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कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र। राजस्थान आर्थिक समीक्षा 2020-21

 
Agriculture and allied sector


राजस्थान में कृषि

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान:-


स्थिर कीमतों पर (2011-12)
प्रचलित कीमतों पर
 प्रतिशत में

29.45%

29.77%
 राशि में
1.77 लाख करोड़ रुपए

2.68 लाख करोड़ रुपए

 वृद्धि
 5.26%
 9.81%

• कृषि संबद्ध क्षेत्रों में फसल, पशुधन, मत्स्य, वानिकी को शामिल किया जाता है।
2020-21 में कृषि में योगदान:-
कृषि का उपक्षेत्र
योगदान
फसल
48.36%
पशुधन
42.62%
वानिकी एवं लॉगिंग
8.67%
मत्स्य
0.34%

भू-उपयोग 2018-19

शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल Net Sown Area
51.85%
बंजर भूमि Waste land
11.04%
वानिकी Forest land
8.05%

प्रचालित जोत धारक (Operational land holdings):-


 कृषि जनगणना 2010-11
 कृषि जनगणना 2015-16
 कुल जोतों का क्षेत्रफल

211 लाख हेक्टेयर

 208 लाख हेक्टेयर
 कुल प्रचालित भूमि जोतों की संख्या
68.88 लाख

76.55 लाख 

भूमि जोतों का औसत आकार
 3.07 हेक्टेयर
 2.73 हेक्टेयर
महिला प्रचालित जोत धारक
 5.46 लाख
7.75 लाख (76.55 में से)

नोट:- किसानों के प्रकार
सीमांत किसान (Marginal)
1 हेक्टेयर से कम भूमि
लघु किसान (Small)
1-2 हेक्टेयर तक
अर्द्ध मध्यम (Semi medium)
2-4 हेक्टेयर तक
मध्यम (Medium)
4-10 हेक्टेयर तक
बडा (Large)
10 हेक्टेयर से अधिक भूमि

राजस्थान में कुल किसानों में:-
सीमांत (40.12%)>लघु>अर्द्ध मध्यम>मध्यम>बडे किसान (4.69%)

राजस्थान में कृषि उत्पादन
• कुल खाद्यान्न उत्पादन = 271.33 लाख टन।
(110.42 खरीफ + 160.91 रबी)
(222.45 अनाज + 48.88 दलहन)
• तिलहन उत्पादन = 87.15 लाख टन।
• गन्ना उत्पादन = 2.84 लाख टन।
• कपास (रूई) = 28.33 लाख टन।

राजस्थान में कृषि संबंधित योजनाएं

मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना (2017)
• उद्देश्य - किसानों द्वारा अपने स्वयं के खेतों में गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
• प्रारंभ में यह योजना 3 कृषि जलवायु क्षेत्रों (कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर) में शुरू की गई।
• 2018-19 से यह योजना राज्य के सभी 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में लागू की गई है।
• इस योजना के तहत फसलों की विभिन्न किस्मों का बीज उत्पादन 10 साल तक लिया जा रहा है।

प्रश्न.राजस्थान में कितने कृषि जलवायु क्षेत्र है ? - 10

कृषि प्रदर्शन योजना
• किसानों को कृषि की नई तकनीके सिखाने हेतु।
• यह योजना 'देखकर विश्वास करने' के सिद्धांत पर आधारित है।

बीज मिनिकिट:- विभिन्न नवीन फसलों की किस्मों को बढ़ावा देने हेतु। (0.1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए)

सूक्ष्म पोषक तत्व मिनिकिट:- मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु 90% अनुदान (Grant) पर सूक्ष्म पोषक तत्व उपलब्ध करवाये जाते है।

शून्य बजट प्राकृतिक खेती
• बजट घोषणा 2019-20
• टोंक, बांसवाड़ा और सिरोही जिलों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया।
वर्तमान में 15 जिलों में संचालित।
• उद्देश्य - स्वयं के खेत में तैयार किए गए कृषि आदानों के उपयोग के माध्यम से खेती की लागत में कमी और रसायन मुक्त कृषि को बढ़ावा देना।
• राजस्थान में शून्य बजट प्राकृतिक खेती कार्यक्रम आंध्रप्रदेश मॉडल के आधार पर संचालित किया जा रहा है।
नोट:- शून्य बजट प्राकृतिक खेती को महाराष्ट्र के सुभाष पालेकर ने प्रसिद्ध किया है।

राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक योजना (RACP)
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित।
• राज्य के 17 जिलों में संचालित।
• उद्देश्य - कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाना, कृषकों की आय में वृद्धि, जलवायु प्रतिरोधक क्षमता युक्त कृषि का विकास, कृषि में सिंचाई जल के उपयोग को कम करने एवं कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण को बढ़ावा देना।

मेगा फूड पार्क
• 2018 में रूपनगढ़ (अजमेर) में राजस्थान का पहला मेगा फूड पार्क स्थापित किया गया।
• दूसरा मेगा फूड पार्क मथानिया (जोधपुर) में स्थापित किया जाएगा। (बजट घोषणा 2021-22)

लघु एवं सीमांत वृद्ध पेंशन योजना
• 2019 में शुरू।
• 75 वर्ष से कम आयु के किसान - ₹750
• 75 वर्ष से अधिक आयु के किसान - ₹1000

RIICO द्वारा स्थापित एग्रो फूड पार्क
1. बोरनाडा (जोधपुर)
2. रणपुर (कोटा)
3. अलवर।
4. श्रीगंगानगर।

मिनी फूड पार्क:- बजट 2021-22 में आगामी 3 वर्षों में प्रत्येक जिले में चरणबद्ध रूप से मिनी फूड पार्क स्थापित करने की घोषणा की गई।
• इस वर्ष 9 जिलों में मिनी फूड पार्क स्थापित किए जाएंगे।
(पाली, नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, सवाई माधोपुर, करौली, बीकानेर एवं दौसा)

राजस्थान कृषि नीति 2013
• 16 जून 2013 को जारी।
• अगले 10 वर्षों में खाद्य उत्पादन को दुगुना करना। (4% की वृद्धि दर से)

कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन नीति 2015
(Agri processing and agri marketing policy 2015):-
• 5 नवंबर 2015 को जारी।
• किसानों की आय में वृद्धि करना।
• 25 लाख तक के निवेश पर 30% अनुदान।

राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019:-
Rajasthan Agro-processig, Agri-business and Agri-export promotion policy 2019:-
17 दिसंबर 2019 को जारी।

बजट घोषणाएं 2021-22
1.कृषक कल्याण कोष के माध्यम से आगामी 3 वर्षों के लिए अनुदान आधारित मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना लागू करने की घोषणा की गई। इसके तहत -
• 3 लाख कृषकों को नि: शुल्क बायो फर्टिलाइजर और बायो एजेंट्स दिए जाएंगे।
• 3 लाख कृषकों को 'micro nutrients kit' उपलब्ध कराए जाएंगे।
• 1 लाख कृषकों के लिए कंपोस्ट यूनिट की स्थापना की जाएगी।
• 5 लाख कृषकों को उन्नत किस्म के बीज वितरित किए जाएंगे।

2. 1,000 किसान सेवा केंद्रों का निर्माण करवाया जाएगा।
3. भदवासिया (जोधपुर) में किसान कंपलेक्स बनाया जाएगा।
4. 2012-13 में लागू की गई ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना में मत्स्य पालकों तथा पशु पालकों को भी शामिल किया जाएगा।

कृषि विपणन (Agriculture Marketing)
कृषि विपणन निदेशालय (1974):-
राज्य में 'मंडी विनियमन और प्रबंधन' को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कर्य कर रहा है।
योजनाएं:-
किसान कलेवा योजना।
राजीव गांधी कृषक साथी सहायता।
सावित्री बाई फुले महिला कृषक सशक्तीकणर योजना।
महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना।
कृषि विपणन बोर्ड
राजस्थान कृषि-प्रसंस्करण, कृषि-व्यवसाय और कृषि-
निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019
कृषक कल्याण कोष
प्रधानमंत्री सूक्षम खाद्य प्रसंस्करण उन्नयन योजना।

