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अम्ल। क्षार। लवण। pH और बफर विलयन

 
Acid and base


अम्ल एवं क्षार

 अम्ल (Acid):-
 क्षार (Base):-
• अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
• नीले लिटमस पत्र को लाल करते हैं।
• अम्ल, धातु ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
• अम्ल जल में घुलनशील, विद्युत के चालक तथा रंगहीन होते हैं।
उदाहरण:- सिट्रिक अम्ल, HCl, HNO₃
• स्वाद में कड़वे होते है।
• लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।
• क्षार, अधात्विक ऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
• सभी क्षार जल में घुलनशील नहीं होते।
• ये अम्लों को उदासीन करने का सामर्थ्य रखते हैं।
• उदाहरण:- सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH), पोटेशियम हाइड्रोक्साइड (KOH), एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड

स्त्रोत के आधार पर अम्लों के प्रकार:-
कार्बनिक अम्ल:- 
पादपों और जंतुओं में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
सिरके में एसिटिक अम्ल, इमली में टार्टरिक अम्ल, संतरे में एस्कोर्बिक अम्ल, लाल चींटी के डंक में फार्मिक अम्ल।

अकार्बनिक अम्ल:- कृत्रिम रुप से निर्माण। 
उदाहरण:- HCl, HNO₃

आरेनियस संकल्पना (1887)
ऐसे पदार्थ जो जलीय विलियन में अपघटित होकर हाइड्रोजन आयन (H+) देते हैं, अम्ल कहलाते हैं।
ऐसे पदार्थ जो जलीय विलियन में अपघटित होकर हाइड्रोक्सिल आयन (OH-) देते हैं, क्षार कहलाते हैं।

लवण (Salt):-
अम्ल और क्षार की क्रिया के द्वारा लवण और जल बनते हैं। यह क्रिया उदासीनीकरण क्रिया भी कहलाती है। 
यह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

अम्ल + क्षार → लवण + जल
HCl + NaOH → NaCl + H₂O

प्रबल अम्ल:- वे अम्ल जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं, प्रबल अम्ल कहलाते हैं।
जैसे - HCl, H₂SO₄, HNO₃

दुर्बल अम्ल:- पूर्णतया आयनित नहीं होते।
जैसे - CH₃COOH, H₂CO₃

प्रबल क्षार:- वे क्षार जो जलीय विलियन में पूर्णतया आयनित हो जाते हैं,  प्रबल अम्ल कहलाते हैं।
जैसे - KOH, NaOH

दुर्बल क्षार:- पूर्णतया आयनित नहीं होते।
जैसे - NH₄OH, Mg(OH)₂

अम्ल क्षार की ब्रांस्टेड-लोरी संकल्पना:-
ब्रांस्टेड-लोरी के अनुसार अम्ल प्रोटॉन दाता होते हैं तथा क्षार प्रोटॉन ग्राही होते हैं।
यहां उन्होंने संयुग्मी अम्ल एवं संयुग्मी क्षार की अवधारणा दी।

H₂O + NH₃ →  (NH₄+) + (OH-)

यहां जल प्रोटॉन दाता है अतः अम्ल है। यह प्रोटॉन देकर संयुग्यी क्षार (OH-) में बदल जाता है।
अमोनिया प्रोटॉन ग्राही है, अतः क्षार है। यह प्रोटॉन ग्रहण करके संयुग्मी अम्ल (NH₄+) में बदल जाता है।।। 
इन (₃ - NH₄+)  तथा (H20 - OH-) को संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म कहते हैं।

अम्ल-क्षार की लुईस अवधारणा:-
लुईस अम्ल:- वे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉनिक युग्म ग्रहण करते हैं।
NA+,  BF3, AlCl3
लुईस क्षार:- वे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉनिक युग्म त्यागते हैं।
NH3, OH-,  Cl-

अम्लों के उपयोग:-
खनिज अम्ल:- H₂SO₄, HCl, HNO3
इनका उपयोग विभिन्न उद्योग धंधों जैसे - औषधि, पेंट, उर्वरक में किया जाता है।
1. HCl बॉयलर तथा सिंक व सेनिटरी को साफ करने में काम आता है।
2. HNO₃ उर्वरक बनाने, चांदी व सोने के गहनो को साफ करने, राकेट के तरल प्रणोदक में काम आता है।
3.  1HNO₃ + 3HCl = अम्लराज (शाही जल)
अम्लराज सोने को भी गला देता है। परंतु चांदी को नहीं।
सोने एवं चांदी को पृथक करने में।
सोने एवं चांदी को चमकाने में।
4. H₂SO₄ (सल्फ्यूरिक अम्ल) कार बैटरी, पेट्रोलियम शोधन, अपमार्जक उद्योग, तत्वों के निष्कर्षण में काम आता है।
सल्फ्यूरिक अम्ल को अम्लों का राजा भी कहते हैं।
5. CH₃COOH (एसीटिक अम्ल) का उपयोग खाद्य पदार्थों, अचार आदि के परिरक्षण में किया जाता है।
इसका उपयोग नैल पॉलिश हटाने तथा एक विलायक के रुप में भी किया जाता है।
नोट:- सभी अम्ल और क्षार प्रयोगशाला अभिकर्मक के रुप में भी काम आते है।

