कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान:-
प्रचलित मूल्य पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान 26.92% है।
• कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में फसल, पशुधन, मत्स्य, वानिकी को शामिल किया जाता है।
2024-25 में कृषि में योगदान (प्रचलित मूल्यों पर):-
शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल Net Sown Area | 53.10% |
बंजर भूमि Waste land | 10.26% |
वानिकी Forest land | 8.13% |
ऊसर तथा कृषि अयोग्य भूमि Barren and uncultivable land | 6.89% |
अन्य चालू पड़त भूमि कृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग भूमि | 5.05% 5.92% |
प्रचालित जोत धारक (Operational land holdings):-
211.36 लाख हेक्टेयर | ||
68.88 लाख | ||
महिला प्रचालित जोत धारक |
कुल जोतों के क्षेत्रफल में कमी:- -1.24%
महिला प्रचालित जोत धारक में वृद्धि:- 41.94%
(103.71 खरीफ + 163.96 रबी) (206.57 अनाज + 47.42 दलहन) • तिलहन उत्पादन = 96.17 लाख मैट्रिक टन। (कमी) • गन्ना उत्पादन = 4.40 लाख मैट्रिक टन। • कपास (रूई) = 18.45 लाख गाँठे। (कमी) | दूसरा:- मूंगफली (DM) तीसरा:- सोयाबीन, चना, ज्वार, कुल दलहन (SCJ दाल) |
कृषि जलवायुवीय क्षेत्रवार मुख्य फसलें
• राजस्थान को 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
बाजरा, मोंठ, तिल | गेंहू, सरसों, जीरा | |||
डीग, सवाई माधोपुर | ||||
राजस्थान में पहली बार अलग से कृषि बजट कब पेश किया गया? - 2022-23
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राज. का योगदान
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ग्वार |
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हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश |
गुजरात गुजरात |
90.36 46.13 15.66
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18.76
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कर्नाटक मध्यप्रदेश महाराष्ट्र मध्यप्रदेश
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राजस्थान में कृषि संबंधित योजनाएं
मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना (2017)
• उद्देश्य:- किसानों द्वारा स्वयं के खेतों में गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना।
• यह योजना राज्य के सभी 10 कृषि जलवायु क्षेत्रों में लागू की गई है।
• इस योजना के तहत फसलों की विभिन्न किस्मों का बीज उत्पादन 10 साल तक लिया जा रहा है।
गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना
• उद्देश्य:- किसानों को रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने तथा जैविक उर्वरक, जैविक खाद और नैनों उर्वरक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
• प्रत्येक ब्लॉक में 50 किसानों को ₹10,000 तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है जिससे वे पशु अपशिष्ट का उपयोग करके जैविक खाद (वर्मी-कम्पोस्ट) का उत्पादन कर सके।
कृषि क्लीनिक:- किसानों को मृदा परीक्षण, फसलों की जानकारी तथा कीट/रोग उपचार संबंधी विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध करवाने हेतु सभी जिला मुख्यालयों पर एग्री क्लीनिक स्थापित किया जा रहे हैं।
नमो ड्रोन दीदी योजना
• इस योजना के तहत 1000 महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) को ड्रोन एवं सहायक उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता, क्षमता निर्माण एवं सतत सहयोग प्रदान किया जाएगा।
• ड्रोन तकनीक के माध्यम से नैनो यूरिया एवं कीटनाशकों के छिड़काव से उर्वरकों एवं कीटनाशकों का सटीक और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होगा।
सहकारी ऋण द्वारा समावेशी विकास
• राज्य में कुल 42,283 सहकारी समितियां है जिनमें 23 संघ (फेडरेशन), 24 दुग्ध संघ, 38 उपभोक्ता थोक भंडार, 36 प्राथमिक भूमि विकास बैंक, 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक, 8592 प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियां है।
