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पीएम केयर्स फंड हाल ही चर्चा में क्यों ?

पीएम केयर्स फंड


प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (Prime Minister's National Relief Fund )

पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिये जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता के अंशदान से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की धनराशि का इस्तेमाल अब बाढ, चक्रवात और भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों, मेडिकल ट्रीटमेंट तथा बड़ी दुर्घटनाओं एवं दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत (Immediate relief) पहुँचाने के लिये किया जाता है।

संरचना
एक समिति द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें -
प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), उप प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष, फिक्की और टाटा ट्रस्ट का एक-एक प्रतिनिधि

• 1985 में समिति ने फंड का पूरा प्रबंधन प्रधानमंत्री को सौंपा, जिनके पास वर्तमान में फंड वितरण के लिए विवेकाधिकार है। अर्थात प्रधानमंत्री फंड की धनराशि का उपयोग सदस्यों की स्वीकृति के बिना कर सकता है।
प्रधानमंत्री के पास फंड के प्रबंधन के लिए निधि का सचिव नियुक्त करने का एकाधिकार है।

• इसके अंतर्गत न्यूनतम दान ₹100 का किया जा सकता है।

समानता
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में किये गये अंशदान को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80G के तहत कर योग्य आय से पूरी तरह छूट हेतु अधिसूचित किया जाता है।

दोनों फंड को सीएसआर अधिनियम 2013 के अंतर्गत रखा गया है।
अर्थात कोई कंपनी दान करती है, तो दान की गई राशि को उसकी सीएसआर गतिविधियों में शामिल किया जा सकता है।

दोनों फंड को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) से बाहर रखा गया है।
अतः इनमें विदेशी कंपनियां भी दान कर सकती है।
FCRA - Foreign contribution regulation act.

ऑडिट (हिसाब-किताब)
स्वतंत्र अथॉरिटी से ऑडिट करवाया जाएगा, जिसका सरकार से संबंध नहीं होगा।
• वर्तमान में PNNRF को Sarc & Associates, Chartered Accountants ऑडिट कर रही है।

• भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) इसका ऑडिट नहीं कर सकता है।

RTI
ट्रस्ट किसी को भी कोई भी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि RTI अधिनियम 2005 की धारा 2(h ) के दायरे में 'पीएम- केयर्स फंड' एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' नहीं हैं।

धनराशि
इसमें कोई भी व्यक्ति या संगठन स्वैच्छिक योगदान कर सकता है।
सरकार इसके लिए बजट में धनराशि आवंटित नहीं करती है।

• सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs जैसे - LIC, रेलवे) PMNRF में योगदान नहीं कर सकते हैं।

• विधायक या सांसद MPLADS से योगदान नहीं कर सकते हैं।


पीएम केयर्स फंड के बारे में जानें 

हाल ही में केंद्र सरकार ने COVID-19 महामारी द्वारा उत्पन्न किसी भी प्रकार की आपातकालीन या संकटपूर्ण स्थिति से निपटने हेतु 'आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (Prime Minister's Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund)' अर्थात् 'पीएम-केयर्स फंड' (PM-CARES Fund) की स्थापना की थी।

• इस फंड की स्थापना 28 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई।

• इस फंड का उपयोग आपदा प्रबंधन और अनुसंधान के लिए भी किया जा सकता है।

संरचना
• पीएम केयर्स फंड एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट (Public Charitable Trust) है और प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं।
साथ ही रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसमें पदेन ट्रस्टीयों के रूप में शामिल हैं, जो कि स्पष्ट तौर पर इसके सार्वजनिक प्राधिकरण होने का संकेत देता है।

• प्रधानमंत्री तीन अन्य सदस्यों को भी मनोनीत कर सकते हैं।
अतः इसमें कुल सदस्यों की संख्या 7 हो सकती है।

• इसके अंतर्गत धनराशि का उपयोग फंड के नियम और मापदंडों के अनुसार ही किया जा सकता है।

• इसके अंतर्गत न्यूनतम दान ₹10 का किया जा सकता है।

ऑडिट (हिसाब-किताब)
स्वतंत्र अथॉरिटी से ऑडिट करवाया जाएगा, परंतु उसकी नियुक्ति ट्रस्टीयों द्वारा की जाएगी।
• 3 वर्ष के लिए पीएम-केयर्स फंड को ऑडिट करने की जिम्मेदारी भी Sarc & Associates, Chartered Accountants को ही दी गई है।

• भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) इसका ऑडिट नहीं कर सकता है।

RTI
ट्रस्ट किसी को भी कोई भी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि RTI अधिनियम 2005 की धारा 2(h ) के दायरे में 'पीएम- केयर्स फंड' एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' नहीं हैं।

धनराशि
इसमें कोई भी व्यक्ति या संगठन स्वैच्छिक योगदान कर सकता है।
सरकार इसके लिए बजट में धनराशि आवंटित नहीं करती है।

• सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs जैसे - LIC, रेलवे) PM-CARES में योगदान कर सकते हैं।

• विधायक या सांसद MPLADS से भी योगदान कर सकते हैं।


 RTI अधिनियम, 2005 की धारा 2( h )
इस धारा के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण से तात्पर्य ऐसी संस्थाओं से हैं: -
• जो संविधान या इसके अधीन बनाई गए किसी अन्य विधान द्वारा निर्मित हो
• राज्य विधानमंडल द्वारा या इसके अधीन बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा निर्मित हो
• केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी किसी अधिसूचना या आदेश द्वारा निर्मित हो
• पूर्णत: या अल्पत: सरकारी सहायता प्राप्त हो।
सीएसआर क्या है ?
सीएसआर से तात्पर्य उन गतिविधियों व व्यवहार से है, जिसमें एक कंपनी/कॉर्पोरेट लाभार्जन के बदले जनकल्याण व विकास गतिविधियों को संचालित करती है।

वह कंपनी जिसका टर्नओवर 1000 करोड़ या नेटवर्थ 500 करोड़ या औसत लाभ 5 करोड़ हो ऐसी कंपनियां अपने लाभ का 2% सीएसआर के अंतर्गत खर्च करेंगी।
सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLAD)
इस योजना का प्रारम्भ वर्ष 1993-94 में किया गया है।
यह शत प्रतिशत केन्द्र प्रविर्तित योजना है।
इस योजना के अंतर्गत क्षेत्र की आवश्यकता अनुसार सामुदायिक उपयोग हेतु संसदीय विकास कार्यों के लिए प्रत्येक सांसद को सालाना ₹5 करोड़ का कोष उपलब्ध कराया जाता है।
क्षेत्र में शिक्षा एवं संस्कृति के प्रचार हेतु एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम ₹10 लाख के कार्य स्वीकृत किए जा सकते है।
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में 10 लाख एवं विकराल प्राकृतिक आपदा प्रभावित जिले में अधिकतम 25 लाख के कार्यो की अभिशंषा की जा सकती है।

विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MLALAD)
इस योजना का प्रारम्भ वर्ष 1999-2000 में राज्य सरकार द्वारा किया गया।
इस योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्रति वर्ष विधायक द्वारा ₹2 करोड़ के सामुदायिक कार्य जिनमें पेयजल.प्रारम्भिक जलस्त्रोतों के विकास, ग्रेवल, डामर, सीमेन्ट सड़क, सीवरेज, नाली निर्माण, शिक्षण संस्थाओं के लिए फर्नीचर,कम्प्यूटर,खेल सामग्री,बस-स्टैण्ड, विश्राम गृह, चारदीवारी आदि का निर्माण करवाया जा सकेगा।



पीएम केयर्स फंड हाल ही चर्चा में क्यों ?

18 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पीएम केयर्स फंड राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से अलग है।
सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड की धनराशि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में स्थानांतरित करने से संबंधित याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से निपटने के लिए सरकारी प्रक्रिया में किसी हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि यह सरकार तय करती है, कि किसे किस तरह से मदद करनी है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के गठन और प्रशासन के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कोष उसका उपयोग सीमित महामारियों के लिए था।
उन महामारियों में जैविक और पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी शामिल नहीं थी।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 46 के तहत गठित राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ), अधिसूचित आपदाओं के जवाब के लिए राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक निधि है।
• गौरतलब है कि एनडीआरएफ का ऑडिट सीएजी करता है परंतु पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट का ऑडिट सीएजी से नहीं कराया जाता है।

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