किसान कलेवा योजना:-
• 20 जनवरी 2014।
• मंडी में ₹5 में भोजन की व्यवस्था। (फूल और सब्जी मंडी को छोड़कर)

राजीव गांधी कृषक साथी सहायता योजना:-
• 2009
• किसानों और कृषि श्रमिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु।
• कार्यस्थल पर दुर्घटनावश मृत्यु होने पर दो लाख की सहायता दी जाती है।

सावित्रीबाई फुले महिला कृषक सशक्तिकरण योजना:-
• 21 फरवरी 2018
ई-भुगतान को बढ़ावा देने के लिए।
• ₹50,000 के भुगतान पर ₹500 का बोनस।

कृषि विपणन बोर्ड:-
राज्य में एक व्यापक नीति "राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019" दिनांक 17 दिसम्बर 2019 से प्रारम्भ की गयी है।
इस नीति की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार है:-
• समूह आधारित कार्य प्रणाली द्वारा फसल कटाई के बाद की हानियों को कम करना।
• कृषकों एवं उनके संगठनों की सहभागिता बढाना ।
• मूल्य वर्धन और आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करके किसानों की आय बढ़ाना।
• राज्य की उत्पादन बहुलता वाली फसलों (जैसे-जीरा, धनिया, सौंफ, अजवाइन, ग्वार, ईसबगोल, दलहन, तिलहन, मेहंदी आदि) के मूल्य संवर्धन तथा निर्यात को प्रोत्साहन देना।
• खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के द्वारा कौशल विकास कर रोजगार का सृजन करना।
• मांग आधारित उत्पादन को बढ़ाना।
वित्तीय प्रावधानः-
किसानों और उनके संगठन के लिए कृषि- प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास के लिए परियोजना लागत का 50% का अनुदान दिया जाएगा। (अधिकतम 100 लाख रुपए)
• कृषकों को और अन्य सभी पात्र उद्यमियों के लिए
परियोजना लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा। (अधिकतम 50 लाख रुपए)
• टर्म लोन पर 5% ब्याज सब्सिडी दी जाएगी।
• राज्य के बागवानी उत्पादों को अन्य राज्यों के बाजारों में ले जाने के लिए 300 किलोमीटर से अधिक परिवहन के लिए 3 साल की अवधि के लिए प्रति वर्ष ₹15 लाख रुपए का अनुदान।
• राज्य के बागवानी उत्पादों के निर्यात के किराए में 3 वर्षों की अवधि के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम ₹10 लाख से ₹15 लाख का अनुदान।

महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना (2015):-
• प्रसूति सहायता:- 45 दिवस का मातृत्व अवकाश, 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।
इस दौरान अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर से भुगतान किया जाएगा।
• विवाह के लिए सहायता:- अनुज्ञप्तिधारी महिलाओं की पुत्रियों के विवाह के लिए ₹50,000 की सहायता।
• चिकित्सा सहायता:- 

कृषक कल्याण कोष (K3):-
• बजट घोषणा 2019-20
• स्थापना - 16 दिसंबर 2019
• इज ऑफ डूइंग फॉर्म की तर्ज पर 1,000 करोड़ का कोष।
• उद्देश्य - किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना:-
• देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उन्नयन के लिए।

नोट:- देश में राज्य का सरसों व ग्वार उत्पादन में प्रथम, चना, जीरा तथा अन्य मोटे अनाजों में द्वितीय, सोयाबीन, दालों तथा तिलहनों में तृतीय स्थान है। 
इसी प्रकार उद्यानिकी फसल (जैसे अजवाईन, धनियां, मैथी, मेंहदी तथा ईसबगोल) के उत्पादन में प्रथम स्थान हैं। 
राज्य का देश में सब्जियों, लहसुन, संतरा तथा अनाज के उत्पादन में क्रमशः द्वितीय, चतुर्थ,
छठवां व आठवां स्थान हैं।


राजस्थान में बागवानी (Horticulture):-
बागवानी निदेशालय (1989-90)

