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अंतरिम बजट 2019-2020 || Interim Budget 2019-2020


अंतरिम बजट 2019-2020, Interim Budget 2019-20


बजट क्या है?

संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत सरकार हर साल संसद के समक्ष एक वार्षिक वित्तीय विवरण पेश करती है, जिसे हम सामान्य बोलचाल में बजट कहते है।
बजट में सरकार संसद को बताती है कि वह आने वाले 1 साल में किस काम के लिए कितना पैसा खर्च करेगी।
भारत का राष्ट्रपति भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में सर्वप्रथम लोकसभा के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) प्रस्तुत करवाता है।
गौरतलब है, कि सविधान में कहीं पर भी बजट शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है।

बजट फ्रांसीसी शब्द बुजट (चमडे का थैला) का संशोधित रुप है।

विश्व में सर्वप्रथम बजट 1733 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रॉबर्ट पॉल ने पेश किया।

भारत में प्रथम बजट लॉर्ड कैनिंग के काल में जेम्स विल्सन द्वारा 1860 में प्रस्तुत किया गया।
भारत के बजट का जन्मदाता अथवा जनक जेम्स विल्सन को कहा जाता है।
भारत में आयकर की शुरुआत जेम्स विल्सन द्वारा 24 जुलाई 1860 में की गई।
स्वतंत्र भारत का प्रथम बजट आर के पणमुखमशेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को प्रस्तुत किया।
गणतंत्र भारत का प्रथम केंद्रीय बजट जॉन मथाई ने 1950 में प्रस्तुत किया।
सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले व्यक्ति मोरारजी देसाई 10 बार तथा पी चिदंबरम 9 बार है।

देश के 3 प्रधानमंत्रियों (पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी) ने प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया।
भारत के 2 वित्त मंत्री (आर. वेंकटरमन और प्रणब मुखर्जी) बाद में राष्ट्रपति भी बने।

1924 से रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किया गया।
2017-18 के आम बजट में रेल बजट को शामिल कर लिया गया।
2017 से बजट पेश करने की तारीख  फरवरी का प्रथम कार्यदिवस की गयी।
बजट का टीवी पर प्रसारण 1992 से शुरू हुआ।
1999 से बजट सुबह 11:00 बजे पेश करने की परंपरा शुरू हुई।

अंतरिम बजट 

अपने कार्यकाल के पांचवें वर्ष (लोकसभा चुनाव वाले वर्ष) सरकार पूर्ण बजट के स्थान पर अंतरिम बजट पेश करती है।
आजादी के बाद 12वां अंतरिम बजट पेश किया गया है।

लेखानुदान/ वोट ऑन अकाउंट

अंतरिम बजट में सरकार खर्च के अलावा राजस्व (Revenue) का भी विवरण देती है जबकि लेखानुदान में सिर्फ खर्च के लिए संसद से मंजूरी मांगती है।
लेखानुदान के तहत सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती है जैसे कर दरों में बदलाव या नई योजनाओं की घोषणा आमतौर पर इस में नहीं होती है।

हलवा रस्म 

बजट दस्तावेजों की छपाई शुरू करने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा रस्म का आयोजन किया जाता है।
हलवा रस्म के साथ ही वित्त मंत्रालय के अधिकारी बजट बनाने के कार्य में जुट जाते है।
बजट बनाने वाले अधिकारियों को बजट पेश होने तक अपने परिवार से भी मिलने की अनुमति नहीं होती है।
इस बार 21 जनवरी 2019 को वित्त मंत्रालय में हलवा रस्म का आयोजन किया गया।

बजट सत्र

बजट सत्र की शुरुआत पहले दिन राष्ट्रपति के संयुक्त संबोधन के साथ होती है।
बजट पेश करने के कुछ दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार के द्वारा बीते वित्त वर्ष का वित्तीय लेखा-जोखा और आर्थिक अनुमानों को पेश किया जाता है।
इस वर्ष बजट सत्र 31 जनवरी 2019 से शुरू हुआ है, जो कि 13 फरवरी 2019 तक चलेगा।

कट मोशन (कटौती प्रस्ताव) क्या है?

