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साइंस एंड टेक्नोलॉजी अक्टूबर 2020

 
Science and technology

साइंस एंड टेक्नोलॉजी अक्टूबर 2020

Science and technology october 2020

 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
30 सितम्बर 2020 को भारत ने ओडिशा स्थित एक प्रक्षेपण स्थल से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का  सफल प्रायोगिक परीक्षण किया।
• यह मिसाइल 300 से 500 किलोमीटर तक वार करने में सक्षम है।
• मिसाइल को समुद्र, जमीन और लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है।
• डीआरडीओ और रूस के प्रमुख एरोस्पेस उपक्रम एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्राह्मोस मिसाइल 'मध्यम रेंज की रेमजेट सुपरसोनिक क्रूज' मिसाइल है।
• इस मिसाइल को पनडुब्बी, युद्धपोत, लड़ाकू विमान तथा जमीन से दागा जा सकता है। 
• ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 गुना तेज गति से अपने लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है।
इस मिसाइल को किसी भी दिशा एवं लक्ष्य की ओर छोड़ा जा सकता है।
• ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल 8.4 मीटर लंबी और 0.6 मीटर चौड़ी है।
• इसका वजन 3000 किलोग्राम है तथा यह 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने में सक्षम है।

फ्रांस 2025 में अंतरिक्ष के क्षेत्र में शुक्र ग्रह से संबंधित इसरो के मिशन में शामिल होगा।

चीन नवंबर 2020 में दुनिया के पहले उत्खनन रोबोट को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में लगा हुआ है‌। बीजिंग की एक निजी कंपनी ओरिजिन स्पेस इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लॉन्च करेगी। इस रोबोट का नाम एस्टेरॉयड माइनिंग रोबोट रखा गया है।
यह रोबोट उत्खनन का काम नहीं करेगा। यह केवल एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) पर लैंड करने और खनन करने के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को टेस्ट करेगा।

एस्टेरॉयड क्या है ?
एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह ऐसे खगोलिए पिंड होते हैं, जो ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं।
आकार में ये ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडों से बड़े होते हैं।
1819 में खगोलविद ग्यूसेप पियाजी ने सबसे पहला क्षुद्रग्रह सेरेस खोजा था।

भारतीय तटरक्षक पोत कर्नाकलाता बरुआ की तैनाती कोलकाता में की गई है।
• यह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड द्वारा निर्मित फास्ट पैट्रोल वेसल (FPV) की श्रृंखला का पांचवां और अंतिम पोत है।
• भारतीय तटरक्षक पोत वेसल कर्नाकलाता बरुआ का नाम एक युवा स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा गया था, जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान असम में गोली मार दी गई थी। 

शौर्य मिसाइल
भारत ने 3 अक्टूबर, 2020 को ओडिशा के तट से स्वदेशी विकसित परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल ‘शौर्य’ के नए संस्करण का सफल परीक्षण किया।
यह मिसाइल सतह से सहत पर मार करने वाली परमाणु क्षमता से लैस बैलिस्टिक मिसाइल है।
शौर्य मिसाइल पनडुब्बी से दागी जाने वाली के-15 मिसाइल का जमीनी संस्करण है।
• शौर्य मिसाइल की मारक क्षमता 800 किलोमीटर है और यह ट्रक से भी दागी जा सकती है।

'शौर्य' पनडुब्बी द्वारा लॉन्च की गई ‘लघु श्रेणी एसएलबीएम K-15 सागरिका’ मिसाइल का भूमि संस्करण है।
K-15 मिसाइल, 'K मिसाइल समूह' से संबंधित हैं, जो मुख्य रूप से पनडुब्बी द्वारा लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBM) हैं, जिन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है और जिनका नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।

