1. पीड़ाहारी (Analgesics)
वे रसायन जो पीड़ा या दर्द को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
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उदाहरण - एस्प्रिन, पेरासिटामोल।
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ये निद्रा व चेतना (बेहोशी) उत्पन्न करते हैं। इनके सेवन से व्यक्ति इनका आदि हो जाता है। उदाहरण - मॉर्फीन, कोडीन, हशीस (हैरोइन)
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2. प्रशांतक (Tranquillizers)
वे रसायन जिनका उपयोग मानसिक रोगों के निदान व उपचार में किया जाता है।
• ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालते हैं।
• ये व्यग्रता, चिंता, तनाव, क्षोभ से मुक्ति दिलाते हैं।
• इनके कारण नींद आती है।
सभी नींद की गोलियों के आवश्यक घटक है।
उदाहरण - मेप्रोबमेट, क्लोरडाइजेपॉक्साइड, इक्वैनिल।
बार्बिट्यूरेट्स:- बार्बिट्यूरिक अम्ल के व्युत्पन्न प्रशांतक के रूप में काम में लिए जाते हैं। इनके प्रयोग से नींद आती है।
उदाहरण:- वेरोनल, ल्यूमीनल, सेकोनल।
3. प्रतिसूक्ष्मजीवी (Antimicrobials)
वे रसायन जो सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, फफूंद) की वृद्धि रोक देते हैं अथवा उन्हें नष्ट कर देते हैं।
उदाहरण - प्रतिजीवाणु, प्रतिवायरस, प्रतिकवक, प्रति परजीवी।
प्रतिजैविक तथा पूतिरोधी, प्रतिसूक्ष्मजैविक ओषधियां होती है।
4. प्रतिजैविक (Antibiotic)
वे रसायन जो जीवाणुओं, कवक, एवं फफूंद द्वारा उत्पन्न होते हैं और मनुष्य व अन्य जीवों के शरीर में संक्रामक रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीव की वृद्धि रोक देते हैं अथवा उन्हें नष्ट कर देते हैं।
• सैल्वरसैन:- सर्वप्रथम 19वीं सदी में पॉल एर्डिश (जर्मनी) ने सिफलिस के इलाज के लिए आर्सफेनेपीन बनाई जिसे सैल्वरसैन कहते हैैं।
• पेनिसिलिन:- 1929 ई में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने पेनिसिलियन नोटेटम फफूंद से प्रतिजैविक की खोज की जिसे पेनिसिलिन नाम दिया।
उपयोग - न्यूमोनिया, ब्रोंकाइटिस के उपचार में।
कुछ व्यक्तियों में इससे एलर्जी होने लगती है।
कुल 6 प्रकार की प्राकृतिक पेनिसिलिन प्राप्त की जा चुकी है।
इन में से पेनिसिलिन-G सर्वाधिक प्रयुक्त होती है।
ऐम्पिसिलिन तथा ऐमॉक्सलीन पेनिसिलिन के दो नवीन अर्द्धसंश्लेषित रूप है।
• क्लोरेम्फेनिकॉल (क्लोरोमाइसेटिन):- निमोनिया मस्तिष्क ज्वर, पेचिश, टॉयफाइड उपचार में।
• टेरामाइसिन:- टॉयफाइड में
• ओरियोमाइसिन:- नेत्र संक्रमण में
• सल्फा औषधियां (Sulpha Drugs)
ये सल्फेनिलैमाइड के व्युत्पन्न है।
कोकाई संक्रमण से होने वाले रोगों के उपचार में इनका उपयोग किया जाता है।
उदाहरण:- सल्फाडाइजीन, सल्फापिरिडीन, सल्फाथायाजोल, सल्फागुआनिडीन।
प्रतिजैविक दो प्रकार के होते है -
(i) जीवाणुनाशी | |
• ये सूक्ष्म जीवाणुओं को मारते है। • पेनिसिलिन, ऑफलोक्सासिन, ऐमीनो ग्लाइकोसाइड। | • ये सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि को रोकते है • क्लोरैम्फनिकॉल, ऐरिथ्रोमाइसिन, टेट्रासाइक्लीन |
