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प्रागैतिहासिक काल ।। पाषाण काल

 
Prehistoric period




प्रागैतिहासिक काल

Pre-historic period.

भू-वैज्ञानिक दृष्टि से पृथ्वी लगभग 4.6 अरब वर्ष पुरानी है।
इसमें जीवन की उत्पत्ति लगभग 3.5 अरब वर्ष पूर्व हुई थी। परंतु इस काल में छोटे-2 जीव-जंतुओं का ही विकास हुआ था।

• लगभग 2 करोड वर्ष पूर्व महाकपी (कपी - बंदर) की प्रजाति रामापिथेकस दो शाखाओं में विभाजित हो गई -
1. बंदर - जंगल में रहने वाली।
2. आदिम मानव (होमोनिड / ऑस्ट्रेलोपिथेकस - जो मैदान में आ गई।
आदिम मानव के जीवाश्म के प्राचीनतम साक्ष्य अफ़्रीका से प्राप्त होते हैं। 

मानव विकास क्रम:-
रामापिथेकस 👉 ऑस्ट्रेलोपिथेकस 👉 होमोइरेक्टस 👉 नियाण्डरथेल 👉 क्रोमेग्नन (होमोसेपियंस)

होमोसेपियंस को ही आधुनिक मानव (पूर्ण मानव) माना जाता है।

विश्व की संस्कृतियों का कालक्रम:-
अबेबीली 👉 एश्चूली 👉 मोस्तारी 👉 मग्दालीनी

                                                        प्राचीन काल
प्रागैतिहासिक
(Pre-historic)



•25 लाख BC - 3000BC 

•लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं।
केवल पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर इतिहास की जानकारी।
आद्य-ऐतिहासिक
(Proto-historic)



•3000BC - 600BC

•लिखित साक्ष्य उपलब्ध लेकिन उन्हें पढ़ा नहीं जा सका है।


उदाहरण:- 
सिंधु सभ्यता और वैदिक सभ्यता

ऐतिहासिक काल
(Historic)



•600BC से वर्तमान

•लिखित व
पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध। 
• लिपि को पढ़ा जा सकता है।

उदाहरण:-
महाजनपद काल से प्रारंभ।
 प्रागैतिहासिक अथवा पाषाण काल के भी 3 काल है -
पुरापाषाण
(Palaeolithic)

•25 लाख BC - 10,000BC 
मध्यपाषाण
(Mesolithic)

•10,000BC - 9000BC 

नवपाषाण
(Neolithic)

•9000BC - 3000BC 
 पुरापाषाण काल
 पूर्व/निम्न
 मध्य
 उच्च


प्रागैतिहासिक युग (Pre-Historic Age)
इसे पाषाण काल (Stone age) भी कहते हैं, क्योंकि इस काल में मानव ने पत्थर के उपकरणों का प्रयोग किया।

प्रागैतिहासिक /पाषाण काल को तीन भागों में बांटा गया है -
1. पुरापाषाण काल (Palaeolithic)
2. मध्यपाषाण काल (Mesolithic)
3. नवपाषाण काल (Neolithic)

पुरापाषाण काल को तीन भागों में बांटा गया है -
A. पूर्व पुरापाषाण काल (Lower Palaeolithic)
B. मध्य पुरापाषाण काल (Middle Palaeolithic)
C. उच्च पुरापाषाण काल (Upper Palaeolithic)


1. पुरापाषाण काल 

A. पूर्व पुरापाषाण काल (Lower Palaeolithic)
• इसे निम्न पुरापाषाण काल भी कहते हैं।
• इस काल का मनुष्य के नेग्रिटो प्रजाति का था।
निवास - जंगल या कंदराओं में नग्न अवस्था में।
भोजन - कंदमूल, फल, मांस। (अर्थात शिकारी एवं खाद्य संग्राहक था)
• कृषि एवं पशुपालन का ज्ञान नहीं था।
• इस काल में मानव ने क्वार्टजाइट (स्फटिक) पत्थर के क्रोड उपकरणों का प्रयोग किया।
प्रमुख औजार :- हस्त-कुठार (hand-axe), विदारनी (cleaner) और कुल्हाड़ी (chopper)

