विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवंबर 2022
Science and technology August 2021
डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च
भारतीय रिजर्व बैंक ने (RBI) 1 नवंबर से डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है।
• सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपया केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए करेंसी नोटों का एक डिजिटल रूप है।
• केंद्रीय बजट 2022 पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि RBI जल्द ही अपनी डिजिटल मुद्रा शुरू करेगा।
डिजिटल रुपया और क्रिप्टोक्यूरेंसी के बीच अंतर:-
क्रिप्टोक्यूरेंसी एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल संपत्ति और ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित विनिमय का माध्यम है। इसके विपरीत, RBI द्वारा जारी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) डिजिटल रूप में एक कानूनी निविदा होगी।
मेंगटियन मॉड्यूल
चीन ने अपने अंतरिक्ष स्टेशन 'तियांगोंग' के लिए दूसरा लैब मॉड्यूल मेंगटियन (Mengtian) लॉन्च किया है।
• मेंगटियन मॉड्यूल को चीन के वेन्चनाग लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च-5B Y4 कैरियर रॉकेट पर लॉन्च किया गया है।
यह तीसरा और अंतिम मॉड्यूल है।
• चीन द्वारा तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है और China Manned Space Agency (CMSA) द्वारा सतह से 340 से 450 किमी के बीच निचली पृथ्वी की कक्षा में संचालित किया जा रहा है।
इसमें तियानहे नाम का एक कोर मॉड्यूल और दो प्रयोगशाला केबिन मॉड्यूल वेंटियन और मेंगटियन हैं।
रक्षा इंटरसेप्टर AD-1 मिसाइल
DRDO ने ओडिशा के तट पर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से दूसरे चरण की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) इंटरसेप्टर AD-1 मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया है।
डर्टी बम (Dirty Bomb) क्या है?
• संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने हाल ही में यूक्रेन पर डर्टी बम बनाने का आरोप लगाने वाले रूस के आरोपों की जांच शुरू की है।
• डर्टी बम एक पारंपरिक विस्फोटक उपकरण है, जिसमें जहरीले पदार्थ होते हैं।
यह परमाणु विस्फोट का कारण नहीं बनता है। बल्कि यह विस्फोट के बाद रेडियोधर्मी, जैविक या रासायनिक कचरे को फैलाता है।
फाल्कन हेवी रॉकेट
हाल ही एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट 'फाल्कन हेवी' लॉन्च किया है।
• फाल्कन हेवी रॉकेट से अमेरिकी स्पेस फोर्स के सैटेलाइटों कोअंतरिक्ष में भेजा गया है।
• इस रॉकेट को फ्लोरिडा में स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है।
• यह रॉकेट यूएसएसएफ-44 नाम के एक खुफिया मिशन में अमेरिकी सेना के लिए उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
2022 AP7 क्षुद्रग्रह
हाल ही खगोलविदों ने तीन ऐसे एस्टेरॉयड की खोज की है, जो भविष्य में ग्रहों को नष्ट कर सकते हैं।
• इन एस्टेरॉयड में से एक को 2022 AP7 नाम दिया गया है, जो 1.5 किमी चौड़ा है।
यह भविष्य में पृथ्वी पर जीवन को खत्म कर सकता है।
• अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने इस एस्टेरॉयड को चिली में मौजूद अमेरिकी विक्टर एम ब्लैंको टेलीस्कोप के डार्क एनर्जी कैमरा के जरिए खोजा है।
हाल ही भारत का निष्क्रिय निगरानी उपग्रह RISAT-2 जकार्ता के पास हिंद महासागर से टकराया है।
किस देश ने ‘बीडौ’ (Beidou) उपग्रह नेविगेशन प्रणाली लॉन्च की है ? - चीन
• इसे अमेरिका की ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) के विकल्प के रूप में लॉन्च किया गया है।
आधार मित्र
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने यूजर्स के बेहतर अनुभव के लिए नया AI/ML आधारित चैटबॉट ‘आधार मित्र’ लॉन्च किया है।