जीवाणु दो प्रकार के होते है - ग्रेम पॉजिटिव तथा ग्रेम नेगेटिव।
स्पैक्ट्रम:- सूक्ष्म जीवाणुओं की वह परास जिस पर प्रतिजीवाणु प्रभावकारी होते है, स्पैक्ट्रम कहलाती है।
इस आधार पर प्रतिजीवाणु तीन प्रकार के होते है -
उदाहरण : ऐम्पिसिलिन, ऐमोक्सिसिलिन। | ये प्रतिजीवाणु एक जीव या रोग पर प्रभावी होते है। उदाहरण - पेनिसिलिन G |
5. पूतिरोधी/विसंक्रामक (Anticeptics):-
वे रसायन जो हानिकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं, उन्हें नष्ट करते हैं तथा जीवित ऊतकों को हानि नहीं पहुंचाते हैं।
ये संक्रमणरोधी होती है।
उदाहरण - आयोडीन टिंचर, डेटॉल, बाईथायोनल।
• उपयोग:-
इनका उपयोग जीवित ऊतकों पर किया जाता है।
जैसे - त्वचा के कटने या घाव होने पर किया जाता है।
• इनका उपयोग दुर्गंधनाशकों में किया जाता है।
जैसे - माउथवाश, टूथपेस्ट, टूथपाउडर, चेहरे का पाउडर।
6. प्रतिहिस्टैमिन (प्रति एलर्जी औषध)
(Antihistamines or Antiallergic Drugs)
वे रसायन जो एलर्जी के उपचार में प्रयुक्त होते हैं।
एलर्जी का कारण हिस्टेमिन नामक रसायन होता है, जो त्वचा, फेफड़े, यकृत के ऊतकों व रक्त में उपस्थित होता है।
• ये औषधियां शरीर पर दाने, खुजली, जलन, आंख आना, छींक, नाक बहना, आंख, नाक, गले में खुजली से आराम दिलाती है।
• उदाहरण:- टरफेनाडीन, डाइफेनिल हाइड्रामीन।
• इन औषधियों का प्रयोग चिकित्सक की सलाह से नियंत्रित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
7. प्रतिनिषेचक औषधियां (Antifertility Drugs)
वे रसायन जो जनन उत्पादकता को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
• गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग जन्म दर को रोकने के लिए किया जाता है।
इन गोलियों में संश्लेषित हार्मोन एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रोन के व्युत्पन्न होते हैं।
ये गोलियां महिलाओं में मासिक चक्र एवं अंड निर्माण को नियंत्रित करती हैं।
किंतु लंबे समय तक इनका प्रयोग विपरीत प्रभाव उत्पन्न करता है। जैसे - मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव, बांझपन, वजन बढ़ना।
उदाहरण:- रूटिन, नॉर एथिनड्रॉन, शेटलेरिन।
• सोयाबीन, मटर का तेल, गाजर के बीज, बिनौले के तेल आदि में भी प्रतिनिषेचन रसायन पाए जाते हैं।
8. प्रतिअम्ल (Antacids)
वे रसायन जिनका उपयोग अमाशय की अम्लीयता को कम करने के लिए किया जाता है।
• चाय, कॉफी, अचार, मुरब्बा आदि के सेवन से आमाशय में अम्लीयता बढ़ जाती है। (अल्सर)
• प्रतिअम्ल वे लवण होते हैं जिनकी प्रकृति क्षारीय होती है।
उदाहरण:-मिल्क ऑफ मैग्नीशिया (मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड), मैग्नीशियम कार्बोनेट, सोडियम बाई कार्बोनेट।
इनका अधिक प्रयोग करने से आमाशय में क्षारीयता बढ़ जाती है, जो और अधिक अम्ल उत्पादन को प्रेरित करती है।
इसलिए इनके स्थान पर दो महत्वपूर्ण प्रति अम्ल औषधियां डिजाइन की गई - (i) सिमेटिडीन (ii) रैनिटिडीन
अन्य - ओमेप्रेजॉल और लेन्सोप्रेजॉल।
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