बजट जब संसद में पेश हो जाता है तो उसके बाद उस पर सामान्य चर्चा होती है।
इसके बाद लोकसभा विभागवार अनुदान की मांगों पर अलग से चर्चा करती है और अपनी मुहर लगाती है।
सदन में अनुदान की मांगों पर चर्चा के दौरान अगर कोई सदस्य बजट में किसी विभाग के लिए आवंटित राशि में कटौती करना चाहता है तो वह एक नोटिस देकर इस आशय का प्रस्ताव पेश कर सकता है जिसे कटौती प्रस्ताव अर्थात कट मोशन कहते हैं।

कट मोशन निम्न 3 प्रकार से लगाया जा सकता है-
1. पॉलिसी कट 2. इकॉनामी कट 3. टोकन कट

1. पॉलिसी कट

पॉलिसी कट सरकार की नीति को अस्वीकार करने के इरादे से लगाया जाता है।
इसमें संसद सदस्य संबंधित विभाग की अनुदान की पूरक मांगों में से महज ₹1 की कटौती का प्रस्ताव करते हैं।

2.इकॉनामी कट

इसके तहत सदस्य किसी क्षेत्र की अनुदान की मांगों में से एक निश्चित राशि की कटौती का प्रस्ताव करते हैं।

3.टोकन कट

इसके तहत सदस्य किसी मंत्रालय की अनुदान की मांगों से ₹100 की टोकन कटौती का प्रस्ताव करते हैं।
सरकार से विशेष शिकायत होने पर ही सदस्य टोकन कटौती का प्रस्ताव लाते है।

          अंतरिम बजट 2019-2020

1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्री अरुण जेटली के अस्वस्थ होने के कारण कार्यकारी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश किया है।
बजट की सभी घोषणाएं नई संसद में पास होने के बाद लागू होंगी।



अंतरिम बजट 2019-2020 में की गई घोषणाएं निम्न प्रकार है-

5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना होगा

आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही है, परंतु 5 लाख रुपये तक  कुल आय (नेट इनकम) पर आयकर शून्य (इनकम टैक्स जीरो) कर दिया है।

NOTE:- सकल आय (Gross Income) = ऐसी आय जिसमें किसी भी तरह का निवेश नहीं होता है।
कुल आय (Net Income) = सभी तरह के निवेश (टर्म बीमा, पीपीएफ, एनएससी, स्वास्थ्य बीमा, होम लोन, बच्चों की फीस...आदि) के बाद जो राशि बनती है, उसे कुल आय कहते है।
कुल आय = सकल आय - निवेश/खर्च

गौरतलब है, कि 5 लाख रुपये की नेट इनकम पर टैक्स छूट लागू होगी।
यह टैक्स छूट ग्रॉस इनकम पर लागू नहीं होगी।
अतः इस हिसाब से 6.50 लाख रुपए की सालाना आय वालों को किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

आयकर स्लैब

आयकर स्लैब एवं दरों में बदलाव नहीं किया गया है।
    सालाना आय (रु. में)                         आयकर की दर
2.5 लाख तक                                        0%
2.5 से 5 लाख तक                                 5%
5 से अधिक व 10 लाख तक                     20%
10 लाख से अधिक पर                             30%

5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा आय वालों को मौजूदा दरों से ही आयकर देना होगा। अर्थात किसी की कर योग्य आय यदि 5 लाख 30 हजार रुपये है, तो उन्हें शुरु के 2.5 लाख पर कर नहीं (0% कर) देना है।
दूसरे 2.5 लाख (5लाख-2.5लाख=2.5लाख) पर उन्हें 5% की दर से कर देना होगा।
बचे 30 हजार रुपये पर 20% की दर से आयकर और सेस भी देना होगा।

5 लाख रुपये तक की आय पर छूट

5 लाख रुपये कर योग्य आय पर लगने वाले आयकर पर आयकर अधिनियम की धारा 87ए में संशोधन करके छूट (सिर्फ एक बार) को 12,500 रुपये कर दिया गया है।
अत: इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 5 लाख रुपये तक करयोग्य आय पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

साथ ही आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत मिलने वाली 1.50 लाख रुपए की छूट में कोई बदलाव नहीं किया है।

