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कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र। राजस्थान आर्थिक समीक्षा 2021-22

 
Agriculture and allied sector



राजस्थान में कृषि

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान:-

 राजस्थान 
 योगदान
 % में परिवर्तन
  स्थिर मूल्य पर 
(आधार वर्ष 2011-12)
 1.95 लाख करोड़
 +6.97%
 प्रचलित मूल्य पर
 3.37 लाख करोड़
 +13.12%

प्रचलित मूल्य पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान 30.23% है।

• कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में फसल, पशुधन, मत्स्य, वानिकी को शामिल किया जाता है।
2021-22 में कृषि में योगदान:-

 कृषि का उपक्षेत्र
 योगदान (%)
 पशुधन
 46.25
 फसल
 45.94
 वानिकी एवं लॉगिंग
   7.44
 मत्स्य
   0.37

भू-उपयोग 2019-20

 शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल Net Sown Area
 52.58%
 बंजर भूमि Waste land
 10.84%
 वानिकी Forest land
 8.08%
 
प्रचालित जोत धारक (Operational land holdings):-


 कृषि जनगणना 2010-11
 कृषि जनगणना 2015-16
 कुल जोतों का क्षेत्रफल

211.36 लाख हेक्टेयर

 208.73 लाख हेक्टेयर
 कुल प्रचालित भूमि जोतों की संख्या
68.88 लाख

76.55 लाख 

भूमि जोतों का औसत आकार
 3.07 हेक्टेयर
 2.73 हेक्टेयर
महिला प्रचालित जोत धारक
 5.46 लाख
7.75 लाख (76.55 में से)


 राजस्थान में कृषि उत्पादन
 राजस्थान का कृषि उत्पादन में स्थान
 • कुल खाद्यान्न उत्पादन = 225.20 लाख मैट्रिक टन।
(84.90 खरीफ + 140.30 रबी)
(182.58 अनाज + 42.62 दलहन)
• तिलहन उत्पादन = 92.04 लाख मैट्रिक टन।
• गन्ना उत्पादन = 2.47 लाख मैट्रिक टन।
• कपास (रूई) = 23.31 लाख गाँठे।
पहला:- बाजरा, राई एवं सरसों, चना, ग्वार, कुल दलहन, कुल तिलहन।

दूसरा:- मूंगफली

तीसरा:- सोयाबीन

राजस्थान में कृषि उत्पादकता

 

 1997-98 से 2001-02

 2020-21

वृद्धि 
 अनाज
     1189
   2396
 101.51%
 दलहन
       472
     692
   46.61%
 खाद्यान्न
       991
   1725
 
 तिलहन
       866
   1539
   77.71%
 गन्ना
   46184
 79111
 
 कपास (रूई) 
        337
     675
 100.30%
 ग्वार
        221
     458
 

राजस्थान में कृषि संबंधित योजनाएं

मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना (2017)
• उद्देश्य - किसानों द्वारा अपने स्वयं के खेतों में गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
• प्रारंभ में यह योजना 3 कृषि जलवायु क्षेत्रों (कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर) में शुरू की गई।
• 2018-19 से यह योजना राज्य के सभी 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में लागू की गई है।
• इस योजना के तहत फसलों की विभिन्न किस्मों का बीज उत्पादन 10 साल तक लिया जा रहा है।

प्रश्न.राजस्थान में कितने कृषि जलवायु क्षेत्र है ? - 10

कृषि प्रदर्शन योजना
• किसानों को कृषि की नई तकनीके सिखाने हेतु।
• यह योजना 'देखकर विश्वास करने' के सिद्धांत पर आधारित है।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती
• बजट घोषणा 2019-20
• टोंक, बांसवाड़ा और सिरोही जिलों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया।
वर्तमान में 15 जिलों में संचालित।
• उद्देश्य - स्वयं के खेत में तैयार किए गए कृषि आदानों के उपयोग के माध्यम से खेती की लागत में कमी और रसायन मुक्त कृषि को बढ़ावा देना।
• राजस्थान में शून्य बजट प्राकृतिक खेती कार्यक्रम आंध्रप्रदेश मॉडल के आधार पर संचालित किया जा रहा है।
नोट:- शून्य बजट प्राकृतिक खेती को महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर ने प्रसिद्ध किया है।

राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक योजना (RACP)
• विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित।
• राज्य के 17 जिलों में संचालित।
• उद्देश्य - कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाना, कृषकों की आय में वृद्धि, जलवायु प्रतिरोधक क्षमता युक्त कृषि का विकास, कृषि में सिंचाई जल के उपयोग को कम करने एवं कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
• 2007-08 से गेहूं एवं दलहन पर शुरू।
• केंद्र : राज्य (60:40)

