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प्लाज्मा थेरेपी ।। प्लाज्मा बैंक क्या है ?

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प्लाज्मा थेरेपी ।। प्लाज्मा बैंक


हाल ही 2 जुलाई 2020 को दिल्ली में देश का पहला प्लाज्मा बैंक खोला गया है।
14 जुलाई 2020 को दिल्ली में दूसरा प्लाज्मा बैंक खोला गया है।

प्लाज्मा क्या होता है ?


प्लाज्मा रक्त में उपस्थित एक तरल पदार्थ होता है, जिसका 92% भाग जल होता है।
प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोस, मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड होते हैं।
शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन रक्त के प्लाज्मा द्वारा होता है।

एंटीबॉडी

एंटीबॉडी हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाला एक प्रोटीन है। यह एंटीजन नामक बाहरी हानिकारक तत्वों से लड़ने में मदद करता है। जब शरीर में एंटीजन प्रवेश करता है, तब इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है।
एंटीबॉडी, एंटीजन के साथ जुड़कर एंटीजन को बांध देते हैं और साथ ही इनको निष्क्रिय भी कर देते हैं।

प्लाज्मा थेरेपी में इलाज

कोरोना संक्रमित व्यक्ति ठीक हो जाता है, तो उसके शरीर में
एंटीबॉडी बनती है। यह एंटीबॉडी उसको ठीक होने में मदद करती है। ऐसा व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
उसके खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है और जब किसी दूसरे मरीज में डाला जाता है, तो बीमार मरीज में यह  एंटीबॉडी पहुंच जाती है, जो उसे ठीक होने में मदद करती है। एक शख्स से निकाले गए प्लाज्मा की मदद से दो लोगों का इलाज संभव है।
कोरोना निगेटिव आने के दो हफ्ते बाद व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।

क्या है पूरी प्रक्रिया
इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। इसमें सबसे पहले मरीज की बांह में इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके
बाद एक मशीन के जरिये खून निकाला जाता है। उसमें प्लेटलेट्स को अलग किया जाता है।
खून निकालने के बाद ही इसमें प्लाज्मा को तैयार किया जाता है। जब यह तैयार हो जाता है तो इसे मरीज के शरीर में सुई के जरिये इंजेक्ट कर दिया जाता है।

थेरेपी के उपयोग/फायदे

• इंफेक्शन का पता लगाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है क्योंकि कई रोग संक्रमण से ही होते हैं।
• अचानक चोट लगने या खिलाड़ियों के साथ खेल के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
• ट्रांसप्लांट के मामलों में समस्या आने पर यह थेरेपी उपयोगी है।
• इम्यूनिटी बढ़ाने में।
• समय कम लगता है और व्यक्ति को किसी तरह का दर्द भी नहीं होता।

थेरेपी की सीमाएं

• डोनर्स की अनुपलब्धता।
• प्लाज्मा थेरेपी में ब्लड ग्रुप का मैच करना जरूरी होता है।
• इसमें रक्तजनित संक्रमणों का खतरा भी बना रहता है।

प्लाज्मा दान कौन कर सकता है ?

• 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच का व्यक्ति जिसका वजन 50 किलोग्राम से अधिक हो, प्लाज्मा दान कर सकता है।
• महिलाएं जो अपने जीवन में कभी गर्भवती रही है, वो प्लाज्मा दान नहीं कर सकती हैं।

प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत हलके-फुलके लक्षणों वाले मरीजों को नहीं पड़ती, क्योंकि वे सामान्य दवाओं से ही ठीक हो जाते हैं। जिन मरीजों में संक्रमण के लक्षण स्पष्ट हो लेकिन उनकी स्थिति अति गंभीर न हो, ऐसे लोगों में इसका प्रयोग किया जाता है।

नोट - केवल प्लाज्मा थेरेपी से ही पूरी तरह बचाव संभव नहीं है। मरीजों को इसके साथ अन्य दवाएं भी दी जाती हैं।

स्त्रोत - विभिन्न समाचार पत्र।

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