कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान:-
प्रचलित मूल्य पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान 26.72% है।
• कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में फसल, पशुधन, मत्स्य, वानिकी को शामिल किया जाता है।
2023-24 में कृषि में योगदान (प्रचलित मूल्यों पर):-
शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल Net Sown Area | 53.74% |
बंजर भूमि Waste land | 10.39% |
वानिकी Forest land | 8.09% |
ऊसर तथा कृषि अयोग्य भूमि Barren and uncultivable land | 6.89% |
कृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग भूमि | 5.92% |
प्रचालित जोत धारक (Operational land holdings):-
211.36 लाख हेक्टेयर | ||
68.88 लाख | ||
महिला प्रचालित जोत धारक |
कुल जोतों के क्षेत्रफल में कमी:- 1.24%
महिला प्रचालित जोत धारक में वृद्धि:- 41.94%
(89.83 खरीफ + 155.18 रबी) (206.57 अनाज + 47.42 दलहन) • तिलहन उत्पादन = 101.24 लाख मैट्रिक टन। • गन्ना उत्पादन = 3.28 लाख मैट्रिक टन। • कपास (रूई) = 26.21 लाख गाँठे। | दूसरा:- मूंगफली, , पोषक अनाज तीसरा:- सोयाबीन, चना, ज्वार, कुल दलहन |
कृषि जलवायुवीय क्षेत्रवार मुख्य फसलें
• राजस्थान को 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
बाजरा, मोंठ, तिल | गेंहू, सरसों, जीरा | |||
चुरू, झुंझुनू, नागौर, डीडवाना एवं कुचामन | ||||
डीग, गंगापुर सिटी एवं सवाई माधोपुर | ||||
राजस्थान में पहली बार अलग से कृषि बजट कब पेश किया गया? - 2022-23
राजस्थान में कृषि उत्पादकता (किलोग्राम/हैक्टेयर)
61432 | |||
राजस्थान में कृषि संबंधित योजनाएं
मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना (2017)
• उद्देश्य:- किसानों द्वारा स्वयं के खेतों में गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
• प्रारंभ में यह योजना 3 कृषि जलवायु क्षेत्रों (कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर) में शुरू की गई।
• 2018-19 से यह योजना राज्य के सभी 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में लागू की गई है।
• इस योजना के तहत फसलों की विभिन्न किस्मों का बीज उत्पादन 10 साल तक लिया जा रहा है।
प्रश्न.राजस्थान में कितने कृषि जलवायु क्षेत्र है ? - 10
कृषि शिक्षा में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन राशि
• उच्च माध्यमिक के लिए - ₹15,000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
• स्नातक एवं स्नातकोत्तर - ₹25,000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
• पीएचडी के लिए - ₹40,000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
कृषि प्रदर्शन योजना
• किसानों को कृषि की नई तकनीके सिखाने हेतु।
• यह योजना 'देखकर विश्वास करने' के सिद्धांत पर आधारित है।
सूक्ष्म पोषक तत्व मिनिकट
• मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंषा पर किसानों को 90% अनुदान पर सूक्ष्म पोषक तत्व मिनिकट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
तारबंदी द्वारा फसल सुरक्षा हेतु अनुदान:-
• उद्देश्य:- फसलों में नीलगाय, जंगली जानवरों व निराश्रित पशुओं से नुकसान को रोकना।
• वर्ष 2022-23 से राजस्थान फसल सुरक्षा मिशन के तहत शुरू।
• छोटे सीमांत किसानों को इकाई लागत का 50% या ₹100 प्रति मीटर या ₹40,000 (जो भी कम हो) अनुदान।
• सीमांत किसानों को इकाई लागत का 60% या ₹120 प्रति मीटर या ₹48,000 (जो भी कम हो) अनुदान।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
• 2007-08 से गेहूं एवं दलहन पर शुरू।
• केंद्र : राज्य (60:40)
NFSM न्यूट्रिसीरियल मिशन
• 2018-19 से शुरू।
NFSM तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन
• केंद्र : राज्य (60:40)
NFSM तिलहन विशेष कार्यक्रम एवं वृक्ष जनित तिलहन (टी.बी.ओज.)
