लोक प्रशासन में नियंत्रण का क्षेत्र
नियंत्रण के क्षेत्र से अभिप्राय उच्चाधिकारी के ध्यान के उस क्षेत्र से है, जिसके अंतर्गत वह संगठन में अधीनस्थों को सफलतापूर्वक व कुशलतापूर्वक नियंत्रित करता है।नियंत्रण के क्षेत्र पर विभिन्न विचार:-
हेमिल्टन के अनुसार एक अधिकारी 3 से 4 अधीनस्थ अधिकारियों को नियंत्रित कर सकता है।• ग्रेक्युनास अनुसार - 5 से 6 व्यक्ति
• यूजीसी के अनुसार एक प्रोफेसर 10 से 12 विद्यार्थियों को कुशलता से पढ़ा सकता है।
• देवराज के अनुसार - 8 से 10
नियंत्रण के क्षेत्र की विशेषताएं
1. यह सिद्धांत भी पद सोपान सिद्धांत से जुड़ा हुआ है।2. यह उच्च अधिकारी के नियंत्रण या ध्यान का क्षेत्र है।
3. इसका संबंध गुणवत्तापूर्ण कार्य और प्रशासनिक कार्य कुशलता से है।
4. नियंत्रण का क्षेत्र विभिन्न कारकों द्वारा प्रभावित होता है। जैसे -
कार्य की प्रकृति, व्यक्तित्व, स्थान, प्रत्यायोजन सुविधा।
नियंत्रण के क्षेत्र को प्रभावित करने वाले कारक
1. कार्य की प्रकृति:- यदि उच्च अधिकारी व अधीनस्थ की कार्य प्रकृति समान है, तो नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा। यदि उच्च अधिकारी और अधीनस्थों के कार्य की प्रकृति भिन्न है तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा।2. स्थान:- यदि उच्च अधिकारी व अधीनस्थ के मध्य भौगोलिक दूरी है या वे भिन्न-भिन्न स्थानों पर कार्य कर रहे हैं तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा। यदि दोनों एक ही स्थान पर कार्य करते हैं, तो नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा।
3. व्यक्तित्व:- यदि उच्च अधिकारी बुद्धिमान व सक्रिय और कार्यकुशल है तो उसका नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा। यदि उच्च अधिकारी अकुशल, निष्क्रिय, आलसी है, तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा।
4. आयु:- यदि उच्च अधिकारी संगठन में नया है, तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा। यदि उच्च अधिकारी अनुभवी है, तो उसका नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा।
5. प्रत्यायोजन सुविधा:- यदि संगठन में प्रत्यायोजन सुविधा है तो उच्च अधिकारी का कार्य भार कम होगा तथा नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा। यदि संगठन में प्रत्यायोजन सुविधा नहीं है तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा।
6. पारिवारिक परिस्थितियां:- यदि उच्चाधिकारी की पारिवारिक परिस्थितियों सकारात्मक है तो नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा। यदि उच्च अधिकारी की पारिवारिक परिस्थितियां नकारात्मक है तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा।
7. पर्यवेक्षण की तकनीक:- यदि उच्च अधिकारी परीक्षण के आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करता है तो नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा जैसे सीसीटीवी, बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम, 360 डिग्री फीडबैक सिस्टम। यदि उच्च अधिकारी पर्यवेक्षण की परंपरागत तकनीकों का प्रयोग करता है तो उसका नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा।
8. पदसोपान के स्तर:- यदि संगठन में पद सोपान के स्तर अधिक होंगे तो नियंत्रण का क्षेत्र कम होगा और यदि पद सोपान स्तर कम है तो नियंत्रण का क्षेत्र अधिक होगा।
ग्रेक्युनास के नियंत्रण के क्षेत्र पर विचार
ग्रेक्युनास ने नियंत्रण के क्षेत्र पर योगदान अपने लेख "रिलेशनशिप इन ऑर्गेनाइजेशन" (1933 ईस्वी) में दिया।ग्रेक्युनास ने नियंत्रण के क्षेत्र को ध्यान का क्षेत्र बताया।
ग्रेक्युनास के अनुसार उच्च अधिकारियों को अधीनस्थों की संख्या के बजाय अधीनस्थों के मध्य बनने वाले संबंधों को नियंत्रित करना होता है। यह संबंध तीन प्रकार के होते हैं-
1. प्रत्यक्ष संबंध-
सूत्र = n
2. प्रत्यक्ष समूह संबंध
n (n-1)
3. आडे-तिरछे संबंध
n [2(n-1)-1]
(n-1), 2 पर घांत है
अधीनस्थों के मध्य बनने वाले कुल संबंधों की संख्या
n(2n/2+n-1)
2n में n, 2 पर घांत है
यदि अधीनस्थों की संख्या 5 है, तो उनके मध्य कुल संबंध 100 होंगे।
वहीं यदि अधीनस्थों की संख्या 6 तो उनके मध्य कुल संबंध 222 होंगे अर्थात् यदि अधीनस्थों की संख्या में वृद्धि होती है, तो इनके मध्य संबंधों में कुल 122% की वृद्धि होती है, जबकि अतिरिक्त अधीनस्थ कर्मचारी उच्च अधिकारी की 23% अतिरिक्त सहायता करता है।
निष्कर्षत अधीनस्थों की संख्या गणितीय रूप से बढ़ती है जबकि उनके मध्य संबंधों की संख्या ज्यामितीय रूप से बढ़ती है।
नियंत्रण के क्षेत्र का वर्तमान परिदृश्य या नियंत्रण के क्षेत्र में वृद्धि के कारण
1. विभिन्न स्वचालित मशीनों व तकनीकों का प्रयोग।जैसे - सीसीटीवी, बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलीफोन, विभिन्न मोबाइल एप आदि।
2. विशेषज्ञ संस्थाओं का उदय
3. संगठन में पद सोपान के स्तरों की संख्या कम रखना
4. स्टाफ संगठनों का प्रभाव।
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