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धारा 370 और अनुच्छेद 35ए के बारे में सबकुछ जाने

धारा 370 और अनुच्छेद 35ए , www.devedunotes.com


अनुच्छेद 35ए और 370

1846 में जम्मू और लद्दाख के शासक महाराजा गुलाब सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से छीनकर जम्मू-कश्मीर बनाया था।

धारा 370 क्या है ?

जम्मू-कश्मीर देश का एकमात्र राज्य है जहां धारा 370 लागू है। यह धारा इसे विशेष राज्य का दर्जा देती है इसके तहत केंद्र को यहां रक्षा, विदेश, वित्त तथा संचार मामलों में ही फैसले लेने का अधिकार है।
अन्य मामलों से जुड़े संसद के कानून यहाँ राज्य सरकार की सहमति के बिना लागू नहीं हो सकते हैं।

इन शर्तों की वजह से ही जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार (आरटीआई), शिक्षा का अधिकार (आरटीई), जीएसटी आदि लागू नहीं हुए हैं।

जम्मू कश्मीर के अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16% आरक्षण भी राज्य सरकार ने नहीं माना है।

इस धारा के तहत जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग है।
देश के बाकी हिस्सों की तरह यहाँ तिरंगे या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं माना जाता है।

जम्मू-कश्मीर के कानून के अनुसार कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।

यहां की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के पुरुष से शादी कर ले तो उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती है मगर वह यदि पाकिस्तान के पुरुष से शादी करती है तो उस पुरुष को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता दे दी जाती है।

भारत का कोई भी नागरिक देश के किसी भी हिस्से में संपत्ति (जमीन) खरीद सकता है लेकिन जम्मू कश्मीर में नहीं।

धारा 370 क्यों और कब लागू हुई ?

भारत और पाकिस्तान को जब ब्रिटिश शासन से आजादी मिली तो जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह ने दोनों में से किसी भी देश के साथ में नहीं जाने का फैसला किया।
वे रियासत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते थे मगर 2 महीने के बाद ही में पाक समर्थित कबाइली लड़ाकों ने कश्मीर पर हमला किया। अतः मजबूर होकर 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर महाराजा हरिसिंह ने मदद के बदले भारत के साथ विलय संधि (इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन) पर हस्ताक्षर किए, परंतु तब तक गिलगित-बाल्टिस्तान हाथ से निकल गए।

विलय की शर्त
कश्मीर के भारत में विलय के विलय पत्र में प्रावधान था कि रक्षा विदेश मामले और संचार को छोड़कर केंद्र सरकार राज्य को लेकर कोई कानून नहीं बना सकती है।
27 अक्टूबर 1947 को गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने इसे स्वीकार किया।

मार्च 1948 में शेख अब्दुल्लाह जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री बने।
जून 1949 में शेख अब्दुल्लाह अपने तीन साथियों के साथ भारत के संविधान का मसौदा तैयार कर रही राष्ट्रीय संविधान सभा में शामिल कर लिए गए। लंबी बहस के बाद संविधान सभा इस निष्कर्ष पर पहुंची कि संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होगा मगर धारा 370 के तहत उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
1950 में चीन ने पश्चिमी कश्मीर पर कब्जा कर लिया।
17 अक्टूबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में जोड़ा गया।




धारा 370 को कैसे हटाया जा सकता है ?

अनुच्छेद 370 को दो प्रकार से हटाया जा सकता है -
1.अनुच्छेद 370 (3) राष्ट्रपति को आदेश पारित करके जम्मू कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा किसी भी वक्त निष्क्रिय करने का अधिकार देता है ।
2.अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन कर इस धारा को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पास होना जरूरी है अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो वर्तमान कानून के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार से भी सहमति लेना आवश्यक है।


अनुच्छेद 35ए क्या है ?

यह अनुच्छेद भारतीय संविधान का मूल हिस्सा नहीं था। 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 के तहत एक नया अनुच्छेद 35 ए जोड़ दिया।अर्थात अनुच्छेद 35ए अलग से कोई अनुच्छेद नहीं है, बल्कि अनुच्छेद 370 का ही एक भाग है।
अनुच्छेद 35ए का संविधान में कोई उल्लेख नहीं है।
गौरतलब है, कि इसे संविधान के मुख्य भाग में नहीं बल्कि परिशिष्ट (अपेंडिक्स) में शामिल किया गया है।
यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार देता है।
इसके अनुसार 14 मई 1954 को जो लोग राज्य में रह रहे थे या उसके 10 साल के बाद तक जो लोग रहने आए उन्हें राज्य का स्थाई निवासी माना गया।
राज्य की विधानसभा को दो-तिहाई बहुमत से कभी भी इस परिभाषा को बदलने का अधिकार दिया गया था।
 है।


 5 अगस्त 2019

5 अगस्त को राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी करके -
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया।
जम्मू-कश्मीर से 35A हटाया गया।
जम्मू-कश्मीर का 2 हिस्सों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बंटवारा कर दिया गया।
जम्मू-कश्मीर विशेष राज्य के स्थान पर केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया गया।
लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया गया।