NFSM न्यूट्रिसीरियल मिशन
• 2018-19 से शुरू।

NFSM तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन
• केंद्र : राज्य (60:40)

नोट:- NFSM वाले तीनों मिशन का उद्देश्य:-
प्रमाणित बीज का वितरण एवं उत्पादन, उत्पादन तकनीक में सुधार, जैव उर्वरकों को बढ़ावा देना, सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग, समन्वित कीट प्रबंधन, कृषक प्रशिक्षण।

राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं तकनीकी मिशन
उद्देश्य:-  कृषि विस्तार का पुनर्गठन एवं सशक्तिकरण करना। 
जिससे किसानों को उचित तकनीक एवं कृषि विज्ञान की अच्छी पद्धतियों का हस्तांतरण किया जा सके।
• केंद्र : राज्य (60:40)
• इस मिशन के अन्तर्गत चार उप-मिशन शामिल -
(1) कृषि विस्तार पर उप मिशन
(2) बीज एवं रोपण सामग्री पर उप मिशन
(3) कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन
(4) कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्लान

राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन
इस मिशन में निम्न योजनाओं का विलय किया है - 
राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन + 
राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना + 
राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रबन्ध परियोजना + 
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन।
• केंद्र : राज्य (60:40)
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन के अन्तर्गत चार उप-मिशन शामिल -
(1) वर्षा आधारित क्षेत्र विकास
(2) मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड
(3) परम्परागत कृषि विकास योजना
(4) कृषि वानिकी पर उप मिशन- यह मिशन वर्ष 2017-18 में शुरू किया गया।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
• 2016 से प्रारम्भ की गई है।
• उद्देश्य:- प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले फसल नुकसान का बीमा कवर प्रदान करना।
• कृषक से निम्न प्रीमियम राशि लेकर बीमा किया जा रहा है -
रबी = 1.5%
खरीफ फसल = 2%
वाणिज्यिक/बागवानी = 5%
• राज्य में प्रीमियम, अनुदान और फसल कटाई प्रयोगों के संचालन हेतु प्रोत्साहन राशि के भुगतान हेतु राज्य निधि योजना चल रही है।

राजस्थान में बागवानी (Horticulture):-

बागवानी निदेशालय (1989-90)
केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान कहां स्थित है ? - बीकानेर।

राजहंस योजना:-
Rajasthan Horticulture and Nursery Society (RajHans):-
• 2006-07 में शुरू।
• राज्य में बागवानी विकास को बढ़ावा।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
• 2005-06 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू।
• राज्य के 24 जिलों में संचालित।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
• केन्द्र सरकार द्वारा 2007-08 में शुरू।
• उद्देश्य:- कृषि क्षेत्र के लिए योजनाओं को अधिक व्यापक रूप से तैयार करना।
• राष्ट्रीय बागवानी मिशन से वंचित जिलों में।
• केंद्र : राज्य (60:40)

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - सूक्ष्म सिंचाई
• 2015-16
• फसल उत्पादन बढ़ाने एवं पानी को बचाने के लिए लघु सिंचाई पद्धति के तहत ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देना।
• केंद्र (60) : राज्य (40)

प्रधानमंत्री कुसुम योजना कंपोनेंट-बी:-
• यह योजना आधारभूत संरचना वाले अध्याय में है।

फर्टिगेशन, फोलियर फर्टिलाइजेशन एवं ऑटोमेशन योजना:-
• 2019-20 से शुरू।

कृषि विपणन (Agriculture Marketing)

कृषि विपणन निदेशालय (1974):-
राज्य में 'मंडी विनियमन और प्रबंधन' को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कर्य कर रहा है।

किसान कलेवा योजना:-
• 20 जनवरी 2014।
• मंडी में ₹5 में भोजन की व्यवस्था। (फूल और सब्जी मंडी को छोड़कर)

राजीव गांधी कृषक साथी सहायता योजना:-
• 2009
• किसानों और कृषि श्रमिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु।
• कार्यस्थल पर दुर्घटनावश मृत्यु होने पर दो लाख की सहायता दी जाती है।

महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना (2015):-
• प्रसूति सहायता:- 45 दिवस का मातृत्व अवकाश, 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।
इस दौरान अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर से भुगतान किया जाएगा।
• विवाह के लिए सहायता:- अनुज्ञप्तिधारी महिलाओं की पुत्रियों के विवाह के लिए ₹50,000 की सहायता।
• चिकित्सा सहायता:- 

