिगत मामलों के निर्णय हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया।
• यह ₹500 करोड़ से अधिक लागत वाली सभी पीपीपी परियोजनाओं को अनुमति प्रदान करती हैं।
(ii) एम्पावर्ड कमेटी फॉर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (ECID):-
CID के कार्यों के सुचारू संचालन में सहयोग हेतु।
अध्यक्ष:- मुख्य सचिव।
(iii) एम्पावर्ड कमेटी फॉर रोड सेक्टर प्रोजेक्टस् (ECRSP):-
सड़क परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन गठित की गई है।
अध्यक्ष:- मुख्य सचिव।
(iv) स्विस चैलेंज प्रस्तावों के लिए स्टेट लेवल एम्पावर्ड कमेटी (SLEC):-
स्विस चैलेंज पद्धति के तहत प्राप्त प्रस्तावों पर विचार व परीक्षण कर स्वीकृति प्रदान करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई है।
स्विस चैंलेंज किससे संबंधित है ? - पीपीपी सेक्टर से।
2. पीपीपी सेल (नोडल एजेंसी):-
• 2007-08 में बनाया गया।
• आयोजन विभाग के अधीन कार्य करता है।
• यह सेल पीपीपी से सम्बन्धित कानून, दिशा निर्देशों आदि के संग्राहक के रूप में कार्य करता हैं। (Rules)
3. सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग (कार्यकारी एजेंसी)
(B) निजी क्षेत्र सहभागिता के साथ राज्य सरकार द्वारा उन्नत संयुक्त उपक्रम (Joint Venture):-
1. प्रोजेक्ट डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (पीडीकोर):- पीपीपी मोड में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए दिसम्बर 1997 में गठित।
2. रोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (रिडकोर):- राज्य में मेगा हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ष 2004 में गठित।
3.सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (SUCRL):-
भडला (जोधपुर) में 1,000 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित।
4.एस्सेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (ESUCRL):- जैसलमेर और जोधपुर में 750 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित।
5.अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (AREPRL):- जैसलमेर और भादला (जोधपुर) में 2,000 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2015 में गठित।
वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना
• शुरू:- 2007
• उद्देश्य:- सामाजिक क्षेत्र में पीपीपी को बढ़ावा देना।
• यह एक ऐसा अनुदान होता है, जो सरकार द्वारा ऐसी आधारभूत ढाँचा परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है, जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो। (Economically Justified but not Financially Viable)
• ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है।
परियोजना विकास कोष (PDF)
• निजी क्षेत्र की सहभागिता के साथ आधारभूत संरचना परियोजनाओं के विकास में सहायता के लिए वर्ष 2003 में प्रारंभ।
भारत अवसंरचना परियोजना विकास कोष (IIPDF)
• पीपीपी परियोजना विकास लागतों को वित्त पोषण प्रदान करना।
• एकल प्रस्ताव के लिए अधिकतम ₹5 करोड़ तक का वित्तपोषण किया जा सकता है।
अन्य प्रयास:-
(i) सड़क विकास नीति 2013
राजस्थान सड़क क्षेत्र में निर्माण- परिचालन- हस्तांतरण (BOT) आधारित परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र के प्रवेश को प्रशस्त करने की नीति तैयार करने वाला देश का प्रथम राज्य था।
(ii) राजस्थान राज्य सड़क विकास निधि अधिनियम 2004:-
इसके अन्तर्गत पेट्रोल / डीजल पर ₹1 का उपकर (सैस) लागू कर स्थायी सड़क कोष बनाया गया हैं जिसका उपयोग राज्य में सड़कों के विकास तथा रखरखाव के लिए किया जा रहा हैं।
(iii) राजस्थान राज्य राजमार्ग अधिनियम 2014
(iv) Capacity Building (क्षमतावर्द्धन)
राजस्थान उन चयनित राज्यों में से एक हैं, जिसे KFW (जर्मन विकास बैंक) के सहयोग से आर्थिक मामलात विभाग, वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में प्रारम्भ किए गए राष्ट्रीय पीपीपी क्षमतावर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत चुना गया है।
राज्य की पीपीपी परियोजनाएं:-
दिसंबर 2024 तक 198 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
राजस्थान में हरित बुनियादी ढांचे की पहल
• जुलाई 2024 में मिशन हरियालो राजस्थान के तहत वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत।
• रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश जी मंदिर और सरिस्का टाइगर रिजर्व के पांडुपोल मंदिर में पर्यटकों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन परिवहन प्रणाली की शुरुआत।
• भादला में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क।
• दिसंबर 2024 में पेश की गई राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है जिसमें 90GW सौर ऊर्जा और 25GW पवन और हाइब्रिड ऊर्जा शामिल है।
• मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता और कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है।
• राजस्थान वन्यजीव और जैव विविधता परियोजना।
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