• ट्री बोर्न तिलहन (टी.बी.ओज.):- जैतून, महुआ, नीम, जोजोबा, करूंजा एवं जटरोपा।
नोट:- NFSM वाले सभी मिशन का उद्देश्य:-
प्रमाणित बीज का वितरण एवं उत्पादन, उत्पादन तकनीक में सुधार, जैव उर्वरकों को बढ़ावा देना, सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग, समन्वित कीट प्रबंधन, कृषक प्रशिक्षण।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं तकनीकी मिशन
उद्देश्य:- कृषि विस्तार का पुनर्गठन एवं सशक्तिकरण करना।
जिससे किसानों को उचित तकनीक एवं कृषि विज्ञान की अच्छी पद्धतियों का हस्तांतरण किया जा सके।
• केंद्र : राज्य (60:40)
• इस मिशन के अन्तर्गत तीन उप-मिशन शामिल -
(1) कृषि विस्तार पर उप मिशन
(2) बीज एवं रोपण सामग्री पर उप मिशन
(3) कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन / राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन
मिशन में निम्न योजनाओं का विलय किया गया है -
राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन +
राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना +
राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रबन्ध परियोजना +
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन।
• केंद्र : राज्य (60:40)
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन के अन्तर्गत तीन उप-मिशन शामिल -
(1) वर्षा आधारित क्षेत्र विकास
(2) मृदा परीक्षण एवं मृदा स्वास्थ्य स्वास्थ्य कार्ड वितरण
(3) कृषि वानिकी पर उप मिशन (2017-18)
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)
• उद्देश्य:- जैविक खेती को बढ़ावा देना।
• पर्यावरण अनुकूल न्यूनतम लागत तकनीकों के प्रयोग से रसायनों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कम करना।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:-
• 2016 से प्रारम्भ की गई है।
• उद्देश्य:- प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले फसल नुकसान का बीमा कवर प्रदान करना।
• कृषक से निम्न प्रीमियम राशि लेकर बीमा किया जा रहा है -
रबी = 1.5%
खरीफ फसल = 2%
वाणिज्यिक/बागवानी = 5%
• फसल कटाई प्रयोग करने वाले प्राथमिक कार्मिकों को प्रीमियम अनुदान एवं प्रोत्साहन राशि के भुगतान हेतु राज्य निधि योजना चल रही है।
राजस्थान में बागवानी (Horticulture):-
बागवानी निदेशालय (1989-90)
केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान कहां स्थित है ? - बीकानेर।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
• राज्य के 24 जिलों में संचालित।
• उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल, उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि हेतु संचालित।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
• शुरुआत:- 2007-08
• उद्देश्य:- कृषि क्षेत्र के लिए योजनाओं को अधिक व्यापक रूप से तैयार करना।
• राष्ट्रीय बागवानी मिशन से वंचित जिलों में।
• केंद्र : राज्य (60:40)
निम्नलिखित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गए हैं -
• खजूर - सागरा भोजका (जैसलमेर)
• अनार - बस्सी (जयपुर)
• सीताफल - चित्तोडगढ़
• फूल - सवाई माधोपुर
• Juicy (Citrus) fruit - नांता (कोटा)
• अमरूद - डयोडावास (टोंक)
• आम - धौलपुर
• संतरा - झालावाड़
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - सूक्ष्म सिंचाई
• 2015-16
• फसल उत्पादन बढ़ाने एवं पानी को बचाने के लिए लघु सिंचाई पद्धति के तहत ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देना।
• केंद्र (60) : राज्य (40)
• नोडल विभाग:- उद्यानिकी विभाग।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना कंपोनेंट-बी:-
• यह योजना आधारभूत संरचना वाले अध्याय में है।
कृषि विपणन (Agriculture Marketing)
