राष्ट्रीय आंदोलन का प्रथम चरण (1885-1905)
नरमपंथियों की विचारधारा। नरमपंथियों का योगदान। राष्ट्रीय आंदोलन का उदारवादी चरण। First phase of national movement.
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राष्ट्रीय आंदोलन के प्रथम चरण (1885-1905) में नरम दल का प्रभाव रहा।
मुख्य नेता:- सुरेंद्रनाथ बनर्जी, दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, बदरुद्दीन तैयब्बजी आदि।
नरमपंथियों की विचारधारा :-
1. अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास करते थे।
2. ब्रिटिश शासन को भारत के लिए दैवीय वरदान मानते थे।
क्योंकि अंग्रेज भारत में आधुनिक शिक्षा तथा आधुनिक मूल्य ले कर आये हैं तथा अंग्रेजों के जाने से भारत में राजनीतिक अस्थिरता आ सकती है।
3. भारतीय जनता में राजनीतिक चेतना का विकास नहीं हुआ है। इसलिए उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल नहीं करना चाहिए।
4. भारतीयों का शैक्षणिक विकास किया जाना चाहिए।
5. राष्ट्रीय आंदोलनों में सभी जाति-धर्म व लिंग के पढ़े-लिखे लोगों को शामिल करना चाहिए।
6. प्रार्थना पत्र, ज्ञापन व अधिवेशन के माध्यम से राष्ट्रीय आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिए।
राष्ट्रीय आंदोलन में नरमपंथियों का योगदान
1. राष्ट्रीय आंदोलन को प्रारंभ किया एवं उसे संगठित किया।
2. राष्ट्रीय आंदोलन को अंग्रेजों के दमन से बचाने में सफल रहे।
3. राष्ट्रीय आंदोलन को धर्मनिरपेक्ष स्वरूप प्रदान किया।
4. धन का निष्कासन सिद्धांत को लोकप्रिय किया। इससे अंग्रेजों का आर्थिक शोषणकारी चेहरा सामने आया।
इसलिए इस दौर को आर्थिक राष्ट्रवाद का दौर कहते है।
5. इनके कारण अंग्रेजों को भारत में कई सुधार करने पड़े।
जैसे - 1886 का लोक सेवा आयोग
1892 का भारत परिषद अधिनियम
1896 का व्यय सुधार आयोग (वेल्बी आयोग)
नरमपंथियों की कमियां
1. अंग्रेजी शासन के वास्तविक स्वरूप को उजागर नहीं कर पाए थे।
2. भारतीय जनता के सामर्थ्य को समझ नहीं पाए। इसलिए राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन नहीं बना पाए थे।
3. इनकी अधिकतर मांगे उच्च वर्ग से संबंधित होती थी।
4. नरमपंथियों का राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान अंशकालीन होता था।
5. इनकी अनुनय-विनय की नीति या राजनीतिक भिक्षावृत्ति नीति से युवा वर्ग को निराशा होती थी।
तिलक :- यदि हम मेंढक की तरह वर्ष में एक बार शोर मचाएंगे तो कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।
अश्विनी कुमार दत्त :- कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन 3 दिनों का तमाशा है।
गोखले:- हमारी असफलता में सफलता निहित है।
प्रश्न.नरमपंथियों के आंदोलन की असफलता के कारण बताइए ?
उत्तर - कमियां
हालांकि पूरी तरह से उनकी राजनीति को असफल नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनका भी राष्ट्रीय आंदोलन में निम्नलिखित योगदान है - ......
परंतु वे राष्ट्रीय आंदोलन को एक सही दिशा में लेकर तो गए थे, लेकिन एक अंजाम तक नहीं पहुंचा पाए, इसलिए राष्ट्रीय आंदोलन का दूसरा चरण शुरू होता है और जनता गरम दल की तरफ आकर्षित होने लगी।
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