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वर्ल्ड सोलर बैंक और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

International solar alliance, www.devedunotes.com


वर्ल्ड सोलर बैंक

हाल ही जून 2020 में भारत ने वर्ल्ड सोलर बैंक का प्रस्ताव दिया है।
जिससे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के मिशन को पूरा करने के लिए वित्त व प्रौद्योगिकी की लागत में कमी लाई जा सकती है।
• यह बैंक 10 बिलियन डॉलर तक का हो सकता है।
• भारत का विचार इसमें 30% तक हिस्सेदारी का है।
साथ ही भारत चाहता है कि इसका मुख्यालय भारत में ही हो।
लाभ
1. इससे भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नए मानक स्थापित कर सकेगा।
2. इससे भारत तीसरी दुनिया के देशों में स्वतंत्रतापूर्वक उर्जा सुरक्षा की भूमिका निभा सकता है।
3. इससे ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड की योजना में सहायता मिलेगी। (वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड)
4. ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियाई इन्फ्राट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) के मुख्यालय क्रमश: चीन के शंघाई और बीजिंग में है। अतः वर्ल्ड सोलर बैंक का मुख्यालय भारत में होगा तो भारत, चीन के साथ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।

वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड (OSOWOG)

चर्चा में क्यों?
हाल ही अगस्त 2020 में  पीएम मोदी ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG) योजना की घोषणा की है।

क्या है वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड पहल ?
• 2018 के देहरादून इन्वेस्टर सम्मिट में प्रधानमंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा में आगे बढ़ते हुए 'वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड' का नारा दिया था।
• अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन से प्राप्त ऊर्जा को वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड के तहत जोड़े जाने का नारा दिया गया था।

• ग्लोबल इलेक्टिसिटी ग्रिड परियोजना के तहत भारत का उद्देश्य दुनिया भर में सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिए एक ट्रांस-नेशनल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड बनाना है।
OSOWOG 140 देशों को एक कॉमन ग्रिड के माध्यम से जोड़ेगा जो सौर ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किया जाएगा।

OSOWOG के तीन चरण
प्रथम चरण: भारतीय ग्रिड मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई ग्रिड से जुड़ा होगा।
ईस्ट जोन में म्यांमार, वियतनाम, थाइलैंड, लाओस, कंबोडिया जैसे देश शामिल होंगे।
द्वितीय चरण: सौर और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में समृद्ध अफ्रीकी क्षेत्र के देशों के साथ पहले चरण के राष्ट्रों को कनेक्ट करें।
वेस्ट जोन में मध्य पूर्वी और अफ्रीका क्षेत्र के देशों को कवर किया जायेगा।

तृतीय चरण : वैश्विक अंतर्संबंध।

• इस प्रोजेक्ट में टेक्निकल सपोर्ट विश्व बैंक के द्वारा प्रदान किया जाएगा।
• सरकार द्वारा प्रस्तावित इस योजना को अमेरिका के पेरिस पर्यावरण समझौते से पीछे हटने एवं चीन
की वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) पहल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

• ऐसी सीमापारीय ऊर्जा परियोजनाओं को दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों, मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर शुरू कर भारत वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की मंशा रखता है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रॉस बॉर्डर सोलर कनेक्टिविटी का विचार अक्टूबर 2019 में दिया था। (सीमापारीय सौर ऊर्जा गलियारे)

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) क्या है ?

International Solar Alliance

• भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत 2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन में की गई थी। यह सौर ऊर्जा से संपन्न देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है।
• 121 देश इसमें शामिल है। इनमें से 80% देश कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित है अर्थात यह सूर्य से सबसे कम दूरी पर है। अतः यहा पर वर्षभर सौर ऊर्जा की उपलब्धता रहती है।
• अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन  सौर ऊर्जा के विकास और उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
• इसका मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में स्थित है।
• ISA का लक्ष्य 2030 तक 1000 गीगावॉट (1 ट्रिलियन वॉट) से अधिक की सौर ऊर्जा उत्पादन स्थापित क्षमता के साथ सौर ऊर्जा में $1000 बिलियन का निवेश शामिल है।
• 11 मार्च 2018 को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया।

वन बेल्ट वन रोड परियोजना (OBOR) क्या है ?