कृषि विपणन निदेशालय (1974):-
राज्य में 'मण्डी नियामक एवं प्रबंधन' को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कार्य कर रहा है।
किसान कलेवा योजना (2014)
• मंडी में उपज बेचने आने वाले किसानों को अनुदानित दर पर भोजन उपलब्ध कराने हेतु शुरु। (फूल और सब्जी मंडी को छोड़कर)
राजीव गांधी कृषक साथी सहायता योजना (2009)
कृषि विपणन सहित कृषि कार्य के दौरान दुर्घटनावश अंग भंग होने अथवा मृत्यु होने पर किसानों व मजदूरों को 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवायी जाती है।
महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना (2015):-
• प्रसूति सहायता:- 45 दिवस का मातृत्व अवकाश, 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।
इस दौरान अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर से भुगतान किया जाएगा।
• विवाह के लिए सहायता:- अनुज्ञप्तिधारी (Licence holder) महिलाओं के स्वयं के विवाह और पुत्रियों (अधिकतम दो) के विवाह के लिए ₹50,000 की सहायता।
• चिकित्सा सहायता:- अनुज्ञप्तिधारी हम्माल को गंभीर बीमारी होने पर अधिकतम ₹20,000 की सहायता।
• छात्रवृत्ति / मेधावी छात्र पुरस्कार योजना:- अनुज्ञप्तिधारी महिलाओं के पुत्र / पुत्री को 60%+ अंक प्राप्त करने पर।
कृषक उपहार योजना
• ई-नाम के माध्यम से अपनी उपज बेचने वाले सभी व्यक्तियों को कवर करने के लिए ई-नाम पोर्टल पर 1 जनवरी 2022 से यह योजना शुरू की गई है।
• ₹10 हजार (या इसके गुणक) की बिक्री पर एक कूपन जारी किया जाता है।
कृषि विपणन बोर्ड:-
राज्य में एक व्यापक नीति "राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019" दिनांक 12 दिसंबर 2019 से प्रारम्भ की गई है।
इस नीति की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार है:-
• समूह आधारित कार्य प्रणाली द्वारा फसल कटाई के बाद की हानियों को कम करना।
• कृषकों एवं उनके संगठनों की सहभागिता बढाना ।
• मूल्य संवर्धन और आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करके किसानों की आय बढ़ाना।
• खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के द्वारा कौशल विकास कर रोजगार का सृजन करना।
• मांग आधारित उत्पादन को बढ़ाना।
• राज्य की उत्पादन बहुलता वाली फसलों (जैसे-जीरा, धनिया, सौंफ, अजवाइन, ग्वार, ईसबगोल, दलहन, तिलहन, मेहंदी आदि) के मूल्य संवर्धन तथा निर्यात को प्रोत्साहन देना।
वित्तीय प्रावधानः-
• पूंजीगत लागत पर SC/ST के 100% स्वामित्व वाली परियोजनाओं, किसानों और उनके संगठनों को 75% की दर से अधिकतम ₹150 लाख की सीमा तक पूंजी अनुदान एवं अन्य पात्र उद्यमियों को 50% की दर से अधिकतम ₹150 लाख की सीमा तक पूंजी अनुदान देय है।
• किसानों को केंद्र सरकार से इस योजना के तहत 10% की दर से अधिकतम ₹50 लाख तक का अतिरिक्त पूंजीगत अनुदान देय है।
• टर्म लोन पर 5% ब्याज सब्सिडी दी जाएगी।
• राज्य के बागवानी उत्पादों को अन्य राज्यों के बाजारों में ले जाने के लिए 300 किलोमीटर से अधिक परिवहन के लिए 3 साल की अवधि तक प्रतिवर्ष ₹10 लाख एवं जैविक उत्पाद के लिए 5 साल की अवधि तक प्रतिवर्ष ₹15 लाख तक का अनुदान देय है।
• प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद के निर्यात पर 3 वर्ष के लिए ₹15 लाख तक अनुदान देय है।
प्रसंस्कृत जैविक उत्पाद के निर्यात पर 5 वर्ष के लिए ₹20
• लाख तक अनुदान देय है।
कृषक कल्याण कोष (K3):-
• गठन:- 16 दिसंबर 2019 को इज ऑफ डूइंग फॉर्म की तर्ज पर 1,000 करोड़ की राशि से।
• उद्देश्य:- किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाना।
• वर्तमान में इस कोष की राशि ₹7,500 करोड़ है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना (PM-FME):-
(PM-Formalization of Microfood processing Enterprises.)
• आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत।
• 2020-25 के लिए। • 10,000 करोड़ रुपये।
• खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू।
• केंद्र प्रायोजित योजना। (60:40)
• उद्देश्य:- देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का उन्नयन करना।
• नोडल एजेंसी:- राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड।
• एक जिला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण पर काम करेगी।
• हर जिले के लिए एक खाद उत्पाद की पहचान की जायेगी। जैसे - अचार, पापड़। चुने गए उत्पादों का उत्पादन करने वाले उद्योगों को अधिकतम 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जायेगी।
• 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रत्यक्ष सहायता दी जायेगी।
• ODOP उत्पादों के लिए विपणन एवं ब्रांडिंग का कार्य किया जायेगा।
राजस्थान में जल संसाधन (Water Resources)
• राजस्थान में देश के कुल सतही जल (Surface water) का 1.16% जबकि कुल भूजल (Ground water) का 1.69% उपलब्ध है।
राज्य के 39.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सतही जल परियोजनाओं से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
• 8 वृहद् परियोजनाएं:- नर्मदा नहर परियोजना (जालोर एवं बाड़मेर), परवन (झालावाड़), धौलपुर लिफ्ट, मरूस्थल क्षेत्र के लिए जल पुर्नगठन परियोजना, नवनेरा बाँध (कोटा), अपर हाई लेवल केनाल परियोजना, पीपलखूंट, कालीतीर लिफ्ट।
• 5 मध्यम परियोजनाएं:- गरड़दा (बूँदी), ताकली (कोटा), गागरिन (झालावाड़), ल्हासी एवं हथियादेह (बारां)
• 41 लघु सिंचाई परियोजनाएं।
नर्मदा नहर परियोजना (जालोर एवं बाड़मेर)
यह देश की पहली वृहद् सिंचाई परियोजना है, जिसमें संपूर्ण कमांड क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य किया गया है।
नवनेरा बांध (कोटा):- यह परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का अभिन्न हिस्सा है।
परवन वृहद् बहुउद्देशीय परियोजना:-
• परवन नदी पर झालावाड़ में।
• इससे कोटा, बारां एवं झालावाड़ जिलों के 637 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
कालीतीर लिफ्ट परियोजना:-
यह परियोजना पार्वती बांध व रामसागर बांध से धौलपुर जिले के 483 गांव व 3 कस्बो के लिए पेयजल आपूर्ति के उद्देश्य से शुरू की गई है।
अपर हाई लेवल कैनाल परियोजना (माही नदी पर) :-
बांसवाड़ा जिले में सिंचाई हेतु।
पीपलखूंट हाई लेवल केनाल परियोजना:-
प्रतापगढ़ जिले की पीपलखूंट तहसील के 16 गांवों में सिंचाई सुविधा हेतु।
राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना (RWSLIP):-
• 26 अक्टूबर 2017
• 27 जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं का पुनर्वास और जीर्णोद्धार किया जायेगा।
• वित्त पोषण:- JICA (Japan Internantional Coperation Agency)
• परियोजना की समयावधि 11 वर्ष है और इसे तीन चरणों में लागू किया जायेगा।
राजस्थान के मरू क्षेत्र हेतु राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना (RWSRPD):-
• उद्देश्य:- इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण का पुनर्वास और पुनर्गठन के लिए।
• वित्तपोषण:- न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB)
• राज्य (30) : NDB (70)
• इससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनू, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले लाभान्वित होंगे।
राष्ट्रीय जल विज्ञान योजना:-
• जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2016 -17 में 8 वर्ष के लिए शुरू।
• 100% - केंद्र अनुदान। (विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त)
• उद्देश्य:- सूखा प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता में सुधार।
• इसमें स्काडा सिस्टम लगाया गया है।
SCADA - Supervisory control and data acquisition.
