दक्षिण चीन सागर विवाद
चर्चा में क्यों ?हाल ही कोरोनावायरस महामारी के बीच चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपनी विवादित गतिविधियां बढ़ाई हैं।
• चीन ने यहां की 80 जगहों के नाम बदल दिए हैं। इनमें से 25 द्वीप और चट्टानें हैं। बाकी 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक ढांचे हैं। चीन सरकार ने इन इलाकों को लेकर दक्षिण चीन सागर में दो नए जिले स्थापित करने की आधिकारिक घोषणा कर दी है।
• इसके अलावा मार्च 2020 में चीन द्वारा कृत्रिम द्वीपों पर दो नए रिसर्च स्टेशन शुरू किए गए हैं।
• मार्च 2020 के बाद से चीनी लड़ाकू जेट ताइवान के तट पर जमकर हवाई अभ्यास कर रहे हैं।
• अप्रैल 2020 में चीनी लड़ाकू जहाजों ने एक वियतनामी पोत को टक्कर मार-मार कर डुबो दिया। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर पर अधिकार जताने से नाराज होकर वियतनाम ने कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के खिलाफ शिकायत की थी।
• चीन द्वारा अप्रैल 2020 में पूर्वी चीन सागर में स्थित जापान के नियंत्रण वाले सेनकाकू द्वीप के पास जापान की समुद्री सीमा में जहाज भेजें गए।
दक्षिण चीन सागर की भौगोलिक स्थिति
यह चीन के दक्षिणी भाग, वियतनाम के दक्षिण-पूर्वी भाग, फिलीपींस के पश्चिम और र्बोनियो द्वीपसमूह के उत्तरी भाग में अवस्थित है।
इसके दक्षिण–पूर्वी हिस्से पर ताइवान की दावेदारी है।
यह पूर्वी चीन सागर के साथ ताइवान जलसंधि द्वारा तथा फिलीपींस सागर के साथ लूजॉन जलसंधि द्वारा जुड़ा हुआ है।
दक्षिण चीन सागर का महत्व
1. दक्षिण चीन सागर में वैश्विक जैव-विविधता का एक-तिहाई भाग पाया जाता है।2. दक्षिण चीन सागर में स्थित पारासल और स्प्रैटली द्वीप कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार है।
एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी परिधि में करीब 11 अरब बैरल प्राकृतिक गैस और तेल तथा मूंगे के विस्तृत भंडार मौज़ूद हैं।
3. दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने हेतु यहाँ पर्याप्त मत्स्य संसाधन उपलब्ध हैं।
4. वैश्विक नौ परिवहन व्यापार का एक-तिहाई हिस्सा इसी मार्ग से होता है। (UNCTAD के अनुसार)
3 लाख करोड़ डॉलर का विश्व व्यापार जहाज़ों के द्वारा प्रतिवर्ष दक्षिण चीन सागर से होता है।
5. यह मलक्का जलसंधि द्वारा हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ता है। अतः यह सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
6. इस महासागर में प्रचुर मात्रा में कोरल रीफ (मूंगा प्रवाल), एटॉल और द्वीप समूह आदि पाए जाते हैं।
दक्षिण चीन सागर विवाद क्या है ?
यह क्रमशः वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई व फिलिपींस के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के भाग है परंतु इन द्वीप समूहों पर चीन द्वारा अधिकार कर लिया गया है।
चीन इन द्वीप समूहों का सैन्यकरण भी कर रहा है। जैसे - मिसाइल प्रक्षेपण तंत्र की स्थापना करना।
दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा कृत्रिम द्वीपों का निर्माण किया जा रहा है।
चीन ने लगभग 80% दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा किया है। यह दावा ऐतिहासिक नाइन डैश लाईन थ्योरी के आधार पर किया गया है।
यह लाइन चीन ने 1947 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद खिंची थी।
“नाइन-डैश” लाइन क्या है ?
