भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
Indian national movement.
1885 ईस्वी से भारत के इतिहास में एक नया युग प्रारंभ होता है। इस वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम से एक अखिल भारतीय राजनीतिक संस्था का जन्म हुआ।
Indian Nationalism was the child of the British Raj and the British authorities blessed its cradle :- R. Coupland
भारत में राष्ट्रवाद ब्रिटिश शासन की संतान है और ब्रिटिशों ने इसे पालने में झुलाया है :- आर कूपलैंड
Nationalism is really only anti-colonialism :- A.D. Smith
राष्ट्रवाद वास्तव में केवल उपनिवेशवाद का विरोध है :- ए. डी. स्मिथ
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के कारण
1. ब्रिटिश शासन के प्रभाव
सकारात्मक
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नकारात्मक
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राजनीतिक एकता
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साम्राज्यवादी नीति
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प्रशासनिक एकरूपता
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आर्थिक शोषण
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रेलवे का विकास
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शिक्षण संस्थाओं का विकास
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विदेशी संपर्क
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लार्ड लिटन की नीतियां
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इल्बर्ट बिल विवाद
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2. धर्म व समाज सुधार आंदोलन
3. 1857 की क्रांति
4. समकालीन यूरोपीय आंदोलनों का प्रभाव
5. कांग्रेस की स्थापना से पूर्व राजनीतिक संगठन
1. ब्रिटिश शासन के प्रभाव
सकारात्मक
राजनीतिक एकता
अंग्रेजो ने हिमालय से कन्याकुमारी तथा बंगाल से खैबर दर्रे तक संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बांध दिया।
प्रांत - प्रत्यक्ष रूप से गवर्नर जनरल के अधीन
रियासतें - अप्रत्यक्ष रूप से वायसराय के अधीन
बटलर समिति 1927 :- राजाओं और वायसराय में कौन अधिक श्रेष्ठ है, का पता लगाने हेतु
प्रभाव - अब एक सी अधीनता, एक सी समस्याएं और एक से कानून थे।
राजनीति एकता ने मानसिक एकता को बढ़ावा दिया।
प्रशासनिक एकता
सुव्यवस्थित एवं शक्तिशाली सरकार (Highly centralised administrative system)
अवैयक्तिता (Impersonality)
ICS
समान मुद्रा प्रणाली
एडवर्ड बेवन के शब्दों में ब्रिटिश राज एक प्रकार का ऐसा लोहे का ढांचा है, जिसने भारत के क्षतिग्रस्त शरीर को ऐसे समय तक जकड़ कर बांधे रखा जब तक कि विस्थापित हड्डियां तथा आंतरिक परिवर्धन से टूटे हुए तंतु धीरे-धीरे जुड नहीं गए और रोगी ने पुनः अपनी आंतरिक एकता तथा संबद्धता प्राप्त नहीं कर ली।
रेलवे का विकास
प्रशासनिक सुविधाएं
सैनिक रक्षा का उद्देश्य
आर्थिक व्यापन (कच्चे और तैयार माल का लाना ले जाना)
व्यापारिक शोषण
प्रभाव - भारतीयों में एकता का भाव बढ़ा।
एडविन आर्नोल्ड ने लिखा था - रेलवे भारत के लिए वह कार्य कर देगी जो बड़े-बड़े वंशो ने पहले कभी नहीं किया - जो अकबर अपनी दयाशीलता अथवा टीपू अपनी उग्रता द्वारा नहीं कर सके, वे भारत को एक राष्ट्र नहीं बना सके।
शिक्षण संस्थाओं का विकास
प्रभाव -
शिक्षित वर्ग के लिए पाश्चात्य उदारवादी विचारधारा के द्वार खुले। (दास प्रथा, सती प्रथा का विरोध)
भारतीय बुद्धिजीवियों में स्वतंत्रता, राष्ट्रीयता, स्वशासन की भावनाएं उत्पन्न हुई।
मध्यम वर्ग का विकास हुआ। (नौकरीपेशा लोग)
संपर्क भाषा का विकास (Contact Language)
लार्ड मैकाले ने कहा :-
भारत में अंग्रेजी राज सदैव नहीं बना रह सकता। इसका एक न एक दिन अंत होना परम आवश्यक है।, या तो उन भारतीय लोगों के हाथों जो राजनीतिक परिवर्तन के आदर्श को मानते हैं अथवा उन लोगों के हाथों जो अंग्रेजी पढ़े लिख जाएंगे और राजनीतिक परिवर्तन के अंग्रेजी आदर्श को मानने लगेंगे यदि यह उपरिकथित लोगों के हाथों होगा तो इसमें बहुत समय लगेगा और भारत तथा अंग्रेजों के संबंधों को तोड़ना न तो इतना हिंसात्मक होगा और न ही अंग्रेजों के लिए इतना हानिकारक क्योंकि सांस्कृतिक तथा व्यापारिक संबंध बने रहेंगे।
नकारात्मक
आर्थिक शोषण
कच्चे माल पर अधिकार कर लिया
प्रभाव - कुटीर उद्योग धंधों का पतन
प्रतिकूल व्यापारिक नीतियां (Adverse trade policies)
अधिक भू-राजस्व
धन का निष्कासन (Drain of wealth theory)
अकाल (Famine)
फूट डालो और राज करो नीति
नोट - धन का निष्कासन सिद्धांत दादाभाई नौरोजी ने दिया।
गंगा किनारे से सब कुछ सोखते थे और टेम्स नदी के किनारे ले जाकर निचोड़ दिया जाता था। (1-D)
नेहरू जी का कथन :-
