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गुरु का महत्त्व ।। कहानी

Guru purnima story, www.devedunotes.com



गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

आज 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरू के महत्त्व से संबंधित एक कहानी पढ़ते है -

गुरु का महत्त्व

• एक युवक अत्यंत जिज्ञासु प्रवृत्ति का था। वह अल्प समय में सभी प्रकार का ज्ञान हासिल करना चाहता था। इसके लिए वह अक्सर पुस्तकालय जाता और वहां नई-पुरानी सभी प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन करता रहता था।
• लगातार किताबें पढ़ते रहने से युवक के ज्ञान में काफी वृद्धि हुई भी थी और उसे इसका बहुत अहंकार भी था।
• एक बार युवक को घुड़सवारी सीखने की इच्छा हुई। वह तत्काल पुस्तकालय में पहुंचा और वहां घुड़सवारी से संबंधित पुस्तक खोजने लगा। काफी देर खोजने के बाद उसे एक पुस्तक मिली, जिसमें घुड़सवारी के गुर लिखे हुए थे। उसने एक दिन में ही पूरी पुस्तक पढ़ डाली।
• अगले दिन वह अपने एक मित्र के घर गया जिसके पास एक घोड़ा था। घोड़ा देखकर युवक ने मित्र से घुड़सवारी का आग्रह किया। मित्र ने कहा बैठकर देखो।
• युवक ने घोड़े पर चढ़ने का प्रयास किया, परंतु घोड़े ने उसे गिरा दिया, क्योंकि वह केवल अपने मालिक को पहचानता था।
• युवक ने हरसंभव कोशिश की, लेकिन सफल ना हो सका तब मित्र ने पूछा - तुमनें घुड़सवारी कहां से सीखी ?
• युवक बोला - किताब से। यह सुनकर मित्र ने कहा - "किताबें पढ़कर ही सभी कलाएं नहीं सीखी जा सकती। इसके लिए गुरु की जरूरत होती है। प्रत्येक विद्या का ज्ञान पुस्तकों से होना संभव नहीं है। विषय पर पूर्ण अधिकार व दक्षता हासिल करने के लिए किसी योग्य गुरु का मार्गदर्शन लेना चाहिए।"

प्रश्न. वह विद्यार्थी जो आचार्य के पास ही निवास करता
हो ? - अंतेवासी।

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