भारत के विभिन्न भागों से पूर्व पुरापाषाण काल से संबंधित उपकरण प्राप्त होते हैं। इन्हें दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जाता है -
(अ) चापार-चापिंग पेबुल संस्कृति: - पंजाब (पाकिस्तान)
इस संस्कृति के उपकरण सोहन नदी घाटी से प्राप्त होने के कारण इसे सोहन संस्कृति भी कहा जाता है।

(ब) हैण्डऐक्स संस्कृति:-
सर्वप्रथम 1863 ई. में रॉबर्ट ब्रुसफुट ने पल्लवपुरम (मद्रास) से  हैण्डऐक्स प्राप्त किया।
• हथनोरा (नर्मदा घाटी, गुजरात) से मानव की खोपड़ी मिली है, जो भारत में मानव अवशेष का सर्वप्रथम साक्ष्य है।

भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज व संरक्षण का कार्य किया जाता है। यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
कनिंघम को भारतीय पुरातत्व विभाग का जनक कहा जाता है।
रॉबर्ट ब्रुसफुट को भारतीय प्रागैतिहास का जनक कहा जाता है।

B. मध्य पुरापाषाण काल (Middle Palaeolithic)
इस काल में मानव ने क्वार्टजाइट के साथ-2 जेस्पर, चर्ट आदि पत्थरों के फलक उपकरणों का प्रयोग किया।
प्रमुख औजार :- हस्त-कुठार (hand-axe), विदारनी (cleaner) और कुल्हाड़ी (chopper), बेधनी (Point), तक्षिणी (Burin)

C. उच्च पुरापाषाण काल (Upper Palaeolithic)
इस काल में मानव ने क्वार्टजाइट के साथ-2 जेस्पर, चर्ट, फ्लिन्ट आदि पत्थरों के ब्लेड उपकरणों का प्रयोग किया।
• इस काल में मानव चकमक प्रस्तर उपकरणों का प्रयोग करने लगा था। अर्थात उसे अग्नि की जानकारी थी परंतु प्रयोग करना नहीं सीखा।
• सर्वप्रथम इसी काल में आधुनिक मानव होमोसेपियंस का प्रादुर्भाव हुआ।
भीमबेटका (रायसेन, मध्यप्रदेश) के शैलाश्रयों (Rock shelters) से विश्व की सबसे प्राचीनतम चित्रकारी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यहां के चित्रों में हरे व लाल रंग का प्रयोग किया गया है।

नोट:- 2003 में भीमबेटका के रॉक शेल्टर्स को यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया।


2. मध्यपाषाण काल (Mesolithic)

खोज - सी. एन. कार्लाइल (1867)
• इस काल में मनुष्य शिकारी एवं खाद्य संग्राहक के साथ-2 पशुपालक भी हो गया।
• इस काल में मनुष्य ने अति सूक्ष्म औजारों का प्रयोग शुरू किया। इसलिए इस काल को माइक्रोलिथिक (सूक्ष्म पाषाण) भी कहते है।
• सर्वप्रथम पशुपालन के साक्ष्य आजमगढ़ (मध्यप्रदेश) व बागौर (भीलवाड़ा, राजस्थान) से मिले हैं।
• मानव द्वारा पालतू बनाया गया पहला पशु कुत्ता था।
• मध्य पाषाण काल के लोग अंत्येष्टि क्रिया से परिचित थे।
प्राप्ति स्थल:-
महादहा - हड्डियों से निर्मित आभूषण
महादहा, सरायनाहरराय, दमदमा (UP) - तीनों स्थलों से स्तंभ गर्त व पशुओं की हड्डियों के उपकरण मिले हैं।
सांभर झील (राजस्थान) - वृक्षारोपण के प्राचीनतम साक्ष्य।


3. नवपाषाण काल (Neolithic)