भारतीय अर्थव्यवस्था उस उच्च स्थिति तक पहुंच चुकी थी जैसी कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व होनी चाहिए थी "परंतु विदेशी राजनीतिक प्रभुत्व ने इस अर्थव्यवस्था का शीघ्र ही विनाश कर दिया और उसके बदले में कोई अनुकूल तथा रचनात्मक तत्व कुछ नहीं दिया।" जिसका परिणाम था अगाध निर्धनता तथा अध: पतन।
प्रश्न.औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कब से मानी जाती है ? - 1769
नस्लीय श्रेष्ठता की मनोग्रंथि (Ethics of racial superiority)
श्वेत जाति का भार (White men's burden theory)
- रूडयार्ड किपलिंग
एंग्लो इंडियन नौकरशाही का घृणापूर्ण रुख
नोट - रूडयार्ड किपलिंग पहले अंग्रेज है, जिन्हें 1907 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। (पुस्तक - जंगल बुक)
ईसाई मिशनरियों का धर्म प्रचार
हिंदू तथा इस्लाम धर्म का मजाक उड़ाया गया
नोट - 1813 के चार्टर एक्ट के तहत ईसाई मिशनरीज को भारत में धर्म प्रचार की अनुमति दी गई।
लार्ड लिटन की नीतियां (1876-80)
• सिविल सेवाओं में बदलाव।
- आईसीएस की अधिकतम उम्र 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष की गई।
- भारतीयों के लिए वैधानिक जनपद सेवा - 1879 शुरू की।
1864 में सत्येंद्र नाथ टैगोर भारत के पहले आईसीएस बने।
• वर्नाकुलर प्रेस एक्ट - 1878
कोई भी स्थानीय भाषा का समाचार पत्र सरकार के विरुद्ध बोलता है, तो उसकी प्रेस जब्त कर ली जाएगी और उसे अपील का अधिकार भी नहीं होगा।
• इसे गैगिंग एक्ट भी कहते हैं।
भारतीय शस्त्र अधिनियम - 1878 (Indian Arms Act)
भारतीयों को शस्त्र का लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया।
इल्बर्ट बिल विवाद (1883) क्या है ?
लार्ड रिपन एक विधेयक लाए जिसमें प्रावधान था कि फौजदारी (Criminal) मामलों में जिला स्तर पर भारतीय न्यायाधीश भी अंग्रेज मुजरिम की सुनवाई कर सकेंगे। अंग्रेजों के विरोध के कारण यह बिल पारित नहीं हो सका।
• भारतीयों ने 1883 में इल्बर्ट बिल के समर्थन में नेशनल कॉन्फ्रेंस नामक संगठन बनाया।
• इंडियन एसोसिएशन ने 29 दिसंबर 1883 को आनंद मोहन बोस की अध्यक्षता में प्रथम नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया।
25 दिसंबर 1885 को सुरेंद्रनाथ बनर्जी की अध्यक्षता में द्वितीय नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।
आर कूपलैंड ने अधिक स्पष्ट शब्दों में लिखा :-
"भारतीय राष्ट्रवाद तो अंग्रेजी राज की ही संतति थी।" परंतु कूपलैंड महोदय यह कहना भूल गए कि भारतीय राष्ट्रवाद एक अनैैच्छिक संतति थी, जिसे इन्होंने जन्म के समय दूध पिलाने से इंकार कर दिया और फिर उसका गला घोटने का प्रयत्न किया।
प्रश्न.अंग्रेजों ने भारत में राष्ट्रवाद का विकास किया ?
उत्तर - हां, अंग्रेजों की वजह से भारत में सकारात्मक और नकारात्मक कई प्रभाव हुए, जिनकी वजह से भारत में राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिला।
लेकिन केवल अंग्रेज भारत में राष्ट्रवाद के लिए उत्तरदायी नहीं थे इसके लिए अन्य और भी कई कारण जिम्मेदार थे।
हालांकि कूपलैंड यह कहते हैं कि भारत में राष्ट्रवाद अंग्रेजों की संतति था परंतु वे यह कहना भूल जाते हैं कि भारतीय राष्ट्रवाद अंग्रेजों की अनैैच्छिक संतति था, जिसे वो जन्म भी नहीं देना चाहते थे तथा जन्म देने के बाद उन्होंने दूध पिलाने से इंकार कर दिया था तथा उसका गला घोटने का प्रयास भी किया था।
2. धर्म सुधार आंदोलन
राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारकों ने सामाजिक कुरीतियों को दूर किया और महिला सशक्तिकरण पर बल दिया।
अच्छे से अच्छा विदेशी शासन बुरे से बुरे स्वदेशी शासन से कभी भी अच्छा नहीं हो सकता - स्वामी दयानंद सरस्वती
3. 1857 की क्रांति
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1857 की क्रांति
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
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हिंसा
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अहिंसा
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राजा (प्रभुत्वशाली वर्ग)
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मध्यम वर्ग
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राजतंत्र लाना
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लोकतंत्र लाना
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1857 की क्रांति की असफलता के बाद भारतीयों ने आजादी के लिए अहिंसा का मार्ग अपनाया और लोकतंत्र स्थापित करना अपना उद्देश्य बनाया।
जिंदा हाथी लाख का और मरा हाथी सवा लाख का - आर सी मजूमदार
4. समकालीन यूरोपीय आंदोलनों का प्रभाव
1870 में इटली और जर्मनी का एकीकरण हुआ था।
ऑस्ट्रिया और फ्रांस ने इटली और जर्मनी को बांट रखा था।
इससे भारतीयों को प्रेरणा मिली।
5. कांग्रेस की स्थापना से पूर्व राजनीतिक संगठन
इंडियन एसोसिएशन - 1876
नेशनल कॉन्फ्रेंस - 1883
SAVE WATER
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