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संविधान निर्माण में राजस्थान का योगदान


Contribution of Rajasthan in constitution making


संविधान निर्माण में राजस्थान का योगदान

संविधान उन नियमों व कानूनों का संग्रह है, जिनके आधार पर किसी देश या संस्था को संचालित किया जाता है।

संविधान सभा
• अर्थ:- जनता के प्रतिनिधियों की वह सभा जो संविधान का निर्माण करती है।
• संविधान सभा का निर्वाचन:- जुलाई 1946 में।
• संविधान सभा का गठन:- 6 दिसंबर 1946
कैबिनेट मिशन (1946) की सिफारिशों के आधार पर संविधान सभा का गठन हुआ।
• संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को अस्थायी अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई।
• संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसंबर 1946 को स्थायी अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई।
• संविधान सभा की तीसरी बैठक 13 दिसंबर 1946 को हुई।
इस बैठक में जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किए।

• संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान स्वीकार किया।
• 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया।

नोट:- 26 नवंबर को राष्ट्रीय विधि दिवस और संविधान दिवस (2015 से) मनाया जाता है।

• भारतीय संविधान को बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। (9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 तक)

संविधान सभा में राजस्थान के सदस्य
• संविधान सभा के गठन के समय राजस्थान अनेक रियासतों में विभाजित था।
अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत सीधे ही ब्रिटिश शासन के अधीन था।
• संविधान सभा में राजस्थान के कुछ सदस्य यहां के मूल निवासी थे।
कुछ सदस्य अन्य राज्यों के निवासी थे परंतु राजस्थान में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य कर रहे थे। ‌

संविधान सभा के सदस्य (राजस्थान के निवासी)

1. मुकुट बिहारी लाल भार्गव (अजमेर-मेरवाडा)
• इनका जन्म 1903 में उदयपुर रियासत में हुआ था।
• स्वतंत्रता के बाद तीन बार अजमेर से लोकसभा सदस्य रहे।

2. माणिक्य लाल वर्मा (उदयपुर)
• जन्म:- 1897 में बिजौलिया (भीलवाड़ा)
• 1941 में मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता की।
• इनका लिखा पंछीडा गीत बहुत लोकप्रिय हुआ।
• 1948 में वृहत् राजस्थान के प्रधानमंत्री बने।

3. जयनारायण व्यास (जोधपुर)
• 1927 में तरूण राजस्थान के प्रधान संपादक तथा 1936 में अखंड भारत के प्रकाशक रहे।
• 1951 से 1956 के बीच दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।
• सामंतशाही के विरूद्ध संघर्ष किया।

4. बलवंत सिंह मेहता (उदयपुर)
• 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष बने।
• 1943 में उदयपुर में वनवासी छात्रावास की स्थापना की।
• यह संविधान सभा के सदस्य के रूप में मूल संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजस्थानी थे।

5. रामचंद्र उपाध्याय (अलवर)

6. दलेल सिंह (कोटा)

7. गोकुल लाल असावा (शाहपुरा, भीलवाड़ा)

8. जसवंत सिंह (बीकानेर)
• यह बीकानेर के महाराजा सार्दुल सिंह के प्रधानमंत्री भी रहे।

9. राजबहादुर (भरतपुर)
• संविधान सभा में मनोनीत किए गए।
• भरतपुर रियासत में बेगार प्रथा का विरोध किया।
• नेपाल में भारत के राजदूत रहे।

10. हीरालाल शास्त्री (जयपुर)
• वनस्थली गांव (टोंक) में जीवन कुटीर संस्था की स्थापना की।
• ये अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के प्रधानमंत्री तथा राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बने।

11. राजा सरदार सिंह (खेतड़ी)
• 1950 से 1952 के बीच अस्थायी संसद के सदस्य रहे।
• लाओस में भारत के राजदूत रहे।

संविधान सभा के सदस्य (जो राजस्थान की रियासतों में प्रशासनिक अधिकारी थे):-

1. सर वी टी कृष्णामाचारी (जयपुर)
• मूलतः तमिलनाडु के थे‌।
डी पी खेतान के निधन के बाद संविधान की प्रारूप समिति के सदस्यों बने।

2. सी एस वेंकटाचारी (जोधपुर)
• मूलतः कर्नाटक के थे‌।
• 6 जनवरी 1951 से 25 अप्रैल 1951 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे‌।

3. के एम पन्निकर (बीकानेर)
• मूलतः केरल के थे।
• स्वतंत्रता के बाद इन्हें चीन, फ्रांस तथा मिस्र का राजदूत बनाया गया।

4. सर टी विजयराघवाचार्या (उदयपुर)
• मूलतः तमिलनाडु के थे‌।
• मेवाड़ के प्रधानमंत्री रहे।
• बिजौलिया किसान आंदोलन के दौरान इन्होंने अपने राजस्व मंत्री डॉ मोहन सिंह मेहता को बिजौलिया भेजा तथा किसानों से समझौता किया।

नोट:- इनके अतिरिक्त राजस्थान मूल के प्रवासी भी विभिन्न क्षेत्रों से संविधान सभा के सदस्य चुने गए -
• प्रभुदयाल हिम्मत सिंह (पश्चिम बंगाल से)
• बनारसीदास झुनझुनवाला (बिहार से)
• पदमपत सिंघानिया (उत्तर प्रदेश से)

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