नवपाषाण काल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग - सर जॉन लुवाक (1865)
• विश्व स्तर पर इस काल की शुरुआत 9000BC में हुई परंतु भारत में इसकी शुरुआत 7000BC से मानी जाती है।
• इस काल को क्रांति का युग कहा जाता है।
• मिट्टी के बर्तन, चाक व पहिए का आविष्कार हुआ।
प्रमुख विशेषताएं :- कृषि कार्य, पशुपालन, मृदभांड बनाना और अग्नि का उपयोग करना सीखा।
प्राप्ति स्थल:-
मेहरगढ़ (ब्लूचिस्तान) - कृषि के प्राचीनतम साक्ष्य।
अर्थात मानव ने खाद्य संग्राहक युग से खाद्य उत्पादक युग में प्रवेश किया।
मेहरगढ़ से गेहूं की 3 एवं जौ की 2 किस्मों की खेती के साक्ष्य मिले हैं। विश्व की सबसे प्राचीनतम फसल गेहूं को माना जाता है। यहां से कपास उत्पादन के विश्व में सबसे प्राचीनतम साक्ष्य भी मिले हैं।
मेहरगढ़ को ब्लूचिस्तान की रोटी की टोकरी कहा जाता है।
मेहरगढ़ से भारत में स्थाई निवास का प्राचीनतम साक्ष्य भी प्राप्त होता है।
मेहरगढ़ से भारतीय महाद्वीप में पालतू भैंसे का प्राचीनतम साक्ष्य भी प्राप्त होता है।

प्रश्न.सबसे प्राचीन फसल है ? - गेहूं
प्रश्न.दक्षिण भारत से प्राप्त पहली फसल है ? - रागी

कोल्डीहवा (UP) - चावल/धान की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य।
चिरांद (बिहार) - हिरण के सींगों से बने छल्ले।
बुर्जहोम (कश्मीर) - 
मानव के गर्त (गड्डो) में आवास के साक्ष्य।
मालिक के साथ कुत्ते को दफनाए जाने का साक्ष्य।


ताम्र पाषाण काल (Chalcolithic Age)

नवपाषाण काल के बाद व नदी घाटी सभ्यता से पहले की संस्कृति। 
• यह एक ग्रामीण संस्कृति थी।
• मानव ने धातु का उपयोग करना सीखा।
मानव द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली प्रथम धातु तांबा थी।

प्रमुख संस्कृतियां:-
बनास संस्कृति - राजस्थान
प्रमुख स्थल - आहार व गिलुंड
आहार को ताम्रवती कहा जाता है।

जोरवे संस्कृति - महाराष्ट्र
प्रमुख स्थल - जोरवे, चंदौली, नेवासा, दैमाबाद, इनामगांव।
जोरवे संस्कृति की प्रमुख विशेषता पूर्ण शवाधान एवं कलश शवाधान है।
इनामगांव - कृत्रिम सिंचाई के प्राचीनतम साक्ष्य।
नेवासा - रेशम उत्पादन के विश्व के प्राचीनतम साक्ष्य।
दैमाबाद - तांबे का रथ।

नोट :- दैमाबाद हड़प्पा कालीन स्थल भी था। हड़प्पा काल में यहां से कांसे का रथ मिला है।

प्रश्न.इनामगांव का संबंध है ? - जोरवे संस्कृति से

मालवा संस्कृति - मध्य प्रदेश
प्रमुख स्थल - नवदाटोली, एरण, नागदा, मालवा।
नवदाटोली का उत्खनन एच डी सांकलिया ने कराया।

प्रश्न.गैरिक मृदभांड पात्र संस्कृति (OCP - Ochre coloured pottery) का नामकरण हुआ ? - हस्तिनापुर से मिले मृदभांडों के आधार पर।

प्रश्न.आग का आविष्कार किस काल में हुआ ? - पुरापाषाण काल।

प्रश्न.मानव ने किस काल में आग का उपयोग करना सीखा ? - नवपाषाण काल

 प्रश्न.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम महानिदेशक कौन है ? - जॉन मार्शल

प्रश्न.राष्ट्रीय मानव संग्रहालय स्थित है ? - भोपाल (मध्य प्रदेश)

अगला टॉपिक पढ़ें 👉 सिंधु घाटी सभ्यता - 1

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