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संवर्धित वास्तविकता। आरएफआईडी। RAS Mains Notes

 
Augmented Reality


ऑगमेंटेड रियलिटी

ऑगमेंटेड का अर्थ होता है, किसी भी चीज को बढ़ाकर या बेहतर दिखाना। 
रियलिटी का अर्थ होता है - वास्तविकता।

ऑगमेंटेड रियलिटी का मतलब होता है, किसी भी चीज को बेहतर बनाना, जिससे वह बिलकुल वास्तविक (Real) लगे।
इस तकनीक में व्यक्ति के आसपास के वातावरण से मेल खाता हुआ एक कंप्यूटर जनित वातावरण बनाया जाता है। जो देखने में एकदम वास्तविक लगता है।

ऑगमेंटेड रियलिटी का कार्य/काम करने का तरीका:-

1. Motion tracking:- 
जब व्यक्ति अपने फोन का कैमरा चालू करते हैं,तो कैमरे के साथ जायरोस्कोप भी चालू रहता है। जायरोस्कोप सेंसर होता है। फोन की पोजिशन को देखकर यह जायरोस्कोप व्यक्ति की स्थिति और फोन कितनी डिग्री पर झुका हुआ है, यह जान लेता है। यह ऑगमेंटेड रियलिटी को मोशन ट्रैकिंग में मदद करता है।

2. Light estimation:- डिवाइस (फोन) का सेंसर आसपास के प्रकाश (light) को मापता है। इससे वह ऑगमेंटेड रियलिटी किरदारों की परछाई भी बना लेता है। इससे ऑगमेंटेड रियलिटी के किरदार बिल्कुल असली जैसे लगते हैं।

3. Flat surface:- वातावरण में फ्लैट सरफेस पर ही ऑगमेंटेड रियलिटी अपना काम करती है। अगर उबड़ खाबड़ सतह हो तो यह नाकाम रहती है।
 
ऑगमेंटेड रियलिटी के उपयोग:-
 
1. डिजिटल/ वीडियो गेमिंग में:- यह वीडियो गेम को वास्तविक बनाती है और ऐसा लगता है कि जैसे हमारे सामने गेम खेला जा रहा हो। उदाहरण - पोकेमोन गो।
2. शिक्षा:- प्रोजेक्टर, स्मार्ट क्लास में।
3. चिकित्सा:- नये डॉक्टर को प्रशिक्षित करने में।
 छात्रों को 3-D में इलाज के तरीके समझाने में।
4. सैन्य प्रशिक्षण में:- युद्धाभ्यास में इसका उपयोग किया जाता है। सेना को एक वर्चुअल युद्ध का मैदान दिखाकर वहां की हर चीज से वाकिफ करा दिया जाता है।
5. इंजीनियरिंग डिजाइन में:- प्रोजेक्ट्स आदि का पूर्वानुमान।
6. शॉपिंग:- प्रोडक्ट को अच्छी तरह से समझाने में।
7. सिनेमा, मनोरंजन, उद्योगो में।2. शिक्षा:- प्रोजेक्टर, स्मार्ट क्लास में।


RFID (Radio Frequency Identification)

• यह रेडियो तरंगों पर आधारित एक वायरलेस पहचान तकनीक है। इस तकनीक का उपयोग स्वचालित वस्तुओं की पहचान अथवा वस्तुओं की ट्रेकिंग के लिए किया जाता है।

• आरएफआईडी में मुख्यतः दो कंपोनेंट होते हैं -
1. RFID Tag:- इसमें Information स्टोर की जाती है।
2. RFID Reader:- स्टोर की गई Information को Read करता है।


RFID Tag:-
यह वस्तु की ट्रेकिंग के लिए Tag के रूप में लगाया जाता है। 
इसके अंदर उस वस्तु की सभी जानकारी स्टोर रहती है, जो वस्तु की पहचान करने के काम में आती है।
इसका उपयोग मुख्य रूप से व्यापारिक वस्तुओं, वाहनों और पालतू जानवरों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
यह दो प्रकार का होता है -
1. Actuve RFID Tag:-
इसके पास पावर सप्लाई होता है।

2. Passive RFID Tag:-
इसके पास खुद का पावर सप्लाई नहीं होता।
यह पावर के लिए RFID Reader पर निर्भर करता है।

RFID के अनुप्रयोग:-
- स्मार्ट कार्ड में।
- टोल बूथ पास में।
- आईडी कार्ड में ऑटो पासिंग के लिए।
- मेट्रो टोकन सिस्टम में।
- एनिमल ट्रैकिंग में।
- एसेट ट्रैकिंग में।
- हृदय रोगियों की निगरानी में।
- टेलीफोन और कंप्यूटर नेटवर्क में।

RFID की कार्यप्रणाली:-
• RFID तकनीक AIDC (Auto Identification and Data Collection) Concept पर काम करती है।
इसमें Identification के लिए Radio Frequency काम में ली जाती है।
• RFID Tag के अंदर एक इलैक्ट्रोनिक चिप व एक ट्रांसमिशन एंटीना लगा होता है। चिप के अंदर Information सेव रहती है। ट्रांसमिशन एंटीना चिप से इंफॉर्मेशन को ट्रांसमिट करता है।
• Receiver में मुख्यतः RF generator & RF detector लगे होते हैं, जो Tag से आ रहे डेटा को Receive करने का काम करते हैं।
• RFID Tag से Read की जाने वाली सूचना (Info.) को प्रोसेस करने के लिए इसके अंदर Micro-Controller लगा होता है।
•  Micro-Controller सूचना को प्रोसेस करके Output प्रदान करता है।

FASTag:-
• फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है। इसमें RFID चिप लगी होती है।
• इस टैग को वाहन की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। जैसे ही गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर वाहन पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है तथा फास्टैग अकाउंट से टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क कट जाता है।
• इससे समय की बचत होती है।
• फास्टैग अकाउंट की राशि खत्म होने पर रिचार्ज करवाना पड़ता है।

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