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संत नामदेव की कहानी

संत नामदेव की कहानी

संत नामदेव का पर्यावरण प्रेम


नामू नाम का एक बालक घर के बाहर खेल रहा था कि उसकी मां ने उसे बुलाया और कहा, बेटा, दवा बनाने के लिए अमुक वृक्ष की छाल उतार लाओ। मां का आदेश मिलते ही बालक जंगल चला गया। जंगल में उसने कटार से पेड़ की छाल खुरची।

परंतु बहुत समय गुजरने के बाद भी बालक के घर नहीं पहुंचने पर उसकी मां जंगल में जाकर उसे ढूंढती है। बालक की मां देखती है कि वह बालक लहूलुहान जमीन पर पड़ा हुआ है। मां के पूछने पर बालक ने बताया कि जब मैं पेड़ की छाल उतार रहा था तो मैंने सोचा कि पेड़ को इस समय कितनी तकलीफ़ हो रही होगी ? इसका पता लगाने के लिए मैंने अपने पैर की खाल को उतारा है।
इतना सुनते ही मां ने बेटे को छाती से लगा लिया। वह समझ चुकी थी कि उसका पुत्र कोई सामान्य बालक नहीं है।

दूसरों की पीड़ा की अनुभूति करने वाला यही बालक आगे चलकर संत नामदेव नाम से प्रसिद्ध हुआ और कण-कण में भगवान के दर्शन किए। 

प्रकृति के द्वारा मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है परंतु उसके लालच की पूर्ति नहीं की जा सकती है... महात्मा गांधी


विश्व पर्यावरण दिवस
प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
पहला पर्यावरण दिवस 5 जून 1972 को मनाया गया।
विश्व पर्यावरण दिवस 2020 का विषय - प्रकृति के लिए समय

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