• इसकी प्रमुख विशेषताओं में आधार नामांकन/अपेडट स्थिति की जांच, आधार पीवीसी कार्ड की स्थिति को ट्रैक करना और नामांकन केंद्र स्थान की जानकारी आदि शामिल हैं।
• यूजर्स इसके माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।
ISRO-जापान के संयुक्त मिशन
• इसरो और जैपनीज एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) शुक्र ग्रह और चंद्रमा के अंधेरे हिस्से के अध्ययन के लिए दो संयुक्त मिशन करेंगे।
• चंद्रमा पर मिशन के लिए इसरो लूनर और रोवर बनाएगा।
JAXA के रॉकेट से उसे चंद्रमा पर भेजा जाएगा।
लूनर-रोवर की लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास कराई जाएगी। ताकि अंधेरे वाले हिस्से में रोवर को आसानी से भेजा जा सके।
चंद्रमा का अंधेरा वाला हिस्सा बेहद ठंडा इलाका है, क्योंकि वहां पर सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। इस इलाके को पर्मानेंट शैडो रीजन (PSR) कहते हैं।
आदित्य एल-1
• यह इसरो का प्रस्तावित सूर्य मिशन है।
• इस मिशन में 400 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट को सूरज की कक्षा में लैरेंज प्वाइंट एल-1 पर तैनात किया जाएगा।
यह सैटेलाइट धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर की कक्षा में सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाएगा।
• इसकी मदद से सूरज के कोरोनल हीटिंग, सोलर विंड, कोरोनल मास इजेक्शन, सौर लहरों और सूरज के मौसम का पता लगेगा।
Ghaem-100
ईरान के शक्तिशाली अर्धसैनिक रिवोल्यूशनरी गार्ड ने Ghaem-100 नामक एक नया उपग्रह ले जाने वाला रॉकेट लॉन्च किया है।
• यह ईरान का पहला three-stage launch vehicle है।
• यह रॉकेट पृथ्वी से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर 80 किलोग्राम वजन वाले उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में सक्षम होगा।
• इस रॉकेट का उपयोग 'नाहिद' नामक एक नए उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया जाएगा।
फरीदाबाद में देश का पहला राष्ट्रीय लाइफ साइंस डेटा केंद्र
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने फरीदाबाद (हरियणा) में भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) लॉन्च किया है।
भारतीय जैविक डेटा केंद्र जीवन विज्ञान डेटा के लिए भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार है।
• राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC):- भुवनेश्वर
आर्टेमिस 1 मिशन
16 नवंबर 2022 को फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39 बी से नासा के आर्टेमिस 1 मिशन को लॉन्च किया गया है।
इस मिशन को 14 नवंबर 2022 को लॉन्च किया जाने वाला था, लेकिन उष्णकटिबंधीय तूफान निकोल के कारण स्थगित करना पड़ा।
• आर्टेमिस 1 के लिए ओरियन अंतरिक्ष यान (Orion Spacecraft) तथा स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट का उपयोग किया गया है।
इस मिशन के लिए यान में आरएस-25 इंजन का प्रयोग किया गया है।
• मानवरहित आर्टेमिस 1 मिशन के माध्यम से मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजने की क्षमता का परीक्षण भी किया जाएगा।
• आर्टेमिस का अर्थ है ‘सूर्य के साथ चंद्रमा की पारस्परिक क्रिया का त्वरण, पुनर्संयोजन, विक्षोभ एवं उसकी विद्युतगतिकी’
• इस मिशन के तहत अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में लैंड कराया जाएगा। अभी तक कोई भी इंसान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पहुंचा है।
• आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत, नासा द्वारा वर्ष 2024 तक चंद्रमा की सतह पर पहली बार किसी महिला को उतारा जाएगा।
आर्टेमिस 2 मिशन
आर्टेमिस 2 मिशन, जिसे 2024 में लॉन्च किया जाएगा, एक क्रू वाला मिशन होगा। चार सदस्यीय मानव दल इस मिशन का हिस्सा होगा। इसे आर्टेमिस 1 उड़ान परीक्षण के आधार पर बनाया जाएगा। इस मिशन के चालक दल चंद्रमा के सुदूर भाग से 4,600 मील आगे की यात्रा करेंगे।
आर्टेमिस 3 मिशन