क्षारों के उपयोग:-
1. NaOH का उपयोग साबुन, अपमार्जक, कागज उद्योग, वस्त्र उद्योग में किया जाता है।
2. KOH का उपयोग मिट्टी की अम्लता को दूर करने तथा शैंपू, शेविंग क्रीम निर्माण में किया जाता है।
3. मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड (Mg(OH)₂) को मिल्क ऑफ मैग्नीशिया कहते हैं, जिसका उपयोग पेट की अम्लता और कब्ज दूर करने में किया जाता है।
4. Ca(OH)₂ (बूझा हुआ चूना) का उपयोग विरंजक पाउडर बनाने तथा जल के मृदुकरण में किया जाता है।

लवणों के उपयोग:-
• CaCO3 भवन निर्माण, धातु कर्म, और सीमेंट बनाने में उपयोगी है।
• फिटकरी जल के शोधन में।
• सिल्वर नाइट्रेट फोटोग्राफी में।
• अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक तथा विस्फोटक बनाने में।

बफर विलयन (Buffer Solution)
ऐसा विलयन जिसमें अल्प मात्रा में अम्ल (H+) तथा क्षार (OH-) मिलाने पर उसके pH मान में परिवर्तन का विरोध करता है।
प्रकार:- 
(i) अम्लीय बफर - दुर्बल अम्ल + लवण से निर्माण।
(ii) क्षारीय बफर - दुर्बल क्षार + लवण से निर्माण।

pH स्केल:-
• 1909 में सोरनसन ने pH स्केल बनाई।
इनके अनुसार हाइड्रोजन आयनो की सांद्रता का ऋणात्मक लोगरिथम pH कहलाता है।
• अम्ल एवं क्षार की सामर्थ्य को मापने के लिए pH स्केल का उपयोग किया जाता है।
• यहां p एक जर्मन शब्द पुसांस है, जिसका अर्थ शक्ति (Power) तथा H = हाइड्रोजन आयन।

pH = - log₁₀ [H+]

pH 7 से कम = विलियन अम्लीय 
pH = 7  विलियन उदासीन 
pH 7 से अधिक 14 तक = विलियन क्षारीय

pH का उपयोग:-
1. उदर में अम्लता:- जठर रस में HCl की मात्रा अधिक होने पर उदर में जलन और दर्द होता है।
इसके उपचार के लिए मिल्क ऑफ मैग्नीशिया का प्रयोग किया जाता है।
2. दंत क्षय:- खाना खाने के बाद मुख में उपस्थित बैक्टीरिया दातों में लगे अवशिष्ट भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते हैं और की मुख की अम्लता कम कर देते हैं। pH का मान 5.5 से कम होने पर दांतों के इनेमल का क्षय होने लगता है। अतः भोजन के बाद क्षारीय विलियन (दंतमंजन) से मुख की सफाई करनी चाहिए।
3. कीटों के डंक अम्ल स्त्रावित करते हैं। अतः काटे गए स्थान पर सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO₃) का उपयोग करना चाहिए।
4. अम्लीय वर्षा का प्रभाव कम करने में।
5. मृदा की pH का मान ज्ञात करके मिट्टी में बोई जाने वाली फसलों का चयन किया जा सकता है।

दैनिक जीवन में उपयोगी यौगिक:-

 बेकिंग सोडा (NaHCO₃):-
• सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट
• इसे खाने का सोडा भी कहते हैं। 
 धावन सोडा (NaHCO₃.10H₂O)
• रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट
 गुण:-
• सफेद क्रिस्टलीय ठोस
• क्षारीय प्रकृति
• गर्म करने पर CO₂ गैस निकलती है।
उपयोग:-
• खाद्य पदार्थों में बेकिंग पाउडर के रूप में।
• शीतल पेय में  • पेट की अम्लता दूर करने में।
• अग्निशामक यंत्रों में।  • प्रयोगशाला अभिकर्मक
 गुण:-
• सफेद क्रिस्टलीय ठोस
• क्षारीय प्रकृति
• जल में विलेय
उपयोग:-
• धुलाई व सफाई में
• अपमार्जक के रूप में
• कास्टिक सोडा, बेकिंग पाउडर
• कागज, पेंट, वस्त्र उद्योग में
• प्रयोगशाला अभिकर्मक

विरंजक चूर्ण /Bleeching Powder (CaOCl₂)
• शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन गैस प्रवाहित करके इसका उत्पादन किया जाता है।
Ca(OH)₂ + Cl₂ → CaOCl + H₂O
गुण:- पीला ठोस पदार्थ (तीक्ष्ण गंध)
वायु में खुला रखने पर क्लोरीन गैस देता है।
उपयोग:-
• वस्त्र उद्योग, कागज उद्योग में विरंजक के रूप में 
• पेयजल को शुद्ध करने में 
• रोगाणु नाशक  
• प्रयोगशाला अभिकर्मक

SAVE WATER

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