‘एसएस कल्पना चावला’ कार्गो अंतरिक्ष यान
2 अक्टूबर, 2020 को नासा ने भारतीय मूल की दिवंगत अंतरिक्ष यात्री ‘कल्पना चावला’ के नाम पर एक वाणिज्यिक कार्गो अंतरिक्ष यान ‘एसएस कल्पना चावला’ लॉन्च किया। 
सिग्नस यान एस.एस. कल्पना चावला को 'एनजी -14 मिशन' (NG -14 mission) के लिए एंटेरा रॉकेट के साथ मिड-अटलांटिक रीजनल स्पेसपोर्ट (MARS) से वर्जीनिया में नासा की वॉलॉप्स उड़ान सुविधा से लांच किया गया।
इस अंतरिक्ष यान का निर्माण वर्जीनिया स्थित कंपनी नॉर्थ्रॉप ग्रुमैन द्वारा किया गया है।
गौरतलब है कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की 2003 के कोलंबिया अंतरिक्ष यान दुर्घटना में छ: अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मृत्यु हो गई थी।
इस अंतरिक्ष यान में सार्वभौमिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली नामक एक नया अंतरिक्ष शौचालय ले जाया गया है।
यह सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में कैंसर की दवाओं का परीक्षण करने के लिए एक कैंसर उपचार तकनीक की आवश्यक वस्तुओं को भी अपने साथ लेकर गया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट के व्हीलर द्वीप से "सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ ऑफ टॉरपीडो" (SMART) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) के सातवें अपतटीय गश्ती पोत (Offshore Patrol Vessel) ''विग्रह'' का औपचारिक रूप से तमिलनाडु में चेन्नई के कट्टुपल्ली बंदरगाह पर जलावतरण  किया गया। रक्षा मंत्रालय ने 2015 में लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को सात ऑफशोर पेट्रोलिंग वेसेल (ओपीवी) के निर्माण का अनुबंध किया था, जिसमें से अंतिम पोत का जलावतरण किया गया। 
अपतटीय गश्ती पोत लंबी दूरी की सतह के जहाज हैं, जो हेलीकाप्टरों से लैस होते हैं और समुद्री सीमाओं में निगरानी करने के साथ तस्करी रोकने तथा समुद्री लुटेरों को पकड़ने में सहायक होते हैं।

गेहूं की किस्म एमएसीएस 6478
अक्टूबर 2020 में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, अघारकर अनुसंधान संस्थान (ARI) के वैज्ञानिकों द्वारा 'एमएसीएस 6478' (MACS 6478) नामक गेहूं की किस्म विकसित की गई है।
इस किस्म ने महाराष्ट्र के एक गाँव करंखोप में किसानों की फसल पैदावार को दोगुना कर दिया है।

एंटी रेडिएशन मिसाइल ‘रुद्रम-1’
डीआरडीओ ने 9 अक्टूबर, 2020 को स्वदेशी रूप से विकसित नई पीढ़ी के एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 का ओडिशा के तट से दूर व्हीलर द्वीप पर रेडिएशन परीक्षण किया। इसका परीक्षण ‘सुखोई-30 एमकेआई’ लड़ाकू विमान से किया गया।
• यह मिसाइल डीआरडीओ द्वारा भारतीय वायु सेना के लिए विकसित भारत की पहली स्वदेश निर्मित विकिरण रोधी मिसाइल है।
• यह एंटी-रेडिएशन मिसाइल दुश्मन के किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़कर नष्ट करने में सक्षम है।
• दुश्मन ने रडार सिस्टम को बंद कर दिया है, तो भी रूद्रम उसे निशाना बना सकती है।
• इसमें हमले के लिए 'पैसिव होमिंग हेड' (passive homing head) के साथ आईएनएस-जीपीएस [Inertial Navigation System-GPS] नेविगेशन है।
'पैसिव होमिंग हेड' एक ऐसी प्रणाली है, जो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर लक्ष्यों को चिन्हित और वर्गीकृत कर निशाना साध सकती है।
• रुद्रम -1 की मारक क्षमता दागे जाने की ऊंचाई के आधार पर 100 किमी. से 200 किमी. तक है।
• मिसाइल की गति 0.6 से 2 मैक (ध्वनि की गति से दोगुनी) है।
• अभी यह तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस और जर्मनी के पास है।

रुस ने अपनी दूसरी कोविड-19 वैक्सीन एपिवाकोरोना (EpiVacCorona) को मंजूरी दी है।
रूस ने अगस्त 2020 में स्पूतनिक वी नामक अपनी पहली वैक्सीन को मंजूरी दी थी। इसी के साथ रूस कोविड-19 वैक्सीन को नियामक स्वीकृति देने वाला पहला देश बन गया था।

ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर लॉन्चिंग पैड से 16 अक्टूबर को पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है। यह पहली मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत तैयार किया है।
• पृथ्वी-2 मिसाइल 1000 किलोग्राम तक अस्त्र ले जाने की क्षमता रखने के साथ-साथ सतह से सतह पर 500 किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम है।

एक्वापोनिक्स तकनीक
केंद्रीय संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे द्वारा 13 अक्टूबर, 2020 को गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU), लुधियाना में सी-डैक (C-DAC), मोहाली द्वारा विकसित एक प्रायोगिक ‘एक्वापोनिक्स सुविधा’ (Aquaponics facility) का उद्घाटन किया गया।