जम्मू-कश्मीर में आर्थिक पिछड़े वर्ग को 10% आरक्षण देने से जुड़े जम्मू-कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
8 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वाले सभी लोगों को आरक्षण का फायदा मिल सकेगा।

अनुच्छेद 35ए और धारा 370 के प्रावधान

जम्मू कश्मीर में दोहरी नागरिकता का प्रावधान था। यहां का अलग संविधान और झंडा था।

जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को यहां जमीन खरीदने, सरकारी नौकरी पाने, संस्थानों में दाखिला लेने का अधिकार नहीं था।

जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था।

यहां राज्यपाल की नियुक्ति की जाती थी।

रक्षा विदेश मामले और संचार के अलावा किसी अन्य कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी आवश्यक थी।

जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी करती थी, तो उस महिला की जम्मू कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो जाती थी। तथा संपत्ति का अधिकार खत्म हो जाता था।

यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती थी तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी।

आपातकाल की स्थिति में राज्य में राज्यपाल शासन लगाए जाने का प्रावधान था।
वित्तीय आपातकाल यहां पर नहीं लगाया जा सकता था।

कश्मीर में हिंदू सिख आदि अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण का लाभ नहीं मिलता था।

सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और CAG लागू नहीं होता था।

बाहरी राज्यों का व्यक्ति न तो मतदान कर सकता था और ना ही चुनाव में उम्मीदवार बन सकता था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले मान्य नहीं होते थे।


अब आगे क्या होगा


बाहर के लोग अचल संपत्ति खरीद सकेंगे।
जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा अब नहीं होगा।
केवल भारतीय झंडा ही मान्य होगा।
सुप्रीम कॉर्ट का आदेश माना जाएगा
बाहर के लोग सरकारी नौकरी के पात्र होंगे।
उपराज्यपाल होगा।
लडकिया बाहर शादी कर सकेगी तथा संपत्ति का अधिकार खत्म नहीं होगा।
रणवीर दंड संहिता के स्थान पर भारतीय दंड संहिता लागू होगी।
दोहरी नागरिकता खत्म होगी।
अनुच्छेद 370 का अब सिर्फ खंड(1) रहेगा।
भारत का संविधान मान्य होगा।
राष्ट्रीय ध्वज का अपमान अपराध माना जाएगा
RTI और CAG का अधिकार बढ़ेगा
जम्मू-कश्मीर पुलिस राज्यपाल को रिपोर्ट करेगी
भारत में 28 राज्य और 9 केंद्रशासित प्रदेश हो जाएंगे।

पुडुचेरी की तरह करेंगे काम


भौगोलिक स्थिति - नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मौजूदा जम्मू और कश्मीर क्षेत्र शामिल होंगे।

उपराज्यपाल - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल होंगे।

पुडुचेरी की तरह शासन - केंद्रशासित पुडुचेरी पर अनुच्छेद 239ए के प्रावधानों के तहत कामकाज किया जाता है।
यही प्रावधान जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश पर भी लागू होंगे।

विधानसभा - जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में चंडीगढ़ जैसी व्यवस्था की तर्ज पर विधानसभा नहीं होगी।

विधानसभा कार्यकाल - नई विधानसभा का कार्यकाल 6 साल के स्थान पर 5 साल होगा।

विधानसभा की क्षमता - नई विधानसभा में 107 विधायक होंगे। इनमें से 24 सीटें गुलाम कश्मीर की रिक्त रखी जाएंगी।

मौजूदा विधानसभा - वर्तमान विधानसभा के सदस्यों की संख्या 111 है जिनमें 87 का चुनाव होता है। 2 मनोनीत होते हैं तथा 24 सीटें गुलाम कश्मीर के लिए खाली रखी जाती रखी जाती है।

मनोनीत सदस्य - नए कानून के तहत उपराज्यपाल को अगर लगता है कि विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है तो वे 2 महिला सदस्यों को मनोनीत कर सकेंगे।

राज्यसभा सीट - वर्तमान चार सदस्यों की संख्या बरकरार रहेगी।

लोकसभा सीट - जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के लिए 5 और लद्दाख से 1 सीट होगी।

उपराज्यपाल की सहमति जरूरी - विधानसभा से पारित सभी विधेयक को उपराज्यपाल की सहमति के लिए भेजा जाएगा।
उपराज्यपाल विधेयकों को अपने पास रख सकता है या राष्ट्रपति के पास विचार हेतु भेज सकता है।

संसद को वरीयता - किसी भी अनियमितता की स्थिति में देश की संसद द्वारा पारित कानून को नई विधानसभा पर वरीयता होगी।

मंत्रीपरिषद - विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 10% से अधिक मंत्री नहीं बनाए जा सकेंगे।

हाईकोर्ट - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का एक ही हाईकोर्ट हो सकता हैं।

NOTE:- 9 अगस्त को राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान की है। यह वहां 31 अक्टूबर 2019 से लागू होगा।

स्त्रोत - विभिन्न समाचार पत्र

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