वर्ष 2025 में आर्टेमिस 3 मिशन भेजने की योजना है जिसमें एक लैंडर भी होगा।
इसके तहत दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रमा की सतह पर पहली महिला और अश्वेत व्यक्ति को भेजा जाएगा।
भारत का पहला निजी प्रक्षेपण यान : विक्रम-एस
18 नवंबर 2022 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के स्पेसपोर्ट से स्काईरूट एरोस्पेस (Skyroot Aerospace) के विक्रम-एस (Vikram-S) यान ने अपनी पहली उड़ान भरी।
• विक्रम-एस रॉकेट की लंबाई 6 मीटर है तथा यह एक एकल-चरण ठोस ईंधन उप-कक्षीय रॉकेट (Single-Stage Solid Fuelled Sub-Orbital Rocket) है।
• यह भारत का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट है।
इसे हैदराबाद बेस्ड स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया गया है।
स्काईरूट एयरोस्पेस के इस पहले मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है।
• मिशन प्रारंभ के तहत अपने पहले लांच के दौरान, यह अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों की विक्रम श्रृंखला में अधिकांश तकनीकों को मान्य करने में मदद करने के लिए उप-कक्षीय उड़ान में 3 ग्राहक पेलोड ले जाएगा।
मिशन प्रारंभ के तहत तीन उपग्रह लांच किये गए है। इसमें चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेसकिड्ज़ (SpaceKidz), आंध्र प्रदेश स्थित एन-स्पेसटेक (N-SpaceTech) के उपग्रह शामिल हैं।
इनमें से एक फनी-सैट है, जो कि स्पेसकिड्ज का है।
एक अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत, आर्मेनिया के बाज़ूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के उपग्रह को भी लॉन्च किया गया है।
• इस प्रक्षेपण यान का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।
• स्काईरूट एरोस्पेस कंपनी द्वारा विक्रम लॉन्च वाहन श्रृंखला के अन्य उपग्रहों, विक्रम II और विक्रम III, का विकास किया जा रहा हैं।
रॉकेट में ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक गति यानी 5 मैक तक पहुंचने की क्षमता है।
स्काईरूट एयरोस्पेस 526 करोड़ रुपए के साथ भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र की सबसे बड़ी वित्त पोषित निजी कंपनी बन गई है।
भारत GPAI का अध्यक्ष बना
21 नवंबर 2022 को भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी [Global Partnership on Artificial Intelligence (GPAI)] नामक समूह की अध्यक्षता ग्रहण की। भारत वर्ष 2022-23 के लिए इस समूह का अध्यक्ष होगा।
भारत ने जापान के टोक्यो में आयोजित समूह की तीसरी शिखर बैठक में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। इस दौरान भारत ने फ्रांस से प्रतीकात्मक रूप से समूह की अध्यक्षता ग्रहण की।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (GPAI)
शुभारंभ:- 15 जून 2020
भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
उद्देश्य:- AI के क्षेत्र में इसके सिद्धांत एवं व्यवहार के बीच दिखाई देने वाली खाई को पाटने के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान तथा अनुप्रयुक्त गतिविधियों को बढ़ावा देना।
AI पर सरकार की महत्वपूर्ण पहलें
राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यनीति:- यह कार्यनीति एक रूपरेखा पर आधारित है, जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुकूल है। इसका उद्देश्य, एआई विकास का लाभ उठाने के लिए पूरी क्षमता हासिल करना है।
यह कार्यनीति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर ऑल से संबन्धित है जिसमें पांच क्षेत्रों को महत्वपूर्ण माना गया है- हेल्थकेयर, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट सिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरी यातायात।
राष्ट्रीय एआई पोर्टल:- यह पोर्टल एक ही स्थान पर सभी हितधारकों के लिए देश में कृत्रिम बौद्धिमत्ता (एआई) आधारित पहलों की रिपोजिटरी है।