एक्वापोनिक्स तकनीक: यह एक उभरती हुई पर्यावरण अनुकूल तकनीक है, जिसमें मछलियों के साथ-साथ पौधों को भी एकीकृत तरीके से उगाया जाता है।
मछली का अपशिष्ट बढ़ते पौधों के लिए उर्वरक प्रदान करता है। पौधे पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और पानी का निस्पंदन (filter) करते हैं। इस पानी का उपयोग मछली टैंक को फिर से भरने के लिए किया जाता है।

अफ्रीका के बाहर सबसे पुराने बंदर के जीवाश्म की खोज
अक्टूबर 2020 में वैज्ञानिकों ने चीन में दक्षिण-पूर्वी युनान प्रांत में एक लिग्नाइट की खदान से अफ्रीका के बाहर बंदरों के सबसे पुराने जीवाश्मों की खोज की है, जो लगभग 6.4 मिलियन साल पहले रहते थे।
• यह पूर्वी एशिया के कई जीवित बंदरों के पूर्वज हो सकते हैं। 
• वैज्ञानिकों ने एक बाएं एड़ी की हड्डी 'कैल्केनस' को भी उजागर किया, जो कि बंदर की एक ही प्रजाति 'मेसोपिथेकस पेंटेलिकस' से संबंधित है।
• वैज्ञानिकों का मानना है, कि ये बंदर पेड़ों और जमीन पर चलने में सक्षम (हरफनमौला) थे, और उनके दांतों ने संकेत दिया कि वे कई प्रकार के पौधों, फलों और फूलों को खा सकते थे, जबकि वानर ज्यादातर फल खाते हैं।
ये उच्च गुणवत्ता वाला भोजन खा सकते थे और भोजन को किण्वित करके बाद में वसायुक्त अम्ल का उपयोग करके पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त कर सकते थे।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 
भारत ने स्वदेशी रूप से निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भारतीय नौसेना के स्टील्थ डिस्ट्रायर आईएनएस चेन्नई से सफल परीक्षण किया है।  इस दौरान मिसाइल ने अरब सागर में पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा। 
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को संयुक्त रूप से भारत और रूस द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है।
इसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और लैंड प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है।
इस मिसाइल की टॉप स्पीड 2.8 Mach है, जो ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज होती है।
विस्तारित-रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जो 400 किमी दूर तक लक्ष्य को मार सकती है। इसकी मौजूदा सीमा 290 किमी को बढ़ाया गया है।

अरब सागर में वैज्ञानिकों को एक सूक्ष्मजीव मिला है। यह सूक्ष्मजीव सिलिएट्स प्रजाति का है, जिसका नाम कोरिनोफेरिया इलांगेटा है।
इसे अरब सागर में पहली बार खोजा गया है।

हाल ही में बेपीकोलोंबो अंतरिक्ष यान ने पहली बार शुक्र ग्रह को पार किया है और 17,000 किलोमीटर की दूरी से शुक्र ग्रह का एक चित्र लिया।
• बेपीकोलोंबो, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का एक संयुक्त मिशन है, जिसका उद्देश्य बुध ग्रह के बारे में खोज करना है।
• 2018 में इस अंतरिक्ष यान को लांच किया गया था।

उत्तराखंड का पहला रामसर स्थल 
16 अक्टूबर, 2020 को भारत में रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत 2 नए झीलों (Wetlands) को अंतर्राष्ट्रीय महत्व का अर्थात ‘रामसर साइट’ घोषित किया गया।
इसके तहत जिन 2 नई झीलों को रामसर साइट घोषित किया गया है, उनमें बिहार के बेगुसराय में स्थित काबरताल झील (कांवर झील) और उत्तराखंड की आसन कंजर्वेशन रिजर्व वेटलैंड शामिल है।
इसके साथ ही देश की कुल ‘रामसर साइटों’ की संख्या 39 हो गई है।
अब भारतीय रामसर साइटों का नेटवर्क दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा हो गया।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आसन कंज़र्वेशन रिज़र्व को उत्तराखंड का पहला रामसर स्थल बनने की घोषणा की है, जो इसे 'अंतर्राष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड' बनाता है। यह रिज़र्व हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में देहरादून जिले के पास यमुना नदी के तट पर स्थित है।
आसन कंजर्वेशन रिजर्व रामसर साइट में जगह बनाने वाला उत्तराखंड का पहला वैटलैंड बना है।

