राजस्थान की जनजातियां
• भारत में सर्वाधिक जनजातियों की संख्या वाला राज्य - मध्य प्रदेशराजस्थान का स्थान छठा है।
• भारत में सर्वाधिक जनजातियों का प्रतिशत वाला राज्य - मिजोरम
राजस्थान का स्थान - 13वां
• राजस्थान में सर्वाधिक जनजातियों की संख्या वाला जिला - उदयपुर
• राजस्थान में न्यूनतम जनजातियों की संख्या वाला जिला - बीकानेर
• सर्वाधिक जनजातीय प्रतिशत वाला जिला - बांसवाड़ा
• न्यूनतम जनजातीय प्रतिशत वाला जिला - नागौर
1. कंजर जनजाति
कंजर शब्द की उत्पत्ति काननचार से हुई है, जिसका अर्थ होता है - जंगल में रहने वाला।मुख्य क्षेत्र - हाड़ौती
मुख्य व्यवसाय - अपराध करना
कंजर लोग अपराध करने से पहले देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं, जिसे पाती मांगना कहते हैं।
कंजर जनजाति के मुख्य देवता -
1. जोगणिया माता (चित्तौड़गढ़)
यह कंजरो की कुलदेवी है।
2. चौथ माता
3. रक्तदंजी माता (मंदिर - बूंदी)
4. हनुमानजी
• कंजरो के घरों में पीछे खिड़की रखना अनिवार्य होता है।
• हाकम राजा का प्याला पीने के बाद कंजर झूठ नहीं बोलते हैं।
• मरणासन्न व्यक्ति के मुंह में शराब की बूंदे डाली जाती है।
• कंजर मोर का मांस खाते हैं।
• कंजरो के मुखिया को पटेल कहते हैं।
2. कथौडी जनजाति
• कथौडी मूल रूप से महाराष्ट्र की जनजाति है।• खैर के पेड़ से कत्था प्राप्त करते हैं। इसलिए इन्हें कथौडी कहा जाता है।
• मुख्य क्षेत्र - उदयपुर
• कथौडी संकटग्रस्त जनजाति है। इसके केवल 35-40 परिवार ही बचे हैं।
• राजस्थान सरकार द्वारा इन्हें मनरेगा में 100 दिनों का अतिरिक्त रोजगार दिया जाता है।
• कथौडी दूध नहीं पीते है।
• कथौडी शराब अधिक पीते है।
• कथौडी जनजाति की महिलाएं भी पुरुषों के साथ बैठकर शराब पीती हैं।
• कथौडी मांस खाते हैं।
कथौडी जनजाति के मुख्य देवता -
1. डूंगर देव
2. वाद्य देव
3. गाम देव
4. भारी माता
5. कंसारी माता
• कथौडी महिलाएं गहने नहीं पहनती हैं।
• कथौडी महिलाएं टैटू गुदवाती हैं।
• कथौडी जनजाति के मुखिया को नायक कहते हैं।
• झोपड़ी को खोलरा कहते है।
3. डामोर जनजाति
• डामोर एकमात्र जनजाति है, जो जंगलों पर आश्रित नहीं है बल्कि खेती और पशुपालन करती है।• डामोर जनजाति का मुख्य क्षेत्र सीमलवाडा पंचायत समिति (डूंगरपुर) है।
इस क्षेत्र को डामरिया क्षेत्र भी कहा जाता है।
• डामोर पुरुष एक से अधिक विवाह (बहु विवाह) करते हैं।
• वधु मूल्य को दापा कहा जाता है।
• डामोर पुरुष भी महिलाओं की तरह गहने पहनते हैं।
डामोर जनजाति के मुख्य मेले -
1. छैला बावजी का मेला - पंचमहल (गुजरात)
2. ग्यारस की रेवड़ी का मेला - डूंगरपुर
चाडिया - होली के कार्यक्रमों को चाडिया कहते हैं।
• डामोर जनजाति की भाषा पर गुजराती भाषा का प्रभाव है।
• डामोर जनजाति के मुखिया को मुखी कहते हैं।
4. सांसी जनजाति
मुख्य क्षेत्र - भरतपुर, अजमेर• सांसी जनजाति में मुख्यतः 2 वर्ग होते हैं -
