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आरसेप क्या है। RCEP के बारे में संपूर्ण जानकारी

आरसीईपी क्या है

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP)

RCEP - regional comprehensive economic partnership. (क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी)

यह एक क्षेत्रीय व्यापार समझौता है। 
इसमें वस्तु, सेवा, निवेश और बौद्धिक संपदा को शामिल किया गया है।

आसियान के सदस्य देशों और चीन सहित कुल 15 देशों ने 15 नवंबर 2020 को विश्व के सबसे बड़े व्यापार समझौते क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) का गठन करने पर वर्चुअल तौर पर हस्ताक्षर किए हैं। अर्थात RCEPके तहत मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
• दुनिया की एक-तिहाई आबादी इन 15 देशों में रहती है और लगभग 30% वैश्विक व्यापार इनके बीच होता है।
• इस समझौते में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
• समझौते के तहत सदस्य देश टैरिफ कम करेंगे और व्यापार सेवा के रास्ते खोलेंगे।
• RCEP का लक्ष्य कंपनियों की लागत और समय में कमी लाना भी है।


नवंबर 2012 से आरसीईपी पर बातचीत चल रही थी।
भारत पिछले वर्ष 2019 में वार्ता से हट गया था।

❌ भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए है।
भारत ने इस साझेदारी के तहत मार्केट एक्सेस का मुद्दा उठाया था और इस बात की आशंका जतायी थी कि देश के बाजार में अगर चीन के सस्ते सामानों का दबदबा हो जाएगा तो भारत के घरेलू उत्पादकों एवं विनिर्माताओं पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

कारण
1. इसमें शामिल देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा अत्यधिक है।
2. चीन को भी मुक्त व्यापार समझौते का लाभ मिलेगा इससे भारत में आयात बढ़ेंगे।
3. न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भारत के डेयरी उद्योग को प्रभावित कर सकते हैं।
4. जापान और दक्षिण कोरिया बौद्धिक संपदा के अधिकारों के लिए कठोर नियम चाहते हैं।
5. अन्य देश मुख्यत: वस्तुओं पर केंद्रित रहना चाहते हैं जबकि भारत सेवाओं में अधिक छूट जाता है। विशेषकर MODE-4 सेवाओं में।
6. निवेश संबंधी विवादों में अन्य देश सीधे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता चाहते हैं जबकि भारत के अनुसार पहले घरेलू न्याय प्रक्रिया का प्रयोग किया जाना चाहिए।

भारत 3 प्रकार की व्यवस्थाएं चाहता है -
1. चीन के लिए 80% वस्तुओं को मुक्त व्यापार समझौते में शामिल किया जाए। शुरुआत में 28% वस्तुओं को शामिल किया जाए तथा बाकी वस्तुएं क्रमिक रूप से शामिल की जाए।
2. न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के लिए 86% वस्तुओं को शामिल किया जाए।
3. शेष देशों के लिए 90 % वस्तुओं को शामिल किया जाए।

नोट - हाल ही नवंबर 2020 में वियतनाम के प्रधानमंत्री ने चौथे क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस दौरान आरसीईपी के तहत मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद सभी देशों को आरसीईपी को 2 साल के अंदर अनुमोदित करना होगा। जिसकेेेेे बाद यह प्रभाव में आएगा।

नोट - आरसीईपी में भारत की भागीदारी के द्वार खुले रखे गए हैं। भारत कभी भी इसमें शामिल हो सकता है।
यदि भारत इसका सदस्य नहीं बनता है, तो भारत का राजनीतिक एवं आर्थिक पृथक्करण हो सकता है।
इस क्षेत्रीय साझेदारी के जरिए चीन की कोशिश एशियाई बाजारों एवं व्यापार में अपना दबदबा बनाने की है।
इस समझौते में अमेरिका शामिल नहीं है। लिहाजा, इसे चीन के नेतृत्व में एक वैकल्पिक व्यापार समझौता समझा जा रहा है।


आसियान के बारे में

आसियान का पूरा नाम - Association of South East Asian Nations.
स्थापना - 8 अगस्त 1967 (बैंकॉक)
मुख्यालय - जकार्ता (इंडोनेशिया)
संस्थापक सदस्य - थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, 
ब्रुनेई (1984) लाओस और वियतनाम (1995) म्यांमार (1997) कंबोडिया (1999)

वर्तमान में 10 देश सदस्य है।

आसियान का उद्देश्य - क्षेत्रीय (दक्षिण-पूर्वी एशिया में) राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक सहयोग स्थापित करना।

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