क्या है रामसर श्रेणी ?
वेटलैंड्स पर हुई रामसर कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है, जिस पर 2 फरवरी, 1971 में ईरानी शहर रामसर में कैस्पियन सागर के दक्षिणी किनारे पर हस्ताक्षर किये गए थे। इसमें भारत 1 फरवरी, 1982 को शामिल हुआ था। वे आर्द्रभूमि (वेटलैंड) जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व के होते हैं, उन्हें रामसर स्थल घोषित किया जाता हैं।
वर्तमान समय में विश्वभर में रामसर श्रेणी की लगभग 2000 से अधिक झीलें हैं।
ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व 28 जनवरी, 2020 को केंद्र सरकार ने देश की 10 झीलों को रामसर साइट घोषित किया था।
इनमें उत्तर प्रदेश की 6, पंजाब की 3 व महाराष्ट्र की 1 झील शामिल थी।

स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक मिसाइल
भारत ने 19 अक्टूबर, 2020 को ओडिशा तट के एकीकृत परीक्षण टेस्ट रेंज (ITR) से स्वदेशी रूप से विकसित स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक (Stand-off Anti-tank- SANT) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया। 
यह एंटी-टैंक मिसाइल, ‘हेलीकॉप्टर लॉन्च नाग’ (Helicopter Launched Nag- HeliNa) का उन्नत संस्करण है।
• SANT एक हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे भारतीय वायु सेना के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
• SANT मिसाइल में प्रक्षेपण से पहले लॉक-ऑन और लॉन्च के बाद लॉक-ऑन दोनों की क्षमता हैं और यह 15 किमी से 20 किमी दूर के लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम है।

IIT खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने COVIRAP नामक एक नई Covid-19 डायग्नोस्टिक टेस्ट तकनीक विकसित की है, जिसकी प्रक्रिया काफी आसान और सस्ती भी है और जो एक घंटे के अन्दर रिपोर्ट देने में सक्षम है।

नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने मानव गले में एक लार ग्रंथि की खोज की है। इसे ट्यूबरियल सेलिवरी ग्लैंड्स नाम दिया गया है।

तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' 
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 22 अक्टूबर राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' का सफल अंतिम परीक्षण किया।
इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, जो दिन और रात दोनों ही परिस्थितियों में दुश्मन के टैंकों को मार गिराने में सक्षम है।
• यह पूरी तरह स्वदेशी मिसाइल है। इसकी हेलीकॉप्टर से 5 किमी जबकि जमीन से मारक क्षमता 4 किमी है।

आईएनएस कवरत्ती
22 अक्टूबर को भारतीय नौसेना के बेड़े में पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस स्वदेशी स्टील्थ युद्धपोत  आईएनएस कवरत्ती को शामिल किया गया। इसमें इस्तेमाल 90% सामान स्वदेशी है।
• पहले आईएनएस कवरत्ती जनरल क्लास मिसाइल युद्धपोत था। जिसने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तानी कब्जे से मुक्ति दिलाने वाले युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
• इसमें अत्याधुनिक सेंसर लगे हुए हैं, जो पनडुब्बियों का पता लगाने, उनका पीछा करने और विफल करने में सक्षम है।
• समुद्री सुरंगों का पता लगाने और उन्हें विफल करने में सक्षम है।
• आईएनएस कवरत्ती प्रोजेक्ट 28 के तहत स्वदेश निर्मित 4 पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों में आखिरी है।

नासा द्वारा क्षुद्रग्रह बेन्नू से इकट्ठे किए नमूने
20 अक्टूबर, 2020 को नासा के एक अंतरिक्ष यान ‘ओसिरिस रेक्स’ (OSIRIS-REx — Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security, Regolith Explorer) ने क्षुद्र ग्रह बेन्नू से नमूने इकट्ठे किये हैं।

अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी के करीब क्षुद्र ग्रह को स्पर्श किया और उसकी सतह से धूल कण और पत्थरों को एकत्र किया और वह वर्ष 2023 में धरती पर लौटेगा।
2013 में उत्तरी कैरोलिना के नौ वर्षीय बालक द्वारा मिस्र के देवता/देवी के नाम पर क्षुद्रग्रह का नाम रखा गया था, जिसने नासा की 'नेम द एस्टेरॉयड' (Name that Asteroid) प्रतियोगिता जीती थी।
क्षुद्रग्रह की खोज नासा द्वारा वित्त पोषित 'लिंकन नियर-अर्थ एस्टेरॉयड रिसर्च टीम' (Lincoln Near-Earth Asteroid Research team) ने 1999 में की थी। बेन्नू क्षुद्रग्रह पृथ्वी से लगभग 200 मिलियन मील की दूरी पर स्थित है।
OSIRIS-REx मिशन नासा का पहला मिशन है जिसका उद्देश्य प्राचीन क्षुद्रग्रह से एक नमूने को वापस लाना है। मिशन 2016 में लॉन्च किया गया था, यह 2018 में अपने लक्ष्य पर पहुंच गया था और तब से, अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह के वेग का मिलान करने की कोशिश कर रहा है।
बेन्नू के अध्ययन का कारण - वैज्ञानिक ग्रहों के निर्माण एवं इतिहास और सूर्य के बारे में जानकारी के लिए क्षुद्रग्रह का अध्ययन कर रहे हैं, क्योंकि सौरमंडल में अन्य वस्तुओं के समान ही क्षुद्रग्रहों का निर्माण हुआ था।