1. बीजा
2. माला
• सांसी विधवा विवाह नहीं करते हैं।
• भाखर बावजी की कसम खाकर सांसी झूठ नहीं बोलते हैं।
भाखर बावजी की कसम लेते समय एक हाथ में कुल्हाड़ी और दूसरे हाथ में पीपल का पत्ता रखते हैं।
• सांसी सिकोदरी माता की पूजा करते हैं।
कूकडी रस्म - विवाह के बाद महिलाओं से संबंधित रस्म है। इसके माध्यम से लड़की के चरित्र की परीक्षा ली जाती है।
5. सहरिया जनजाति
मुख्य क्षेत्र - किशनगंज, शाहबाद (बारां)• राजस्थान की एकमात्र आदिम जनजाति है।
• राजस्थान सरकार इन्हें मनरेगा में 100 दिनों का अतिरिक्त रोजगार देती है।
सहरिया जनजाति में तीन प्रकार की पंचायत होती है -
1. पंचताई - 5 गांव की पंचायत
2. एकदसिया - 11 गांव की पंचायत
3. चौरासी - 84 गांव की पंचायत
• चौरासी गांव की पंचायत सीताबाड़ी (बारां) के वाल्मीकि मंदिर में होती है।
• सहरिया वाल्मीकि को अपना आदि पुरुष मानते हैं।
• कुलदेवी - कोड़िया माता
• सहरिया तेजाजी और भैरूजी की पूजा करते हैं।
• दीपावली पर हीड़ नामक गीत गाए जाते हैं।
• होली के समय लठ्ठमार होली खेली जाती है।
• मकर सक्रांति पर लकड़ी के डंडों से लेंगी नामक खेल खेलते हैं।
• वर्षा ऋतु में आल्हा-लहंगी गीत गाए जाते हैं।
बस्ती - सहराना
गांव - सहरोल
सामुदायिक भवन - हथाई/बंगला/ढालिया
पेड़ों पर घर - गोपना/ टोपा/ कोरूआ
• सहरिया जनजाति के मुखिया को कोतवाल कहते है।
• मुख्य मेला - कपिलधारा मेला (बारां)
इसे सहरियों का कुंभ कहते हैं।
• महिलाएं टैटू बनवाती हैं लेकिन पुरुष नहीं बनवा सकते।
• दहेज प्रथा का प्रचलन नहीं है।
• सहरिया श्राद्ध नहीं करते हैं।
• युग्ल नृत्य नहीं किया जाता है।
• महिलाएं घर में घुंघट रखती हैं लेकिन घर के बाहर घुंघट नहीं रखती।
• सहरिया जनजाति में मृतक का धारी संस्कार किया जाता है।
6. गरासिया जनजाति
मुख्य क्षेत्र - 1. आबू / पिंडवाड़ा - सिरोही2. बाली - पाली
3. गोगुंदा - उदयपुर
• गरासिया जनजाति में तीन प्रकार की पंचायत होती है -
1. मोटी न्यात - बाबोर हाईया
2. नेनकी न्यात - माडेरिया
3. निचली न्यात
गरासिया जनजाति के मुख्य मेले -
1. कोटेश्वर मेला - अंबाजी (गुजरात)
2. चेतर-विचितर मेला - देलवाड़ा (सिरोही)
3. गणगौर मेला - सियावा (सिरोही)
मुखिया - सहलोत/ पालवी
• मृतक का स्मारक - हूरे
• सहकारी समिति - हेलरू
• नक्की झील गरासियों का पवित्र स्थान है।
• गरासिया सफेद पशु एवं मोर को पवित्र मानते हैं।
गरासिया जनजाति में विवाह के प्रकार -
1. मोरबंधिया
2. ताणना (पैसे देकर लाना)
3. पहरावणा (कपड़े देकर)
4. मेलबो (मुकलावा करना)
5. खेवणो (शादीशुदा महिला अपने प्रेमी के साथ विवाह करें)
6. सेवा (शादी से पहले घर जमाई बनवा कर काम करवाते हैं)
नोट - खेवणो माता-पिता भी कराते है।
• गरासिया पुरुष + भील महिला = भील गरासिया
• गरासिया महिला + भील पुरुष = गमेती गरासिया
• गरासिया जनजाति में प्रेम विवाह अधिक किए जाते हैं। गणगौर मेले में प्रेम विवाह होते हैं।