राजहंस योजना:-
Rajasthan Horticulture and Nursery Society (RajHans):-
• 2006-07 में शुरू।
• राज्य में बागवानी विकास को बढ़ावा।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
• 2005-06 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू।
• राज्य के 24 जिलों में संचालित।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - सूक्ष्म सिंचाई
• 2015-16
• फसल उत्पादन बढ़ाने एवं पानी को बचाने के लिए लघु सिंचाई पद्धति के तहत ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देना।
• केंद्र (60) : राज्य (40)

प्रधानमंत्री कुसुम योजना कंपोनेंट-बी:-
• यह योजना आधारभूत संरचना वाले अध्याय में पढ़ी जा चुकी है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY):-
• 2007 में शुरू।
• राष्ट्रीय बागवानी मिशन से वंचित जिलों में।

निम्नलिखित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गए हैं -
• खजूर - सागरा भोजका (जैसलमेर)
• अनार - बस्सी (जयपुर)
• सीताफल - चित्तोडगढ।
• फूल - सवाई माधोपुर।
• Juicy (Citrus) fruit - नांता (कोटा)
• अमरूद - डयोडावास (टोंक)
• आम - धौलपुर।
• संतरा - झालावाड़।

राष्ट्रीय कृषि वानिकी एवं बम्बू मिशन:-
• 2006-07
• बांस की खेती को बढ़ावा।
• 12 जिले शामिल।

जैविक खेती (Organic farming):-
• 7 फरवरी 2017 को झालावाड़ में जैविक खेती अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया।
प्रथम जैविक मंडी - डूंगरपुर।
• जैविक खेती प्रोत्साहन योजना:-
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2013-14 में शुरू।
10 जिलों में संचालित।

• 3 अक्टूबर 2014 को लूणकरणसर (बीकानेर) में ऑलिव रिफाइनरी स्थापित की गई।
• ऑलिव टी प्लांट - बस्सी (जयपुर)*** 

जोजोबा (होहोबा):-
• यह एक बागवानी फसल है, जिसकी उत्पत्ति यूएसए के एरीजोना और सोनोरन मरुस्थल से हुई है।
• इसे राजस्थान में इजरायल से लाया गया है।
• इसकी खेती के लिए वर्षा की आवश्यकता - 30 सेमी।
• उपयोग - मोम, रंग और सौंदर्य उत्पाद बनाने में।
डांड (जयपुर) और फतेहपुर (सीकर) में इसके फार्म स्थापित किए गए हैं।

केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान कहां स्थित है ? - बीकानेर।

राजस्थान में पशुधन
पशुधन गणना (प्रत्येक 5 वर्ष में)
• पहली - 1919 (भारत में), 1951 (राजस्थान में)
• 20वीं पशुधन गणना 2019:-
राज्य में कुल 568.01 लाख पशुधन एवं 146.23 लाख कुक्कुट (Poultry) है।
देश के कुल पशुधन का 10.58% पशुधन राजस्थान में है।
यहां देश का 98.43% ऊंट, 13.99% बकरी, 12.47% भैंस, 10.64% भेड एवं 7.5% गोवंश उपलब्ध है।
• राजस्थान देश में दूध उत्पादन में 12.72% तथा ऊन उत्पादन में 34.46% योगदान देता है।


 2019 में संख्या
 % परिवर्तन
 बकरी
20840203
 -3.81
 मवेशी (गोवंश) Cattle
13937630
 4.60
 भैंस
 13693316
 5.53
भेड
 7903857
 -12.95
 ऊंट
212739
 -34.69
 सूअर (Pigs)
154803
 -34.87
 घोडे एवं टट्टू (Ponies)
 33679
 -10.85
गधे
 23374
 -71.31
 खच्चर (Mules)
1339
 -60.33
 कुल
56800945
 -1.61

बकरी>मवेशी>भैंस>भेड़>ऊंट

राजस्थान बकरी, ऊंट और गधों के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है।

कुक्कुट विकास कार्यक्रम:-
• 1988-89 में अजमेर में राज्य कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई। यह राज्य का एकमात्र कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान है।

पशुधन निःशुल्क आरोग्य योजना:-
• 15 अगस्त 2012 से पशुपालन विभाग द्वारा।
• पशुओं के लिए निःशुल्क दवा और टीकाकरण हेतु।