फ्यूचर स्किल्स प्राइम (FutureSkills Prime):- इस पहल का उद्देश्य एआई सहित उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में रि-स्किलिंग/अप-स्किलिंग इकोसिस्टम तैयार करना तथा भारत को एक डिजिटल प्रतिभा वाले देश (Digital Talent Nation) के रूप में उभारना है।
यह नैसकॉम (NASSCOM) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है।
उत्कृष्टता केंद्र:- नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने कृत्रिम बौद्धिमत्ता सहित विभिन्न उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर कई ‘उत्कृष्टता केंद्र’ (Centres fo Excellence) बनाए हैं।
विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना:- सरकार ने देश में एआई सहित इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन और विनिर्माण के क्षेत्र में पीएचडी की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से ‘विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना’ प्रारंभ की है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत के लिए संभावनाएं:-
• सरकारी अनुमानों के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से वर्ष 2025 तक भारत की GDP में 450 से 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर वृद्धि होने की संभावना है। यह वित्त वर्ष 2024-25 तक सरकार द्वारा निर्धारित 5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी लक्ष्य का 10% है।
• नीति आयोग के अनुमानों के अनुसार- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उचित ढंग से अपनाने से वर्ष 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added-GVA) में 15% की वृद्धि हो सकती है।
• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकी तकनीकी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच तथा उनकी सामर्थ्य में वृद्धि करने में सहायक होगी।
• यह तकनीक कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि करने, कृषि अपव्यय को रोकने तथा किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी।
• इसके माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता एवं पहुँच में सुधार किया जा सकता है, बल्कि इससे वृद्धिशील शहरी आबादी हेतु कुशल बुनियादी ढाँचे के निर्माण में भी सहायता मिलेगी।
ह्वासोंग-17 (Monster missile)
उत्तर कोरिया ने ‘ह्वासोंग-17’ अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की है। इसे मॉन्स्टर मिसाइल भी कहा जाता है। ह्वासोंग-17 उत्तर कोरिया की अभी तक की सबसे बड़ी मिसाइल है। यह दुनिया की सबसे बड़ी रोड-मोबाइल, तरल-ईंधन वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल भी है।
नासा के ओरियन अंतरिक्ष यान ने बिना चालक दल वाले आर्टेमिस I मिशन के हिस्से के रूप में अपना पहला मून फ्लाईबाई सफलतापूर्वक किया है, यह चंद्र सतह के 130 किलोमीटर के भीतर से गुजरा है।
ईओएस-06 (ओशनसैट-3)
26 नवंबर, 2022 को इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C54 से ईओएस-06 (EOS-06) उपग्रह तथा 8 नैनो-उपग्रहों को एक साथ लॉन्च किया है।
यह पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की 56वीं उड़ान तथा PSLV-XL संस्करण की 24वीं उड़ान थी।
• EOS-6 महासागरों की निगरानी के लिए लॉन्च की गई ओशनसैट श्रृंखला की तीसरी पीढ़ी का भारतीय उपग्रह है।
इस उपग्रह को ओशनसैट-3.0 का नाम भी दिया गया है।
यह एक प्रकार का भू-प्रेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellite) है।
इसमें तीन महासागर अवलोकन सेंसर लगे हुए हैं – ओशन कलर मॉनिटर (OCM-3), सी सरफेस टेम्परेचर मॉनिटर (SSTM) और Ku-Band स्कैटरोमीटर (SCAT-3) की मेजबानी करने वाली श्रृंखला में पहला है।
OCM-3 से फाइटोप्लांकटन की दैनिक निगरानी करेगा।
SSTM समुद्र की सतह का तापमान प्रदान करेगा, जो मत्स्य एकत्रीकरण, चक्रवात उत्पत्ति और संचलन आदि पर ध्यान केंद्रित करने वाले पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है।