• राजस्थान ग्रामीण आजीविका ऋण योजना
इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण कारीगरों, गैर-कृषि गतिविधियों से अधिक को चलाने वाले ग्रामीण परिवारों के सदस्यों तथा अन्य पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले लघु एवं सीमांत किसानों के परिवारों को सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
• कृषि उपज गिरवी ऋण योजना
किसानों को कृषि उपज गिरवी रखने पर 3% की दर से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
• कृषि अवसंरचना निधि (AIF)
केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा किसानों के लिए फार्म गेट अवसंरचना तैयार करने के लिए ₹1 लाख करोड़ के कृषि अवसंरचना निधि की घोषणा 15 मई 2020 को की गई।
इसके तहत ₹2 करोड़ की सीमा तक के सभी ऋणों पर 3% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सहायता दी जाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
• 2016 से प्रारम्भ की गई है।
• उद्देश्य:- प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले फसल नुकसान का बीमा कवर प्रदान करना।
• कृषक से निम्न प्रीमियम राशि लेकर बीमा किया जा रहा है -
रबी = 1.5%
खरीफ फसल = 2%
वाणिज्यिक/बागवानी = 5%
• फसल कटाई प्रयोग करने वाले प्राथमिक कार्मिकों को प्रीमियम अनुदान एवं प्रोत्साहन राशि के भुगतान हेतु राज्य निधि योजना चल रही है।
राजस्थान में जल संसाधन (Water Resources)
• राजस्थान में देश के कुल सतही जल (Surface water) का 1.16% है।
सिंचाई
• स्त्रोत:- नहर, ट्यूबवेल, कुआं, तालाब, अन्य।
• कुल सिंचित क्षेत्र:- 95,47,992 हेक्टेयर
राज्य के 39.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सतही जल परियोजनाओं से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
• 7 वृहद् परियोजनाएं:- नर्मदा नहर परियोजना (जालोर एवं बाड़मेर), परवन (झालावाड़), धौलपुर लिफ्ट, नवनेरा बाँध (कोटा), उच्च स्तरीय नहर-माही, पीपलखूंट उच्च स्तरीय नहर, कालीतीर लिफ्ट।
• 6 मध्यम परियोजनाएं:- गरड़दा (बूँदी), ताकली (कोटा), गागरिन (झालावाड़), ल्हासी एवं हथियादेह (बारां), अंधेरी।
• 40 लघु सिंचाई परियोजनाएं।
संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (एकीकृत ERCP):-
(नया नाम:- राम जल सेतु लिंक परियोजना)
• राज्य:- राजस्थान और मध्यप्रदेश
• केंद्र सरकार की नदी जोड़ो परियोजना में शामिल।
• वित्तपोषण:- केंद्र (90) : राज्य (10)
• मानसून के दौरान चंबल नदी के सहायक नदी बेसिनों (कुनू, कूल, पार्बती, कालीसिंध, मेज) में उपलब्ध अधिशेष (Surplus) जल को बनास, मोरेल, बाणगंगा, गंभीरी और पार्वती नदी बेसिनों में स्थानांतरित किया जायेगा।
• यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों को पीने का पानी उपलब्ध कराएगी जिससे लगभग 32.5 मिलियन लोग लाभान्वित होंगे।
• यह परियोजना 2,51,000 हेक्टेयर नई कृषि भूमि को सिंचाई प्रदान करके और 1,52,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी की आपूर्ति करके कृषि उत्पादकता को बढ़ाएगी।
• इन जिलों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा।
चरण-1ए:-
• पेयजल हेतु नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना की DPR तैयार की गई है।
इस कार्य में कुल नदी पर रामगढ़ बैराज, पार्वती नदी पर महलपुर बैराज का निर्माण तथा रामगढ़ बैराज से महलपुर बैराज, नवनेरा बैराज (कालीसिंध नदी) से गलवा बांध, बीसलपुर बांध एवं ईसरदा बांध में पानी पहुंचाने के लिए नहर प्रणाली/पम्पिंग स्टेशन/पाइपलाइन का निर्माण शामिल है।
चरण-1बी:-
मेज बांध (बूंदी)
डूंगरी बांध एवं राठौड़ बैराज (बनास नदी, सवाई माधोपुर)
बीसलपुर बांध से मोर सागर (अजमेर)
डूंगरी बांध से अलवर जलाशय तक कार्य।
डूंगरी बांध से बंध बरेठा से सुजान गंगा तक।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP)
• पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा।
• उद्देश्य:- सिंचाई, पेयजल, सुखा-निवारण, पर्यावरण सुधार, वनीकरण, रोजगार सृजन और पुनर्वास।
