राजस्थान शहरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (चरण-III)
• एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- नवम्बर 2015 से मार्च 2023 तक।
• उद्देश्य:- चयनित शहरों के निवासियों को जलापूर्ति सेवा प्रदान करना, सम्पूर्ण स्वच्छता सहित सीवरेज क्षेत्र में सुधार करना।
• 5 शहरों (टोंक, श्रीगंगानगर, झुन्झुनू, पाली एवं भीलवाड़ा) को शामिल किया गया हैं।
राजस्थान मध्यम नगरीय क्षेत्र विकास परियोजना
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- जनवरी 2021 से नवम्बर 2027 तक।
• उद्देश्य:- चयनित शहरों में जलापूर्ति सेवा एवं स्वच्छता में सुधार करना।
• राज्य के 14 शहर शामिल।
राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम - परियोजना -1:-
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- नवंबर 2017 से सितम्बर 2020 (पूर्ण हो चुकी)
• उद्देश्य:- राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना।
राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम - परियोजना -2:-
• ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- दिसम्बर 2019 से मार्च 2024 तक।
उद्देश्य:- राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना।
राजस्थान राज्य राजमार्ग विकास कार्यक्रम-2
• विश्व बैंक द्वारा द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- अक्टूबर 2019 से मार्च 2024 तक।
• उद्देश्य:- राज्य के चयनित राजमार्गो पर यातायात प्रवाह में सुधार करना एवं राजमार्गों के बेहतर प्रबंध के लिए क्षमता निर्माण करना।
राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना
• JICA द्वारा वित्त पोषित।
JICA:- जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी।
• अवधि:- अक्टूबर 2017 से अक्टूबर 2024 तक।
• उद्देश्य:- 27 जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं में पुनर्वास एवं जीर्णोद्धार के कार्य किये जायेंगे।
• JICA द्वारा 2 ट्रान्च में वित्तीय सहायता दी जायेगी।
रेगिस्तान क्षेत्र में जल क्षेत्र पुन: संरचना परियोजना ट्रान्च-1 व 2:-
• न्यू डवलपमेंट बैंक (NDB) द्वारा सहायतित।
• NDB (70) : राज्य (30)
• अवधि:- मई 2018 से फरवरी 2025 तक।
• यह परियोजना 2 ट्रान्च में क्रियान्वित की जायेगी।
• दूसरा ट्रान्च 31 अक्टूबर 2022 से शुरू।
• इंदिरा गाँधी फीडर एवं मुख्य नहर की री-लाईनिंग एवं वितरण प्रणाली के जीर्णोद्वार के कार्य किए जायेंगे।
• इससे सेम की समस्या से मुक्ति मिलेगी तथा रावी-व्यास नदियों के व्यर्थ बह कर जाने वाले पानी का उपयोग हो सकेगा।
राजस्थान में सार्वजनिक वित्तीय प्रबन्धन के सुदृढीकरण की परियोजना:-
• विश्व बैंक द्वारा सहायतित।
• अवधि:- जुलाई 2018 से मार्च 2024 तक।
• उद्देश्य:- पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक खर्च में दक्षता बढ़ाने के लिए बेहतर नियोजन और बजट निष्पादन में योगदान करना।
मुख्य घटक:-
1. सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन ढाँचे को मजबूत करना।
2. व्यय और राजस्व प्रणाली को मजबूत करना।
3. परियोजना प्रबंधन और क्षमता निर्माण।
राजस्थान ग्रामीण जलापूर्ति एवं फ्लोरोसिस निराकरण परियोजना (चरण-II):-
• JICA द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि:- जुलाई 2021 से दिसंबर 2024 तक।
• उद्देश्य:- झुंझुनूं और बाड़मेर जिले में जलशोधन प्लांट और जलापूर्ति संबंधित सुविधाओं का निर्माण करना।
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP)
• राज्य के बड़े बांधों की बहाली और पुनर्वास के लिए विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना।
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना-II (DRIP)
• विश्व बैंक एवं AIIB द्वारा वित्त पोषित।
AIIB:- एशियन इन्फ्राट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक
• अवधि:- अक्टूबर 2021 से मार्च 2027 तक।
• देश के 13 राज्यों में लागू की गई।
• उद्देश्य:- बांधों की सुरक्षा बढ़ाना, बांध सुरक्षा संस्थानों को मजबूत बनाना, बांध सुरक्षा के वित्तीय पोषण एवं संस्थागत ढांचे को बढ़ाना।
प्रश्न.विश्व बैंक द्वारा सहायतित चार योजनाओं के नाम बताइए ?
सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी)
यह सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बीच ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत सरकार निजी कंपनियों के साथ अपनी परियोजनाओं को पूरा करती है।
उदाहरण:- देश के कई हाईवे इसी मॉडल पर बने हैं।
विशेषताएं:-
1. निजी क्षेत्र के प्रतिस्पर्धा के कारण परियोजना की निर्माण लागत में कमी।
2. गुणवत्तापूर्ण कार्य।
3. कार्य समय पर पूरा होने से सरकार के राजस्व में वृद्धि।
4. पारदर्शिता को बढ़ावा।
5. भ्रष्टाचार की संभावना कम।
चुनौतियां:-
1. भूमि अधिग्रहण की समस्या। (जन विरोध)
2. पर्यावरण विभाग द्वारा पीपीपी परियोजनाओं को महत्व नहीं देना।
3. पीपीपी कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार
4. निजी कंपनियां केवल अपने लाभ को महत्व देती है। लोक कल्याणकारी कार्य नहीं करती।
5. नागरिकों को लंबे समय तक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। जैसे - टोल टैक्स।
6. न्यायिक हस्तक्षेप के कारण कार्यों में रुकावट।
निष्कर्ष:-
पीपीपी मॉडल में कुछ अच्छाइयां हैं, तो कुछ खामियां भी हैं, लेकिन यह योजना वर्तमान समय की आवश्यकता बन चुकी है। इसकी कुछ खामियों को दूर कर संतुलन साधने की जरूरत है, ताकि सतत्, समावेशी एवं सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया संचालित हो सके।
प्रश्न.पीपीपी मॉडल की आवश्यकता क्यों है ? (50 शब्द)
निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत पहल:-
A. संस्थागत व्यवस्था:-
पीपीपी परियोजनाओं के सफल विकास और निष्पादन हेतु एक त्रि-स्तरीय संस्थागत ढाँचा अपनाया गया हैं:-
(1) अनुमोदन समितियां:-
(i) काउंसिल फोर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (CID)
पीपीपी परियोजनाओं के नीतिगत मामलों के निर्णय हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया।
• यह ₹500 करोड़ से अधिक लागत वाली सभी पीपीपी परियोजनाओं को अनुमति प्रदान करती हैं।
(ii) एम्पावर्ड कमेटी फोर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (ECID):-
CID के कार्यों के सुचारू संचालन में सहयोग हेतु।
अध्यक्ष:- मुख्य सचिव।
(iii) एम्पावर्ड कमेटी फॉर रोड सेक्टर प्रोजेक्टस् (ECRSP):-
सड़क परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन गठित की गई है।
अध्यक्ष:- मुख्य सचिव।
(iv) स्विस चैलेंज प्रस्तावों के लिए स्टेट लेवल एम्पावर्ड कमेटी (SLEC):-
स्विस चैलेंज पद्धति के तहत प्राप्त प्रस्तावों पर विचार व परीक्षण कर स्वीकृति प्रदान करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई है।
स्विस चैंलेंज किससे संबंधित है ? - पीपीपी सेक्टर से।
2. पीपीपी सेल (नोडल एजेंसी):-
• 2007-08 में बनाया गया।
• आयोजन विभाग के अधीन कार्य करता है।
• यह सेल पीपीपी से सम्बन्धित कानून, दिशा निर्देशों आदि के संग्राहक के रूप में कार्य करता हैं। (Rules)
3. सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग (कार्यकारी एजेंसी)
(B) निजी क्षेत्र सहभागिता के साथ राज्य सरकार द्वारा उन्नत संयुक्त उपक्रम (Joint Venture):-
1. प्रोजेक्ट डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (पीडीकोर):- पीपीपी मोड में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए दिसम्बर 1997 में गठित।
2. रोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (रिडकोर):- राज्य में मेगा हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ष 2004 में गठित।
