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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के बारे में जाने

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, www.devedunotes.com

क्या होता है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

हाल ही पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए भाषण में कहा कि तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस होगा।

यह एक उच्च सैन्य पद है, जिस पर बैठने वाले व्यक्ति को तमाम अहम फैसले लेने होंगे।
उसे तीनों सेनाओं के बीच समन्वय कायम करना होगा।
उसे कार्यपालिका, भारत के मामले में प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार को तीनों सेनाओं के नजरिए की स्पष्ट जानकारी देनी होगी। यह जानकारी दीर्घकालीन योजनाओं के संदर्भ में भी होगी और प्रबंधन के लिहाज से भी।
उसे यह बताना होगा कि कितनी मानव शक्ति की जरूरत है, क्या-क्या उपकरण चाहिए। रणनीति क्या होनी चाहिए। युद्ध अथवा किसी अन्य टकराव की स्थिति में सीडीएस की भूमिका अहम होगी।

अनेक देश ऐसे हैं जिनके पास आधुनिक सेनाएं हैं और उन्होंने इस पद का गठन कर रखा है।
इन देशों में सीडीएस के अधिकारों और शक्तियों में अंतर है।
उदाहरण के तौर पर अमेरिका में जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का चेयरमैन अधिकारों के मामले में बेहद संपन्न है। वह सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी है। और राष्ट्रपति को सैन्य मामलों में सलाह देता है।


भारत में स्थिति

भारत में इस पद के गठन को लेकर लंबे समय से चर्चा चलती रही है।
एक पद पहले से है - चेयरमैन, चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी)
सीओएससी का पद सीडीएस जैसा ही है लेकिन अधिकारों के लिहाज से इसका ज्यादा मतलब नहीं है। अभी तक की यह परंपरा रही है कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों में जो सबसे अधिक वरिष्ठ होता है उसे सीओएससी बना दिया जाता है।
इस पद पर नियुक्त व्यक्ति जब सेवानिवृत्त हो जाता है तो यह पद स्वत: समाप्त हो जाता है।

वर्तमान में चेयरमैन सीओएससी के पद पर वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ है।
बीएस धनोआ ने 31 मई को नौसेना प्रमुख सुनील लांबा की सेवानिवृत्ति के बाद यह पद धारण किया है।
धनोआ को सितंबर 2019 तक वायुसेना प्रमुख के पद पर रहना  है। इसका मतलब है कि वह चेयरमैन सीओएससी के पद पर केवल 4 महीने ही रह सकेंगे।

भारत में राजनीतिक वर्ग के बीच सीडीएस को लेकर एक आशंका यह रही है कि ऐसे किसी पद का गठन नहीं किया जाना चाहिए जिसके अत्यधिक शक्तिशाली हो जाने का खतरा हो।




कब आया था पहला प्रस्ताव ?

सीडीएस के लिए पहला प्रस्ताव कारगिल रिव्यू कमेटी (2000) में आया था। कमेटी ने पूरे सैन्य तंत्र में सुधार के लिए सुझाव दिए थे। इसके बाद मंत्रियों के एक समूह ने भी सीडीएस के विचार का अध्ययन किया। समूह ने सुझाव दिया कि फाइव स्टार रैंक के इस पद का गठन किया जाना चाहिए। इस आशय का प्रस्ताव कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी (सीसीएस) को दिया गया।
प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका - सीडीएस के प्रस्ताव पर सेनाओं के बीच कोई आम सहमति कायम नहीं हो सकी।

अभी जो ढांचा है उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अहम मामलों में प्रधानमंत्री को सलाह देते हैं। यह सिलसिला 2018 के बाद से ही चल रहा है, जब डिफेंस प्लानिंग कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की अध्यक्षता एनएसए करते हैं। वर्तमान में अजीत डोभाल इस भूमिका में हैं। डिफेंस प्लानिंग कमेटी में विदेश, रक्षा और वित्त सचिव शामिल होते हैं। इसके साथ ही तीनों सेनाओं के प्रमुख भी इसके सदस्य हैं।


सारांश

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के गठन के ऐलान को सामरिक रणनीति में गुणात्मक बदलाव के संकेत के साथ ही सैन्य आधुनिकीकरण को बड़ी छलांग देने की मंशा माना जा रहा है।
सीडीएस के गठन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि तीनों सेनाएं एक चीफ और एक कमांड के अंदर होगी। इससे तीनों सेनाओं की संयुक्त रणनीतिक दृष्टि और क्षमता दोनों बढ़ेगी। सैन्य बलों में नेतृत्व की दुविधा नहीं रहेगी क्योंकि वह एक चीफ और एक कमांड के अधीन होंगे।
साथ ही सरकार के राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी इसमें सिंगल प्वाइंट कांटेक्ट की सुगम व्यवस्था है।
विशेषज्ञों के अनुसार सीडीएस एक तरह से प्रधानमंत्री के सैन्य सलाहकार की भूमिका निभाएंगे जिसकी वजह से तीनों सेनाओं के हथियारों की खरीद प्रक्रिया में भी तेजी आएगी
सैन्य विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि तीनों सेनाओं के बीच सीडीएस पर वर्चस्व के लिए खींचतान भी होगी। ऐसे में तीनों सेनाओं के जनरल को बारी-बारी से वरिष्ठता के आधार पर सीडीएस बनाने का विकल्प रखना होगा।

Update 1 जनवरी 2020

जनरल बिपिन रावत पहले सीडीएस बने है।
सीडीएस का कार्यकाल 3 वर्ष और सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होगी।

स्त्रोत - विभिन्न समाचार पत्र

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