नोट:- सर्वप्रथम बीसलपुर बांध में स्काडा सिस्टम लगाया गया।
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP)
• राज्य के बड़े बांधों की बहाली और पुनर्वास के लिए विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना।
• बांधों में जल रिसाव रोकना।
पार्वती- कालीसिंध- चम्बल पूर्वी राजस्थान नहर लिंक परियोजना (PKC-ERCP)
एकीकृत पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (एकीकृत ERCP)
संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल (MPKC) लिंक परियोजना (एकीकृत ERCP):-
• इस परियोजना हेतु केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार, राजस्थान सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के बीच 28 जनवरी 2024 को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
• इस प्रोजेक्ट को केंद्र की नदी जोड़ो परियोजना में शामिल किया गया है। (नदी परिप्रेक्ष्य परियोजना)
• इसके लिए 90% राशि केंद्र देगा।
• मानसून के दौरान चंबल नदी के सहायक नदी बेसिनों (कन्नु, कूल, पार्वती, कालीसिंध, मेज) में उपलब्ध अधिशेष (Surplus) जल को बनास, मोरेल, बाणगंगा, पार्वती, कालीसिल, गंभीर आदि नदी बेसिनों में स्थानांतरित किया जायेगा।
• इस परियोजना से मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुल 5.60 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी।
• इस परियोजना के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों (नव गठित 21 जिलों) और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव
राजस्थान को लाभ:-
• 2.80 लाख हैक्टेयर में सिंचाई का पानी मिल सकेगा।
• 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई का पानी और राज्य की 40% आबादी को पेयजल मिल सकेगा।
• 32 बांध भरे जाएंगे।
• 26 बांधों का पुनरूद्धार किया जाएगा।
ERCP में शामिल रामगढ़ बैराज, पार्वती नदी पर महलपुर बैराज, कालीसिंध नदी पर नवनैरा बैराज, मेज बैराज, बनास नदी पर राठौड़ बैराज, बनास नदी पर डूंगरी बांध, ईसरदा बांध का क्षमता वर्धन किया जाएगा।
रिपेयर-रिनोवेशन-रिस्टोरेशन परियोजना (RRR परियोजना):- (2005)
• केंद्र (60) : राज्य (40)
• सिंचाई जल संरचनाओं की मरम्मत व सुधार हेतु भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार के सहयोग से प्रारंभ।
• वर्तमान में राज्य की 37 परियोजनाओं को इस योजना में शामिल किया गया है।
• इस योजना को वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- 'हर खेत को पानी' में सम्मिलित किया गया।
उपनिवेशन विभाग
• इस विभाग का मुख्य कार्य इंदिरा गांधी नहर परियोजना में भूमि क्षेत्र में भूमि आवंटित करना है।
• इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) का लक्ष्य 16.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाना है।
भू-जल
राजस्थान में भू-जल उपलब्धता के अनुसार विभिन्न श्रेणियां में वर्गीकृत ब्लॉकों का विवरण:-
क्र.सं. | ||
अटल भू-जल योजना:-
• यह योजना भारत सरकार एंव विश्व बैंक के सहयोग से (50:50) देश के 7 राज्यों में भू-जल के गिरते स्तर को रोकने, भू-जल के बेहतर प्रबन्धन हेतु 1 अप्रेल 2020 से लागू की गई।
• राजस्थान के 16 जिलें शामिल हैं।
• यह योजना पांच वर्षों 2020-24 से वर्ष 2024-25 तक के लिये है।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान 2.0
• लेखानुदान घोषणा:- 2024-25
• आगामी 4 वर्षों में 20 हजार गांवों में 5 लाख जल संचयन/भंडारण संरचनाएं (Water Harvesting Structures) बनाई जायेंगी।
• प्रथम चरण में आगामी वर्ष 5,135 गांवों में 1.50 लाख कार्य करवाये जायेंगे।
