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साइंस एंड टेक्नोलॉजी नवंबर 2020

 Science and technology


साइंस एंड टेक्नोलॉजी नवंबर 2020

Science and technology november 2020

4 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी के अध्यक्षता में कैबिनेट समिति ने ब्रिटेन के साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) व 5जी के विकास में ब्रिटेन के साथ समझौता करने की मंजूरी दी है।
• कैबिनेट ने इजरायल के साथ स्वास्थ्य एवं दवा के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की भी मंजूरी दी है।

आइओटी : - इसमें घरों और दफ्तरों और संस्थाओं के उपकरण सेंसर के जरिए इंटरनेट से जुड़े होंगे। इन्हें इंटरनेट के जरिए कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकेगा।
उदाहरण के तौर पर यदि फ्रिज में सब्जी खत्म हो रही है, तो सब्जियों का आर्डर फ्रीज में लगे सेंसर से अपने आप हो जाएगा।

पिनाका रॉकेट प्रणाली का उन्नत संस्करण
ओडिशा तट की एकीकृत परीक्षण रेंज चांदीपुर से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। 
पिनाका रॉकेट का यह अपग्रेड संस्करण मौजूदा पिनाका Mk-1 रॉकेटों की जगह लेगा। मौजूदा Mk-1 की मारक क्षमता 40 किमी है, जबकि इस नए संस्करण की मारक क्षमता 45 से 60 किमी दूर लक्ष्य को मार गिराने की होगी।

उत्तराखंड के देहरादून नगर निगम (DMC) ने प्लास्टिक कचरे के खतरे से निपटने और कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए "प्लास्टिक लाओ मास्क ले जाओ" नामक से एक नई पहल की शुरूआत की है।

पृथ्वी निगरानी उपग्रह ‘EOS- 1’
इसरो द्वारा 7 नवंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष यान PSLV C49 के जरिए एक साथ 10 उपग्रह सफलतापूर्वक लॉन्च किए गए। 
इनमें भारत का EOS-1 सेटेलाइट भी शामिल है, जो हर मौसम में धरती पर नजर रख सकेगा।
अन्य नौ सेटेलाइट दूसरे देशों के है।
इसरो का यह 51वां मिशन था।
• यह साल का पहला और कोरोनाकाल में भी पहला लॉन्चिंग सेटेलाइट है।

ईओएस-1
यह 600 किग्रा एक रडार इमेजिंग सेटेलाइट (RISAT रीसैट) है। इसे रीसैट-2बीआर2 भी कहा जाता है।
यह खराब मौसम में भी दिन और रात में तस्वीरें ले सकता है।
इससे आसमान से देश की सीमाओं पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
यह पिछले साल लांच किए गए रीसैट-2बी और रीसैट-2बीआर1 के साथ काम करेगा।
रीसैट-2बीआर1 11 दिसंबर 2019 को लांच किया गया था।

सेटेलाइट नामकरण की नई प्रणाली
इसरो की नई सेटेलाइट नामकरण प्रणाली में सेटेलाइट का नाम उसके उद्देश्य के अनुरूप होगा। जैसे -
कार्टोसैट सीरीज के सेटेलाइट भूमि की आकृति और मानचित्र के लिए।
ओशनसैट सेटेलाइट समुंदर की निगरानी के लिए।
ईओएस श्रंखला के सेटेलाइट पृथ्वी पर नजर रखने के लिए।

आकाशगंगा में पहली बार ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट‘
जर्नल 'नेचर' के एक हालिया संस्करण में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन के अनुसार खगोल वैज्ञानिकों ने हमारी आकशगंगा ‘मिल्कीवे’ में 'तीव्र रेडियो प्रस्फोट' (Fast Radio Bursts- FRB) के रूप में जानी जाने वाली रेडियो तरंगों की तीव्र स्पंदन का पता लगाया है।  
FRBs पहली बार 2007 में खोजे गए थे।  
FRBs वास्तव में एक दुर्लभ प्रकार के न्यूट्रॉन तारों द्वारा उत्पन्न होते हैं जिन्हें 'मैग्नेटर' के रूप में जाना जाता है। ब्रह्मांड में मैग्नेटर सबसे शक्तिशाली चुम्बकीय तारे हैं। उनके चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 5,000 ट्रिलियन गुना अधिक शक्तिशाली हैं। 
दो रेडियो दूरबीन, एक संयुक्त राज्य अमेरिका में और दूसरा कनाडा में, ने 28 अप्रैल 2020 को एक FRB का पता लगाया। इसका नाम 'FRB 200428' रखा गया। 
FRB का स्रोत 'SGR 1935 + 2154' नामक मैग्नेटर है, जो पृथ्वी से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। ये ‘मैग्नेटर’ आकाशगंगा के केंद्र में वल्पेकुला (Vulpecula) तारामंडल में स्थित है। 
वैज्ञानिकों के अनुसार इस मैग्नेटर द्वारा उत्पन्न एफआरबी इतना शक्तिशाली था, कि यह एक मिलीसेकंड में उतनी ही ऊर्जा उत्सर्जित करता था, जितना सूर्य 30 सेकंड में करता है।