कृषि विपणन बोर्ड:-
राज्य में एक व्यापक नीति "राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019" दिनांक 17 दिसम्बर 2019 से प्रारम्भ की गयी है।
इस नीति की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार है:-
• समूह आधारित कार्य प्रणाली द्वारा फसल कटाई के बाद की हानियों को कम करना।
• कृषकों एवं उनके संगठनों की सहभागिता बढाना ।
• मूल्य वर्धन और आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करके किसानों की आय बढ़ाना।
• राज्य की उत्पादन बहुलता वाली फसलों (जैसे-जीरा, धनिया, सौंफ, अजवाइन, ग्वार, ईसबगोल, दलहन, तिलहन, मेहंदी आदि) के मूल्य संवर्धन तथा निर्यात को प्रोत्साहन देना।
• खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के द्वारा कौशल विकास कर रोजगार का सृजन करना।
• मांग आधारित उत्पादन को बढ़ाना।
वित्तीय प्रावधानः-
किसानों और उनके संगठन के लिए कृषि- प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास के लिए परियोजना लागत का 50% का अनुदान दिया जाएगा। (अधिकतम 100 लाख रुपए)
• कृषकों को और अन्य सभी पात्र उद्यमियों के लिए
परियोजना लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा। (अधिकतम 50 लाख रुपए)
• टर्म लोन पर 5% ब्याज सब्सिडी दी जाएगी।
• राज्य के बागवानी उत्पादों को अन्य राज्यों के बाजारों में ले जाने के लिए 300 किलोमीटर से अधिक परिवहन के लिए 3 साल की अवधि के लिए प्रति वर्ष ₹15 लाख रुपए का अनुदान।
• राज्य के बागवानी उत्पादों के निर्यात के किराए में 3 वर्षों की अवधि के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम ₹10 लाख से ₹15 लाख का अनुदान।

कृषक कल्याण कोष (K3):-
• बजट घोषणा 2019-20
• स्थापना - 16 दिसंबर 2019
• इज ऑफ डूइंग फॉर्म की तर्ज पर 1,000 करोड़ का कोष।
• उद्देश्य - किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना (PM-FME):-
(PM-Formalization of Microfood processing Enterprises.)
• आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत।
• 2020-25 के लिए। • 10,000 करोड़ रुपए।
• खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू।
• केंद्र प्रायोजित योजना। (60:40)
• उद्देश्य:- देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उन्नयन के लिए।
• एक जिला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण पर काम करेगी।
• हर जिले के लिए एक खाद उत्पाद की पहचान की जाएगी जैसे - अचार, पापड़। चुने गए उत्पादों का उत्पादन करने वाले उद्योगों को अधिकतम 10 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी।
• 2 लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रत्यक्ष सहायता दी जाएगी।
• ODOP उत्पादों के लिए विपणन एवं ब्रांडिंग का कार्य किया जाएगा।

राजस्थान में जल संसाधन (Water Resources)

• राजस्थान में देश के कुल सतही जल (Surface water) का 1.16% जबकि कुल भूजल (Ground water) का 1.69% उपलब्ध है।

राज्य के 39.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सतही जल परियोजनाओं से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
 7 वृहद परियोजनाएं:- नर्मदा नहर परियोजना (जालौर एवं बाड़मेर), परवन (झालावाड़), धौलपुर लिफ्ट, मरूस्थल क्षेत्र के लिए जल पुर्नगठन परियोजना, नवनेरा बाँध (कोटा), ऊपरी उच्चस्तरीय नहर एवं पीपलखूंट।
5 मध्यम परियोजनाएं:- गरड़दा (बूँदी), तकली (कोटा), गागरिन (झालावाड़), ल्हासी एवं हथियादेह (बारां)
• 41 लघु सिंचाई परियोजनाएं

नर्मदा नहर परियोजना:- यह देश की पहली वृहद सिंचाई परियोजना है, जिसमें संपूर्ण कमांड क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य किया गया है।

नवनेरा बांध (कोटा):- यह परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का अभिन्न हिस्सा है।

परवन वृहद बहुउद्देशीय परियोजना:-
• परवन नदी पर झालावाड़ में।
• इससे कोटा, बारां झालावाड़ जिलों में सिंचाई की जाएगी।
• विद्युत उत्पादन - 2970 मेगावाट।

राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना (RWSLIP):-
• अप्रैल 2017
• 27 जिलों में 137 सिंचाई परियोजना के पुनर्वास और नवीकरण के लिए।
• JICA (Japan Internantional Coperation Agency) से ऋण सहायता।
• परियोजना की अवधि 8 तर्ष होगी और इसे तीन चरणों में लागू किया जाएगा।

रेगिस्तानी क्षेत्र में राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन  परियोजना (RWSRPD):-
• उद्देश्य:-  इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रथम चरण का पुनर्वास और पुनर्गठन के लिए
• वित्तपोषण:- न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB)
• इससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, बीकानेर, झुंझुनू, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले लाभान्वित होंगे।

राष्ट्रीय जल विज्ञान योजना:-
• जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2016 -17 में  8 वर्ष के लिए शुरू।
• 100% - केंद्र अनुदान। (विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त)
• उद्देश्य:- सूखा प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता में सुधार।
• इसमें स्काडा सिस्टम लगाया गया है।
SCADA - Supervisory control and data acquisition.
नोट:- सर्वप्रथम बीसलपुर बांध में स्काडा सिस्टम लगाया गया।

बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP)
• राज्य के बड़े बांधों की बहाली और पुनर्वास के लिए विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना।
नोट:- इस परियोजना में शामिल 18 राज्यों में राजस्थान प्रथम स्थान पर है।

उपनिवेशन विभाग
• इस विभाग का मुख्य कार्य इंदिरा गांधी नहर परियोजना में भूमि क्षेत्र में भूमि आवंटित करना है।
• इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) का लक्ष्य 16.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाना है।

भू-जल

अटल भू-जल योजना:-
यह योजना भारत सरकार एंव विश्व बैंक के सहयोग से (50:50) देश के 7 राज्यों क्रमशः हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट, राजस्थान, उतरप्रदेश एंव मध्यप्रदेश राज्यों में भू-जल के गिरते स्तर को रोकने, भू-जल के बेहतर प्रबन्धन हेतु 1 अप्रेल 2020 से लागू की गई।
• यह योजना पांच वर्षों 2020-24 से वर्ष 2024-25 तक के लिये है।
• राजस्थान के 17 जिलें शामिल हैं।

राजीव गांधी जल संचय योजना***
• प्रथम चरण 20 अगस्त 2019 को राज्य के 33 जिलों में 2 वर्ष की अवधि के लिए शुरू किया गया।
• उद्देश्य - वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण और उपलब्ध जल स्त्रोतों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करना।
जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
भू-जल उपलब्धता की स्थिति में सुधार करना।
कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण करना।
चारागाह विकास और वृक्षारोपण।
फसल और बागवानी के उन्नत तरीकों को बढ़ावा देना।
पेयजल स्त्रोतों का सुदृढ़ीकरण।
खाईया, खेत तालाब, खड़ीन, जौहर, टांका, छोटे एनीकट, मिट्टी चेकडैम आदि जल भंडारण संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
• विभिन्न कारपोरेट, धार्मिक न्यासों, सामाजिक संप्रदायों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग के साथ-2 जन सहयोग भी लिया जाएगा।

• 2010 में राजस्थान राज्य जल नीति जारी की गई।

राजस्थान में पशुधन
पशुधन गणना (प्रत्येक 5 वर्ष में)
• पहली - 1919 (भारत में), 1951 (राजस्थान में)
• 20वीं पशुधन गणना 2019:-
राज्य में कुल 568.01 लाख पशुधन एवं 146.23 लाख कुक्कुट (Poultry) है।
देश के कुल पशुधन का 10.60% पशुधन राजस्थान में है।
यहां देश का 84.43% ऊंट, 14% बकरी, 12.47% भैंस, 10.64% भेड एवं 7.24% गोवंश उपलब्ध है।
• राजस्थान देश में दूध उत्पादन में 12.72% तथा ऊन उत्पादन में 34.46% योगदान देता है।
राजस्थान बकरी, ऊंट और गधों के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है।


 2019 में संख्या
 % परिवर्तन
 बकरी
20840203
 -3.81
 मवेशी (गोवंश) Cattle
13937630
 4.60
 भैंस
 13693316
 5.53
भेड
 7903857
 -12.95
 ऊंट
212739
 -34.69
 सूअर (Pigs)
154803
 -34.87
 घोडे एवं टट्टू (Ponies)
 33679
 -10.85
गधे
 23374
 -71.31
खच्चर (Mules)
1339
 -60.33
 कुल
56800945
 -1.61


