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राजस्थान में बाह्य सहायतित परियोजनाएं। राजस्थान आर्थिक समीक्षा 2020-21

 
Externally aided projects


राजस्थान में बाह्य सहायतित परियोजनाएं

1. राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना द्वितीय चरण:-
JICA द्वारा वित्त पोषित। 
(जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी)
• अवधि - अक्टूबर 2011 से मार्च 2021 तक।
• उद्देश्य - वन क्षेत्र और वनों पर निर्भर लोगों की आजीविका के अवसरों को बढ़ाना और संयुक्त वन प्रबंधन के माध्यम से जैव विविधता का संरक्षण और वनाच्छादित क्षेत्र में वृद्धि करना।
• राज्य के 15 जिले एवं 7 वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र शामिल।

2. राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परियोजना
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - जुलाई 2012 - जून 2020 तक।
• उद्देश्य - कृषि प्रौद्योगिकी एवं एकीकृत कृषि जल प्रबन्धन द्वारा कृषि उत्पादन को बढ़ाना तथा कृषकों की आय में वृद्धि करना।

3. राजस्थान ग्रामीण जलप्रदाय एवं फ्लोरोसिस निराकरण परियोजना (नागौर):-
JICA द्वारा वित्त पोषित।
• जनवरी 2013 - जनवरी 2022 तक।
• उद्देश्य - परियोजना क्षेत्र में पेयजल वितरण व्यवस्था हेतु सुधार, जल जनित बीमारियों में कमी तथा प्रभावी एवं कुशल फ्लोरोसिस उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा फ्लोरोसिस का नियंत्रण एवं रोकथाम करना।
 • 'जायल मातासुख क्षेत्रीय जलप्रदाय योजना' से 120 गाँवों तथा 'नावां दुदू बिसलपुर परियोजना' से 97 गाँवों को लाभान्वित किया जाएगा।

4. जयपुर मेट्रो रेल लाईन फेज - 1बी परियोजना:-
एशियन विकास बैंक (ADB) द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - जून 2014 - सितम्बर 2020 (पूर्ण हो चुकी)
• लगभग 2.44 किमी. लम्बाई में (चाँदपोल से बड़ी चौपड़ तक) भूमिगत रेल लाईन व दो स्टेशन का निर्माण किया गया।

5. ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना के अन्तर्गत अन्तर्राज्य विद्युत प्रसारण तंत्र:-
जर्मनी की KFW द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - अक्टूबर 2015 से दिसम्बर 2020 तक।
• पश्चिमी राजस्थान में पवन ऊर्जा व सौर ऊर्जा की क्षमता का दोहन करने के लिए जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर एवं जोधपुर में क्रियान्वित की जा रही हैं।

6. राजस्थान शहरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (RUSDP) (चरण तृतीय):-
ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - नवम्बर 2015 से दिसम्बर 2020 तक।
• उद्देश्य - चयनित शहरों के निवासियों को जलापूर्ति सेवा, सम्पूर्ण स्वच्छता सहित सीवरेज क्षेत्र में सुधार करना।
• जल प्रबन्धन क्षेत्र में विकास के लिए 5 शहरों (श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, झुन्झुनू, पाली एवं भीलवाड़ा) को शामिल किया गया हैं।

7. राजस्थान मध्यम नगरीय क्षेत्र विकास परियोजना:-
ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - अक्टूबर 2020 - नवम्बर 2027 तक।
• उद्देश्य - चयनित शहरों में जलापूर्ति सेवा एवं स्वच्छता में सुधार करना।
• राज्य के 14 शहर शामिल।

8. राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम -1 ट्रांच-1:-
ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - नवम्बर 2017 - मार्च 2022 तक।
• उद्देश्य - राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना।

9. राजस्थान राज्य राजमार्ग निवेश कार्यक्रम -1 ट्रांच-2:-
ADB द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - दिसम्बर 2019 - मार्च 2024 तक।
उद्देश्य - राजमार्गो पर यातायात दक्षता एवं सुरक्षा को सुधारना। 

10. राजस्थान राज्य राजमार्ग विकास कार्यक्रम-2:-
विश्व बैंक द्वारा द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - अक्टूबर 2019 - मार्च 2024 तक।
• उद्देश्य - राज्य के चयनित राजमार्गो पर यातायात प्रवाह में सुधार करना।

11. राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना:-
JICA द्वारा वित्त पोषित।
• अवधि - अक्टूबर 2017 - अक्टूबर 2024 तक।
• उद्देश्य - 25 जिलों की 137 सिंचाई परियोजनाओं में पुनर्वास एवं नवीनीकरण करना। 
• JICA द्वारा वित्तीय सहायता 2 ट्रांच में दी जायेगी।

12. रेगिस्तान क्षेत्र में जल क्षेत्र पुनर्संरचना परियोजना:-
न्यू डवलपमेंट बैंक (NDB) द्वारा सहायतित।
• अवधि - मई 2018 - अगस्त 2023 तक।
• इंदिरा गाँधी फीडर एवं मुख्य नहर की 114 किमी. लम्बाई में रिलाइनिंग, वितरण तंत्र, जीर्णोद्वार, 22,851 हैक्टेयर में जल प्लावन क्षेत्रों में ड्रेनेज के कार्य तथा सक्ष्म सिंचाई प्रणाली आदि के विकास कार्य किए जायेगें।
• इससे हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर जिलें के 22,851 हैक्टेयर क्षेत्र को सेम की समस्या से मुक्ति मिलेगी, पानी की छीजत में 1100 क्यूसेक की कमी होगी तथा रावी-व्यास नदियों के व्यर्थ बह कर जाने वाले पानी का उपयोग हो सकेगा।

13. राजस्थान में सार्वजनिक वित्तीय प्रबन्धन के सुदृढीकरण की परियोजना:-
विश्व बैंक द्वारा सहायतित।
• अवधि - 26 जुलाई 2018 - मार्च 2024 तक।
• उद्देश्य - पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक खर्च में दक्षता बढ़ाने के लिए बेहतर नियोजन और बजट निष्पादन में योगदान करना।
मुख्य घटक:-
1. सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन ढाँचे को मजबूत करना। 2. व्यय और राजस्व प्रणाली को मजबूत करना।
3. परियोजना प्रबंधन और क्षमता निर्माण।

सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी)

निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत पहल:-
A. संस्थागत व्यवस्था- पीपीपी परियोजनाओं के सफल विकास और निष्पादन हेतु एक त्रि-स्तरीय
संस्थागत ढाँचा अपनाया गया हैं:-

(1) अनुमोदन समितियां:-
(i) काउंसिल फोर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (CID) - 
पीपीपी परियोजनाओं के नीतिगत मामलों के
निर्णय हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया।
• यह 500 करोड़ रू. से अधिक लागत वाली सभी पीपीपी परियोजनाओं को अनुमति प्रदान करती हैं।

(ii) एम्पावर्ड कमेटी फोर इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट (ECID):-
CID के कार्यों के सुचारू संचालन में सहयोग हेतु।
अध्यक्ष - मुख्य सचिव

(iii) एम्पावर्ड कमेटी फॉर रोड सेक्टर प्रोजेक्टस्:- 
सड़क परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए PWD विभाग के अधीन गठित की गई है।
अध्यक्ष - मुख्य सचिव

(iv) स्विस चैंलेंज विधि के अन्तर्गत परियोजनाओं के लिए एक राज्य स्तरीय सर्वाधिकार प्राप्त समिति
(SLEC) का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया गया हैं।

स्विस चैंलेंज किससे संबंधित है ? - पीपीपी सेक्टर से।

2. पीपीपी सेल (नोडल एजेंसी):- 
• 2007-08 बनाया गया। 
• आयोजन विभाग के अधीन कार्य करता है।
• यह सेल पीपीपी से सम्बन्धित कानून, दिशा निर्देशों आदि के संग्राहक के रूप में कार्य करता हैं। (Rules)

3. सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग / एजेंसी (कार्यकारी एजेंसी) :-

(ब) निजी क्षेत्र सहभागिता के साथ राज्य सरकार द्वारा उन्नत संयुक्त उपक्रम (Joint Venture):-
1. प्रोजेक्ट डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (पीडीकोर):- पीपीपी मोड में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए दिसम्बर 1997 में गठित किया गया।
2. रोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कम्पनी ऑफ राजस्थान (रिडकोर):- राज्य में मेगा हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए वर्ष 2004 में गठित किया गया|

3.सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड:- 
भडला (जोधपुर) में 1000 मेगा वॉट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित किया गया।

