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पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप। Major Landforms of the earth

 
Major landforms of the earth


पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप

धरातल पर दिखाई देने वाले विविध स्थलरूपों का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक व बाह्य बलों के पारस्परिक प्रभाव के कारण होता है।
• पृथ्वी के आंतरिक बल धरातल को निरंतर ऊपर उठाने में लगे रहते हैं।
जबकि बाह्य बल उठे हुए भागों को कांट-छांट कर (अपरदन की प्रक्रिया द्वारा) समतल बनाने में लगे रहते हैं।

पृथ्वी की सतह टूटकर घिस जाने की प्रक्रिया अपरदन कहलाती है।
अपरदन की क्रिया के द्वारा जो सतह घिस जाती है, उसका फिर से निर्माण होने की प्रक्रिया को निक्षेपण कहते हैं।
नोट:- अपरदन एवं निक्षेपण की प्रक्रिया जल, वायु एवं बर्फ द्वारा होती है।

ऊंचाई एवं ढाल के आधार पर पृथ्वी के स्थलरूपों को पर्वत, पठार एवं मैदान के रूप में बांटा जाता है -

1. पर्वत:-
• आस-पास की भूमि से ऊंचे उठे हुए स्थलीय भाग को पहाड़
 कहते है।
• 600 मीटर से अधिक ऊंचाई एवं तीव्र ढाल वाली पहाड़ी को पर्वत कहते हैं।
• पर्वत का शिखर छोटा तथा आधार चौड़ा होता है।
• कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियाँ होती हैं। उन्हें हिमानी कहा जाता है।

पर्वत के ऊपर के नुकीले भाग को पर्वत की चोटी कहते है।

पृथ्वी की सतह पर सबसे ऊँची पर्वत चोटी हिमालय पर्वत पर स्थित माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर ऊँची) है।

कुछ पर्वत ऐसे भी होते हैं, जो समुद्र के भीतर होते हैं।
नोट:- प्रशांत महासागर में स्थित मॉनाकी पर्वत (हवाई द्वीप) सागर की सतह के नीचे स्थित है।
इसकी ऊंचाई (10,205 मीटर) माउंट एवरेस्ट से भी अधिक है परंतु यह समुद्र की तली से नीचे स्थित है।

पर्वतों के जिस तरफ बादल टकराकर वर्षा करते हैं, उसे पवनमुखी भाग कहते हैं।
पर्वतों का दूसरी तरफ का भाग जहां वर्षा कम होती है, उसे पवनविमुखी भाग कहते हैं। 
पवनविमुखी भाग को वृष्टि छाया प्रदेश भी कहते हैं। जैसे- अरावली पर्वतमाला की उपस्थिति के कारण पश्चिमी राजस्थान वृष्टि छाया प्रदेश है।

ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में कमी आती है। इसी कारण पर्वतों के आस-पास की जलवायु ठंडी होती है।
यही कारण है, कि हिमालय में गद्दी, बकरवाल एवं भोटिया जनजातियां मौसमी प्रवास करती है। अर्थात ये लोग गर्मियों में अपने पशुओं के साथ ऊंचे चारागाहों में चले जाते हैं तथा सर्दियों में नीचे घाटियों की तरफ आ जाते हैं।

• पर्वत एक रेखा क्रम में होते हैं, तो उन्हें पर्वत श्रंखला कहते हैं। जैसे - 
1. हिमालय पर्वत श्रृंखला (एशिया महाद्वीप)
2. आल्प्स पर्वत श्रृंखला (यूरोप महाद्वीप)
3. एंडीज पर्वत श्रृंखला (दक्षिण अमेरिका महाद्वीप)

पर्वतों के प्रकार:-

वलित पर्वत (मोड़दार पर्वत)
• जब किसी विस्तृत भाग पर दो दिशाओं से दबाव पड़ता है तो बीच के भूभाग में मोड़ उत्पन्न हो जाता हैै। इस क्रिया को वलन कहते है।
• पृथ्वी की आतंरिक हलचलों (बलों) के कारण परतदार शैलों में वलन पड़ते है।
संपीडन-बलों के परिणामस्वरूप बनी वलित परतदार शैलों के ऊपर उठने से बनी पर्वत श्रेणियों को वलित पर्वत कहते हैं।
उदाहरण:- 
• हिमालय (एशिया), आल्प्स (यूरोप), रॉकी पर्वत (उत्तरी अमेरिका) व एंडीज पर्वत (दक्षिण अमेरिका) नवीन वलित पर्वत है।
हिमालय अभी भी ऊपर उठ रहा है।
• अरावली पर्वत (भारत), अप्लेशियन (उत्तरी अमेरिका) व यूराल पर्वत (रूस) पुराने वलित पर्वत है।
अरावली पर्वतमाला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रृंखला है।