• उद्देश्य- जल संरक्षण, जल संग्रहण, जल संचयन ढांचों का निर्माण और उपलब्ध जल स्त्रोतों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करना।
- गांव में पीने के पानी की समस्या को दूर करना।
- परंपरागत पेयजल एवं जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना।
- सघन वृक्षारोपण कर हरित क्षेत्र को बढ़ाना।
- सिंचित एवं कृषि योग्य क्षेत्रफल को बढ़ाना।
- जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
- खाईया, खेत तालाब, खड़ीन, जौहर, टांका, छोटे एनीकट, मिट्टी चेकडैम आदि जल भंडारण संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
राजस्थान में पशुधन
पशुधन गणना (प्रत्येक 5 वर्ष में)
• पहली:- 1919 (भारत में), 1951 (राजस्थान में)
• 20वीं पशुधन गणना 2019:-
राज्य में कुल 568.01 लाख पशुधन एवं 146.23 लाख कुक्कुट (Poultry) है।
देश के कुल पशुधन का 10.60% पशुधन राजस्थान में है।
यहां देश का 84.43% ऊंट, 14% बकरी, 12.47% भैंस, 10.64% भेड एवं 7.24% गौवंश उपलब्ध है।
• राजस्थान देश में दूध उत्पादन में 14.63% तथा ऊन उत्पादन में 42.45% योगदान देता है।
राजस्थान बकरी, ऊंट और गधों के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है।
20840203 | ||
13937630 | ||
भेड | ||
212739 | ||
154803 | ||
गधे | ||
खच्चर (Mules) | 1339 | |
56800945 |
प्रश्न.राजस्थान में गौवंश संवर्द्धन के प्रयास ?
पशु मित्र योजना • पशुपालकों को डोर स्टेप सुविधाएं प्रदान करने हेतु। जैसे - टैगिंग, टीकाकरण, बीमा, कृत्रिम गर्भाधान। • 5,000 पशु मित्र बनाए जाएंगे। खुरपका एवं मुंहपका रोग योजना (2010) (Foot and mouth disease) राज्य पशुधन एवं डेयरी विकास नीति 2019 • आजीविका में में वृद्धि। • दुग्ध प्रसंस्करण। • विपणन। • रोजगार सृजन। • पशु आहार। • देशी नस्ल सुधार। • रोग नियंत्रण कार्यक्रम। कामधेनु बीमा योजना:- पशुपालकों को दुधारू गौ/ भैंसवंशीय पशुधन की अकाल मृत्यु के कारण संभावित नुकसान से सुरक्षा मुहैया कराए जाने की दृष्टि से प्रत्येक परिवार दो- दो पशुओं का अधिकतम ₹40,000 प्रति पशु बीमा निःशुल्क। | 13 मार्च 2014 को गोपालन विभाग की स्थापना। पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना • 138 दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध करवायी जा रही है। नंदी गौशाला जन सहभागिता योजना • 2018-19 में आवारा पशुओं के लिए शुरू। • सरकार एवं जनता की भागीदारी - 90:10 • 50 लाख प्रति गौशाला सहायता दी जाएगी। गौशाला विकास योजना • उद्देश्य:- गौशालाओं में बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 10 लाख रुपये की सहायता। राजस्थान में ऊंट संरक्षण योजना के तहत ऊंट प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए टोडियों (बछड़ा) के जन्म पर पशुपालकों को ₹10,000 दो किस्तों में। |
राजस्थान में डेयरी विकास:-
राज्य में 24 जिला दुग्ध उत्पादक संघ है।
शीर्ष स्तर पर राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (RCDF), जयपुर स्थापित किया गया है।
• RCDF द्वारा पौष्टिक आहार, विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पादों का उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों को बीमा उपलब्ध करवाया जा रहा है।
• दुग्ध सहकारी समितियां:- 18,781
राज सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना (8th चरण)
• 1 फरवरी 2024
• दुग्ध उत्पादकों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना।
• मृत्यु एवं पूर्ण स्थायी अपंगता पर ₹5 लाख।