80सी की छूट के बाद

आय      3 लाख 3.5 लाख  4 लाख   5 लाख       6 लाख
टैक्स     2,500   5,000    7,500   12,500    1,12,500
87ए छूट 2,500  5,000    7,500   12,500         0
सेस          0           0           0           0              4,500
छूट से पहले सेस     100       300       500          4,500
देय टैक्स    0           0           0           0        1,17,000
बचत                   2,600     7,800    13,000        0

अतः स्पष्ट है, कि 5 लाख रुपये की आमदनी वालों को सालाना ₹13000 की बचत होगी।

मानक कटौती ( स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की गई है।

वेतनभोगी कर्मचारियों के वार्षिक वेतन से हर साल कंपनी द्वारा एक निश्चित राशि काटी जाती है, जिसे मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) कहते है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा यह है कि इससे कर योग्य इनकम कम हो जाती है। अर्थात आयकर कम हो जाता है।

बैंक और पोस्ट ऑफिस में जमा राशि  (डिपॉजिट) पर 10000 की जगह अब ₹40000 तक का ब्याज टैक्स फ्री हो गया है। अर्थात टीडीएस नहींं लगेगा।


नौकरीपेशा कर्मचारियों की ग्रेच्युटी लिमिट (उपहार सीमा) 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख की गई है।
ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम 1972 के तहत नौकरीपेशा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी दी जाती है।
कोई भी संस्थान जिसमें 10 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हो उसमें ग्रेच्युटी दी जाती हैं।

रियल एस्टेट सेक्टर

मकान किराए पर कर कटौती के लिए टीडीएस सीमा को 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.40 लाख रुपये तक किया है।

दूसरा घर होने पर उसके किराए से होने वाली आय को आयकर में 2 साल तक दिखाने की जरूरत नहीं है।

सरकार ने सस्ते घर योजना (अफोर्डेबल हाउसिंग) में घर बुक कराने पर मिलने वाली छूट की तारीख 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दी है।

2 करोड़ रुपए तक के पूंजी लाभ (कैपिटल गेन, धारा 54) पर निवेश की सीमा एक घर से बढ़ाकर दो घर की गई है। (यह छूट जीवन में एक बार ही मिलेगी) 

दूसरा घर बेचने पर कैपिटल गैन टैक्स (पूंजी लाभ कर) नहीं देना होगा।

बिल्डरों बिना बिके फ्लैट्स (अनसोल्ड इन्वेंट्री ) पर टैक्स छूट की अवधि 2 साल के लिए बढ़ा दी गई है।

मकान खरीदने पर जीएसटी कम करने की तैयारी।
मंत्री समूह जांच कर देगा सिफारिश।

किसानों के लिए

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना

75 हजार करोड़ वार्षिक खर्च वाली यह योजना 1 दिसंबर 2018 से लागू की गई है।
इस योजना के तहत 2 हेक्टेयर तक की जोत वाले भू-स्वामी किसानों को कृषि कार्य के लिए 2,000 रुपये की 3 किस्तों में ₹6000 सालाना दिए जाएंगे।
31 मार्च 2019 तक पहली किस्त का भुगतान कर दिया जाएगा।
योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
करीब 12 करोड़ किसानों को इससे सीधा लाभ मिलेगा।
वित्त्त मंत्री ने कहा- 20 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कर रहे हैं। अगले वर्ष के लिए 75 हजार करोड़ रुपए का प्रस्ताव रख रहे हैं।

किसानों का फसली खर्च बढ़कर 11.68 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने वाले सभी किसानों को 2% ब्याज और समय पर कर्ज लौटाने पर 3% अतिरिक्त ब्याज माफी का फायदा मिलेगा। इस तरह उन्हें ब्याज में 5% की छूट मिलेगी।

पशुपालन और मछली पालन करने वाले किसानों को भी क्रेडिट कार्ड के जरिए लिए जाने वाले कर्ज के ब्याज में 2% ब्याज की छूट दी जाएगी।
इस प्रकार सभी किसानों को एक समान दर्जा मिलेगा।

दुनिया के मत्स्यपालन में भारत की हिस्सेदारी 6.8 फीसदी है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मत्स्यपालन का योगदान 1% है।
मत्स्यपालन के लिए जल्द ही एक अलग विभाग बनाया जाएगा।

