कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान:-
प्रचलित मूल्य पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान 28.95% है।
• कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में फसल, पशुधन, मत्स्य, वानिकी को शामिल किया जाता है।
2022-23 में कृषि में योगदान (प्रचलित मूल्यों पर):-
शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल Net Sown Area
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52.34%
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बंजर भूमि Waste land
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10.87%
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वानिकी Forest land
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8.08%
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ऊसर तथा कृषि अयोग्य भूमि Barren and uncultivable land
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6.91%
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अन्य चालू पड़त भूमि Fallow land other than current fallow
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6.10%
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प्रचालित जोत धारक (Operational land holdings):-
211.36 लाख हेक्टेयर | ||
68.88 लाख | ||
महिला प्रचालित जोत धारक |
(97.98 खरीफ + 156.01 रबी) (206.57 अनाज + 47.42 दलहन) • तिलहन उत्पादन = 99.78 लाख मैट्रिक टन। • गन्ना उत्पादन = 2.18 लाख मैट्रिक टन। • कपास (रूई) = 25.53 लाख गाँठे। | दूसरा:- मूंगफली, कुल दलहन तीसरा:- सोयाबीन, चना, ज्वार |
कृषि जलवायुवीय क्षेत्रवार मुख्य फसलें
• राजस्थान को 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
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बाजरा, मोंठ, तिल
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गेंहू, सरसों, जीरा
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राजस्थान में पहली बार अलग से कृषि बजट कब पेश किया गया? - 2022-23
राजस्थान में कृषि उत्पादकता (किलोग्राम/हैक्टेयर)
राजस्थान में कृषि संबंधित योजनाएं
मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना (2017)
• उद्देश्य - किसानों द्वारा स्वयं के खेतों में गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
• प्रारंभ में यह योजना 3 कृषि जलवायु क्षेत्रों (कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर) में शुरू की गई।
• 2018-19 से यह योजना राज्य के सभी 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में लागू की गई है।
• इस योजना के तहत फसलों की विभिन्न किस्मों का बीज उत्पादन 10 साल तक लिया जा रहा है।
प्रश्न.राजस्थान में कितने कृषि जलवायु क्षेत्र है ? - 10
कृषि शिक्षा में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन राशि
• उच्च माध्यमिक के लिए - ₹5000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
• स्नातक एवं स्नातकोत्तर - ₹12000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
• पीएचडी के लिए - ₹15000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
बजट घोषणा 2023-24:- प्रोत्साहन राशि क्रमशः 15 हजार, 25 हजार एवं 40 हजार रुपये प्रतिवर्ष की गई।
कृषि प्रदर्शन योजना
• किसानों को कृषि की नई तकनीके सिखाने हेतु।
• यह योजना 'देखकर विश्वास करने' के सिद्धांत पर आधारित है।
सूक्ष्म पोषक तत्व मिनिकट
• मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंषा पर किसानों को 90% अनुदान पर सूक्ष्म पोषक तत्व मिनिकट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
• 2007-08 से गेहूं एवं दलहन पर शुरू।
• केंद्र : राज्य (60:40)
NFSM न्यूट्रिसीरियल मिशन
• 2018-19 से शुरू।
NFSM तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन
• केंद्र : राज्य (60:40)
नोट:- NFSM वाले तीनों मिशन का उद्देश्य:-
प्रमाणित बीज का वितरण एवं उत्पादन, उत्पादन तकनीक में सुधार, जैव उर्वरकों को बढ़ावा देना, सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग, समन्वित कीट प्रबंधन, कृषक प्रशिक्षण।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं तकनीकी मिशन
उद्देश्य:- कृषि विस्तार का पुनर्गठन एवं सशक्तिकरण करना।
जिससे किसानों को उचित तकनीक एवं कृषि विज्ञान की अच्छी पद्धतियों का हस्तांतरण किया जा सके।
• केंद्र : राज्य (60:40)
• इस मिशन के अन्तर्गत चार उप-मिशन शामिल -
(1) कृषि विस्तार पर उप मिशन
(2) बीज एवं रोपण सामग्री पर उप मिशन
(3) कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन
(4) कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्कीम
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन
इस मिशन में निम्न योजनाओं का विलय किया गया है -
राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन +
राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना +
राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रबन्ध परियोजना +
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन।
• केंद्र : राज्य (60:40)
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन के अन्तर्गत चार उप-मिशन शामिल -
(1) वर्षा आधारित क्षेत्र विकास
(2) मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड
(3) परम्परागत कृषि विकास योजना
(4) कृषि वानिकी पर उप मिशन (2017-18)
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
• 2016 से प्रारम्भ की गई है।
• उद्देश्य:- प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले फसल नुकसान का बीमा कवर प्रदान करना।
• कृषक से निम्न प्रीमियम राशि लेकर बीमा किया जा रहा है -
रबी = 1.5%
खरीफ फसल = 2%
वाणिज्यिक/बागवानी = 5%
• फसल कटाई प्रयोग करने वाले प्राथमिक कार्मिकों को प्रीमियम अनुदान एवं प्रोत्साहन राशि के भुगतान हेतु राज्य निधि योजना चल रही है।
राजस्थान में बागवानी (Horticulture):-
बागवानी निदेशालय (1989-90)
केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान कहां स्थित है ? - बीकानेर।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
• 2005-06 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू।
• राज्य के 24 जिलों में संचालित।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
• केन्द्र सरकार द्वारा 2007-08 में शुरू।
• उद्देश्य:- कृषि क्षेत्र के लिए योजनाओं को अधिक व्यापक रूप से तैयार करना।
• राष्ट्रीय बागवानी मिशन से वंचित जिलों में।
• केंद्र : राज्य (60:40)
निम्नलिखित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गए हैं -
• खजूर - सागरा भोजका (जैसलमेर)
• अनार - बस्सी (जयपुर)
• सीताफल - चित्तोडगढ़
• फूल - सवाई माधोपुर
• Juicy (Citrus) fruit - नांता (कोटा)
• अमरूद - डयोडावास (टोंक)
• आम - धौलपुर
• संतरा - झालावाड़
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - सूक्ष्म सिंचाई
• 2015-16
• फसल उत्पादन बढ़ाने एवं पानी को बचाने के लिए लघु सिंचाई पद्धति के तहत ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देना।
• केंद्र (60) : राज्य (40)
प्रधानमंत्री कुसुम योजना कंपोनेंट-बी:-
• यह योजना आधारभूत संरचना वाले अध्याय में है।
फर्टिगेशन, फोलियर फर्टिलाइजेशन एवं ऑटोमेशन योजना:-
• 2019-20 से शुरू।
कृषि विपणन (Agriculture Marketing)
कृषि विपणन निदेशालय (1974):-
राज्य में 'मण्डी नियामक एवं प्रबंधन' को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कार्य कर रहा है।
किसान कलेवा योजना:-
• 20 जनवरी 2014।
• मंडी में ₹5 में भोजन की व्यवस्था। (फूल और सब्जी मंडी को छोड़कर)
राजीव गांधी कृषक साथी सहायता योजना (2009)
सरकार द्वारा इस योजना के माध्यम से किसानी का काम करते समय दुर्घटनावश अंग भंग होने अथवा मृत्यु होने पर किसान को 2 लाख रुपये तक का आर्थिक सहयोग दिया जाता है।
महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना (2015):-
• प्रसूति सहायता:- 45 दिवस का मातृत्व अवकाश, 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।
इस दौरान अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर से भुगतान किया जाएगा।
• विवाह के लिए सहायता:- अनुज्ञप्तिधारी (Licence holder) महिलाओं की पुत्रियों के विवाह के लिए ₹50,000 की सहायता।
• चिकित्सा सहायता:- अनुज्ञप्तिधारी हम्माल को गंभीर बीमारी होने पर अधिकतम ₹20,000 की सहायता।
कृषक उपहार योजना
• ई-नाम के माध्यम से अपनी उपज बेचने वाले सभी व्यक्तियों को कवर करने के लिए ई-नाम पोर्टल पर 1 जनवरी 2022 से यह योजना शुरू की गई है।
• ₹10 हजार (या इसके गुणक) की बिक्री पर एक कूपन जारी किया जाता है।
कृषि विपणन बोर्ड:-
राज्य में एक व्यापक नीति "राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019" दिनांक 12 दिसंबर 2019 से प्रारम्भ की गई है। (नोट:- पिछले दो वर्षों की आर्थिक समीक्षा में इसकी दिनांक 17 दिसंबर दी गई थी।)
इस नीति की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार है:-
• समूह आधारित कार्य प्रणाली द्वारा फसल कटाई के बाद की हानियों को कम करना।
• कृषकों एवं उनके संगठनों की सहभागिता बढाना ।
• मूल्य संवर्धन और आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करके किसानों की आय बढ़ाना।
• राज्य की उत्पादन बहुलता वाली फसलों (जैसे-जीरा, धनिया, सौंफ, अजवाइन, ग्वार, ईसबगोल, दलहन, तिलहन, मेहंदी आदि) के मूल्य संवर्धन तथा निर्यात को प्रोत्साहन देना।
• खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के द्वारा कौशल विकास कर रोजगार का सृजन करना।
• मांग आधारित उत्पादन को बढ़ाना।