SCAT-3 समुद्र की सतह पर अत्यधिक सटीक हवा की गति और दिशा प्रदान करता है।
ईओएस-06 के अतिरिक्त 8 अन्य नैनो उपग्रह
• एक:- इसरो नैनो सैटेलाइट-2 (INS-2B) (निर्माता - यू आर राव उपग्रह केंद्र/इसरो)
INS-2B:- यह नैनो सैटेलाइट भारत और भूटान के मध्य सहयोग मिशन है।
INS-2B को भूटानसैट भी कहा जाता है।
• एक:- आनंद नैनो उपग्रह (निर्माता - बेंगलुरू स्थिति निजी कंपनी पिक्सेल)
यह भारत का पहला निजी पृथ्वी इमेजिंग सैटेलाइट है।
• चार:- एस्ट्रोकास्ट उपग्रह (निर्माता - अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी स्पेसफ्लाइट)
एस्ट्रोकास्ट (Astrocast):- यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है।
• एक:- थायबोल्ट उपग्रह (भारतीय निजी एयरोस्पेस निर्माता ध्रुव स्पेस लिमिटेड)
भू-प्रेक्षण उपग्रह
इसरो ने वर्ष 1988 में IRS-1A लॉन्च किया था, इसके पश्चात इसरो द्वारा कई सुदूर संवेदन उपग्रहों को लॉन्च किया गया है।
इनमें रिसोर्ससैट-1 और 2, 2ए, कार्टोसैट-1 एवं 2, 2ए, 2बी, रीसैट-1 एवं 2, ओशनसैट-2, मेघा-ट्रापिक्स, सरल आदि भारत के उल्लेखनीय सुदूर संवेदन उपग्रह है।
सुदूर संवेदन उपग्रहों का उपयोग:-
इन उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों का प्रयोग विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे कृषि, जल संसाधन, शहरी योजना, ग्रामीण विकास, खनिज संभावना, पर्यावरण, वानिकी, समुद्री संसाधन तथा आपदा प्रबंधन में किया जाता है।
पैरास्ट्रोनॉट
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने दुनिया के पहले विकलांग अंतरिक्ष यात्रियों के नाम की घोषणा की है।
तीसरा बड़ा सर्वेक्षण पोत 'इक्षक'
चेन्नई के कट्टुपल्ली में दक्षिणी नौसेना कमान ने तीसरा बड़ा सर्वेक्षण पोत 'इक्षक' लॉन्च किया है।
• ‘इक्षक’ नाम का यह पोत सर्वे वेसल लार्ज (SVL) परियोजना के तहत बनाए जा रहे चार जहाजों की श्रृंखला में तीसरा है। इसे भारतीय शिपबिल्डर गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और एल एंड टी ने मिलकर बनाया है। गौरतलब है कि इस श्रंखला का पहला बड़ा सर्वे पोत संध्याक को पिछले साल दिसंबर माह में लॉन्च किया गया।
तेलंगाना में देश का पहला एकीकृत रॉकेट डिजाइन, निर्माण व परीक्षण केंद्र ‘स्काईरूट’ स्थापित किया जाएगा।
भारत का पहला निजी लॉन्चपैड
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चेन्नई स्थित स्पेस-टेक स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने भारत का पहला निजी लॉन्चपैड स्थापित किया है।
• अग्निकुल कॉसमॉस को IIT मद्रास में इनक्यूबेट किया गया है।
• इसरो के अध्यक्ष:- एस सोमनाथ
साउंडिंग रॉकेट RH200
हाल ही इसरो ने तिरुवनंतपुरम के थुंबा तट से बहुउद्देशीय साउंडिंग रॉकेट RH200 का लगातार 200वां लांच सफलतापूर्वक किया है।
• इसका उपयोग इसरो द्वारा वायुमंडलीय अध्ययन के लिए किया जाता है।
साउंडिंग रॉकेट क्या है?
साउंडिंग रॉकेट को अनुसंधान रॉकेट या सबऑर्बिटल रॉकेट के रूप में भी जाना जाता है।
यह एक उपकरण ले जाने वाला रॉकेट है जो अपनी उप-कक्षीय उड़ान के दौरान माप लेने और वैज्ञानिक प्रयोग करने में सक्षम है। इसका उपयोग पृथ्वी की सतह से 48 से 145 किमी की ऊँचाई पर उपकरणों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है।
1967 में इसरो द्वारा भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित साउंडिंग रॉकेट रोहिणी RH-75 लॉन्च किया गया।
इनकोवैक (iNCOVACC)
यह भारत बायोटेक द्वारा विकसित नाक से दी जाने वाली दुनिया की पहली इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन है।
हाल ही केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने आपातकालीन स्थिति में नियंत्रित उपयोग के तहत सभी वयस्कों के लिए इसकी दोनों प्रकार की खुराक- प्राइमरी सीरीज और हेट्रोलगस के लिए मंजूरी दे दी है।
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