श्रमिकों के लिए पेंशन योजना

प्रधानमंत्री योगदान श्रम योगी मानधन योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों जिनकी मासिक आय 15000 रुपये या इससे कम है, को 60 वर्ष की उम्र के बाद 3000 रुपए की पेंशन हर महीने दी जाएगी।
इससे 10 करोड़ कामगारों (रेहडी लगाने वाले, रिक्शा चालक और कूड़ा बीनने वालों) को फायदा होगा।
इस योजना का लाभ लेने के लिए 29 वर्ष की उम्र से जुडने वालेे मजदूरों को हर महीने 100 रुपये जमा कराने होंगे।



राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए आवंटन को बढ़ाकर 750 करोड़ रुपए किया गया है।

गौ-वंश की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना की घोषणा की गई।

देश में 22वां AIIMS हरियाणा में खुलेगा।

न्यू पेंशन योजना (NPS) में सरकार की भागीदारी 10% से बढ़ाकर 14% की गई है।

मजदूरों की अचानक मौत पर 6 लाख रुपए तक का मुआवजा की घोषणा की गई है।

असंगठित क्षेत्र में 21 हज़ार तक कि सैलरी पर बोनस का प्रावधान।

उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 6 करोड़ घरेलू कनेक्शन दिए गए है। 2 करोड़ और कनेक्शन अभी दिए जाने बाकी है।

70% मुद्रा लोन महिलाओं को मिले।

 स्टार्ट अप में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हब।

कौशल विकास योजना में अब तक 1 करोड़ युवाओं को लाभ।

मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 19 हजार करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है।

अंतरिम बजट 2019 में इंडिया विजन-2030 के अंतर्गत निम्न 10 आयामों की घोषणा की गई है-
1.प्रदूषण मुक्त भारत का निर्माण।
2.निर्मल और सदानीरा नदियाँ।
3.ऑर्गेनिक उत्पादन से खदान में आत्मनिर्भरता और निर्यात भी करना।
4.सक्रियता मित्रवत नौकरशाही संग मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस।
5.आसान जीवन, 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए बुनियादी ढांचा बनाना।
6.अर्थव्यवस्था के प्रत्येक सेक्टर तक पहुंचने वाला डिजिटल इंडिया।
7.मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत व्यापक रोजगार उत्पन्न करना।
8.बंदरगाहों, समुद्री मालवाहक उद्योगों के विकास से तटीय इलाके सशक्त बनाना।
9.अंतरिक्ष कार्यक्रम का विकास करना तथा दुनिया के सेटेलाइट का लांच पैड बनाना।
10.प्रत्येक व्यक्ति को बेहतर और मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना।

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें जल्द लागू होगी।

पहली बार रक्षा बजट की राशि 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रखी गई है।

पांच साल में 1.53 करोड़ मकान बने।

गर्भवती महिला कार्मिको को अब 26 महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी।

GST से ग्राहकों को 80 हज़ार करोड़ रुपया का फायदा।

गरीबों के काम आने वाली चीजों पर GST 5% की।

आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा।
10 लाख लोगों को अब तक मिल चुका है।

5 साल में भारतीय अर्थव्यस्था 5 ट्रिलियन डॉलर होगी।

रोजाना की चीजों पर GST 0-5% की गई।

अब 3 करोड़ लोग टैक्स दायरे से बाहर।

2 वर्षों के भीतर, कर निर्धारण इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा
केंद्रीय सरकार द्वारा राज्यों को जीएसटी का न्यूनतम 14% राजस्व।
कैपिटल गुड्स से कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी गई है।

घर खरीदारों के लिए जीएसटी दरों को कम करने के लिए जीएसटी परिषद की सिफारिशें

21000 मासिक कमाने वाले श्रमिकों के लिए बोनस लागू होगा।

MSME GST पंजीकृत व्यक्ति के लिए 2% ब्याज राहत की घोषणा।

अगले 5 वर्षों में 1 लाख डिजिटल गांव बनाने की घोषणा की गई है।

भारत फिल्म निर्माताओं की मंजूरी के लिए एकल खिडकी (सिंगल विंडो) क्लियरेंस की घोषणा की गई।

 SAVE WATER

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