अमेरिका ने ताइवान को 2.37 अरब डॉलर के हार्पून मिसाइल सिस्टम बेचने की योजना बनाई है।
हार्पून मिसाइल जमीनी लक्ष्यों के साथ ही युद्धपोतों को तबाह करने में सक्षम है। इस मिसाइल में जीपीएस लगा है, इससे यह सटीक हमला करती है। इस मिसाइल से तटीय रक्षा ठिकानों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अड्डों के साथ ही बंदरगाहों पर खड़े पोतों और औद्योगिक केंद्रों को भी तबाह किया जा सकता है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पहली बार चांद की सतह पर प्रत्यक्ष पानी का सबूत खोजा है। चांद पर पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फीयर ऑब्जर्वेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है। 
गौरतलब है, कि नासा आर्टेमिस मिशन के तहत 2024 तक चांद की सतह पर मानव बस्ती बसाने की योजना बना रहा है।
उल्लेखनीय है, कि इसरो का चंद्रयान-1 2009 में ही चंद्रमा पर पानी होने के सबूत दे चुका है।

भारत में हींग की खेती शुरू
CSIR-IHBT संस्था द्वारा भारत में हींग की खेती शुरू की गई है।
हींग का पहला रोपण हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में किया गया है।
दुनिया का 50% हींग भारत में उपयोग होता है लेकिन इसका उत्पादन भारत में बिल्कुल भी नहीं होता।
भारत में प्रतिवर्ष 1200 टन हींग आयात किया जाता है। जिसका 90% अफगानिस्तान से आयात किया जाता है। 
सीएसआईआर की घटक प्रयोगशाला, इंस्टीच्यूट ऑफ़ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी द्वारा हींग का ऐसा बीज तैयार किया गया है जो भारत के वातावरण के लिए अनुकूल होगा।
CSIR= council of scientific and industrial research
IHBT= institute of Himalayan bioresource technology

मसाले के रूप में उपयोग की जाने वाली हींग वास्तव में पौधे की जड़ से निकलने वाला एक रेजिन होता है। जो पौधे से 5 वर्ष के बाद प्राप्त होता है।
हींग का वैज्ञानिक नाम - फेरूला एसाफोटिडा

हाल ही नासा ने चंद्रमा पर पहली बार सेल्यूलर नेटवर्क स्थापित करने के लिए किस कंपनी को भागीदार के तौर पर चुना है ? - नोकिया

हिमालयी भूरा भालू के पर्यावास को नुकसान
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों द्वारा पश्चिमी हिमालय में किए गए अध्ययन में वर्ष 2050 तक हिमालयी भूरा भालू (Ursus arctos isabellinus) के पर्यावास में लगभग 73% की भारी गिरावट की आशंका जाहिर की गई है।
हिमालयी भूरा भालू हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सबसे बड़े मांसाहारी जीवों में से एक है।
हिमालयी भूरा भालू एक 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' (Critically endangered) जानवर है, जो नेपाल, भारत, पाकिस्तान और तिब्बत के कुछ सबसे दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।

साई ऐप
भारतीय सेना ने खुद के लिए व्हाट्सएप जैसा ऐप साई तैयार किया है। यह ऐप सिर्फ सेना के लिए है।
SAI = सिक्योर एप्लीकेशन फॉर द इंटरनेट

31 अक्टूबर को निवर्तमान अध्यक्ष आदिल सुमारिवाला को भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) का तीसरी बार अध्यक्ष चुना गया।
लंबी कूद की पूर्व स्टार खिलाड़ी अंजू बॉबी जॉर्ज को उपाध्यक्ष बनाया गया।

एंटी शिप मिसाइल का सफल परीक्षण
भारतीय नौसेना ने 30 अक्टूबर को जहाज-रोधी मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
बंगाल की खाड़ी में आईएनएस कोरा से कार्वेट मिसाइल दागी गई।
23 अक्टूबर को भी नौसेना ने इसी मिसाइल को आईएनएस प्रबल से छोड़ा था।
• आईएनएस कोरा एक जंगी जहाज है। इसका इस्तेमाल गाइडेड मिसाइलें दागने में किया जाता है। इसे 1998 में नेवी में शामिल किया गया था।

SAVE WATER

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