जैवमंडल और भू-दृश्य
Biosphere and landscape
पृथ्वी का वह समस्त भाग जहां जीवन विद्यमान है, उसे जैवमंडल कहते हैं।
छोटे से छोटे जीवाणु से लेकर बड़े से बड़ा जीव सभी जैवमंडल में शामिल है।
हमारी पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन विद्यमान है। इसलिए जैवमंडल केवल पृथ्वी पर ही विद्यमान है।
पृथ्वी की ठोस सतह को स्थलमंडल, जलीय भाग को जलमंडल तथा पृथ्वी का ऊपर वाला भाग जहां गैसे पाई जाती है, उसे वायुमंडल कहते हैं।
ठोस सतह - स्थलमंडल
जलीय भाग - जलमंडल
गैसों वाला भाग - वायुमंडल
जैवमंडल विकास के कारक
पृथ्वी के संपूर्ण भू-भाग पर जीवन विद्यमान नहीं है। यही कारण है, कि समग्र पृथ्वी पर जैवमंडल विद्यमान नहीं है।
पृथ्वी पर जैवमंडल विकास के प्रमुख कारक सूर्य से निरंतर प्राप्त ऊर्जा, विशाल मात्रा में जल की उपलब्धता एवं ठोस, द्रव और गैस तीनों पदार्थों का अच्छा समन्वय है।
जैवमंडल में पाए जाने वाले जीवों को हम निम्न दो वर्गों में बांट सकते हैं-
1.वनस्पति जगत - सभी प्रकार के पेड़-पौधे, झाड़ियां और घास शामिल
2.जीव जगत - मानव सहित स्थल, जल एवं वायु में रहने वाले सभी जीव-जंतु शामिल
पर्यावरण एवं पारितंत्र
जैविक एवं अजैविक वस्तुओं/चीजों/जीवों से निर्मित हमारे चारों ओर के वातावरण को पर्यावरण कहते हैं।
जैविक एवं अजैविक पर्यावरण के पारस्परिक अंतर्संबंध को पारितंत्र कहते है। जैसे- तालाब, वन।
हमारी पृथ्वी भी एक विशाल पारितंत्र है।
प्रश्न. हमें पारितंत्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए क्या-2 करना चाहिए ?
उत्तर - 1. पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करना चाहिए।
2. उर्वरकों एवं कीटनाशकों का नियंत्रित प्रयोग करना चाहिए।
3. प्रकृति का दोहन आवश्यकतानुसार करना चाहिए।
खाद्य श्रंखला एवं खाद्य जाल
पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य है, जिसकी सहायता से पेड़-पौधे अपना भोजन बनाते हैं।
पौधे जो सूर्य की ऊर्जा से भोजन बनाते हैं। उन्हें शाकाहारी जीव-जंतु (हिरण, खरगोश) खाते हैं। शाकाहारी पशुओं को मांसाहारी जीव-जंतु (शेर, भेडिया) खाते है।अंत में इनकी मृत्यु के बाद अपघटक जीव इनके शरीर को मिट्टी में मिला देेेेते है।
इस प्रकार भोजन के द्वारा ऊर्जा एक जीव से दूसरे जीव में हस्तांतरित होती है, जिसे खाद्य श्रंखला कहते हैं।
अनेक खाद्य श्रंखलाओं के जटिल जाल को खाद्य जाल कहते है।
पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप
1.पर्वत 2.पठार
3.मैदान 4.नदी बेसिन
5.समुद्र और तटीय मैदान
6.द्वीप
1.पर्वत
ऐसे स्थान जो अपने आसपास के स्थानों से 600 मीटर से अधिक ऊँचे तथा सैकड़ों किलोमीटर लंबे होते हैं, उन्हें पर्वत कहते हैं।
पर्वत नीचे से चौड़ा और ऊपर से संकरा एवं नुकीला भू-भाग होता है।
पर्वत के ऊपर के नुकीले भाग को पर्वत की चोटी कहते है।
पृथ्वी की सतह पर सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर ऊँची) है।
पर्वत एक रेखा क्रम में होते हैं, तो उन्हें पर्वत श्रंखला कहते हैं।
प्रशांत महासागर में मॉनाकी पर्वत समुद्र की तली से 10205 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। (माउंट एवरेस्ट से भी ऊँचा)
पर्वतों के जिस तरफ बादल टकराकर वर्षा करते हैं, उसे पवनमुखी भाग कहते हैं।
पर्वतों का दूसरी तरफ का भाग जहां वर्षा कम होती है, उसे पवनविमुखी भाग कहते हैं। पवनविमुखी भाग को वृष्टि छाया प्रदेश भी कहते हैं। जैसे- अरावली पर्वतमाला की उपस्थिति के कारण पश्चिमी राजस्थान वृष्टि छाया प्रदेश है।
ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में कमी आती है। इसी कारण पर्वतों के आस-पास की जलवायु ठंडी होती है।