भ्रंशोत्थ पर्वत/खंड पर्वत/Block Mountain
• इनका निर्माण भी पृथ्वी की आंतरिक हलचलों के कारण होता है।
जब परतदार शैलों पर तनाव बल (खिंचाव) लगते हैं, तो उनमें दरार या भ्रंश पड़ जाते हैं। इससे भ्रंश घाटी (Rift Vally) का निर्माण होता है।
• दो भ्रंशों के बीच की भूमि के ऊपर उठने अथवा भ्रंशों के बाहर की भूमि के नीचे बैठने के कारण बने पर्वत ब्लॉक पर्वत कहलाते हैं।
• ब्लॉक पर्वत का आकार मेज़ के समान होता है।
• ऊपर उठे हुए खंड को उत्खंड (हार्स्ट) और नीचे धंसे हुए खंडों को द्रोणिका भ्रंश (ग्राबेन) कहते हैं।
उदाहरण:-
1. वासजेस पर्वत (फ्रांस)
2. ब्लैक फॉरेस्ट पर्वत (जर्मनी)
इन दोनों पर्वतों के बीच में राइन घाटी का निर्माण हो गया है।
इसमें राइन नदी बहती है।
राइन घाटी और वासजेस पर्वत किसके उदाहरण हैं ? - ब्लॉक पर्वत (खंड पर्वत) [CTET 2021)

3. सियरा नेवादा (कैलीफोर्निया, उत्तरी अमेरिका)
यह विश्व का सबसे बड़ा ब्लॉक पर्वत है।

4. भारत में सतपुड़ा पहाड़ी
सतपुड़ा पहाड़ी के उत्तर एवं दक्षिण दोनों तरफ भ्रंश घाटी का निर्माण हुआ।
सतपुड़ा पहाड़ी के उत्तर में स्थित भ्रंश घाटी में नर्मदा नदी तथा इसके दक्षिण के भ्रंश घाटी में तापी नदी प्रवाहित होती है।

ज्वालामुखी पर्वत (संग्रहित पर्वत)
• ज्वालामुखी से निकले पदार्थों के जमाव से बने पर्वतों को ज्वालामुखी पर्वत या संग्रहित पर्वत कहते हैं।
उदाहरण:-
किलमंजारों (अफ्रीका), माउंट रेनियर, हुड और शास्ता (संयुक्त राज्य अमेरिका), फ्यूजीयामा (जापान), विसूवियस (इटली), एकनागुआ (चिली), मोनालुआ (हवाई द्वीप), माउंट पोपा (म्यांमार) आदि जवालामुखी पर्वतों के उदाहरण है।

विश्व में सर्वाधिक ज्वालामुखी एंडीज पर्वत पर पाये जाते है।
एंडीज पर्वत पर लगभग 22 ज्वालामुखी पर्वत विद्यमान है। जिनमें सबसे ऊँचा और सक्रिय ज्वालामुखी, कोटोपैक्सी (इक्वेडोर) है।

अवशिष्ट पर्वत
• जल, पवन व हिमनद लगातार विशाल पर्वतों को काटते रहते है। (अपरदन)
• अपक्षय व अपरदन के कारण विशाल पर्वतों के शेष बचे भाग अवशिष्ट पर्वत कहलाते हैं।
उदाहरण:-
भारत की नीलगिरि, पारसनाथ, विंध्याचल, सतपुड़ा, महादेव व राजमहल की पहाड़ियां अवशिष्ट पर्वतों के उदाहरण है।
अरावली पर्वत, पश्चिमी घाट पर्वत व पूर्वी घाट पर्वत।

अवशिष्ट पर्वतों का सटीक उदाहरण कौन सा है ? (ACT 2021)
A. नीलगिरि    B. सतपुड़ा
C. हिमालय     D. अरावली
उत्तर:- अरावली

पर्वतों का महत्व:-
1. संसाधनों के भंडार
अप्लेशियन पर्वतमाला कोयले एवं चूना पत्थर के लिए प्रसिद्ध है।
2. जल विद्युत उत्पादन (जल प्रपात)
3. जल के असीम भंडार (नदियों का उद्गम)
4. उपजाऊ मैदानों के निर्माण में सहायक
5. प्राकृतिक सीमायें
हिमालय भारत और चीन के बीच सीमा बनाता है।
6. जलवायु पर प्रभाव
7. पर्यटन के केंद्र (नैनीताल, मसूरी)

2. पठार:-
कम ढाल वाले ऐसे ऊंचे एवं चौड़े भू-भाग जो ऊपर से समतल होते हैं, पठार कहलाते हैं। जैसेेे- दक्कन का पठार, छोटा नागपुर पठार
• पठार के किनारों का ढाल कभी-2 बिल्कुल खड़ा होता है।
• विश्व का सबसे ऊंचा पठार है ? (DSSSB JE 2019)
उत्तर:- तिब्बत का पठार (4000-6000 तक मीटर ऊंचाई)
• दुनिया की छत (MP Police SI 2016)
उत्तर:- पामीर पठार

पठारों के प्रकार:-

अंतरा पर्वतीय पठार
• चारों ओर से ऊंची पर्वत श्रेणियों से घिरे पठारों को अंतरा पर्वतीय पठार कहते हैं।
तिब्बत का पठार:- यह वलित पर्वतों (हिमालय, काराकोरम, क्यूनलुन, तियनशान) से दो ओर से घिरा हुआ है।
कोलोरेडो पठार, मेक्सिको पठार, बोलीविया पठार, ईरान और हंगरी के पठार आदि।
• बोलीविया पठार टिन के लिए प्रसिद्ध है।