अविका कवच बीमा योजना**
• भेड़ों के लिए।
• sc/st/obc - 80%
• General - 70%

भामाशाह पशु बीमा योजना
• 23 जुलाई 2016 को जामडोली (जयपुर) से शुरू।
• ₹50000 का बीमा किया जाता है।
• • sc/st/obc - 80%
• General - 70%

खुरपका एवं मुंहपका रोग योजना (2010)
(Foot and mouth disease)
• केंद्र सरकार की योजना। (केंद्र 60 : राज्य 40)
• सभी 33 जिलों में लागू।

13 मार्च 2014 को राजस्थान में गोपालन विभाग की स्थापना की है। 

नंदी गौशाला जन सहभागिता योजना
• 2018-19 में आवारा पशुओं के लिए शुरू।
• सरकार एवं जनता की भागीदारी - 90:10
• 50 लाख प्रति गौशाला सहायता दी जाएगी।

पशुधन विकास नीति 2010
• उद्देश्य - पशुधन क्षेत्र में सुधार।
• 6% का विकास।

राज्य पशुधन एवं डेयरी विकास नीति 2019
• आजीविका में में वृद्धि। • दुग्ध प्रसंस्करण।
• विपणन। • रोजगार सृजन। • पशु आहार।
• देसी नस्ल सुधार। • रोग नियंत्रण कार्यक्रम।

डेयरी विकास:-
राज्य में 51318 सहकारी डेयरी, 23 जिला दूध संघ एवं राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (RCDF) स्थापित किया गया है।
• RCDF द्वारा पौष्टिक आहार, विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पादों का उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों को बीमा उपलब्ध करवाया जा रहा है। 

राज सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना:- दुग्ध उत्पादकों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना। 
• मृत्यु एवं पूर्ण स्थायी अपंगता पर रू. 5 लाख।
• आंशिक स्थायी अपंगता पर रू. 2.5 लाख मिलेंगे। 

सरस सामूहिक आरोग्य बीमा:- इसके अंतर्गत जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों द्वारा दुग्ध उत्पादकों को बीमा दिया जा रहा हैं।

मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादन संबल योजना
• RCDF को दूध सप्लाई करने वाले दुग्ध उत्पादकों को इस योजना के तहत ₹2 प्रति लीटर बोनस दिया जा रहा है।
• 1 फरवरी 2019 से लागू।

अनुसंधान केंद्र
पहला गो अभ्यारण्य - बीकानेर।
गो मूत्र रिफ़ाइनरी -पथमेड़ा (जालोर)
एडवांस मिल्क टेस्टिंग लैब -मानसरोवर (जयपुर)
केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसधान केंद्र-अविकानगर (टोंक)
केंद्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र -बीकानेर।
कैमल मिल्क प्लांट -जयपुर।
राज्य की एकमात्र उन विश्लेषण प्रयोगशाला -विजय भवन (बीकानेर)

मत्स्य (Fishery):-
• राज्य में वर्ष 2019-20 में 58138.21 मैट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ हैं।
• मत्स्य विभाग द्वारा आदिवासी मछुआरों के उत्थान हेतु  "आजीविका मॉडल योजना" राज्य के तीन जलाशयों जयसमन्द (उदयपुर ), माही बाजाज सागर ( बांसवाड़ा) एवं कडाणा बैक वाटर (डंगरपुर) में प्रारम्भ की गई।
• आदिवासी मछुआरो को मछली पकड़ने की सम्पूर्ण कीमत दी जा रही है।
• मछुआरों के लिए नियमित प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं एवं उन्हें सामूहिक बीमा योजना और सेविंग कम रिलीफ योजना से लाभान्वित किया जा रहा हैं।
नेशनल मिशन फॉर प्रोटीन सप्लीमेंट योजना:- माही बजाज सागर बांध (बांसवाड़ा) में आधुनिक मत्स्य तकनीकों के लिए "केज कल्चर योजना" चलाई जा रही हैं। इसमें 56 तैरते हुए पिंजरे स्थापित किए जा चुके हैं।