 अविका कवच बीमा योजना**
• भेड़ों के लिए।

भामाशाह पशु बीमा योजना
• 23 जुलाई 2016 को जामडोली (जयपुर) से शुरू।
• ₹50000 का बीमा किया जाता है।

खुरपका एवं मुंहपका रोग योजना (2010)
(Foot and mouth disease)

राज्य पशुधन एवं डेयरी विकास नीति 2019
• आजीविका में में वृद्धि। • दुग्ध प्रसंस्करण।
• विपणन। • रोजगार सृजन। • पशु आहार।
• देशी नस्ल सुधार। • रोग नियंत्रण कार्यक्रम।
13 मार्च 2014 को गोपालन विभाग की स्थापना। 

नंदी गौशाला जन सहभागिता योजना
• 2018-19 में आवारा पशुओं के लिए शुरू।
• सरकार एवं जनता की भागीदारी - 90:10
• 50 लाख प्रति गौशाला सहायता दी जाएगी।

गौशाला बायोगैस सहभागिता योजना
• उद्देश्य:- गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना।

गौशाला विकास योजना
• उद्देश्य:- गौशालाओं में बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 10 लाख रुपए की सहायता।
 
डेयरी विकास:-
राज्य में 23 जिला दुग्ध उत्पादक संघ है।
शीर्ष स्तर पर राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (RCDF) स्थापित किया गया है।
• RCDF द्वारा पौष्टिक आहार, विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पादों का उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों को बीमा उपलब्ध करवाया जा रहा है। 

राज सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना:- दुग्ध उत्पादकों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना। 
• मृत्यु एवं पूर्ण स्थायी अपंगता पर रू. 5 लाख।
• आंशिक स्थायी अपंगता पर रू. 2.5 लाख मिलेंगे। 

सरस सामूहिक आरोग्य बीमा:- इसके अंतर्गत जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों द्वारा दुग्ध उत्पादकों को बीमा दिया जा रहा हैं।

मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादन संबल योजना
• RCDF को दूध सप्लाई करने वाले दुग्ध उत्पादकों को इस योजना के तहत ₹2 प्रति लीटर बोनस दिया जा रहा है।
• 1 फरवरी 2019 से लागू।
बजट घोषणा 2022-23:- ₹2 प्रति लीटर बोनस की जगह ₹5 प्रति लीटर बोनस।

पहला गो अभ्यारण्य - बीकानेर।
गो मूत्र रिफ़ाइनरी -पथमेड़ा (जालोर)
केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसधान केंद्र-अविकानगर (टोंक)

मत्स्य (Fishery):-
• राज्य में वर्ष 2021-22 में मत्स्य उत्पादन 32205.83 मैट्रिक टन हुआ हैं।
• मत्स्य विभाग द्वारा आदिवासी मछुआरों के उत्थान हेतु "आजीविका मॉडल योजना" राज्य के तीन जलाशयों जयसमन्द (उदयपुर ), माही बाजाज सागर ( बांसवाड़ा) एवं कडाणा बैक वाटर (डंगरपुर) में प्रारम्भ की गई।
• आदिवासी मछुआरो को मछली पकड़ने की सम्पूर्ण कीमत दी जा रही है।

• मछुआरों के लिए नियमित प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं एवं उन्हें सामूहिक बीमा योजना और सेविंग कम रिलीफ योजना से लाभान्वित किया जा रहा हैं।
• नेशनल मिशन फॉर प्रोटीन सप्लीमेंट योजना:- माही बजाज सागर बांध (बांसवाड़ा) में आधुनिक मत्स्य तकनीकों के लिए "केज कल्चर योजना" चलाई जा रही हैं। इसमें 56 तैरते हुए पिंजरे स्थापित किए जा चुके हैं।

• बीसलपुर बांध (टोंक) में सजावटी मछली परियोजना का कार्य निर्माणाधीन हैं। बीसलपुर बाँध को स्पोर्ट
मत्स्य के रूप में विकसित किया जा रहा हैं।
• नीली क्रांति योजना - जैविक सुरक्षा, मछुआरों की समृद्धि एवं उनके भोजन व पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित योजना।

राजस्थान में वानिकी (Forestry):-

• राज्य में कुल घोषित वन क्षेत्र 32,864.62 वर्ग किमी. हैं। जो कि राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 9.60% हैं। 
• राज्य में 3 राष्ट्रीय उद्यान, 27 वन्यजीव अभ्यारण्य, 15 संरक्षित क्षेत्र और 4 बायोलोजिकल पार्क (जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा) हैं।
• राज्य में 4 टाइगर रिजर्व है।
नवीनतम - रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (बूंदी)
यह भारत का 52वां टाईगर रिजर्व है।