गिरिपद / पर्वतपदीय / पीडमॉन्ट पठार
• पर्वतों के पदेन क्षेत्रों में स्थित पठार जिनके दूसरी ओर समुद्र या मैदान हो पर्वतपदीय पठार कहलाते हैं।
• मालवा पठार (भारत)
• पेटेगोनिया का पठार (अर्जेंटीना, दक्षिण अमेरिका)
• अप्लेशियन पठार (अमेरिका)
नोट:- ये पठार किसी समय बहुत ऊंचे थे परंतु अपरदन के कारण घिस गए है। अतः इन्हें अपरदन के पठार भी कहते हैं।

महाद्वीपीय पठार
• धरातल के किसी विस्तृत भू-भाग के ऊपर उठने अथवा बडे भू-भाग पर लावा की परतों के जमने से बने पठार महाद्वीपीय पठार कहलाते हैं।
• महाराष्ट्र का लावा पठार
दक्कन का पठार (भारत)
• ब्राजील का पठार, अरब का पठार, ग्रीनलैंड का पठार, स्पेन का पठार, ऑस्ट्रेलिया का पठार

पठारों का महत्व:-
1. खनिजों के भंडार
• छोटा नागपुर पठार (भारत) - लोहा, कोयला व मैंगनीज
• अफ्रीका का पठार - हीरा व सोना

2. जल विद्युत उत्पादन
• पठारों के ढालों पर नदियां जल प्रपात बनाती है, जिनसे जल विद्युत उत्पादन किया जाता है।
जैसे - छोटा नागपुर पठार पर स्वर्णरेखा नदी पर हुंडरू जल प्रपात स्थित है।
कर्नाटक में शरावती नदी पर जोग जल प्रपात स्थित है।

3. पशुचारण एवं कृषि
• लावा पठार में काली मिट्टी की प्रचुरता होती है, जो उपजाऊ होने के कारण पशुपालन और कृषि के लिए उपयोगी होती है।

4. पर्वतों की तुलना में यातायात के साधन अधिक विकसित।

3. मैदान
समतल भू-भाग को मैदान कहते हैं। मैदानों की औसत समुद्र तल से ऊंचाई 300 मीटर से कम होती है।

नदियों के द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी के जमने से मैदानों का निर्माण होता हैं। जैसे - भारत में गंगा- ब्रह्मपुत्र का मैदान, चीन में यांगत्से नदी का मैदान।

तटीय मैदान:- समुद्र के किनारे पाए जाते है।
• आंतरिक मैदान:- मुख्य भूमि पर नदियों द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी के जमने से बनते है।

नोट:- नदियों के अलावा कुछ मैदानों का निर्माण वायु, जलवायु तथा हिमानी द्वारा भी होता है।

संरचनात्मक मैदान:-
• समुद्र तल के उठने से बने मैदान।
• भूमि के नीचे धंसने से भी संरचनात्मक मैदानों का निर्माण होता है।
जैसे - ऑस्ट्रेलिया का मध्यवर्ती मैदान।

अपरदन द्वारा बने मैदान
• कनाडा एवं पश्चिमी साइबेरिया के मैदान।
• अपरदन द्वारा बने मैदानों को समप्राय भूमि/पेनीप्लेन भी कहते हैं।

निक्षेपण द्वारा बने मैदान
नदी द्वारा अवसादों के निक्षेपण से जलोढ मैदान बनते हैं।
जैसे - गंगा- ब्रह्मपुत्र का मैदान
इटली में पो नदी द्वारा लोम्बार्डी का मैदान।
हमानी द्वारा अवसादों के निक्षेपण से हिमोढ मैदान बनते हैं।
जैसे - कनाडा एवं उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के मैदान।
वायु द्वारा अवसादों के निक्षेपण से लोयस मैदान बनते हैं
जैसे - चीन का लोयस मैदान।

खादर:- नवीन जलोढ मिट्टी के मैदान।
बांगर:- पुरानी जलोढ मिट्टी के मैदान।

खादर और बांगर किस मिट्टी के प्रकार हैं ? (UPSSSC Lekhpal 2019)
उत्तर:- जलोढ मिट्टी

उष्णकटिबंधीय घास के मैदान:-
• सवाना (अफ्रीका)
• कंपोज (ब्राजील)
• लानोस (वेनेजुएला)

शीतोष्ण घास के मैदान
• स्टेपी (यूरेशिया)
• पम्पास (अर्जेंटीना)
• प्रेयरी (उत्तरी अमेरिका)
• वेल्ड (दक्षिण अफ्रीका)
• डाउन्स (ऑस्ट्रेलिया)

मैदानों का महत्व:-
• नदियों की मिट्टी के कारण मैदान उपजाऊ होते है।
अधिक मात्रा में कृषि एवं आसान परिवहन के कारण मैदानों में जनसंख्या घनत्व अधिक पाया जाता है।
• उद्योगों का विकास।
• सभ्यताओं के केंद्र

ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली द्वीप नदी में स्थित विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है।

SAVE WATER

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