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राजस्थान की जनजातियां। भीलों की अर्थव्यवस्था

Tribes of Rajasthan


राजस्थान की जनजातियां

वर्ष 2011 जनगणना के अनुसार राजस्थान में जनजातीय जनसंख्या 92.39 लाख है। जो कुल जनसंख्या का 13.48 % है।
• राजस्थान का जनजाति के लोगों की संख्या की दृष्टि से भारत में 6th स्थान है। (प्रथम - मध्यप्रदेश)
• राजस्थान का जनजाति के लोगों की प्रतिशत की दृष्टि से भारत में 13वां स्थान है। (प्रथम - मिजोरम)

• राजस्थान में सर्वाधिक जनजातियों की संख्या वाला जिला - उदयपुर। (45.25 लाख)
• राजस्थान में न्यूनतम जनजातियों की संख्या वाला जिला - बीकानेर।

• सर्वाधिक जनजातीय प्रतिशत वाला जिला - बांसवाड़ा।
• न्यूनतम जनजातीय प्रतिशत वाला जिला - नागौर।

• राजस्थान की जनजातियों का 95% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। 

सभी जनजातियों की सामान्य विशेषताएँ:-
(1) प्राय: शहरी समाज से दूर जंगलों, दुर्गम पर्वतीय व पठारी क्षेत्रों में निवास करते हैं। ‌
(2) प्राकृतिक जीवन शैली।
(3) इनकी अपनी विशिष्ट बोली, संस्कृति, आवास, आर्थिक
क्रियाकलाप एवं सामाजिक ढाँचा होता है, जो इन्हें अन्य समाजों से अलग करता है।
(4) ये पुराने ढंग की आर्थिक क्रियाओं जैसे - वनों से कंदमूल फल (संग्रहण), नदियों से मछलियां पकड़ना, घने वनों से  पशुओं का शिकार करना, स्थानान्तरित कृषि, मजदूरी आदि से जीवन यापन करते हैं।

मीणा जनजाति
• मीना, मीणा, मूलतः संस्कृत भाषा के मीन शब्द का अपभ्रंश है। मीन का अर्थ - मछली।
• मीणा जनजाति अपनी उत्पत्ति भगवान विष्णु के प्रथम अवतार (मत्स्यावतार) से मानती है।
• राजस्थान में आदिवासी जनसंख्या की दृष्टि से मीणा जनजाति का प्रथम स्थान है।
1. मीणा 2. भील 3. गरासिया
• निवास क्षेत्र:- मुख्यतया जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, 
करौली, अलवर, टोंक, भरतपुर और उदयपुर जिलों में निवास करती है। 
• सर्वाधिक आबादी:- जयपुर जिलें में।
• राजस्थान की जनजातियों में सबसे संपन्‍न तथा शिक्षित जनजाति - मीणा।
 • मीणा जनजाति में दो वर्ग होते है -
1. जमींदार मीणा
2. चौकीदार मीणा

मुनि मगन सागर की रचना:- मीणा पुराण।

सामाजिक जीवन:- 
• विवाह:- प्राचीनकाल में मीणा जनजाति में ब्रहम व गन्धर्व विवाह का प्रचलन था। वर्तमान में अन्य समाजों की भांति रीति-रिवाज के अनुसार विवाह संपन्न होते हैं। 
• मोरनी मांडना - विवाह के दौरान एक रस्म।
• परिवार:- मीणा जाति में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है तथा परिवार पितृसत्तात्मक होते हैं। निःसन्तान दम्पत्ति को गोद लेने का अधिकार है।
• सामाजिक नियंत्रण:- मीणाओं की परम्परागत पंचायत के चार स्तर होते हैं- 
ग्राम पंचायत, गौत्र पचायत, क्षेत्रीय पंचायत व चौरासी पंचायत।
सामाजिक झगड़ों, नाता विवाह, तलाक, मौसर, चरित्रहीनता, ऋण आदि झगड़ों को पंचायत ही निपटाती है।
सबसे बड़ी पंचायत चौरासी पंचायत होती है।
• नृत्य:- होली के तीसरे दिन खेरवाड़ और डूंगरपुर में नेजा नृत्य किया जाता है।
• मीणा जनजाति के मुख्य देवता -
1. भूरिया बाबा   2. बुझ देवता

आर्थिक जीवन:-
मीणा प्रधानत: कृषक वर्ग है, जो कृषि के साथ पशुपालन भी करते हैं।
सरकारी सेवाओं में आरक्षण के कारण वर्तमान में इनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति अन्य समुदायों से तुलनात्मक रूप में बेहतर हो गई है।

भील जनजाति
• भील शब्द की उत्पत्ति वील से हुई है, जिसका अर्थ होता है - तीर कमान
• भील राजस्थान की सबसे प्राचीन जनजाति है।
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