• गरासिया महिलाएं सुंदर एवं श्रृंगार प्रिय होती है।
7. भील जनजाति
मुख्य क्षेत्र - उदयपुर• भील शब्द की उत्पत्ति वील से हुई है, जिसका अर्थ होता है - तीर कमान
• भील राजस्थान की सबसे प्राचीन जनजाति है।
• जेम्स टॉड ने भीलों को वनपुत्र बताया है।
• विलियम रोने की पुस्तक wild tribes of India के अनुसार मारवाड़ भीलों का मूल स्थान था।
घर - टापना/ कू
मोहल्ला - फला
गांव - पाल
गांव का मुखिया - पालवी/ तदवी
संपूर्ण भील जनजाति का मुखिया - गमेती
भीलों का कुलदेवता - टोटम
पेड़-पौधों को टोटम का प्रतीक मानते हैं।
• भील पेड़-पौधों को साक्षी मानकर विवाह करते हैं, जिसे हाथीवेंडों विवाह कहते हैं।
• भराड़ी माता को विवाह की देवी कहा जाता है।
दूल्हे को ससुराल में भराड़ी माता का चित्र बनाना पड़ता है।
• भील जनजाति में बाल विवाह नहीं किया जाता है।
छेडा फाडना - तलाक
झगडा - यदि कोई महिला अपने पति को छोड़कर अन्य पुरुष के साथ रहने लग जाती है, तो वह व्यक्ति उसके पति को झगड़ा राशि देता है।
रक्त मूल्य - मौताणा
• केसरिया नाथजी (काला जी) की केसर पीकर भील झूठ नहीं बोलते हैं। (ऋषभदेव जी को मानते हैं)
• भील महुआ के पौधे से बनी शराब पीते है।
• भीलों का रणघोष - फाइरे-फाइरे
• यदि कोई भील घुड़सवार सैनिक को मार देता है, तब उसे पाखरिया कहा जाता है।
भीलों के प्रमुख मेले -
1. वेणेश्वर मेला - डूंगरपुर
2. घोटिया अंबा मेला - बांसवाड़ा
घोटिया अंबा में कुंती तथा पांच पांडवों का मंदिर है।
स्थानांतरित कृषि - वालरा
पहाड़ी भाग में स्थानांतरित कृषि को चिमाता जबकि समतल मैदान में दजिया कहा जाता है।
• भील जनजाति में सामूहिक कृषि कार्य को हेलमो कहा जाता है।
ठेपाडा - पुरुषों की तंग धोती
खोयतू - भीलों की सामान्य धोती
पिरिया - दुल्हन की पीले रंग की साड़ी
सिंदूरी - लाल रंग की साड़ी
परिजनी - महिलाओं के पैरों में पीतल के कड़े
कछाबू - महिलाओं के कपड़े
8. मीणा जनजाति
• यह राजस्थान में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है।1. मीणा 2. भील 3. गरासिया
• राजस्थान की सर्वाधिक शिक्षित जनजाति - मीणा
• मुख्य क्षेत्र - जयपुर
• मीणा जनजाति में दो वर्ग होते है -
1. जमींदार मीणा
2. चौकीदार मीणा
मीणा जनजाति के मुख्य देवता -
1. भूरिया बाबा 2. बुझ देवता
• मोरनी मांडना - विवाह के दौरान एक रस्म।
विश्व आदिवासी दिवस - 9 अगस्त
9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।विश्व आदिवासी दिवस 2020 की थीम कोविड-19 इंडीजेनस पीपुल्स रेसिलैंस है।
• आदिवासी प्रकृति के असली संरक्षक है। पूरी धरती की 80% जैव विविधता की रक्षा आदिवासी समाज कर रहा है।
आदिवासी है, तो जंगल है, जंगल है, तो जीवन है, जीवन के बिना पृथ्वी की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
• आदिवासी उप योजना कब शुरू की गई ? - 1974
SAVE WATER
0 Comments