4.एस्सेल सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड:-  जैसलमेर और जोधपुर में 750 मेगा वॉट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2014 में गठित किया गया।

5.अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड - जैसलमेर और भडला (जोधपुर) में 2000 मेगा वॉट के सौर पार्क विकसित करने के लिए 2015 में गठित किया गया।

वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना:-
यह एक ऐसा अनुदान होता है जो सरकार द्वारा ऐसे आधारभूत ढाँचा परियोजना को प्रदान किया जाता है जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो (Economically Justified but not Financially Viable) ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजना को प्रदान किया जाता है।  

अन्य प्रयास:-
• सड़क विकास नीति-2013:-
राजस्थान सड़क क्षेत्र में निर्माण- परिचालन- हस्तांतरण (BOT) आधारित परियोजनाओं के लिए निजी क्षेत्र के प्रवेश को प्रशस्त करने की नीति तैयार करने वाला देश का प्रथम राज्य था।

• राजस्थान राज्य सड़क विकास निधि अधिनियम- 2004:- 
इसके अन्तर्गत पेट्रोल / डीजल पर 1 रू. का उपकर (सैस) लागू कर स्थायी सड़क कोष बनाया गया हैं जिसका उपयोग राज्य में सड़को के विकास तथा रखरखाव के लिए किया जा रहा हैं। 
• राजस्थान राज मार्ग अधिनियम- 2014

Capacity Building (क्षमतावर्धन):-
राजस्थान उन चयनित राज्यों में से एक हैं, जिसे KFW (जर्मन विकास बैंक) के सहयोग से आर्थिक मामलात विभाग, वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में प्रारम्भ किए गए राष्ट्रीय पी. पी.पी. क्षमतावर्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत चुना गया हैं। 

राज्य की पीपीपी परियोजनाएं:-
दिसम्बर 2020 तक 184 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
31 परियोजनाएं प्रगति पर है एवं 39 परियोजनाएं विचाराधीन/प्रक्रियाधीन हैं।

आय:-
1. राजस्व आय:- कर (Tax), गैर कर (Non-tax)
2. पूंजीगत आय:- ऋण।

• राजस्व आय के स्त्रोत - 
स्वयं के कर> केंद्रीय करों में हिस्सेदारी> अनुदान> गैर कर आय।

स्वयं के कर राजस्व आय में सर्वाधिक हिस्सा - SGST>बिक्रीकर Sales tax>State excise> वाहनों पर कर Tax on vehicles.

पूंजीगत आय में सर्वाधिक योगदान - लोक ऋण का (Public finance)

व्यय:-
1. राजस्व व्यय:- सामाजिक सेवाएं > सामान्य सेवाएं > आर्थिक सेवाएं।
• सरकार सर्वाधिक खर्च सामाजिक सेवाओं के अंतर्गत वेतन एवं मजदूरी पर करती है।
2. पूंजीगत व्यय।

बजट 2021-22 में 1,32251 करोड रुपए व्यय करना अनुमानित है।
क्षेत्रवार व्यय - सामाजिक एवं बुनियादी सेवाएं > विद्युत  > ग्रामीण विकास > कृषि (Trick - SERA)

राजकोषीय संकेतक
 FRBM Act के अनुसार होना चाहिए
 वास्तविक
 राजस्व आधिक्य (+) / घाटा (-)
(राशि करोड़ में)
राजस्व आधिक्य अथवा शून्य घाटा
 (-) 36371
 राजकोषीय घाटे का राज्य जीडीपी से अनुपात (प्रतिशत में)
3% या कम

 3.77%

 बकाया देनदारियों का राज्य जीडीपी से अनुपात (प्रतिशत में)
 34% से अधिक नहीं
 35.31%

राजस्व आय - राजस्व व्यय = राजस्व घाटा
• -3637129.71 (आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2019-20 का आंकड़ा)
• -2375004.04 (बजट 2021-22  के अनुसार)

राजकोषीय घाटा = कुल आय - कुल व्यय
(राजस्व आय + पूंजी आय) - कुल व्यय

राजस्थान बजट 2021-22 के बजट अनुमानों में राजस्व घाटा 23 हजार 750 करोड़ 4 लाख
राजस्थान बजट 2021-22 का राजकोषीय घाटा 47 हजार 652 करोड़ 77 लाख जो राज्य GDP का 3.98% है।

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