बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई)
यह चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसमें चीन को समुद्र मार्ग से यूरोप, अफ्रीका, एशिया, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर से जोड़ा जा रहा है।इसकी शुरुआत चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2013 में की थी।
इसके दो घटक है -
1. सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट -
यह थल पर विकसित किया जाएगा।
इसमें रेलवे, हाईवे ,इंडस्ट्रियल पार्क ,ऊर्जा परियोजनाएं ,ट्रांसमिशन लाइन, ब्रॉडबैंड लाइन ऑयल व गैस पाइपलाइन आदि बिछाई जाएंगी।
2. मेरीटाइम सिल्क रोड -
इसे समुद्र में विकसित किया जा रहा है।
इसमें बंदरगाह, माल गोदाम, जहाज मरम्मत केंद्र, रिफाइनरी आदि विकसित किए जाएंगे।
बीआरआई परियोजना के उद्देश्य -
इस परियोजना के आर्थिक व सामरिक उद्देश्य हैं।
A. आर्थिक उद्देश्य -
1. निर्यात के लिए चीन को नए बाजार उपलब्ध होंगे ।
2. चीन की कंपनियों को निवेश के नए अवसर उपलब्ध होंगे ।
3. चीन के वित्तीय संस्थान वैश्विक स्तर पर सशक्त होंगे।
4. चीन की मुद्रा की स्वीकार्यता बढ़ेगी ।
5. चीन में आंतरिक जुड़ाव सुनिश्चित हो सकेगा ।
2. सामरिक उद्देश्य -
1. चीन स्वयं को एक अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है।
2. चीन सदस्य देशों के निर्णय को प्रभावित कर सकता है।
3. चीन इस परियोजना का प्रयोग एक सॉफ्ट पावर के रूप में कर रहा है।
4. चीन रूस भारत व यूएसए के प्रभुत्व को कम करना चाहता है।
5. चीन अपने आयातों के लिए मलक्का जलसंधि पर अत्यधिक निर्भर है। यह परियोजना चीन को वैकल्पिक मार्ग प्रदान करवाती है।
बीआरआई के प्रभाव -
1. सकारात्मक प्रभाव -
इस परियोजना से बड़े स्तर पर आधारभूत ढांचे का निर्माण होगा। जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगी तथा रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
2. नकारात्मक प्रभाव-
1. सदस्य देशों की संप्रभुता प्रभावित होगी।
2. सदस्य देश ऋण जाल में फंस सकते हैं। जैसे - श्रीलंका और पाकिस्तान।
श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल की लीज पर चीन को सुपुर्द किया है।
3. इस परियोजना से मानवाधिकारों का हनन होगा।
4. पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।
5. वैश्विक शक्तियों के बीच टकराव की स्थितियां बनेंगी।
नोट - चीन अब विश्व बैंक और आईएमएफ से भी बड़ा कर्जदाता बन चुका है। विश्व बैंक, आईएमएफ और सभी ओईसीडी समूह की सरकारों द्वारा बांटे गए कुल लोन चीन से कम है।
चीन ने 150 देशों को 112.5 लाख करोड रुपए का लोन दे रखा है जो कि वैश्विक जीडीपी का 5% से अधिक है।
चीन ने श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह विकसित किया, जिसे श्रीलंका ने अधिक ऋण न चुका पाने के कारण 2017 में चीन को 99 वर्ष के लिए लीज पर दे दिया।
भारत की प्रतिक्रिया -
भारत ने इस परियोजना का बहिष्कार किया है क्योंकि इसका एक भाग चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान से गुजरता है। इस क्षेत्र में चीन की गतिविधियां भारत की संप्रभुता के विरुद्ध है।
सीपीईसी 60 बिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट है।
परियोजना के नकारात्मक प्रभावों पर भी भारत के द्वारा प्रकाश डाला गया।
भारत में प्रोजेक्ट मौसम, प्रोजेक्ट कोटन, प्रोजेक्ट स्पाइस रूट की चर्चा की गई परंतु इनके बारे में स्पष्टता का अभाव है।
भारत द्वारा वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड़ परियोजना पर कार्य किया जा रहा है।
भारत, यूएसए व जापान मिलकर एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का निर्माण कर रहे हैं।
हाल ही के घटनाक्रम
गुलाम कश्मीर में पनबिजली परियोजनाहाल ही जून 2020 में भारत की आपत्ति के बावजूद चीन गुलाम कश्मीर में 2.4 अरब डॉलर की एक पनबिजली परियोजना लगाएगा।
1124 मेगावॉट की यह परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत झेलम नदी पर लगाई जाएगी।
इसे कोहाला पनबिजली परियोजना नाम दिया गया है।
लॉकडाउन का प्रभाव
कोरोना महामारी के कारण यह प्रोजेक्ट बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिन देशों ने कर्ज ले रखा है, वो अभी कर्ज माफी व ब्याज रियायत में गुहार लगा रहे हैं।• मलेशिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, कंबोडिया और श्रीलंका में चल रहे इस प्रोजेक्ट के काम या तो रोक दिए गए हैं या उनमें विलंब हो गया है।
• कंबोडिया में सिंहानुकविले स्पेशल इकानॉमिक जोन और इंडोनेशिया में जकार्ता-बांडुंग हाई स्पीड रेल मार्ग का काम ठप पड़ गया है।
• नाइजीरिया में 1.5 अरब डॉलर का रेलवे प्रोजेक्ट धीमा पड़ गया है।
• इस तरह बीआरआई के ज्यादातर प्रोजेक्ट या तो ठप पड़े हैं या उनमें इस समय नाममात्र का काम चल रहा है।
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