आपका स्वागत है, डार्क मोड में पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें PDF के लिए टेलीग्राम चैनल DevEduNotes2 से जुड़े।

विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक स्तर पर

Indian economy


भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 

10 जुलाई 2020 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.108 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 516.362 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया।
• विश्व में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों की सूची में भारत 5वें स्थान पर है। चीन इस सूची में पहले स्थान पर है।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है ?

• इसे फोरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है।
• विदेशी मुद्रा भंडार सोना और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विशेष आहरण अधिकार (SDR) तथा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों हेतु भारत द्वारा संचित एवं आरबीआई द्वारा नियंत्रित की जाने वाली बाहरी संपत्ति है।
• विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में डॉलर को बाहर रखते हुए पाउंड, येन और अन्य विदेशी मुद्राओं के संग्रह, एफडीआई और बाहरी कर्ज जैसी चीजों को शामिल किया जाता है।
गौरतलब है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सर्वाधिक हिस्सेदारी विदेशी मुद्रा संपत्तियों की है।
• भुगतान संतुलन में विदेशी मुद्रा भंडारों को आरक्षित परिसंपत्तियाँ कहा जाता है तथा ये पूंजी खाते में होते हैं।

10 जुलाई, 2020 को विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) = 475.635 अरब डॉलर
गोल्ड रिजर्व = 34.729 अरब डॉलर
आईएमएफ के साथ एसडीआर = 1.453 अरब डॉलर
आईएमएफ के साथ रिजर्व की स्थिति = 4.545 अरब डॉलर

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने के कारण

कोराना संकट के चलते अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है। इसका प्रमुख कारण भारतीय शेयरों में विदेशी निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ना है।
• रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी जियो प्लेटफार्म में कुल विदेशी निवेश बढ़ा है।
• कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से आयात बिल में भी कमी दर्ज की गई है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत हुई है।
• निर्यात बढ़ने और आयात घटने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है।

विदेशी मुद्रा भंडार का महत्त्व

• अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार राष्ट्रीय मुद्रा के मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन के लिए नीतियों में समर्थन और विश्वास बनाए रखने के उद्देश्य के लिए होता है।
• संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कम हो जाती है, तो विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखती है।
• सरकार और रिजर्व बैंक को बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सहायता मिलती है।
• डॉलर के मुकाबले रुपया सशक्त होता है।
• भुगतान संतुलन में सहायक होता है।
• विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से यह बाजारों को विश्वास प्रदान करता है।
• राष्ट्रीय आपदा या अन्य आपात परिस्थितियों के लिए रिजर्व बनाए रख सकता है।

नोट - भारत की जीडीपी में विदेशी मुद्रा भंडार की हिस्सेदारी 15% है।
देश का वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार 1 वर्ष के आयात बिल को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

नोट - विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि कोरोना संकट के कारण अधिकांश यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों द्वारा चीन से विस्थापित होकर भारत में निवेश करने की संभावना है।

अन्य संबंधित तथ्य

यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD अंकटाड) की वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2020 के अनुसार 2019 में एफडीआई आकर्षित करने के मामले में भारत नौवें स्थान पर रहा।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में केमैन आईलैंड भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की दृष्टि से पांचवा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा।
• केमैन आईलैंड ब्रिटेन के आधिपत्य वाला बाहरी क्षेत्र है।
• निवेशक भारत में निवेश करने के लिए केमैन आईलैंड के रास्ते को ज्यादा अपनाने लगे हैं, क्योंकि वहां आयकर नहीं लगता है।

• FCA = Foreign Currency Assets.
• SDR = Special Drawing Rights.

SAVE WATER

Post a Comment

1 Comments