One Belt One Road.
• ओबोर को 21वीं सदी का सिल्करोड भी कहा जाता है। जिसके तहत चीन प्राचीन सिल्क मार्ग को पुनः विकसित कर रहा है।
• अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना के जरिए चीन सड़कों, रेल, बंदरगाह, पाइपलाइनों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से मध्य एशिया से लेकर यूरोप और फिर अफ्रीका तक स्थलीय व समुद्री मार्ग तैयार कर रहा है।

नोट - चीन की वन बेल्ट वन रोड पहल विश्व भर के देशों में अवसंरचनात्मक विकास परियोजनाओं पर केंद्रित है, वहीं भारत की वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड योजना सौर ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया भर के देशों के साथ सहयोग पर केंद्रित है।

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों, मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों से जुडाव हेतु भारत द्वारा किए गए प्रयास -

• भारत द्वारा अपनी उर्जा कूटनीति के तहत बांग्लादेश में मैत्री सुपर थर्मल पावर प्लांट, नेपाल में रामपाल पावर प्लांट की शुरुआत की गई है।
• नेपाल के साथ मोतिहारी से अमलेखगंज तक सीमापारीय तेल पाइपलाइन की शुरुआत की गई है।
• भारत, म्यांमार और थाईलैंड के बीच बनने वाले त्रिपक्षीय राजमार्ग को वियतनाम, लाओस और कंबोडिया तक विस्तारित करने का निर्णय लिया जा चुका है।
• म्यांमार के साथ कलादान मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
• भारत और आसियान देशों के बीच में मेकोंग गंगा प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
• भारत सरकार ने अफ्रीका में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए रियायती ब्याज दरों पर दस अरब डॉलर की कर्ज सुविधा का भी प्रावधान किया है। भारत का आयात निर्यात बैंक आइएसए के सदस्य देशों के साथ मिलकर इस कर्ज सुविधा को लागू कर रहा है।
• भारत ने 25 सितंबर, 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान प्रशांत द्वीपीय क्षेत्र के विकासशील देशों (कैरीकॉम देशों) को उनके यहां सौर ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु से संबधित परियोजनाओं के लिए रियायती दरों पर 150 मिलियन डॉलर कर्ज सुविधा की घोषणा की थी। (15 करोड़ डॉलर)

अन्य संबंधित तथ्य

कैरेबियन समुदाय (Caribbean Community- CARICOM)

• इसे वर्ष 1973 में चैगुआरामास की संधि के तहत स्थापित किया गया है।
• यह कैरेबियन देशों का साझा बाजार क्षेत्र है। जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक वृद्धि और व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ विदेश नीतियों में समन्वय स्थापित करना है।
• कैरीकॉम में 15 सदस्य और 5 सहायक सदस्य है।
• मुख्यालय: जॉर्जटॉउन (गुयाना)

नवीकरणीय  ऊर्जा

प्राकृतिक संसाधनों, जैसे-सूर्य ताप , वायु , वर्षा , ज्वार और भूतापीय गर्मी से उत्पन्न ऊर्जा को नवीकरणीय  ऊर्जा कहते है। जैसे - सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पनबिजली, बायोमास और जैव ईंधन।

भारत सरकार ने 2022 के आखिर तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है -
 सौर ऊर्जा से
 100 गीगावॉट
 पवन ऊर्जा से
  60 गीगावॉट
 बायोमास ऊर्जा से
  10 गीगावॉट
 लघु पनबिजली से
   5 गीगावॉट
                     कुल 
 175 गीगावॉट


एशिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना
10 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के रीवा में एशिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया।
यह परियोजना 750 मेगावाट की है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने सौर ऊर्जा को श्योर, प्योर और सिक्योर बताया।

हाल ही जुलाई 2020 में मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ गणराज्य अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला 87 वां देश बन गया है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का आगाज नवंबर 2015 में पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति हॉलैंड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।

हाल ही अक्टूबर 2020 में वर्चुली आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) की तीसरी बैठक में भारत और फ्रांस को अगले दो साल के कार्यकाल के लिए फिर से अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष चुना गया है। बैठक में कुल 53 सदस्य देशों और 5 हस्ताक्षरकर्ता और भावी सदस्य देशों ने हिस्सा लिया।

ISA के चार क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चार नए उपाध्यक्ष भी चुने गए -
एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए फिजी और नाउरू
अफ्रीका क्षेत्र के लिए मॉरीशस और नाइजर
यूरोप और अन्य क्षेत्र के लिए यूके और नीदरलैंड
लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र के लिए क्यूबा और गुयाना

SAVE WATER

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