• आंशिक स्थायी अपंगता पर ₹2.5 लाख मिलेंगे।
सरस सामूहिक आरोग्य बीमा
• इसके अंतर्गत जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों द्वारा दुग्ध उत्पादकों को बीमा दिया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना
• RCDF को दूध सप्लाई करने वाले दुग्ध उत्पादकों को इस योजना के तहत ₹5 प्रति लीटर बोनस दिया जा रहा है।
मत्स्य (Fisheries):-
• राज्य में 2023-24 में मत्स्य उत्पादन 91,349 मैट्रिक टन हुआ हैं।
• मत्स्य विभाग द्वारा आदिवासी मछुआरों के उत्थान हेतु "आजीविका मॉडल योजना" राज्य के तीन जलाशयों जयसमन्द (सलूम्बर ), माही बाजाज सागर (बांसवाड़ा) एवं कडाना बैक वाटर (डूंगरपुर) में प्रारम्भ की गई।
• आदिवासी मछुआरो को मछली पकड़ने की सम्पूर्ण कीमत दी जा रही है।
• राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVy) के तहत मत्स्य प्रसंस्करण से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए रामसागर (धौलपुर), बीसलपुर (टोंक), राणा प्रताप सागर (रावतभाटा), जवाई बांध (पाली) एवं जयसमंद (सलूंबर) बांधों से मत्स्य लैंडिंग केंद्र स्थापित किये गये है।
• मछुआरों के लिए नियमित प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं एवं उन्हें सामूहिक बीमा योजना से लाभान्वित किया जा रहा हैं।
• नीली क्रांति योजना:- जैविक सुरक्षा, मछुआरों की समृद्धि एवं उनके भोजन व पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित योजना।
भारत सरकार द्वारा नीली क्रांति योजना के सभी आयामों को समाहित करते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (2020-21) शुरू की गई है।
राजस्थान में वानिकी (Forestry):-
• राज्य में कुल घोषित वन क्षेत्र 32,921 वर्ग किमी है जो कि राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 9.61% हैं।
• वन आच्छादित क्षेत्र:- 4.87%
• भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 2019-21 में राज्य के वनाच्छादित क्षेत्र में 25.45 वर्ग किमी की वृद्धि हुई।
• राज्य में 3 राष्ट्रीय उद्यान, 4 बॉयोलोजिकल पार्क (जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा), 5 टाइगर रिजर्व, 21 औषधीय पौध संरक्षित क्षेत्र, 27 वन्यजीव अभयारण्य, 36 संरक्षित क्षेत्र है।
नवीनतम टाइगर रिजर्व:- धौलपुर-करौली।
• राज्य में 6,388 ग्राम वन संरक्षण एवं प्रबंधन समितियां 13.32 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र की सुरक्षा एवं प्रबंधन कर रही है।
ट्री आउटसाइड फॉरेस्ट राजस्थान (TOFR) योजना
• राजस्थान ग्रीनिंग और रिवाईल्डिंग मिशन के तहत वनस्पति आवरण को बढ़ाने और वन क्षेत्रों के बाहर हरियाली बढ़ाने के लिए वर्ष 2023-24 में शुरू।
• इसके तहत प्रदेश में विभिन्न विभागों, संस्थाओं और नागरिकों के सहयोग से प्रतिवर्ष 5 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
नगर वन योजना:-
• भारत सरकार के पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इस योजना के तहत 200 नगर वन आगामी 5 वर्ष में पूरे देश में विकसित किए जाएंगे।
• राजस्थान में इस कार्यक्रम के तहत वर्तमान में 14 नगर वन विकसित किये जा रहे हैं।
लव-कुश वाटिका :-
इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में 2 लव-कुश वाटिका विकसित की जा रही है।
विश्व वानिकी उद्यान (झालाना डूंगरी, जयपुर) की तर्ज पर जोधपुर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, भरतपुर व अजमेर में बोटनीकल गार्डन स्थापित किए जा रहे हैं।
विश्व आर्द्र भूमि दिवस:- 2 फरवरी
विश्व पृथ्वी दिवस:- 22 अप्रैल