• बीसलपुर बांध (टोंक) में सजावटी मछली परियोजना का कार्य निर्माणाधीन हैं। बीसलपुर बाँध को स्पोर्ट
मत्स्य के रूप में विकसित किया जा रहा हैं।
• नीली क्रांति योजना - जैविक सुरक्षा, मछुआरों की समृद्धि एवं उनके भोजन व पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित योजना।

राजस्थान में जल संसाधन (Water Resources)
• राजस्थान में देश के कुल सतही जल (Surface water) का 1.16% जबकि कुल भूजल (Ground water) का 1.69% उपलब्ध है।
• भूजल स्थिति रिपोर्ट 2016 के अनुसार:- राजस्थान में तीन जिले सुरक्षित, 4 जिले अर्द्ध सुरक्षित तथा 26 जिले डार्क जोन में आते हैं।
3 सुरक्षित जिले:- बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़।
4 अर्द्ध सुरक्षित जिले:- कोटा, चुरू, टोंक, सिरोही।

राज्य के 39.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सतही जल परियोजनाओं से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
7 वृहद परियोजनाएं:- नर्मदा नहर परियोजना (जालौर एवं बाड़मेर), परवन (झालावाड़), धौलपुर लिफ्ट, मरूस्थल क्षेत्र के लिए जल पुर्नगठन परियोजना, नवनेरा बाँध (कोटा), ऊपरी उच्चस्तरीय नहर एवं पीपलखूंट।
6 मध्यम परियोजनाएं:- गरड़दा (बूँदी), तकली (कोटा), पीपलाद (झालावाड़) , गागरिन (झालावाड़), ल्हासी एवं हथियादेह (बारां)
41 लघु सिंचाई परियोजनाएं

नर्मदा नहर परियोजना:- यह देश की पहली वृहद सिंचाई परियोजना है, जिसमें संपूर्ण कमांड क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य किया गया है।

नवनेरा बांध (कोटा):- यह परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का अभिन्न हिस्सा है।

परवन वृहद बहुउद्देशीय परियोजना:-
• परवन नदी पर झालावाड़ में।
• इससे कोटा, बारां झालावाड़ जिलों में सिंचाई की जाएगी।
• विद्युत उत्पादन - 2970 मेगावाट।

राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना (RWSLIP):-
• अप्रैल 2017
27 जिलों में 137 सिंचाई परियोजना के पुनर्वास और नवीकरण के लिए।
JICA (Japan Internantional Coperation Agency) से ऋण सहायता।
• परियोजना की अवधि 8 तर्ष होगी और इसे तीन चरणों में लागू किया जाएगा।

रेगिस्तानी क्षेत्र में राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना (RWSRPD):-
• RWSRPD को मौजूदा इंदिरा गांधी नहर परियोजना चरण-I प्रणाली के पुनर्वास और पुनर्गठन के लिए न्यू
डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
• इससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, नागौर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले लाभान्वित होंगे।

राष्ट्रीय जल विज्ञान योजना:-
• जल शक्ति मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा 2016 -17 में  8 वर्ष के लिए शुरू।
• 100% - केंद्र अनुदान।
• उद्देश्य:- सूखा प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता में सुधार।
• इसमें स्काडा सिस्टम लगाया गया है।
SCADA - Supervisory control and data acquisition.
नोट:- सर्वप्रथम बीसलपुर बांध में स्काडा सिस्टम लगाया गया।

बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP)
• राज्य के बड़े बांधों की बहाली और पुनर्वास के लिए विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परियोजना।
• योजना के प्रथम चरण में 7 बांधों बीसलपुर बांध, छापी बांध (झालावाड़), जवाई बांध, सूकली सेलवाडा बांध (सिरोही), माही बांध, गंभीरी बांध (चित्तौडगढ़) तथा मातृकुण्डियां बांध (भीलवाडा) की ₹454 करोड़ की निविदाएं आमंत्रित कर ली गई हैं |
• 6 बांधों राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर, कोटा बैराज, रायपुर लूनी बांध (पाली), छापरवाड़ा बांध (जयपुर) एवं पांचना बांध (करौली) की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट (डी.पी.आर.) केन्द्रीय जल आयोग को अनुमोदन हेतु भेजी जा चुकी है।
नोट:- इस परियोजना में शामिल 18 राज्यों में राजस्थान प्रथम स्थान पर है।

