सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन
हाल ही जुलाई 2020 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए मंजूरी पत्र जारी किया है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को अब सेना की सभी दस शाखाओं में स्थायी कमीशन मिलेगी।
सेना में फिलहाल महिला अधिकारियों को केवल दो शाखाओं जज एडवोकेट जनरल और शिक्षा कोर में ही स्थायी कमीशन मिलता था।
17 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का फैसला सुनाया था। 23 जुलाई को सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
• इस फैसले से सेना में महिलाओं की पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।
• शार्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं लेफ्टिनेंट कर्नल से आगे नहीं बढ़ पाती हैं। स्थाई कमीशन मिलने से महिलाओं के लिए कर्नल, ब्रिगेडियर और जनरल बनने का रास्ता भी खुलेगा।
सेना में लैंगिक समानता की मुहिम का मिला परिणाम
शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के अंतर्गत महिला अधिकारियों को शुरू में 5 वर्ष के लिए लिया जाता था, जिसे बढ़ा कर 14 वर्ष तक किया जा सकता था।
स्थायी कमीशन मिलने से उन्हें सेवानिवृत्ति की उम्र तक सेवा का लाभ मिलेगा।
लंबे समय से महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन की मांग उठ रही थी।
सेना में स्थायी कमीशन का तात्पर्य
बता दें कि इस आदेश से पहले सेना और नेवी में महिलाएं पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत नियुक्त होकर ही काम करती थीं
अब उन्हें पुरुष अफसरों की तरह स्थायी कमीशन हेतु आवेदन का मौका मिल सकेगा।
स्थायी कमीशन के तहत कोई अफसर रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है और इसके बाद वह पेंशन का भी हकदार होगा।
• सेवानिवृत्ति की आयु संबंधित व्यक्ति के पद पर निर्भर होती है।
• स्थाई कमीशन से भर्ती व्यक्ति को एसएससी में जाने की अनुमति नहीं होती।
• वैध कारण पर समय पूर्व सेवानिवृत्ति का आवेदन किया जा सकता है।
• पेंशन पाने के लिए न्यूनतम 20 साल की नौकरी करनी होती है।
स्थायी कमीशन दिये जाने का मतलब यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब रिटायरमेंट (सेनानिवृत्ति) की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं। यदि वे चाहें तो पहले भी नौकरी से इस्तीफा दे सकती हैं।
अब तक शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में नौकरी कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प दिया जाएगा। अर्थात 14 साल सेे ज्यादा समय से कार्यरत और स्थाई कमीशन का विकल्प नहीं लेने वाली महिला अधिकारी 20 साल तक सेवा में रह सकेगी ताकि पेंशन की पात्रता मिल जाए।
• एसएससी महिला अधिकारी जिनका सेवाकाल 20 साल से ज्यादा हो गया है और जिन्हें स्थाई कमीशन नहीं मिला, वे नीति के मुताबिक पेंशन पर रिटायर होगी।
अब तक शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में नौकरी कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प दिया जाएगा। अर्थात 14 साल सेे ज्यादा समय से कार्यरत और स्थाई कमीशन का विकल्प नहीं लेने वाली महिला अधिकारी 20 साल तक सेवा में रह सकेगी ताकि पेंशन की पात्रता मिल जाए।
• एसएससी महिला अधिकारी जिनका सेवाकाल 20 साल से ज्यादा हो गया है और जिन्हें स्थाई कमीशन नहीं मिला, वे नीति के मुताबिक पेंशन पर रिटायर होगी।
वर्तमान स्थिति और दूसरा पक्ष
हमारे देश में महिला अधिकारी सेनाओं में नॉन- कॉम्बेट रोल यानि प्रशासन, शिक्षा, सिग्नल्स, इंटेलीजेंस, इंजीनियरिंग, एटीसी इत्यादि में ही काम कर सकती हैं।
महिलाओं को एयर फोर्स में फाइटर स्ट्रीम में शामिल करने की घोषणा हो चुकी है, लेकिन नौसेना और थलसेना में ऐसे प्रयासों की कमी रही है।
देश में महिलाओं को सेना में कॉम्बेट (लड़ाकू) रोल देने के लिये काफी समय से आवाज उठ रही है, लेकिन सेनाएं खुद महिलाओं की भूमिका को लेकर संशय में थीं। यहां तक कि रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में तीनों सेनाओं की एक उच्च स्तरीय समिति ने 2006 में और फिर 2011 में महिलाओं को लड़ाकू बेड़े में शामिल करने से साफ इंकार कर दिया था।
महिलाओं को एयर फोर्स में फाइटर स्ट्रीम में शामिल करने की घोषणा हो चुकी है, लेकिन नौसेना और थलसेना में ऐसे प्रयासों की कमी रही है।
देश में महिलाओं को सेना में कॉम्बेट (लड़ाकू) रोल देने के लिये काफी समय से आवाज उठ रही है, लेकिन सेनाएं खुद महिलाओं की भूमिका को लेकर संशय में थीं। यहां तक कि रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में तीनों सेनाओं की एक उच्च स्तरीय समिति ने 2006 में और फिर 2011 में महिलाओं को लड़ाकू बेड़े में शामिल करने से साफ इंकार कर दिया था।
भारतीय वायु सेना की लेफ्टिनेंट भावना कांत लड़ाकू विमान में युद्धक मिशन पर जाने की योग्यता प्राप्त करने वाली पहली महिला पायलट है।
मोहना सिंह हॉक विमान उड़ाने वाली पहली महिला पायलट है।
शालीजा धामी भारत की पहली महिला फ्लाइट कमांडर बनी है।
हिना जायसवाल पहली भारतीय महिला फ्लाइट इंजीनियर है।
पोनूंग डोमिंग अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला लेफ्टिनेंट कर्नल है।
अवनी चतुर्वेदी फाइटर प्लेन उड़ाने वाली पहली महिला पायलट है।
तानिया सान्याल पहली महिला फायर फाइटर है।
कैप्टन तानिया शेरगिल सेना दिवस (15 जनवरी 2020) के अवसर पर पुरुषों की परेड का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनी।
तानिया शेरगिल ने 26 जनवरी 2020 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरुषों की परेड का भी नेतृत्व किया।
गौरतलब है कि 26 जनवरी 2019 को कैप्टन भावना कस्तूरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरुषों की परेड का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनी थी।
सेना दिवस कब मनाया जाता है ? - 15 जनवरी
वायु सेना दिवस कब मनाया जाता है? - 8 अक्टूबर
• इंडियन एयर फोर्स की पहली तीन महिला पायलट जो 'सुपर सोनिक फाइटर जेट' उड़ाने में सक्षम है जिनमें अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत शामिल है तीसरी कौन है बताइए ?
A. हीना जयसवाल
B. दीपिका गर्ग
C. मोहना सिंह
D. अनुप्रिया
उतर: C
• इंडियन नेवी की पहली महिला पायलट कौन बनी ?
A. हरिता कौर
B. ममता देसाई
C. किरण शर्मा
D. शुभांगी स्वरूप
उतर: D
• एयर फोर्स की पहली महिला 'फ्लाइट इंजीनियर' कौन है ?
A. हिना जायसवाल
B. कविता यादव
C. मोनिका कुमारी
D. मंजू बाला
उतर: A
नोट - वायु सेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन पहले से ही मिल रहा है।
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