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस:- 5 जून
विश्व ओजोन परत संरक्षण दिवस:- 16 सितंबर
• राजस्थान जैव विविधता अधिनियम - 2002
इस अधिनियम की धारा 63(1) के तहत राजस्थान जैविक विविधता नियम 2010 को अधिसूचित किया गया है।
• 14 सितंबर 2010 को राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड की स्थापना की गई।
ई-वेस्ट प्रबंधन:-
राज्य में ई-वेस्ट के प्रभावी प्रबंधन हेतु पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने ई-वेस्ट प्रबंधन नीति 2023 प्रकाशित की है।
राज्य जलवायु परिवर्तन नीति 2023 भी प्रकाशित की गई है।
राजस्थान में सहकारिता (Co-operatives):-
• वर्तमान में सहकारिता के क्षेत्र में शीर्ष स्तर पर 23 संघ (फेडरेशन), 24 दुग्ध संघ, 38 उपभोक्ता थोक भंडार, 36 प्राथमिक भूमि विकास बैंक, 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक, 8273 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां है।
• 41,419 सहकारी समितियां पंजीकृत हैं।
• राज्य में 41 अरबन को-ऑपरेटिव बैंक कार्यरत हैं।
राजस्थान ग्रामीण आजीविका ऋण योजना
• ग्रामीण दस्तकार, अकृषि कार्यों से जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों एवं लघु एवं सीमांत किसानों को सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाया जाता है।
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF)
• किसानों के लिए फार्मगेट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 15 मई 2020 को ₹1 लाख करोड़ के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की गई।
• इसके तहत सभी ऋणों पर ₹2 करोड़ की सीमा तक प्रतिवर्ष 3% का ब्याज अनुदान देय होगा।
• नोडल विभाग:- सहकारिता विभाग।
पी. एम. किसान पोर्टल
• प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के पंजीकरण एवं सत्यापन हेतु शुरू।
राज सहकार पोर्टल
• यह सहकारिता विभाग की योजनाओं और सुविधाओं के लिए एकीकृत प्लेटफॉर्म है।
स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड योजना
• इसके अन्तर्गत गैर कृषि गतिविधियों हेतु ₹50,000 तक का ऋण 5 वर्ष की अवधि तक के लिए दिया जाता हैं।
सहकारी किसान कल्याण योजना
• केद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा कृषि और सम्बद्ध कृषि उद्देश्यों के लिए अधिकतम ₹10 लाख तक का ऋण दिया जाता है।
कृषि उपज रहन ऋण योजना
• काश्तकारों को 3% की ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है।
सहकारी विपणन संरचना
• राज्य में 278 क्रय-विक्रय सहकारी समितियां किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलवाने एवं प्रमाणित बीज, खाद्य एवं कीटनाशक दवाईयां उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।
• शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफैड) कार्यरत हैं।
सहकारी उपभोक्ता संरचना
• उपभोक्ताओं को कालाबाजारी और बाजार में कृत्रिम अभाव से बचाने के लिए जिला स्तर पर 38 सहकारी उपभोक्ता थोक भण्डार तथा शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (कॉनफेड) कार्यरत हैं।
जन औषधि केंद्र
• वर्तमान में जन औषधि केंद्र जोधपुर एवं झुंझुनू जिले में थोक उपभोक्ता भंडार द्वारा और जयपुर में कॉनफैड द्वारा संचालित किया जा रहे हैं।
सहकारी आवास योजना:- मकान निर्माण, खरीद एवं विस्तार के लिए 15 वर्ष तक की अवधि के लिए ₹20 लाख तक का ऋण।
बेबी ब्लेंकेट योजना (1998):-
• भवनों की मरम्मत एवं रखरखाव हेतु 7 लाख रुपये तक का ऋण।
SAVE WATER
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