• इसका लक्ष्य 16.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाना है।
उपनिवेशन विभाग
• इस विभाग का मुख्य कार्य इंदिरा गांधी नहर परियोजना में भूमि क्षेत्र में भूमि आवंटित करना है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
• उद्देश्य:- सिंचाई कवरेज का विस्तार करना और जल उपयोग दक्षता में सुधार करना।
• इसमें हर खेत को पानी और प्रति बूंद अधिक फसल जैसी पहलों को शामिल किया गया है।
• PMKSY का सूक्ष्म सिंचाई घटक:-
इसके तहत बूंद-बूंद एवं फव्वारा सिंचाई पद्धति को अपनाया गया है।
रिपेयर-रिनोवेशन-रिस्टोरेशन योजना (RRR)
(मरम्मत, नवीनीकरण पुनर्स्थापन योजना)
• यह योजना 2005 में भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार के सहयोग से छोटी जल संरचनाओं की मरम्मत और सुधार के लिए शुरू की गई थी।
• वित्त पोषण:- केंद्र (60) : राज्य (40)
• वर्ष 2017-18 में इस योजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में शामिल किया गया।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान 2.0
• फरवरी 2024 में शुरू।
• आगामी 4 वर्षों में 20 हजार गांवों में 5 लाख जल संचयन और जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया जायेगा।
• उद्देश्य- जल संरक्षण, जल संग्रहण, जल संचयन ढांचों का निर्माण और उपलब्ध जल स्त्रोतों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करना।
- गांव में पीने के पानी की समस्या को दूर करना।
- परंपरागत पेयजल एवं जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना।
- सघन वृक्षारोपण कर हरित क्षेत्र को बढ़ाना।
- सिंचित एवं कृषि योग्य क्षेत्रफल को बढ़ाना।
- जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना।
- खाईया, खेत तालाब, खड़ीन, टांका, छोटे एनीकट, मिट्टी चेकडैम आदि जल भंडारण संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना।
राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना
मरू क्षेत्र के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुन: संरचना परियोजना
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना-II (DRIP-II)
राष्ट्रीय जल विज्ञान योजना:-
• जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा।
• अवधि:- 2016 -17 से 2025 (8 वर्ष)
• 100% - केंद्र अनुदान। (विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त)
• उद्देश्य:- सूखा प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता में सुधार।
• इसमें स्काडा सिस्टम लगाया गया है।
SCADA - Supervisory control and data acquisition.
नोट:- राज्य के 7 बांधों पर स्काडा सिस्टम लगाया गया है।
अटल भू-जल योजना
• यह एक विश्व बैंक सहायता प्राप्त केंद्रीय क्षेत्रीय योजना है।
• उद्देश्य:- ग्राम पंचायत स्तर पर भू-जल प्रबंधन को बढ़ावा देकर और समुदाय में जल उपयोग के लिए व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से भू-जल स्तर में गिरावट को रोकना ।
• अवधि:-अप्रैल 2020 से मार्च 2025
• राजस्थान के 17 जिलें शामिल हैं।
नर्मदा नहर परियोजना (जालोर एवं बाड़मेर)
यह देश की पहली वृहद् सिंचाई परियोजना है, जिसमें संपूर्ण कमांड क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य किया गया है।
नवनेरा बैराज (कालीसिंध नदी, कोटा)
• यह परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का अभिन्न हिस्सा है।
परवन वृहद् परियोजना
• परवन नदी पर झालावाड़ में।
• इससे कोटा, बारां एवं झालावाड़ जिलों के 637 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
कालीतीर लिफ्ट परियोजना
यह परियोजना पार्वती बांध व रामसागर बांध से धौलपुर जिले के 483 गांव व 3 कस्बो के लिए पेयजल आपूर्ति के उद्देश्य से शुरू की गई है।
ऊपरी उच्च स्तर नहर (माही नदी) :-
बांसवाड़ा जिले में सिंचाई हेतु।
पीपलखूंट उच्च स्तर नहर परियोजना
प्रतापगढ़ जिले की पीपलखूंट तहसील के 16 गांवों में सिंचाई सुविधा हेतु।
यमुना जल समझौता
