पांच राफेल लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल
पांच राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सितम्बर 2020 को अंबाला हवाई ठिकाने पर हुए समारोह में भारतीय वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया।राफेल अंबाला एयरबेस पर 17 स्कवॉड्रन 'गोल्डन ऐरोज़' में शामिल किया गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोंरेस पार्ले, वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और सीडीएस बिपिन रावत की मौजूदगी में राफेल वायुसेना में शामिल हुआ।
फ्रांस से 29 जुलाई 2020 को 5 राफेल विमान अंबाला के एयरफोर्स बेस पर पहुंचे थे।
इनमें तीन सिंगल सीटर और दो टू सीटर जेट हैं।
भारत-चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत के लिए इस उपलब्धि को काफी अहम माना जा रहा है।
राफेल की विशेषताएं
यह दो इंजनों वाला एक मध्यम बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है। (Medium multirole combat aircraft.)यह अकेला फाइटर प्लेन है, जिसमें तीन तरह की मिसाइल है।
1.मीटिअर - हवा से हवा में मार
2. स्कल्प - हवा से जमीन में मार
3. हैमर - मध्यम श्रेणी की मिसाइल (70 से 80 किमी मारक क्षमता)
यह हवा से हवा में और हवा से जमीन पर हमले कर सकता है।
राफेल हवा से हवा में मार करने वाली मीटिअर मिसाइलों से लैस है, जो 150 किलोमीटर दूर लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है।
राफेल हवा से जमीन में मार करने वाली स्कल्प मिसाइलों से लैस है, जो 300 किलोमीटर दूर लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है।
राफेल की अधिकतम स्पीड 2,223 किमी/घंटा है। (कुछ जगह 2,130 किमी/घंटा)
राफेल एक मिनट में करीब 60 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
राफेल की रेंज 3700 किलोमीटर तक है।
यह चौथी पीढ़ी (4.5) का सबसे फुर्तीला जेट है।
यह 55000 फीट की ऊंचाई से भी दुश्मन पर हमला कर सकता है।
16 टन बम-मिसाइल ले जाने और 1 मिनट में 2500 गोले दागने की क्षमता है।
एक बार ईंधन भरने पर यह 10 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। यह हवा से हवा में भी ईंधन पर सकता है।
राफेल की लंबाई 15.3 मीटर, चौड़ाई 10.9 मीटर और ऊंचाई 5.3 मीटर है।
यह इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से 3डी मैप बनाकर रियल टाइम में दुश्मन की पोजीशन पता कर लेता है। इससे सटीक निशाना साधने में मदद मिलती है।
राफेल के प्रकार
इसकी तीन कैटेगरी A, B, C और M हैं। इनमें भी एक सीट, दो सीट और दो इंजन का ऑप्शन है।
राफेल ट्रेनर - टू सीटर
राफेल सी - सिंगल सीटर
सबसे पहले A कैटेगरी के विमान आए थे। इसने 4 जुलाई 1986 को पहली उड़ान भरी थी।
राफेल का शामिल होना भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण साबित होगा।
राफेल का समझौता
2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे 36 राफेल विमान खरीदने के लिए अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।• इनमें 30 फाइटर जेट और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट शामिल हैं। ट्रेनर जेट टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट जैसे सभी फीचर होंगे।
• भारत को 29 जुलाई को पांच राफेल फाइटर जेट की पहली खेप मिली थी।
• राफेल का निर्माण फ्रांस की दसौ एविएशन (Dassault Aviation) कंपनी ने किया है।
• राफेल समझौता एक गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील है, जो 2016 में की गई।
इस डील में ऑफसेट क्लॉज का प्रावधान किया गया है।
ऑफसेट क्लॉज
इसका प्रावधान रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 और 2016 में किया गया।इसके तहत विक्रेता पर एक शर्त रखी जाती है, कि वह कुल मूल्य के 30 से 50% तक की कीमत के रक्षा उपकरण भारत के रक्षा बाजार से खरीदेगा।
• इससे घरेलू रक्षा बाजार को प्रोत्साहन मिलता है।
• राफेल डील में ऑफसेट 50% रखा गया है।
• कुल 72 कंपनियों से यह खरीद की जा रही है, जिसमें सर्वाधिक 9,000 करोड़ का ऑफसेट डीआरडीओ को दिया गया।
नोट - वर्तमान में फ्रांस के अलावा 3 देशों भारत (36), मिस्त्र (24) और कतर (24) के पास ही राफेल है।
चिनूक
अधिक भार उठाने में माहिर चिनूक हेलीकॉप्टर को मार्च 2019 में 12वीं विंग वायुसेना बेस चंडीगढ़ में शामिल किया गया।• अमेरिका में निर्मित ये हेलीकॉप्टर लेह व लद्दाख जैसे ऊंचे व दुर्गम इलाकों में भारी भरकम साजोसामान ले जाने में सक्षम है।
• चिनूक में दो रोटर इंजन लगे हैं, जिसके कारण ये किसी भी मौसम और बेहद घनी पहाड़ियों में भी उड़ान भरने में सक्षम है।
• ये छोटे हैलीपैड व सघन घाटियों में भी उतर सकते हैं।
अपाचे
आधुनिक युद्धक क्षमता वाले अपाचे हेलीकॉप्टर को सितंबर 2019 में पठानकोट वायुसेना बेस पर तैनात किया गया।
• अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए अपाचे हेलीकॉप्टर में 2 इंजन लगे हैं और इन्हें चलाने के लिए दो पायलट की जरूरत होती है।
• इनकी रफ्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटा है।
• इन्हें रडार से पकड़ना मुश्किल है।
• इनसे एंटी टैंक मिसाइलें दागी जा सकती है।
• अपाचे की रेंज लगभग 550 किलोमीटर है।
• अपाचे एक बार में पौने 3 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
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