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विश्व पर्यावरण दिवस || कार्बन फुटप्रिंट क्या है ?

What is carbon footprint
world environment day





05 जून: विश्व पर्यावरण दिवस

प्रतिवर्ष 05 जून को विश्व भर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
विश्व में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं के चलते विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की गई थी। इनमें प्रकृति के प्रति चिंता और उसके सरंक्षण की भावना भी निहित है।


विश्व पर्यावरण दिवस के थीम और उद्देश्य:

प्रत्येक साल विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक विषय का चयन किया जाता है जिसके अनुरूप ही सभी देशों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
विश्‍व पर्यावरण दिवस 2019 का निषय - ‘वायु प्रदूषण को हराना’ है।
Theme of world environment day 2019 is Beat air pollution.

इस दिवस का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरुक करना तथा पर्यावरण के लिए कार्य करना है।


विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 1972 में मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था।
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में दुनिया में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था।
अर्थात 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी गई।
इस सम्मेलन में 119 देशों ने भाग लिया था।
इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके 2 वर्ष बाद 5 जून 1974 को ओनली वन अर्थ थीम के साथ पहले पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया था।
साल 1987 में इसके केंद्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग-अलग देशों को चुना जाता है।
इसमें प्रतिवर्ष 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं और इसमें अनेक सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं।

वैश्विक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
इस वैश्विक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक चेतना और वैश्विक सरकारों के माध्यम से  पर्यावरण के प्रति जागरूकता और प्रकृति और पृथ्वी के संरक्षण को केंद्र में रखते हुए विश्व के देशों में राजनीतिक चेतना जागृत करना था।
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहले पर्यावरण दिवस पर भारत की प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंताओं को जाहिर किया था।

आयोजक देश
प्रत्येक विश्व पर्यावरण दिवस पर पृथक आयोजक देश का चयन होता है जहां आधिकारिक समारोह का आयोजन किया जाता है।
इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी चीन कर रहा है।


वायु प्रदूषण

गौरतलब है कि दुनिया की 91% आबादी विषैली वायु की चपेट में है।
प्रतिवर्ष रसोइयों और ईंधनों से निकले धुआं के कारण 30 लाख मौते हो जाती है।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार घर के भीतर या लंबे समय तक बाहरी वायु प्रदूषण से घिरे रहने के कारण 2017 में स्ट्रोक, शुगर हर्टअटैक, फेफड़ों संबंधी बीमारियों के कारण वैश्विक स्तर पर 50 लाख लोगों की मौत हो गई।
2017 में भारत में 12 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुई।
प्रतिवर्ष 40 लाख मौतें बाहरी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के कारण होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारक
सल्फर ऑक्साइड (कोयले और तेल के जलने से), नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसों से वायु प्रदूषण फैलता है।
वर्तमान में कृषि प्रक्रिया से उत्सर्जित अमोनिया सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली गैस है।

विश्व के 10 सबसे वायु प्रदूषित शहर
1.गुरुग्राम 2.फैसलाबाद (पाकिस्तान) 3.भिवानी 4.पटना 5.लखनऊ 6.गाजियाबाद 7.फरीदाबाद 8.नोएडा 9.होतान (चीन) 10.लाहौर (पाकिस्तान)


                      प्रश्न-उत्तर

विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ? - प्रतिवर्ष 5 जून को
विश्व पर्यावरण दिवस 2019 का विषय क्या है ? - बीट एयर पॉल्यूशन
सर्वप्रथम पर्यावरण दिवस कब मनाया गया ? - 5 जून 1974 को।
पहले विश्व पर्यावरण दिवस का विषय क्या था ? - ओनली वन अर्थ

विश्व का सबसे वायु प्रदूषित शहर कौन सा है ? - गुरूग्राम

19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। 


अन्य जानकारी : पृथ्वी का तीन-चौथाई हिस्सा जलमग्न है फिर भी क़रीब 0.3 फीसदी जल ही पीने योग्य है। विभिन्न उद्योगों और मानव बस्तियों के कचरे ने जल को इतना प्रदूषित कर दिया है कि पीने के क़रीब 0.3 फीसदी जल में से मात्र क़रीब 30 फीसदी जल ही वास्तव में पीने के लायक़ रह गया है।




कार्बन फुटप्रिंट क्या है ?

इसका मतलब है कि हमारी वजह से पर्यावरण में प्रदूषण यानी कार्बन डाइऑक्साइड कितना बढ़ रहा है।
कार्बन डाइऑक्साइड को मापकर जाना जाता है कि किसी का कार्बन फुटप्रिंट कितना है।
कार्बन फुटप्रिंट मापने में किसी संस्थान या समाज के क्रियाकलाप भी शामिल किए जाते है।
जितना ज्यादा कार्बन फुटप्रिंट होगा उतना ही ज्यादा प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या होगी।
उदाहरण के तौर पर किसी ऑफिस में तीन-चार डिस्पोजेबल कप इस्तेमाल करके फेंक देने वाले का कार्बन फुटप्रिंट उस व्यक्ति से बड़ा होगा जो अपने घर से लाए कांच के कप में चाय पीता है।

हमारी पृथ्वी को गर्म करने वाली ग्रीन हाउस गैसों के एक-तिहाई उत्सर्जन का मुख्य कारण हमारा भोजन है।
भोजन उगाना, जानवर पालना भोजन की पैकेजिंग, उसका परिवहन और हमारा खाना बनाने का तरीका भी ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाता है।
मवेशियों के चारे व मल के परिणामस्वरूप वातावरण में मीथेन गैस बढ़ती है।
हम भोजन बनाते हुए बहुत सारा ईंधन और ऊर्जा इस्तेमाल करते हैं जिससे भी कार्बन फुटप्रिंट बढ़ता है।

मांस को पकाने में बहुत अधिक ईंधन लगता है इसलिए हम कह सकते हैं कि मांसाहारी व्यक्तियों का कार्बन फुटप्रिंट शाकाहारी व्यक्तियों की तुलना में अधिक होता है।

SAVE WATER

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