यही कारण है, कि हिमालय में गद्दी, बकरवाल एवं भोटिया जनजातियां मौसमी प्रवास करती है। अर्थात ये लोग गर्मियों में अपने पशुओं के साथ ऊंचे चारागाहों में चले जाते हैं तथा सर्दियों में नीचे घाटियों की तरफ आ जाते हैं।
2.पठार
कम ढाल वाले ऐसे ऊंचे एवं चौड़े भू-भाग जो ऊपर से समतल होते हैं, पठार कहलाते हैं। जैसेेे- दक्कन का पठार, छोटा नागपुर पठार
पठारों का उपयोग प्रमुख रूप से चारागाहों के रुप में किया जाता है।
पठार खनिजों के भंडार होते हैं। जैसे- लोहा, कोयला
3.मैदान
समतल भू-भाग को मैदान कहते हैं। मैदानों की औसत समुद्र तल से ऊंचाई 300 मीटर से कम होती है।
नदियों के द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी के जमने से मैदान बनते हैं। जैसे- गंगा- ब्रह्मपुत्र का मैदान।
नदियों की मिट्टी के कारण मैदान उपजाऊ होते है।
अधिक मात्रा में कृषि एवं आसान परिवहन के कारण मैदानों में जनसंख्या घनत्व अधिक पाया जाता है।
मैदान निम्न दो प्रकार के होते हैं-
अ. तटीय मैदान- समुद्र के किनारे पाए जाते है।
ब. आंतरिक मैदान- मुख्य भूमि पर नदियों द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी के जमने से बनते है।
4.नदी बेसिन
धरती पर प्राकृतिक रूप से एक धारा के रूप में बहने वाले जल को नदी कहते हैं।
नदी हमेशा ढाल के अनुसार ऊपर से नीचे की ओर बहती है।
नदियों की उत्पत्ति सामान्यतः पहाड़ी क्षेत्रों से होती है।
अतः ऐसी नदियों में वर्षभर जल की उपलब्धता बनी रहती है, क्योंकि इन नदियों को वर्षा के साथ-साथ पर्वतों पर जमी बर्फ के पिघलने से भी जल मिलता है।
NOTE- यही कारण है, कि कभी-कभी गर्मियों के दिनों में भी गंगा, यमुना (हिमालय पर्वत से उत्पत्ति) जैसी नदियों में बाढ़ आ जाती है।
ऐसी नदिया जो वर्षभर बहती हैं, उन्हें सदावाहिनी या नित्यवाहिनी नदियाँ कहते है। जैसे-गंगा, यमुना नदी
ऐसी नदियां जो केवल वर्षा ऋतु में बहती है, उन्हें मौसमी नदियां कहते है। जैसे- पश्चिमी राजस्थान में बहने वाली लूनी नदी।
ऐसी नदियाँ जो आस-पास के क्षेत्र से आकर मुख्य नदी में मिल जाती हैं, उन्हें सहायक नदियाँ कहते हैं। जैसे- यमुना, चंबल, सोन आदि गंगा की सहायक नदियां हैं।
धरातल का वह भू-भाग जहां मुख्य नदी एवं उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं, उसे नदी का बेसिन कहते हैं।
गोखुर झील
जब नदी अपने विसर्प को छोड़कर सीधे बहने लग जाए, तो छोड़े गए विसर्प को गोखुर झील कहते हैं।
5.समुद्र और तटीय मैदान
अनेक छोटे-छोटे सागरों से मिलकर महासागरों का निर्माण होता है।
पृथ्वी पर निम्न पांच महासागर है-
- प्रशांत महासागर
- अटलांटिक महासागर
- हिंद महासागर
- उत्तरी ध्रुव महासागर
- दक्षिणी ध्रुव महासागर
नीचे महासागरों में भी अनेक स्थल रूप (जैसे पर्वत,पठार,मैदान) पाए जाते है।
समुद्रों के किनारे पर स्थित स्थल (भू क्षेत्र) को तट कहते है।
6.द्वीप
चारों तरफ से जल से घिरे छोटे भू-भाग को द्वीप कहते हैं। जैसेेे-अंडमान निकोबार द्वीप, लक्षद्वीप।
द्वीप नदी, तालाब, समुद्र या महासागर में कहीं भी स्थित हो सकते हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली द्वीप नदी में स्थित विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है।
जबकि चारों तरफ से जल से घिरे बड़े भू-भाग को महाद्वीप कहते है। जैसे- एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका।
➖ एशिया विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है।
तीन तरफ से जल से घिरे भू-भाग को प्रायद्वीप कहते है। जैसे- तीन तरफ अरब सागर, हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी होने के कारण दक्षिणी भारत एक प्रायद्वीप है।
SAVE WATER
SAVE WATER
घी डुल्यां म्हारा की नीं जासी।
पानी डुल्यां म्हारों जी बले।।
पानी डुल्यां म्हारों जी बले।।
1 Comments
Jav mandal kya hota hai
ReplyDelete