चंद्रमा के उल्कापिंड में मिला नया खनिज
यूरोपीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने चंद्रमा के उल्कापिंड ओइड एलाइटिस 001 में डॉनविलहेलम्साइट नामक एक नए उच्च दबाव वाले खनिज की खोज की है।
यह खनिज पृथ्वी के मेंटल (आंतरिक भाग) के बारे में भी विस्तृत जानकारी दे सकता है।
• ओइड एलाइटिस 001 2014 में पश्चिमी सहारा में मिला था।

उल्का पिंड क्या है
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर तेज गति से जाते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं, उन्हें उल्का कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है, उसे उल्कापिंड कहते हैं।
इनके अध्ययन से हमें यह पता चलता है, कि भूमंडलीय वातावरण में अंतरिक्ष से आए हुए पदार्थ पर क्या क्या प्रतिक्रिया होती है।

रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन हाइपरलूप ने दुनिया में पहली बार यात्रियों के साथ अमेरिका के नेवादा में हाई स्पीड लेविटेटिंग पॉड सिस्टम का परीक्षण किया।

हाइपरलूप तकनीक
यह भविष्य की परिवहन योजना है, जिसमें यात्रियों को एक वैक्यूम (निर्वात) पॉड के जरिए गंतव्य तक ले जाया जा सकता है।
यह जमीनी यातायात का एक नया तरीका है। इसमें घर्षण को रोकने के लिए हवा को बाहर निकाल दिया जाता है।

चीन ने दुनिया के पहले 6G एक्सपेरिमेंटल उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा है। यह 6G उपग्रह उन तीन चीनी उपग्रहों में से एक था, जिसे अर्जेंटीना की कंपनी सैटलॉजिक द्वारा विकसित 10 वाणिज्यिक रिमोट सेंसिंग उपग्रह के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। यह चीन की लॉन्ग मार्च श्रृंखला का 351 वां रॉकेट था।

भारत की हिंद महासागर में नेविगेशन प्रणाली
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन ने वर्ल्ड वाइड रेडियो नेवीगेशन सिस्टम के तहत भारत की इंडिपेंडेंट रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम को मान्यता दी है।
इसके तहत व्यापारिक पोत अब हिंद महासागर के भीतर भारतीय सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक जीपीएस के स्थान पर इंडिपेंडेंट रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम (IRNSS) का उपयोग कर सकते हैं।
11 नवंबर को भारत अपनी खुद की इस तरह की प्रणाली वाला दुनिया का चौथा राष्ट्र बन गया।
अन्य तीन देश जिनके पास IMO द्वारा मान्यता प्राप्त नेविगेशन सिस्टम हैं, वे अमेरिका, रूस और चीन हैं।
स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली वाला दुनिया का चौथा देश बना है  ? - भारत

स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी का जलावरण
12 नवंबर को भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी वागिर/वजीर को मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड से लांच किया गया।
वागिर का नामकरण :- वागिर हिंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली है, जो बेहद खतरनाक होती है।
पहली वागिर पनडुब्बी रूस से आई थी। जिसे नौसेना में 1973 में शामिल किया गया और जून 2001 में रिटायर कर दिया गया।
कलवरी का अर्थ है टाइगर शार्क है। खंडेरी का नाम छत्रपति शिवाजी द्वारा निर्मित एक द्वीप किले के नाम पर रखा गया है, जिसने उनकी नौसेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। करंज का नाम भी मुंबई के दक्षिण में स्थित एक द्वीप के नाम पर रखा गया है।
विशेषता:- इसकी रफ्तार पानी के ऊपर 20 किमी प्रति घंटे तथा पानी के भीतर 30 किमी प्रति घंटे है।
• सतह व पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया सूचना एकत्र करने, सुरंग बिछाने व निगरानी में माहिर।
• यह पानी में छुपकर दुश्मन के रडार को चकमा देने और  ध्वनि को सूखने वाली आधुनिक तकनीक से लैस है।
• यह टारपीडो से हमला करने के साथ ही ट्यूब से लांच की जाने वाली पोत रोधी मिसाइलों को पानी के अंदर और सतह से छोड़ सकती हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:- आइएनएस वागिर कलवरी श्रेणी की छह पनडुब्बियों का हिस्सा है, जिनका निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत मेक इन इंडिया अभियान के तहत  किया जा रहा है।
• इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी है। अन्य तीन पनडुब्बी खंडेरी, करंज व वेला है।
• कलवरी 2017 में तथा आईएनएस खंडेरी 2019 में नौसेना में शामिल हो चुकी है।
• करंज का समुद्री ट्रायल चल रहा है।
• चौथी पनडुब्बी वेला का समुद्री ट्रायल हो चुका है।
• छठी पनडुब्बी वागशीर को भी जल्द लांच किया जाएगा।