वित्तीय प्रावधानः-
किसानों और उनके संगठन के लिए कृषि- प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास के लिए परियोजना लागत का 50% का अनुदान दिया जाएगा। (अधिकतम 100 लाख रुपए)
• कृषकों को और अन्य सभी पात्र उद्यमियों के लिए
परियोजना लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा। (अधिकतम 50 लाख रुपए)
• टर्म लोन पर 5% ब्याज सब्सिडी दी जाएगी।
• राज्य के बागवानी उत्पादों को अन्य राज्यों के बाजारों में ले जाने के लिए 300 किलोमीटर से अधिक परिवहन के लिए 3 साल की अवधि के लिए प्रतिवर्ष ₹10 लाख एवं जैविक के लिए ₹15 लाख तक का अनुदान।
• प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद के निर्यात पर 3 वर्ष के लिए ₹15 लाख तक अनुदान।
प्रसंस्कृत जैविक उत्पाद के निर्यात पर 5 वर्ष के लिए ₹20 लाख तक अनुदान।
कृषक कल्याण कोष (K3):-
• स्थापना - 16 दिसंबर 2019
• इज ऑफ डूइंग फॉर्म की तर्ज पर 1,000 करोड़ का कोष।
• उद्देश्य - किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए।
• बजट घोषणा 2023-24:- इस कोष की राशि 5 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर ₹7,500 करोड़ रुपये करने की गई।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना (PM-FME):-
(PM-Formalization of Microfood processing Enterprises.)
• आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत।
• 2020-25 के लिए। • 10,000 करोड़ रुपये।
• खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू।
• केंद्र प्रायोजित योजना। (60:40)
• उद्देश्य:- देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उन्नयन के लिए।
• नोडल एजेंसी:- राजस्थान राज्य विपणन बोर्ड।
• एक जिला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण पर काम करेगी।
• हर जिले के लिए एक खाद उत्पाद की पहचान की जायेगी। जैसे - अचार, पापड़। चुने गए उत्पादों का उत्पादन करने वाले उद्योगों को अधिकतम 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जायेगी।
• 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रत्यक्ष सहायता दी जायेगी।
• ODOP उत्पादों के लिए विपणन एवं ब्रांडिंग का कार्य किया जायेगा।
राजस्थान में जल संसाधन (Water Resources)
• राजस्थान में देश के कुल सतही जल (Surface water) का 1.16% जबकि कुल भूजल (Ground water) का 1.69% उपलब्ध है।
• जल संसाधनों के आधार पर राजस्थान देश में दसवें स्थान पर है।
राज्य के 39.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सतही जल परियोजनाओं से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
• 8 वृहद् परियोजनाएं:- नर्मदा नहर परियोजना (जालोर एवं बाड़मेर), परवन (झालावाड़), धौलपुर लिफ्ट, मरूस्थल क्षेत्र के लिए जल पुर्नगठन परियोजना, नवनेरा बाँध (कोटा), ऊपरी उच्चस्तरीय नहर, पीपलखूंट, कालीतीर लिफ्ट।
• 5 मध्यम परियोजनाएं:- गरड़दा (बूँदी), ताकली (कोटा), गागरिन (झालावाड़), ल्हासी एवं हथियादेह (बारां)
• 41 लघु सिंचाई परियोजनाएं।
नर्मदा नहर परियोजना (जालोर एवं बाड़मेर)
यह देश की पहली वृहद् सिंचाई परियोजना है, जिसमें संपूर्ण कमांड क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य किया गया है।
नवनेरा बांध (कोटा):- यह परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का अभिन्न हिस्सा है।
परवन वृहद् बहुउद्देशीय परियोजना:-
• परवन नदी पर झालावाड़ में।
• इससे कोटा, बारां एवं झालावाड़ जिलों के 637 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
• विद्युत उत्पादन - 2970 मेगावाट।
राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना (RWSLIP):-
• 26 अक्टूबर 2017
• 27 जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं का पुनर्वास और जीर्णोद्धार किया जायेगा।
• वित्त पोषण:- JICA (Japan Internantional Coperation Agency)
• परियोजना की समयावधि 8 वर्ष है और इसे तीन चरणों में लागू किया जायेगा।
राजस्थान के मरू क्षेत्र हेतु राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना (RWSRPD):-
• उद्देश्य:- इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण का पुनर्वास और पुनर्गठन के लिए
• वित्तपोषण:- न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB)
• इससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनू, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले लाभान्वित होंगे।
राष्ट्रीय जल विज्ञान योजना:-
• जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2016 -17 में 8 वर्ष के लिए शुरू।
• 100% - केंद्र अनुदान। (विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त)
• उद्देश्य:- सूखा प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता में सुधार।
• इसमें स्काडा सिस्टम लगाया गया है।
SCADA - Supervisory control and data acquisition.