• यमुना जल पर 1994 के समझौते के अनुसार ताजेवाला हेड (हथिनीकुंड बैराज) पर मानसून अवधि में 1917 क्यूसेक जल राजस्थान को आवंटित किया गया।
• 17 फरवरी 2024 को राजस्थान और हरियाणा के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए जिसके तहत यह सहमति बनी कि ताजेवाला हेड (हथिनीकुंड बैराज) से पानी को सीकर, चूरू, झुंझुनू और राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में भूमिगत परिवहन प्रणाली के माध्यम से लाया जाएगा ताकि उनकी पेयजल और अन्य आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सके।
राजस्थान में बागवानी (Horticulture):-
बागवानी निदेशालय (1989-90)
केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान:- बीकानेर।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
• राज्य के 31 जिलों में संचालित।
• उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल, उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि हेतु संचालित।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
• शुरुआत:- 2007-08
• उद्देश्य:- कृषि क्षेत्र के लिए योजनाओं को अधिक व्यापक रूप से तैयार करना।
• राष्ट्रीय बागवानी मिशन से वंचित जिलों में।
• केंद्र (60) : राज्य (40)
निम्नलिखित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये गए हैं:-
• खजूर - सागरा भोजका (जैसलमेर)
• अनार - बस्सी (जयपुर)
• सीताफल - चित्तौडगढ़
• फूल - सवाई माधोपुर
• Juicy (Citrus) fruit - नांता (कोटा)
• अमरूद - डयोडावास (टोंक)
• आम - धौलपुर
• संतरा - झालावाड़
कृषि सुधार के लिए प्रमुख पहल
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
• 2007-08 से गेहूं एवं दलहन पर शुरू।
• केंद्र (60) : राज्य (40)
NFSM न्यूट्रिसीरियल मिशन
• 2018-19 से शुरू।
NFSM तिलहन और टीबीओ
• ट्री बोर्न ऑयलसीड्स (TBO):- जैतून, महुआ, नीम, जोजोबा, करंज एवं जट्रोफा।
नोट:- NFSM वाले सभी मिशन का उद्देश्य:-
प्रमाणित बीज का वितरण एवं उत्पादन, उत्पादन तकनीक में सुधार, जैव उर्वरकों को बढ़ावा देना, सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग, समन्वित कीट प्रबंधन, कृषक प्रशिक्षण।
राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन/राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन
• उद्देश्य:- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन।
• मिशन में निम्न योजनाओं का विलय किया गया है -
राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन +
राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना +
राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रबन्ध परियोजना +
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन।
• केंद्र : राज्य (60:40)
परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)
• उद्देश्य:- जैविक खेती को बढ़ावा देना।
• पर्यावरण अनुकूल न्यूनतम लागत तकनीकों के प्रयोग से रसायनों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कम करना।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं तकनीकी मिशन
उद्देश्य:- कृषि विस्तार का पुनर्गठन एवं सशक्तिकरण करना।
जिससे किसानों को उचित तकनीक एवं कृषि विज्ञान की अच्छी पद्धतियों का हस्तांतरण किया जा सके।
• केंद्र : राज्य (60:40)
• इस मिशन के अन्तर्गत तीन उप-मिशन शामिल -
(1) कृषि विस्तार पर उप मिशन
(2) बीज एवं रोपण सामग्री पर उप मिशन
(3) कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन
कटाई के बाद प्रबंधन
• इसके अंतर्गत भंडारण इकाइयां, प्रसंस्करण संयंत्र और परिवहन नेटवर्क को शामिल किया जाता है।
• राज्य में सहकारी समितियों/संस्थाओं के तहत 8,842 गोदाम है।
प्रसंस्करण:-
• राजस्थान निवेश संवर्धन नीति 2024 के तहत एग्रो और फूड प्रोसेसिंग में लगे उद्यमों को इकाई (Unit) द्वारा किए गए पूंजी निवेश का 50% विशेष प्रोत्साहन दिया जाता है, जो अधिकतम ₹1.5 करोड़ तक होता है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना (PM-FME):-
(PM-Formalization of Microfood processing Enterprises.)
• आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत।
• 2020-21 से 2025-26 के लिए।
• खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू।
• केंद्र प्रायोजित योजना। (60:40)
• उद्देश्य:- देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का उन्नयन करना।
• नोडल एजेंसी:- राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड।
• एक जिला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण पर काम करेगी।
• खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना या विस्तार के लिए व्यक्तिगत श्रेणी के आवेदकों को 35% की दर से अधिकतम ₹10 लाख तक के अनुदान का प्रावधान है।
विपणन (Marketing)
• नए मंडी यार्डो की स्थापना।
कृषक उपहार योजना
• ई-नाम के माध्यम से अपनी उपज बेचने वाले सभी व्यक्तियों को कवर करने के लिए ई-नाम पोर्टल पर 1 जनवरी 2022 से यह योजना शुरू की गई है।
• ₹10 हजार (या इसके गुणक) की बिक्री पर एक कूपन जारी किया जाता है।
सहकारी विपणन संरचना
• राज्य में 278 क्रय-विक्रय सहकारी समितियां किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलवाने एवं प्रमाणित बीज, खाद्य एवं कीटनाशक दवाईयां उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का कार्य कर रही है।
• शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान क्रय-विक्रय सहकारी संघ (राजफैड) कार्यरत हैं।
सहकारी उपभोक्ता संरचना
• उपभोक्ताओं को कालाबाजारी और बाजार में वस्तुओं की कृत्रिम कमी से बचाने के लिए जिला स्तर पर 38 सहकारी उपभोक्ता थोक भण्डार तथा शीर्ष संस्था के रूप में राजस्थान सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (कॉनफेड) कार्यरत हैं।
समृद्ध खेती के लिए पशुधन
पशुधन गणना (प्रत्येक 5 वर्ष में)
• पहली:- 1919 (भारत में), 1951 (राजस्थान में)
• 20वीं पशुधन गणना 2019:-
राज्य में कुल 568.01 लाख पशुधन एवं 146.23 लाख कुक्कुट (Poultry) है।
देश के कुल पशुधन का 10.60% पशुधन राजस्थान में है।
यहां देश का 84.43% ऊंट, 14% बकरी, 12.47% भैंस, 10.64% भेड एवं 7.24% गौवंश उपलब्ध है।
• राजस्थान देश में दूध उत्पादन में 14.44% तथा ऊन उत्पादन में 47.98% योगदान देता है।
राजस्थान बकरी, ऊंट और गधों के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है।
पशुधन विकास
1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स (MVU)
• किसानों के घर पर ही पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने हेतु 24 फरवरी 2024 को शुरू की गई ।
खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम
पशु मित्र योजना
• पशुपालकों को डोर स्टेप सुविधाएं प्रदान करने हेतु।
जैसे - टैगिंग, टीकाकरण, बीमा, कृत्रिम गर्भाधान।
• 5,000 पशु मित्र बनाए जाएंगे।
राजस्थान में ऊंट संरक्षण योजना के तहत ऊंट प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए टोडियों (बछड़ा) के जन्म पर पशुपालकों को ₹20,000 की सहायता।
पशुधन किसान कल्याण पहल
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)
• यह एक उद्यमिता विकास कार्यक्रम है।
• उद्देश्य:- पशुपालकों को पशुपालन के क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित करना।
राज सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना (8th चरण)
• 1 फरवरी 2024
• दुग्ध उत्पादकों के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना।
• मृत्यु एवं पूर्ण स्थायी अपंगता पर ₹5 लाख।
• आंशिक स्थायी अपंगता पर ₹2.5 लाख मिलेंगे।
सरस सामूहिक आरोग्य बीमा
• इसके अंतर्गत जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों द्वारा दुग्ध उत्पादकों को बीमा दिया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना
• RCDF को दूध सप्लाई करने वाले दुग्ध उत्पादकों को इस योजना के तहत ₹5 प्रति लीटर बोनस दिया जा रहा है।
प्रश्न.राजस्थान में गौवंश संवर्द्धन के प्रयास ?