उपनिवेश विभाग
• इस विभाग का मुख्य कार्य इंदिय गांधी नहर परियोजना में भूमि क्षेत्र में भूमि आवंटित करना है।

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना:-
• 26 जनवरी 2016 में गर्दनखेडी (झालावाड़) से।
• 4 चरण
• लक्ष्य - 4 वर्षो में 21000 हजार गांव।
  
अटल भू-जल योजना:-
अटल भू-जल योजना भारत सरकार एंव विश्व बैंक के सहयोग से (50:50) देश के 7 राज्यों क्रमशः हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट, राजस्थान, उतरप्रदेश एंव मध्यप्रदेश राज्यों में भू-जल के गिरते स्तर को रोकने, भू-जल के बेहतर प्रबन्धन हेतु 1 अप्रेल 2020 से लागू की गई।
• यह योजना पांच वर्षों 2020-24 से वर्ष 2024-25 तक के लिये है।
• राजस्थान के 17 जिले शामिल हैं।

राजीव गांधी जल संचय योजना***
• प्रथम चरण 20 अगस्त 2019 को राज्य के 33 जिलों में 2 वर्ष की अवधि के लिए शुरू किया गया।
उद्देश्य - वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण और उपलब्ध जल स्त्रोतों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करना।
जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
भू-जल उपलब्धता की स्थिति में सुधार करना।
कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण करना।
चारागाह विकास और वृक्षारोपण।
फसल और बागवानी के उन्नत तरीकों को बढ़ावा देना।
पेयजल स्त्रोतों का सुदृढ़ीकरण।
खाईया, खेत तालाब, खड़ीन, जौहर, टांका, छोटे एनीकट, मिट्टी चेकडैम आदि जल भंडारण संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
• विभिन्न कारपोरेट, धार्मिक न्यासों, सामाजिक संप्रदायों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग के साथ-2 जन सहयोग भी लिया जाएगा।

• 2010 में राजस्थान राज्य जल नीति जारी की गई।

राजस्थान नदी बेसिन व जल संसाधन कानून 2015
• उद्देश्य - प्रदेश की नदियों को जोड़ना।
• राजस्थान नदी जोड़ने के लिए कानून बनाने वाला देश का प्रथम राज्य बना।

• नदी बेसिन प्राधिकरण 2015 -  मुख्यमंत्री (अध्यक्ष)
• राज्य जल संसाधन सलाहकार परिषद - मुख्यमंत्री (अध्यक्ष)

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP):-
• कुल्ल, कुनु, पार्वती, कालीसिंध, मेज और चाकन नदी के अधिशेष (Surplus) जल को मानसूत्र अवधि के दौरान चंबल नदी के बेसिन में बनास, मोरेल, बाणगंगा, गंभीर और पार्वती नदी में स्थानांतरित करें।
• 26 छोटे और बड़े बांधो का निर्माण।
• 2 लाख हेक्टेयर नये कमांड क्षेत्र का विकास।
• 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र का विकास।
• इस परियोजना के प्रदेश के जयपुर व अलवर सहित 13 जिलों में पेयजल व सिंचाई समस्या को दूर करने के लिए राज्य के दक्षिणी में निकलने वाली नदियों के सरप्लस पानी का उपयोग किया जाएगा।

राजस्थान में वानिकी (Forestry):-
• राज्य में कुल घोषित वन क्षेत्र 32,737 वर्ग किमी. हैं। जो कि राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 9.57% हैं। 
राज्य में 3 राष्ट्रीय उद्यान, 27 वन्यजीव अभ्यारण्य, 14 संरक्षित क्षेत्र और 3 बायोलोजिकल पार्क (जयपुर, जोधपुर, उदयपुर) हैं।
• राज्य में 4 टाइगर रिजर्व है।
नवीनतम - रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (बूंदी)
यह भारत का 52वां टाईगर रिजर्व है।

