आपका स्वागत है, डार्क मोड में पढ़ने के लिए ऊपर क्लिक करें PDF के लिए टेलीग्राम चैनल DevEduNotes2 से जुड़े।

जनसंख्या नियंत्रण : एक जरूरत ।। विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई

Essay on population control



जनसंख्या नियंत्रण : एक जरूरत

चर्चा में क्यों ?

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।
केंद्र सरकार की ओर से 27 जून से 10 जुलाई तक मोबिलाईजेशन पखवाड़ा मनाया गया है।
इसके अंतर्गत स्थाई व अस्थाई परिवार कल्याण साधनों की जानकारी दी गई है।
• 11 जुलाई से 24 जुलाई तक जनसंख्या पखवाडा मनाया जाएगा।

जनसंख्या वृद्धि एक चुनौती

आजादी के समय भारत की जनसंख्या 34 करोड़ थी, जो 2011 में बढ़कर लगभग 121.5 करोड़ हो गई तथा साल 2018 तक हमारे देश की कुल आबादी लगभग 133 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है।
सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तरप्रदेश (19.98 करोड़) जबकि न्यूनतम आबादी वाला राज्य सिक्किम (6लाख) है।
2025 में भारत, दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
वर्तमान में चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे जबकि हिंदुस्तान में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं।
जीवन प्राकृतिक संसाधनों पर आश्रित है। संसाधन सीमित है। उनकी सीमा है, परंतु जनसंख्या का विस्फोट है। इसलिए भारत में समेकित विकास के सभी उपाय अपेक्षित परिणाम नहीं दे रहे है।
बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिक सुविधाएं और संसाधन अस्त व्यस्त हो रहे है, कृषि क्षेत्र घटा है।
अतः जनसंख्या वृद्धि भारत की मुख्य चुनौती है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण

1. गरीबी और निरक्षरता
2. बाल विवाह
3. पुरुषवादी मानसिकता का होना।
4. परिवार नियोजन के कार्यक्रमों का उचित क्रियान्वयन नहीं होना।


जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव

भारी जनसंख्या और कम संसाधनों का प्रभाव मनुष्य जीवन की गुणवत्ता एवं मस्तिष्क पर भी पड़ता है।
सुरक्षित आवास की कमी, बिजली संकट, स्वच्छ पेयजल की कमी, मलिन बस्तियों की संख्या में वृद्धि जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणाम है।
अपर्याप्त भूमि में भारी जनसंख्या का निवास सभ्यता और संस्कृति को भी प्रभावित करता है।
ब्रिटिश अर्थशास्त्री माल्थस के  प्रिंसिपल ऑफ पॉपुलेशन के अनुसार जनसंख्या दोगुनी रफ्तार 1, 2, 4, 8, 16, 32 से बढ़ती है परंतु जीवन के संसाधन सामान्य गणित 1, 2, 3, 4, 5 की रफ्तार से बढ़ते हैं। तथा प्रत्येक 25 वर्ष बाद जनसंख्या दोगुनी हो जाती है। ऐसे में खाद्यान्न संकट उत्पन्न होता है , जिसका परिणाम भुखमरी और कुपोषण होंगे ही।


जनसंख्या नियंत्रण के उपाय

स्वतंत्र भारत ने विश्व में सबसे पहले 1951 में जनसंख्या नियंत्रण का राजकीय अभियान चलाया था, परंतु 1975 में इंदिरा सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी के  दुष्प्रचार से परिवार नियोजन असफल रहा और बाद कि सरकारों ने अपेक्षित ध्यान नहीं दिया।

जनसंख्या वृद्धि को रोकने का सबसे सरल उपाय परिवार नियोजन ही है।
जनसंख्या वृद्धि का हतोत्साहन , जनसंख्या संयमी लोगों को प्रोत्साहन, बिना जाति-धर्म के भेदभाव के प्रत्येक नागरिक पर जनसंख्या सीमित करने वाली विधि का अध्यारोपण के अलावा जनसंख्या नियंत्रण की प्रोत्साहन नीति में विशेष सुविधाओं वाला ग्रीन कार्ड जारी किया जा सकता है। बिजली बिल या सार्वजनिक सेवा में छूट, अतिरिक्त राशन, निशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं आदि सम्मिलित की जा सकती है।
• साथ ही स्थिर जनसंख्या के सिद्धांत को अपनाया जाना चाहिए, जिसके अंतर्गत प्रजनन दर को 2.1% रखने का प्रयास किया जाता है।
• टू चाइल्ड पॉलिसी को लेकर कानून बनाया जाए।

जनसंख्या समस्या नहीं बल्कि संसाधन भी है, बिना समान अवसरों , कौशल विकास और रोजगार वृद्धि के ही यह समस्या में तब्दील होती है। इसलिए चीन से सबक लेकर जनसंख्या वृद्धि से ज्यादा सरकार को नियोजन के साथ-2 सभी वर्गों को समान अवसर, लिंगनिरपेक्ष नीति, कौशल विकास एवं रोजगार अवसरों में वृद्धि पर फोकस करना चाहिए ना कि जनसंख्या को भार समझकर अपनी नीतिगत जबाबदेही से वचना चाहिए।

यह सच है की आज कई राज्य की सरकारें इस विषय को लेकर गंभीर हुई है। हम सभी मिलकर जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन की दिशा में ठोस और सार्थक प्रयास करें और लोगों को सचेत करें।

नोट - 15 अगस्त 2019 को 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसंख्या नियंत्रण को देशभक्ति की संज्ञा दी।
मोदी ने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद की बजाए, जन्म से पहले ही उसके भविष्य की चिंता करनी चाहिए।

SAVE WATER

घी डुल्यां म्हारा की नीं जासी।
पानी डुल्यां म्हारों जी बले।।

Post a Comment

0 Comments