भारत ने 13 नवंबर को चांदीपुर के लॉन्चिंग पैड से क्विक रिएक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। (सतह से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन मिसाइल सिस्टम)
मिसाइल को ट्रक आधारित लांच यूनिट से हवा में उडाया गया।
इस मिसाइल की रेंज 25 से 30 किलोमीटर तक है। इसका पहला परीक्षण 4 जून 2017 को हुआ था।
30 किमी तक मार करने वाली इस मिसाइल की गति 4.7 मैक है।

ड्रैगन कैप्सूल रेसिलियंस
स्पेसएक्स ने फाल्कन-9 रॉकेट से 4 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजा है।
यह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का पहला ऐसा मिशन है, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस पर भेजने के लिए किसी निजी अंतरिक्ष यान की मदद ली गई है।
• फाल्कन-9 रॉकेट ने तीन अमेरिकी और एक जापानी यात्री को लेकर 15 नवंबर को उड़ान भरी।
3 अमेरिकी यात्री - माइक हॉपकिंस, विक्टर ग्लोवर, शैनन वॉकर
1 जापानी यात्री - सोइची नोगुची
यात्रियों को ले जाने वाले ड्रैगन कैप्सूल यान को रेसिलियंस नाम दिया गया है।
क्या है स्पेसएक्स
स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन यानी स्पेसएक्स एक निजी अमेरिकी कंपनी है, जो फाल्कन-9 और फाल्कन हैवी रॉकेट पर कमर्शियल और सरकारी लांच सेवाएं देती है।
एलन मस्क ने 2002 में इस कंपनी की नींव रखी थी।

चैपर वायरस
बोलिविया में एक नए वायरस की खोज की गई है, जो काफी हद तक इबोला जैसा है। यह रक्त स्त्राव बुखार पैदा करता है। इसे चैपर वायरस नाम दिया गया है।
बोलिविया में यह पहली बार 2004 में सामने आया था।

ड्यूशनिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी 
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के इस वर्ष के स्वर्ण जयंती फेलोशिप प्राप्त करने वाले 21 लोगों में से एक भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप ईश्वरप्पा ने ‘ड्यूशनिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ (duchenne muscular dystrophy) बीमारी के प्रारंभिक कारणों को नियंत्रित करने का प्रस्ताव दिया है।  
मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी की बीमारी ड्यूशनिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक आनुवांशिक विकार है, जो कि 'डायस्ट्रोफिन' नामक प्रोटीन के परिवर्तन के कारण होता है। यह प्रोटीन मांसपेशियों की कोशिकाओं को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है।  
इस बीमारी के लक्षणों की शुरुआत बचपन में होती है, आमतौर पर 2 से 3 साल की उम्र में। 
यह बीमारी मुख्य रूप से लड़कों को प्रभावित करती है, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह लड़कियों को प्रभावित कर सकती है। इस बीमारी का कोई ज्ञात इलाज नहीं है। सामान्यत: जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है।

कोरोना से प्रभावित होती है टी कोशिकाएं
हाल ही शोधकर्ताओं ने पाया है, कि कोरोना रोगियों में निमोनिया की वजह से प्रतिरक्षा प्रणाली की टी कोशिकाएं प्रभावित हो रही है।
क्या है टी कोशिकाएं
जब भी हमारे शरीर पर किसी तरह के वायरस का हमला होता है, तो उससे लड़ने और बीमारी को शरीर से बाहर निकालने का काम टी कोशिकाएं करती हैं। इन्हें टी लिंफोसाइट्स भी कहा जाता है।
एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में एक माइक्रो लीटर रक्त में 2000 से 4800 टी कोशिकाएं होती है।
कोरोना के मरीजों में इनकी संख्या 200 से 1000 तक पहुंच रही है।

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का परीक्षण
24 नवंबर को अंडमान निकोबार में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का परीक्षण किया गया।
• यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है। इसकी मारक क्षमता को 290 से बढ़ाकर 400 किलोमीटर किया गया है।
• इसकी रफ्तार आवाज से 3 गुना अधिक है।
• 18 अक्टूबर को ब्रह्मोस मिसाइल के नौसेना संस्करण का अरब सागर में परीक्षण किया गया।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने बढ़ते वैश्विक समुद्र के स्तर की निगरानी करने के लिए 'कोपर्निकस सेंटिनल -6 माइकल फ्रीलीच उपग्रह' को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। 

चांग ई - 5
चीन ने 24 नवंबर को पहली बार चांद पर नमूनों को एकत्र करने के लिए ऐतिहासिक मून मिशन 'Chang’e 5' लॉन्च किया है।  अब तक केवल अमेरिका और सोवियत संघ चांद नमूना एकत्र करने में कामयाब रहे हैं। आखिरी मिशन 1976 में सोवियत संघ का लूना 24 मिशन था।

रूस ने आर्कटिक में अपनी Tsirkon हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।

SAVE WATER

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