• गोपालन विभाग:- 13 मार्च 2014
गौशाला विकास योजना
• उद्देश्य:- गौशालाओं में बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 10 लाख रुपये की सहायता।
नंदीशाला जनसहभागिता योजना
• पंचायत समिति स्तर पर नंदीशालाओं की स्थापना करके आवारा नर पशुओं की समस्या हल करना।
• सरकार (90) : जनता (10)
ग्राम गौशाला/पशु आश्रय स्थल जनसहभागिता योजना
• ग्राम पंचायत स्तर पर।
ई-न्यूजलेटर 'गोपालक वाणी'
• 2024-25 में शुरू।
• यह गोपालन योजना, गौशाला प्रबंधन और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मवेशी आधारित अर्थव्यवस्था में हो रहे नवाचारों की जानकारी साझा करने के उद्देश्य से प्रकाशित किया जाता है।
राजस्थान में डेयरी विकास:-
राज्य में 24 जिला दुग्ध उत्पादक संघ है।
शीर्ष स्तर पर राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन (RCDF), जयपुर स्थापित किया गया है।
• RCDF द्वारा पौष्टिक आहार, विभिन्न प्रकार के दुग्ध उत्पादों का उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों को बीमा उपलब्ध करवाया जा रहा है।
• दुग्ध सहकारी समितियां:- 19,054
जलीय कृषि और मत्स्य पालन विकास
• राजस्थान जल संसाधनों की उपलब्धता के मामले में देश में 10वें स्थान पर है, जो मत्स्य उत्पादन में आगे बढ़ने की व्यापक संभावनाओं को दर्शाता है।
• राज्य में दिसंबर 2024 तक 63,107 मैट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ हैं।
• जलीय कृषि की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए चूरू में खारे पानी की जलीय कृषि प्रयोगशाला स्थापित की गई है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
• उद्देश्य:- मत्स्य उत्पादन बढ़ाना, मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को विकसित करना और मछुआरों तथा मत्स्य किसानों की आजीविका को सशक्त बनाना।
• इसके तहत मत्स्य तालाब निर्माण, झींगा पालन, केज कल्चर और फीड मिल्स जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए मत्स्य किसानों को अनुदान प्रदान किया जाता है।
किसानों और कृषि श्रमिकों का कल्याण
मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
• बजट घोषणा 2024-25
• इसके तहत राज्य सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले किसानों को प्रतिवर्ष ₹2,000 की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
राजस्थान कृषक समर्थन योजना
• राज्य सरकार द्वारा MSP पर प्रति क्विंटल ₹125 की दर से बोनस भुगतान किया गया।
किसान कलेवा योजना
• उद्देश्य:- कृषि मंडियों (फल और सब्जी मंडी को छोड़कर) में अनुदानित दरों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना।
मुख्यमंत्री कृषक साथी सहायता योजना
• इस योजना के तहत कृषि कार्य जिसमें कृषि विपणन भी शामिल है के दौरान होने वाली मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में कृषकों, कृषि श्रमिकों और हमालों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना (2015):-
• उद्देश्य:- कृषि उपज मंडियों में कार्यरत श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारना।
• प्रसूति सहायता:- 45 दिवस का मातृत्व अवकाश, 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाएगा।
इस दौरान अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर से भुगतान किया जाएगा।
• विवाह के लिए सहायता:- लाइसेंसधारी महिलाओं को उनकी स्वयं की शादी और दो बेटियों की शादी के लिए ₹50,000 की सहायता।
• चिकित्सा सहायता:- लाइसेंसधारी हम्माल को गंभीर बीमारी होने पर अधिकतम ₹20,000 की सहायता।
• छात्रवृत्ति/मेरिट पुरस्कार:- लाइसेंसधारी श्रमिकों के पुत्र/पुत्री को 60% या अधिक अंक प्राप्त करने पर छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
कृषि शिक्षा में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोत्साहन राशि
• उच्च माध्यमिक के लिए:- ₹15,000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
• Bsc/MSC (कृषि):- ₹25,000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
• पीएचडी के लिए:- ₹40,000 प्रति छात्रा प्रतिवर्ष
लघु और सीमांत वृद्ध किसानों के लिए सम्मान पेंशन
• महिला किसान (55 वर्ष या अधिक)
• पुरुष किसान (58 वर्ष या अधिक)
• दोनों को प्रतिमाह ₹1,150 की पेंशन।
SAVE WATER
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