ऐसी स्थिति जिसमें किसी व्यक्ति के पास अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आर्थिक संसाधनों की कमी हो, गरीबी कहलाती है।
• संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के प्रथम निदेशक सर जॉन बॉयड ओर के ने 1945 में गरीबी रेखा की अवधारणा दी।
बॉयड के अनुसार 2300 कैलोरी प्रतिदिन से कम उपभोग करने वाला व्यक्ति गरीब कहलाता है।
गरीबी के कारण:-
• आय का असमान वितरण
• जनसंख्या वृद्धि
• प्राकृतिक संसाधनों का अभाव
• भ्रष्टाचार
• निम्न शिक्षा स्तर
• बेरोजगारी
• कीमतों में तीव्र वृद्धि
• भौगोलिक/सांस्कृतिक कारण
• धीमा आर्थिक विकास
• निम्न उत्पादकता
• निम्न स्तरीय प्रौद्योगिकी
• पूंजी निर्माण की धीमी गति
गरीबी के प्रकार:-
• इसमें गरीबी का मापन प्रति व्यक्ति आय के आधार पर किया जाता है। • सैद्धांतिक अवधारणा। • विकसित देशों में प्रचलित। • इसके मापन की दो विधियां हैं:- 1. लोरेंज वक्र 2. गिनी गुणांक | • यह व्यक्तिपरक अध्ययन है। (एक व्यक्ति के पास मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध ना हो तो वह व्यक्ति गरीब माना जाता है।) • इसमें गरीबी का मापन कैलोरी या उपभोग व्यय के आधार पर किया जाता है। • व्यवहारिक अवधारणा। • विकासशील देशों में प्रचलित। (भारत) • इसका मापन विभिन्न समितियों द्वारा करवाया जाता है। |
1. लोरेंज वक्र (1905)
• लॉरेंज के अनुसार किसी ग्राफ से एक अक्ष पर आय और दूसरे अक्ष पर आयप्राप्तकर्ताओं की संख्या ली जाए तो 45° के कोण पर खींची गई रेखा पूर्ण आर्थिक समानता को प्रदर्शित करती है।
• किसी भी देश की वास्तविक रेखा सदैव आर्थिक समानता रेखा से नीचे होती है।
• समानता रेखा और वास्तविक रेखा के बीच की दूरी आर्थिक विषमता को प्रदर्शित करती है।
2. गिनी गुणांक (1912)
• यह लोरेंज वक्र का गणितीय प्रदर्शन है।
• किसी देश की वास्तविक रेखा और आर्थिक समानता रेखा की सहायता से बनने वाले दो त्रिभुज में छोटे ∆ के क्षेत्रफल में बड़े ∆ के क्षेत्रफल का भाग देने से प्राप्त राशि गिनी गुणांक कहलाती है।
• इसका मान हमेशा 0-1 के बीच होता है।
0 = पूर्ण समानता। 1 = पूर्ण असमानता
गरीबी निवारण की विधियां:-
2. अधोमुखी निस्यंदन सिद्धांत Trickle down approach | |
• इसमें गरीबों की प्रत्यक्ष सहायता के स्थान पर देश में आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाता है। जैसे:- गुजरात मॉडल आधारभूत संरचना → →निवेश→उत्पादन→रोजगार→आय→गरीबी निवारण • अर्थशास्त्री प्रो. भगवती ने इसे भारत के लिए श्रेष्ठ बताया। • इसे गरीबी का स्थायी समाधान माना जाता है। |
भारत में गरीबी का निर्धारण:-
• भारत में निर्धनता का मापन दो आधार पर किया जाता है:-
1. न्यूनतम कैलोरी उपभोग 2. प्रति व्यक्ति प्रतिमाह व्यय
• गरीबी की स्थिति के अनुमान के लिए आय का एक निश्चित
स्तर निर्धारित किया जाता है तथा यह माना जाता है कि इस आय स्तर पर व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताएं पूरी कर सकता है। इस आय स्तर को गरीबी रेखा कहा जाता है।
गरीबी रेखा से नीचे व्यक्ति गरीब होता है।
• योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी व शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिदिन से कम उपभोग करने वाला व्यक्त गरीबी रेखा से नीचे अर्थात BPL माना जाता है।
गरीबी की गणना
• भारत में गरीबी की गणना नीति आयोग द्वारा की जाती है।
• भारत में निरपेक्ष निर्धनता की अवधारणा को स्वीकार किया गया है। भारत में निरपेक्ष निर्धनता की गणना करने के लिए परिवार को आधार माना जाता है।
• गरीबी की गणना के लिए दो प्रकार की विधियों का प्रयोग किया जाता है -
1. Uniform Reference/Recall Period (URP):-
इसमें गरीबी आकलन के लिए सभी प्रकार के खर्च के लिए एक समान समय को आधार बनाया जाता है।
सभी खर्च पिछले 30 दिन के लिए देखे जाते हैं।
2. Mixed Reference/Recall Period (MRP):-
इसमें अलग-2 प्रकृति के खर्च के लिए अलग-2 समय को आधार बनाया जाता है।
उपभोग/दैनिक खर्च के लिए:- 30 दिन
टिकाऊ वस्तु:- 1 वर्ष का समय
Modified MRP:- इसमें कुछ खर्चे 7 दिन के लिए देखे जाते हैं। जैसे - मांस, मछली, अंडा, फल, सब्जी, दूध आदि।
भारत में गरीबी का आकलन
(A) स्वतंत्रता के पूर्व:-