• राज्य में 6022 ग्राम वन सुरक्षा एवं प्रबन्ध समितियां 11.84 लाख हैक्टेयर वन क्षेत्र की सुरक्षा एवं प्रबन्धन कर रही हें।
• राज्य में 17 औषधोय पौध संरक्षित क्षेत्र स्थापित हैं।

प्रमुख दिवस:- विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल), विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस (5 जून) एवं विश्व ओजोन परत संरक्षण दिवस (16 सितंबर)

• विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून के अवसर पर राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार दिया जाता है।
यह पुरस्कार तीन श्रेणियों अर्थात संगठनों, नागरिकों और नगरपालिका के लिए दिया जाता है।

• राजस्थान जैव विविधता अधिनियम - 2002
इस अधिनियम की धारा 63(1) के तहत राजस्थान जैविक विविधता नियम 2010 को अधिसूचित किया गया है।
• 14 सितंबर 2010 को राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड की स्थापना की गई।

राजस्थान में सहकारिता (Co-operatives):-
• वर्तमान में सहकारिता के क्षेत्र में शीर्ष स्तर पर 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक, 21 दुग्ध संघ, 36 प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक, 6687 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां, 273 फल एवं सब्जी विपणन समितियां, 23 सहकारी संघ एवं 36,122 सहकारी समितियां पंजीकृत हैं।
• राज्य में 33 अरबन को-ऑपरेटिव बैंक कार्यरत हैं।

एकमुश्त समझौता योजना वर्ष 2020-21:- इसके अन्तर्गत प्राथमिक भूमि विकास बैंकों के सभी प्रकार के अवधिपार ऋणों की ब्याज राशि में 50% की राहत दी जा रही हैं।
किसान सेवा पोर्टलः- ऋण आवेदन, सब्सिडी आदि के लिए एकीकृत मंच।

ज्ञान सागर क्रेडिट योजना:- राज्य में ग्रामीण एवं शहरी
छात्र-छात्राओं को व्यवसायिक व तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने एवं छात्रों और अभिभावकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ की गई।
• भारत में शिक्षा प्राप्त करने पर 6 लाख रुपए तथा विदेश के लिए 10 लाख रुपए निर्धारित हैं। छात्राओं को ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत छूट का प्रावधान हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:- वर्ष 2016 में शुरू।

स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड योजना:- इसके अन्तर्गत गैर कृषि गतिविधियों हेतु ₹50,000 तक का ऋण 5 वर्ष की अवधि तक के लिए दिया जाता हैं।

महिला विकास ऋण योजना:- भूमि विकास बैंकों द्वारा महिलाओं को गैर कृषि उद्देश्यों तथा डेयरी व्यवसाय हेतु ₹50,000 तक का ऋण दिया जाता है।

सहकारी किसान कल्याण योजना:- केद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा कृषि और सम्बद्ध कृषि उद्देश्यों के लिए 
अधिकतम 10 लाख तक का ऋण दिया जाता है।

सहकारी विपणन संरचना:- राज्य में प्रत्येक मण्डी यार्ड पर 273 क्रय-विक्रय सहकारी समितियाँ किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलवाने एवं प्रमाणित बीज, खाद्य एवं कीटनाशक दवाईयां उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।
• शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफैड) कार्यरत हैं।

सहकारी उपभोक्ता संरचना:- उपभोक्ताओं को कालाबाजारी और बाजार में कृत्रिम अभाव से बचाने के लिए जिला स्तर पर 37 सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार तथा शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (कॉनफेड) कार्यरत हैं।

बेबी ब्लैंकेट योजना:- आवास निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव हेतु ऋण के लिए।

नोट:- किसी भी प्रकार की अपडेट के लिए www.devedunotes.com को देखें। (क्योंकि PDF शेयर करने के बाद PDF में कुछ नहीं किया जा सकता है।
• वेबसाइट पर सभी महीनों का राजस्थान करेंट अफेयर्स एवं राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स भी उपलब्ध है।
• टॉपिकवाइज (खेल जगत, पर्यावरण, Sci-tech, योजनाएं, सूचकांक,...) भी उपलब्ध है।

SAVE WATER

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1 Comments

  1. Sir in notes me koi correction karna hai kya,telegram channel par bata rahe the

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