नोट:- सर्वप्रथम बीसलपुर बांध में स्काडा सिस्टम लगाया गया।
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP)
• राज्य के बड़े बांधों की बहाली और पुनर्वास के लिए विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना।
नोट:- इस परियोजना में शामिल 18 राज्यों में राजस्थान प्रथम स्थान पर है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP):-
• मानसून के दौरान चंबल नदी के सहायक नदी बेसिनों (कन्नु, कूल, पार्वती, कालीसिंध, मेज) में उपलब्ध अधिशेष (Surplus) जल को बनास, मोरेल, बाणगंगा, पार्वती, कालीसिल, गंभीर आदि नदी बेसिनों में स्थानांतरित किया जायेगा।
• इस परियोजना के तहत राजस्थान के 13 जिलों में वर्ष 2051 तक पेयजल तथा 2.0 लाख हैक्टेयर नये क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।
उपनिवेशन विभाग
• इस विभाग का मुख्य कार्य इंदिरा गांधी नहर परियोजना में भूमि क्षेत्र में भूमि आवंटित करना है।
• इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) का लक्ष्य 16.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाना है।
भू-जल
अटल भू-जल योजना:-
यह योजना भारत सरकार एंव विश्व बैंक के सहयोग से (50:50) देश के 7 राज्यों क्रमशः हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट, राजस्थान, उतरप्रदेश एंव मध्यप्रदेश राज्यों में भू-जल के गिरते स्तर को रोकने, भू-जल के बेहतर प्रबन्धन हेतु 1 अप्रेल 2020 से लागू की गई।
• यह योजना पांच वर्षों 2020-24 से वर्ष 2024-25 तक के लिये है।
• राजस्थान के 17 जिलें शामिल हैं।
राजीव गांधी जल संचय योजना
• प्रथम चरण 20 अगस्त 2019 को राज्य के 33 जिलों में 2 वर्ष की अवधि के लिए शुरू किया गया।
• उद्देश्य - वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण और उपलब्ध जल स्त्रोतों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करना।
जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
भू-जल उपलब्धता की स्थिति में सुधार करना।
कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण करना।
चारागाह विकास और वृक्षारोपण।
फसल और बागवानी के उन्नत तरीकों को बढ़ावा देना।
पेयजल स्त्रोतों का सुदृढ़ीकरण।
खाईया, खेत तालाब, खड़ीन, जौहर, टांका, छोटे एनीकट, मिट्टी चेकडैम आदि जल भंडारण संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
• विभिन्न कारपोरेट, धार्मिक न्यासों, सामाजिक संप्रदायों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग के साथ-2 जन सहयोग भी लिया जाएगा।
द्वितीय चरण:- 1 सितम्बर 2022 (कार्य अवधि 2 वर्ष)
• प्रशासनिक विभाग:- ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग
• नोडल विभाग:- जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग
• द्वितीय चरण में राजस्थान की 352 पंचायत समितियों के लगभग 4500 गाँवों को इस अभियान में शामिल किया गया है।
• 2010 में राजस्थान राज्य जल नीति जारी की गई।
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