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एक देश एक चुनाव।। एक देश एक चुनाव के फायदे

 
One nation one election

एक देश एक चुनाव

One Nation One Election


हाल ही में संविधान दिवस (26 नवंबर) पर पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश एक चुनाव अवधारणा का महत्व बताते हुए इस पर जोर दिया। 

पृष्ठभूमि

हालांकि पहले भी एक साथ चुनाव व्यवस्था 1952-1967 ई. तक रही है। लेकिन 1968-1969 ई. के दौरान कई राज्यों के विधानमंडलों के समय से पहले विघटन होने से यह क्रम टूट गया था।

एक देश एक चुनाव अथवा एक साथ चुनाव अवधारणा पहले भी कई बार चर्चा में रह चुकी है।

* 1983 ई. में चुनाव आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में सर्वप्रथम इस अवधारणा पर विचार किया गया।

* अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान विधि आयोग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में भी इस विचार का समर्थन किया गया।

* 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान एक देश एक चुनाव का मुद्दा बीजेपी के घोषणापत्र में भी शामिल किया गया।

* वर्ष 2017 में चुनाव आयोग द्वारा भी इसका समर्थन करते हुए इस अवधारणा पर दस्तावेज तैयार किए गए।

* वर्ष 2018 में एक बार फिर विधि आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट में एक साथ चुनाव करवाने हेतु संविधान संशोधन का समर्थन किया।

* वर्ष 2018 एवं 2019 में भी इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। जहां राजनीतिक दलों की राय बंटी हुई ही रही है।



एक देश एक चुनाव के फायदे

विकास कार्यों में तेजी -
देश में प्रत्येक वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं, जिससे सरकारों का ध्यान विकास कार्यों पर न होकर चुनावों में अधिक रहता है। जिसका देश की प्रगति पर नकारात्मक असर पड़ता है।

सरकार के अमूल्य समय की बचत -
देश में एक साथ चुनाव होने पर कुछ महीनों ही चुनावी माहौल रहेगा तथा शेष बचे वर्षों में सरकारों द्वारा बिना किसी अव्यवस्था के विकासात्मक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।

चुनावी खर्चा कम होगा - 
राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से प्रत्येक बार सुरक्षाबलों, पार्टियों को फंड, नौकरशाही आदि पर खर्चा किया जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग का कुल खर्चा लगभग 3870 करोड रुपए था एवं भारत की विभिन्न पार्टियों द्वारा 50,000 करोड रुपए अलग से चुनाव में खर्च किए गए।
अतः देश में होने वाले लोकसभा एवं राज्य विधानमंडल के आम चुनाव एक साथ करवाने पर इस अपव्यय में बहुत हद तक कमी आएगी। जिससे देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिलेगी।

भ्रष्टाचार में कमी आएगी।

बार-बार होने वाले चुनाव जनकल्याण की योजनाओं के साथ प्रशासनिक मशीनरी को भी रोकने का कार्य करते हैं। क्योंकि बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ सरकार के अन्य कर्मचारी भी इन चुनावों को सुरक्षित संपन्न करवाने में व्यस्त रहते हैं। जिससे अन्य प्रशासनिक कार्य बाधित होते हैं।

एक देश एक चुनाव के नुक़सान

* राष्ट्रीय मुद्दों के सामने स्थानीय मुद्दे गौण हो जाएंगे।
* क्षेत्रीय दलों सहित अन्य छोटे राजनीतिक दलों की समाप्ति का खतरा।


एक देश एक चुनाव लागू करने में चुनौतियां

यह प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना पर प्रहार जैसा है और संघात्मक ढांचे के विपरीत है। अतः इसको पूर्णतया लागू करने हेतु एवं एक साथ चुनाव का चक्र वापस न टूटे, इस हेतु संविधान में बड़े संशोधनों की दरकार होगी।
संसद को 5 अनुच्छेदों में संशोधन करने होंगे -

1. अनुच्छेद 83 (लोकसभा का कार्यकाल)
2. अनुच्छेद 85 (राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को विघटित करना एवं संसद के सत्र)

3. अनुच्छेद 172 (राज्य विधान मंडल का कार्यकाल) 

4. अनुच्छेद 174 (राज्यपाल द्वारा राज्य विधानमंडल को विघटित)

5. अनुच्छेद 356 (राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने की स्थिति में सीधे केंद्र द्वारा शासन अर्थात् राष्ट्रपति शासन)

* देश की बहुदलीय प्रणाली में इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती है।
छोटे राजनीतिक दलों द्वारा स्वार्थपरक इसका विरोध किया जा रहा है। 
वहीं विपक्ष द्वारा इसके संवैधानिक प्रावधानों एवं इसकी व्यावहारिकता पर लगातार सवाल खड़े किए जाते हैं। जो कुछ हद तक सही भी नजर आते हैं।

* एक साथ चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में ईवीएम एवं वीवीपेट मशीनों की आवश्यकता को पूरी करना भी एक बड़ी चुनौती है। 

👉 अतः सरकार द्वारा इस व्यवस्था के क्रियान्वयन हेतु निम्न प्रयास किए जाने चाहिए - 

*  इस व्यवस्था का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को इसका महत्व एवं वर्तमान जरूरत को समझाते हुए और विपक्षी दलों के तर्कों का समाधान करते हुए इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए। तभी इस प्रक्रिया में सामने आ रही चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा।

* एक साथ चुनाव व्यवस्था को लागू करने में आने वाली बाधाओं को जल्द दूर करने का प्रयास चाहिए। जैसे - ईवीएम मशीनों की आवश्यकता, एक साथ अधिक सुरक्षा बलों एवं कर्मचारीयों की आवश्यकता आदि।

* लोगों को इस संबंध में जागरूक करना चाहिए।

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