यह एक काल्पनिक रेखा है। जिसे सीधे ना खींचकर डैश के रूप में खींंचा गया है।
यह रेखा चीन के दक्षिणी हैनान द्वीप से लेकर पारासल और स्प्रैटली द्वीपों तक विस्तृत है। चीन का दावा है कि लगभग 2000 वर्ष पूर्व इन दोनों द्वीप श्रृंखलाओं पर चीन का अधिकार था।
स्कारबोरो द्वीप समूह का मामला फिलिपींस द्वारा 2013 में मध्यस्थता के स्थाई न्यायालय में उठाया गया, जिसने 2016 में फैसला फिलीपींस के पक्ष में दिया परंतु चीन ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया।
इस प्रकार चीन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की भी अवहेलना कर रहा है।
प्रभाव
दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे से अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन व नौवहन की स्वतंत्रता बाधित होती है।
इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा।
चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों की भी अवहेलना की जा रही है। जैसे - UNCLOS (1982)
इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था प्रभावित होगी। अंतर्राष्ट्रीय महाशक्तियों के मध्य टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे - यूएसए एवं चीन।
चीन के द्वारा कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करने से “कोरल रीफ पर्यावरण को गंभीर नुकसान” हुआ है।
नोट - चीन, दक्षिण चीन सागर में एक सैन्य वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (ADIZ) स्थापित करने पर विचार कर रहा है।ADIZ बनाये जाने से इसके ऊपर से उड़ने वाले विमानों को पहले चीन को सूचित करना होगा।
दक्षिण चीन सागर का भारत के लिए महत्व
• भारत का 55% कारोबार मलक्का जलमार्ग से होता है जो कि दक्षिण चीन सागर का एक हिस्सा है।• 1988 से भारत की सरकारी कंपनी ओएनजीसी वियतनाम के साथ दक्षिण चीन सागर में तेल व गैस संसाधनों का उत्पादन कर रही है।
भारत की प्रतिक्रिया
• भारत सभी पक्षों से बातचीत के जरिए विवादों का हल तलाशने की अपील करता रहा है।• भारत ने एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए एक संयुक्त रणनीति को अपनाते हुए UNCLOS के अनुसार दक्षिणी चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता और विवाद निवारण के लिये अमेरिका से वार्ता की।
• भारत-चीन के बीच ‘वुहान-सहमति’ पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसके अनुसार दोनों देश अपने आस-पास के जलीय क्षेत्रों में एक-दूसरे के कूटनीतिक प्रभाव में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यही कारण है कि भारत अब इस मुद्दे में सक्रिय रुचि नहीं ले रहा है।
वस्तुत: भारत इस क्षेत्र में समुद्री क्षेत्रीय विवादों में हित देखने वाला पक्षकार या पार्टी नहीं है।
सुझाव
• एशियाई देशों की शिकायतों, विवादों का निवारण करने के लिए कोई व्यापक संगठन बनाया जाना चाहिए और चीन को भी उसका सदस्य बनाया जाना चाहिए। जैसे - यूरोपीय संघ• भारत को दक्षिण चीन सागर विवाद में उलझे देशों के साथ मधुर संबंध रखते हुए कूटनीतिक दृष्टि से कार्य करना चाहिए ताकि इस क्षेत्र में अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों की पूर्ति की जा सके।
समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि-1982 (UNCLOS)
UNCLOS = United Nations Convention for Law Of Sea.यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार एवं ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करता है तथा समुद्री साधनों के उपयोग के लिए नियम बनाता है।
इसे 1982 में आयोजित समुद्री कानून पर तृतीय संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में अपनाया गया तथा यह नवंबर 1994 में प्रभाव में आया।
उद्देश्य - देशों को समुद्री क्षेत्रों में अधिकार देना
- देशों की समुद्री सीमा निर्धारित करना
UNCLOS के अंतर्गत भारत की 3 समुद्री सीमा निर्धारित की गई।
1. प्रादेशिक समुद्री सीमा (Territorial Sea)
• आधार रेखा से 12 समुद्री मील तक
• प्रादेशिक समुद्री सीमा तक भारत का संपूर्ण अधिकार है।
2. संलग्न क्षेत्र (Contiguous Zone)
• आधार रेखा से 24 समुद्री मील तक
• इसमें तीन प्रकार के अधिकार दिए गए हैं -
साफ सफाई का अधिकार, सीमा शुल्क वसूली और वित्तीय अधिकार।
3. अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone)
• आधार रेखा से 200 समुद्री मील
• इस क्षेत्र में भी तीन प्रकार के अधिकार दिए गए हैं -
संसाधनों का दोहन करने का अधिकार, वैज्ञानिक अनुसंधान करने का अधिकार और नए द्वीपों का निर्माण।
नोट - 1 समुद्री मील = 1 नॉटिकल मील = 1852 मीटर = 1.852 किलोमीटर
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन - UNCTAD
United Nation Conference on Trade and Development.यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित एक अंतर सरकारी निकाय है। इसकी स्थापना 1964 में की गई।
मुख्यालय - जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड)
यह व्यापार, निवेश और विकास के मुद्दों से संबंधित कार्य करता हैं।
नोट - हाल ही अगस्त 2020 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर के साथ दक्षिण चीन सागर में भी अपना युद्धपोत तैनात कर दिया है।
• नौसेना ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के नजदीक मलक्का जलसंधि और हिंद महासागर में चीनी नौसेना के प्रवेश मार्ग के नजदीक भी अपने जहाज तैनात किए हैं।
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