• राज्य में 6,195 ग्राम वन संरक्षण एवं प्रबंधन समितियां 11.94 लाख हैक्टेयर वन क्षेत्र की सुरक्षा एवं प्रबंधन कर रही है।
• राज्य में 17 औषधीय पौध संरक्षित क्षेत्र स्थापित हैं।

प्रमुख दिवस:- विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल), विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस (5 जून) एवं विश्व ओजोन परत संरक्षण दिवस (16 सितंबर)

• विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून के अवसर पर राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार दिया जाता है।
यह पुरस्कार तीन श्रेणियों अर्थात संगठनों, नागरिकों और नगरपालिका के लिए दिया जाता है।

• राजस्थान जैव विविधता अधिनियम - 2002
इस अधिनियम की धारा 63(1) के तहत राजस्थान जैविक विविधता नियम 2010 को अधिसूचित किया गया है।
• 14 सितंबर 2010 को राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड की स्थापना की गई।

राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार
• विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून के अवसर पर
• तीन श्रेणियों में दिया जाता है -
संगठन, नागरिक, नगर पालिका।

राजस्थान में सहकारिता (Co-operatives):-

• वर्तमान में सहकारिता के क्षेत्र में शीर्ष स्तर पर 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक, 23 दुग्ध संघ, 36 प्राथमिक भूमि विकास बैंक, 7,094 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां, 274 फल एवं सब्जी विपणन समितियां, 22 सहकारी संघ एवं 37,642 सहकारी समितियां पंजीकृत हैं।
• राज्य में 35 अरबन को-ऑपरेटिव बैंक कार्यरत हैं।

एकमुश्त समझौता योजना वर्ष 2020-21:- इसके अन्तर्गत प्राथमिक भूमि विकास बैंकों के सभी प्रकार के अवधिपार ऋणों की ब्याज राशि में 50% की राहत दी जा रही हैं।
किसान सेवा पोर्टलः- ऋण आवेदन, सब्सिडी आदि के लिए एकीकृत मंच।

राज सहकार पोर्टल:- सहकारिता विभाग की योजनाओं और सुविधाओं के लिए एकीकृत मंच।

ज्ञान सागर क्रेडिट योजना:- राज्य में ग्रामीण एवं शहरी छात्र-छात्राओं को व्यवसायिक व तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने एवं छात्रों और अभिभावकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ की गई।
• भारत में शिक्षा प्राप्त करने पर 6 लाख रुपए तथा विदेश के लिए 10 लाख रुपए निर्धारित हैं। 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:- वर्ष 2016 में शुरू।

स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड योजना:- इसके अन्तर्गत गैर कृषि गतिविधियों हेतु ₹50,000 तक का ऋण 5 वर्ष की अवधि तक के लिए दिया जाता हैं।

महिला विकास ऋण योजना:- भूमि विकास बैंकों द्वारा महिलाओं को गैर कृषि उद्देश्यों तथा डेयरी व्यवसाय हेतु ₹50,000 तक का ऋण दिया जाता है।

सहकारी किसान कल्याण योजना:- केद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा कृषि और सम्बद्ध कृषि उद्देश्यों के लिए 
अधिकतम 10 लाख तक का ऋण दिया जाता है।

सहकारी विपणन संरचना:- राज्य में प्रत्येक मण्डी यार्ड पर 274 क्रय-विक्रय सहकारी समितियाँ किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलवाने एवं प्रमाणित बीज, खाद्य एवं कीटनाशक दवाईयां उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।
शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफैड) कार्यरत हैं।

सहकारी उपभोक्ता संरचना:- उपभोक्ताओं को कालाबाजारी और बाजार में कृत्रिम अभाव से बचाने के लिए जिला स्तर पर 38 सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार तथा शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (कॉनफेड) कार्यरत हैं।

सहकारी आवास योजना:- मकान निर्माण, खरीद एवं विस्तार के लिए 15 वर्ष तक की अवधि के लिए 20 लाख तक का ऋण।

बेबी ब्लैंकेट योजना:- आवास निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव हेतु 7 लाख तक का ऋण।

नोट:- किसी भी प्रकार की अपडेट के लिए www.devedunotes.com को देखें। (क्योंकि PDF शेयर करने के बाद PDF में कुछ नहीं किया जा सकता है।

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