3.सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (SUCRL):-
भादला (जोधपुर) में 1,000 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित।
4.एस्सेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (ESUCRL):- जैसलमेर और जोधपुर में 750 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित।
5.अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (AREPRL):- जैसलमेर और भादला (जोधपुर) में 2,000 मेगावाट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2015 में गठित।
वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना
• शुरू:- 2007
• उद्देश्य:- सामाजिक क्षेत्र में पीपीपी को बढ़ावा देना।
• यह एक ऐसा अनुदान होता है, जो सरकार द्वारा ऐसी आधारभूत ढाँचा परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है, जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो। (Economically Justified but not Financially Viable)
• ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है।
अन्य प्रयास:-
(i) सड़क विकास नीति 2013
राजस्थान सड़क क्षेत्र में निर्माण- परिचालन- हस्तांतरण (BOT) आधारित परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र के प्रवेश को प्रशस्त करने की नीति तैयार करने वाला देश का प्रथम राज्य था।
(ii) राजस्थान राज्य सड़क विकास निधि अधिनियम 2004:-
इसके अन्तर्गत पेट्रोल / डीजल पर ₹1 का उपकर (सैस) लागू कर स्थायी सड़क कोष बनाया गया हैं जिसका उपयोग राज्य में सड़कों के विकास तथा रखरखाव के लिए किया जा रहा हैं।
(iii) राजस्थान राज्य राजमार्ग अधिनियम 2014
(iv) Capacity Building (क्षमतावर्द्धन)
राजस्थान उन चयनित राज्यों में से एक हैं, जिसे KFW (जर्मन विकास बैंक) के सहयोग से आर्थिक मामलात विभाग, वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में प्रारम्भ किए गए राष्ट्रीय पीपीपी क्षमतावर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत चुना गया है।
राज्य की पीपीपी परियोजनाएं:-
सितंबर 2022 तक 195 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
राजकोषीय प्रबंधन:-
आय:-
1. राजस्व आय:- कर (Tax), गैर कर (Non-tax)
2. पूंजीगत आय:- ऋण।
• राजस्व आय के स्त्रोत -
स्वयं के कर> केंद्रीय करों में हिस्सेदारी> अनुदान> गैर कर आय।
स्वयं के कर राजस्व आय में सर्वाधिक हिस्सा - SGST>बिक्रीकर >State excise> वाहनों पर कर
पूंजीगत आय में सर्वाधिक योगदान - लोक ऋण का (Public finance)
व्यय:-
1. राजस्व व्यय:- सामाजिक सेवाएं > सामान्य सेवाएं > आर्थिक सेवाएं।
• सरकार सर्वाधिक खर्च सामाजिक सेवाओं के अंतर्गत वेतन एवं मजदूरी पर करती है।
2. पूंजीगत व्यय।
बजट 2023-24 में ₹3,90,856.48 करोड़ व्यय करना अनुमानित है।
सर्वाधिक व्यय:- सामाजिक एवं बुनियादी सेवाएं
राजकोषीय संकेतक | ||
राजस्व आधिक्य अथवा शून्य घाटा | ||
3% या कम | ||
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय - राजस्व आय
• ₹25,870 करोड़ (वर्ष 2021-22 का आंकड़ा)
• ₹24,895.67 करोड़ (बजट अनुमान 2023-24)
राजकोषीय घाटा = कुल आय - कुल व्यय
(राजस्व आय + पूंजी आय) - कुल व्यय
• ₹48,238 करोड़ (वर्ष 2021-22 का आंकड़ा)
• राजस्थान बजट 2023-24 में राजकोषीय घाटा ₹62,771.92 करोड़ अनुमानित है, जो राज्य GDP का 3.98% है।
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