• भारत में सर्वप्रथम गरीबी का आकलन दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक "पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया" में किया।
उन्होंने निर्धनता मापने के लिए जेल की निर्वाह लागत सिद्धांत का प्रयोग किया।
• कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन (1938) में सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रीय आयोजन/योजना समिति का गठन किया।
इस समिति के चेयरमैन जवाहरलाल नेहरू थे।
इसे कांग्रेस योजना के नाम से भी जाना जाता है।
शहरी क्षेत्र:- ₹20 प्रतिमाह से कम आय वाला व्यक्ति गरीब।
ग्रामीण क्षेत्र:- ₹15 प्रतिमाह से कम आय वाला व्यक्ति गरीब।
1938 में किस कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया ? - सुभाष चन्द्र बोस।
• बॉम्बे प्लान (1944):- बॉम्बे के 8 उद्योगपतियों द्वारा तैयार किया गया। इसे टाटा बिडला प्लान भी कहा जाता है।
(B) स्वतंत्रता के बाद:-
• स्वतंत्रता के बाद भारत में 6 आधिकारिक समितियां बनी है।
1. योजना आयोग का कार्यकारी समूह (1962)
शहरी क्षेत्र:- ₹25 प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष
ग्रामीण क्षेत्र:- ₹20 प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष
2. V.N. दांडेकर और नीलकंठ रथ समिति (1971)
• आधार:- कैलोरी (पहली बार कैलोरी खपत अपनायी)
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में:- 2250 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन।
3. Y.K. अलघ समिति (1977-79)
कैलोरी के साथ पोषक तत्व को भी शामिल किया जाना चाहिए।
शहरी क्षेत्र:- 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन
ग्रामीण क्षेत्र:- 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन
4. D.T. लकडवाला समिति (1989-93)
कैलोरी खपत का तरीका जारी रखना चाहिए।
राज्यों के लिए अलग-2 गरीबी रेखा बनाई जानी चाहिए।
और इन्हें अपडेट करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का प्रयोग करना चाहिए -
शहरी क्षेत्रों में:- CPI-IW का प्रयोग।
ग्रामीण क्षेत्रों में:- CPI-AL का प्रयोग।
5. सुरेश तेंदुलकर समिति (2005-09)
• गरीबी मापन का आधार - उपभोक्ता व्यय।
URP के स्थान पर MRP का प्रयोग किया जाना चाहिए।
₹33 प्रतिदिन | ₹816 प्रतिमाह ₹27 प्रतिदिन |
6. सी रंगराजन समिति (2012-14)
• गरीबी मापन का आधार - कैलोरी (प्रोटीन व वसा)
• MRP के स्थान पर Modified MRP का प्रयोग किया जाना चाहिए।
₹47 प्रतिदिन | ₹972 प्रतिमाह ₹32 प्रतिदिन |
नोट:- केंद्र सरकार द्वारा रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके कारण देश में गरीबी में रह रहे लोगों की गणना तेंदुलकर समिति द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा के आधार पर की जाती है।
निर्धनता अनुपात/हेड काउंट रेशियो (HCR)
• गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का कुल जनसंख्या से अनुपात।
प्रश्न.अखिल भारतीय स्तर पर निर्धनता अनुपात है ?
उत्तर:- 21.9%
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO)
National Sample Survey Office
• स्थापना:- 1950 (नई दिल्ली)
• यह भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MOSPI) के अधीन कार्य करता है।
• यह प्रत्येक 5 वर्ष में गरीबी का मापन करता है।
• NSSO की नई परिभाषा के अनुसार भारत की 12.4% आबादी BPL है। (गरीबी रेखा से नीचे)
गरीबी अंतराल संकेतक (Poverty Gap Index)
• इस विधि से विश्व बैंक द्वारा गरीबी का मापन किया जाता है।
• विश्व बैंक ने अत्यंत गरीब के लिए नया मानक स्थापित किया है।
विश्व बैंक के अनुसार 2.15 डॉलर यानी 167 रुपये प्रतिदिन से कम कमाने वाले लोगों को 'बेहद गरीब' माना जाएगा। नई गरीबी रेखा 2017 की कीमतों पर आधारित है।
इससे पहले 1.90 डॉलर यानी 145 रुपये प्रतिदिन से कम कमाने वालों को बेहद गरीब माना जाता था।
पुरानी गरीबी रेखा 2015 की कीमतों पर आधारित थी।
विश्व बैंक नया मानक 2022 के अंत तक लागू करेगा।
• भारत में गरीबी:-
वर्ष 2011 में भारत में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों की संख्या 22.5% थी जो वर्ष 2019 में घटकर 10.2% पर नीचे आ गई है अर्थात गरीबों की संख्या में 12.3% की कमी हुई है।
शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी तेजी से कम हुई है।
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