नव लोक प्रशासन
नव लोक प्रशासन का उद्भव 1968 ईस्वी में यूएसए में हुआ जिसके निम्नलिखित कारण थे:-1. अमेरिका में सामाजिक आर्थिक उथल-पुथल का दौर:- अमेरिका में 1970 के दशक में विभिन्न सामाजिक, आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हुई, जिसका मुख्य कारण लोक प्रशासन के असफलता थी।
समस्याएं - गरीबी, बेरोजगारी, प्रदूषण
सामाजिक असमानता
परिवहन समस्या
गंदी बस्तियां।
2. हनी प्रतिवेदन:- हनी ने अपने प्रतिवेदन में लोक प्रशासन की असफलता का मुख्य कारण लोक प्रशासन के अकादमिक विषय के रूप में स्थापित ना होना बताया तथा उन्होंने विभिन्न सिफारिशें दी जो निम्नलिखित है:-
A. लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर करने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाए।
B. लोक प्रशासन में शोध व विकास करने वाले विद्यार्थियों को आर्थिक अनुदान प्रदान किया जाए।
C. लोक प्रशासन हेतु एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की जाए।
D. लोक सेवकों हेतु प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था की जाए।
3. फिलाडेल्फिया सम्मेलन:-
अध्यक्ष - चार्ल्सवर्थ
इसमें लोक प्रशासन के विभिन्न विद्वान व प्रशासक शामिल हुए।
इस सम्मेलन की निम्नलिखित विशेषताएं थी:-
A. इसमें राजनीतिक प्रशासन द्विविभाजन सिद्धांत, पदसोपान, केंद्रीकरण का विरोध किया गया।
B. पद सोपान में लचीलापन, विकेंद्रीकरण, प्रत्यायोजन का समर्थन किया गया।
4. मिनोब्रुक सम्मेलन (1968 ईस्वी):-
आयोजनकर्ता - वाल्डो
इस सम्मेलन में लोक प्रशासन के चार मुख्य लक्ष्य रखे गये -
A. मूल्य
B. सामाजिक समता
C. परिवर्तन
D. प्रासंगिकता
वाल्डो की पुस्तक - पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ ट्रिबुलेंस
फ्रैंक मेरिनि की पुस्तक - टुवर्ड्स ए न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन द मिनोब्रुक प्रस्पेक्टिव
ये पुस्तकें भी नव लोक प्रशासन के उद्भव का कारण थी।
नव लोक प्रशासन की विशेषताएं:-
1. नव लोक प्रशासन विभिन्न सिद्धांतों का विरोध करता है। जैसे- राजनीतिक प्रशासन द्विविभाजन, पदसोपान, केंद्रीकरण2. लोक प्रशासन अग्रलिखित का समर्थक है - पद सोपान में लचीलापन, विकेंद्रीकरण, विनौकरशाहीकरण
3. नव लोक प्रशासन लोक प्रशासन में जन सहभागिता का समर्थक है।
4. यह लोक सेवकों की अभिवृत्ति में परिवर्तन का समर्थक है।
5. इसमें चार लक्ष्य है - मूल्य, सामाजिक समता, परिवर्तन, प्रासंगिकता।
6. लोक प्रशासन के लक्ष्य प्राप्त करने का माध्यम 4D है -
4D - विकेंद्रीकरण (Decentralisation)
प्रत्यायोजन (Delegation )
विनौकरशाहीकरण (Debureaucrisation)
लोकतांत्रिकरण ( Democratisation)
7. नव लोक प्रशासन ग्राहकोन्मुखी प्रशासन है।
8. यह लोक सेवको हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का समर्थक है।
9. यह लोक प्रशासन में मानवीय दृष्टिकोण पर बल देता है।
नव लोक प्रशासन के लक्ष्य:-
1. मूल्य - लोक प्रशासन को मूल्योन्मुख बनाने पर बल दिया गया तथा लोक प्रशासन में जनोन्मुखता का समर्थन किया गया ।2. परिवर्तन:- नव लोक प्रशासन सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का समर्थक है।
3. सामाजिक समता:- नव लोक प्रशासन समाज के शोषित , दलित, पिछड़े व गरीब वर्ग को समाज की मुख्यधारा में लाने का समर्थक है।
4. प्रासंगिकता:- नव लोक प्रशासन में लोक प्रशासन के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक प्रासंगिकता तय की गई।
लोक प्रशासन की आलोचना:-
1. यह एक तरफ विनौकरशाहीकरण का समर्थक है जबकि दूसरी तरफ यह लोक प्रशासन पर निर्भरता दिखाता है।2. यह मूल्यों पर अत्यधिक बल देता है।
3. यह अवधारणा विकसित देशों के लिए अधिक प्रासंगिक है ना कि विकासशील देशों के लिए।
नव लोक प्रशासन की वर्तमान प्रासंगिकता :- (भारत के विशेष संदर्भ में)
1. नव लोक प्रशासन जन सहभागिता का समर्थक है। वर्तमान में भारत में भी प्रशासन में जन सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आरटीआई, पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट, सिटीजन चार्टर आदि प्रयास किए गए हैं।2. नव लोक प्रशासन विकेंद्रीकरण पर बल देता है। भारत में 73 वें और 74 वे संविधान संशोधन द्वारा विकेंद्रीकरण को सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक आधार प्रदान किया गया है।
3. प्रशासन लोक सेवकों की अभिवृत्ति में परिवर्तन का समर्थक है। भारत में युगांधर समिति, सुरेंद्र नाथ चतुर्वेदी समिति ने लोक सेवको की अभिवृत्ति में परिवर्तन की सिफारिश की है।
4. भारत में भी अमेरिका की तरह प्रशासन में ग्राहकोन्मुखता और मूल्योन्मुखता पर बल दिया जा रहा है।
5. नव लोक प्रशासन पदसोपान में लचीलापन का समर्थक है। भारत में भी पद सोपान में लचीलापन पर बल दिया जा रहा है। (प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी के अधिकतम प्रयोग द्वारा।)
मिन्नोब्रुक सम्मेलन:-
प्रथम मिन्नोब्रुक सम्मेलन (1968 ईस्वी ) -इसका आयोजन अमेरिकी सामाजिक आर्थिक उथल-पुथल के दौरान हुआ।
इसमें अधिकतर भागीदार युवा थे।
इसमें लोक प्रशासन के चार लक्ष्य तय किए गए - मूल्य, परिवर्तन, प्रासंगिकता, सामाजिक समता ।
यह लोक प्रशासन का आलोचक था।
द्वितीय मिन्नोब्रुक सम्मेलन (1988 ईस्वी):-
इसका आयोजन वैश्विक आर्थिक सुधारों (एलपीजी) के दौरान हुआ।
इसमें अधिकतर भागीदार युवा व अनुभवी दोनों थे।
इसमें 3E पर बल दिया गया।
यह लोक प्रशासन/ सरकार की सीमित भूमिका का समर्थक था।
तृतीय मिन्नोब्रुक सम्मेलन (2008):-
इसका आयोजन अमेरिकी आर्थिक मंदी के दौरान हुआ।
इसमें 13 देशों के 220 प्रतिनिधि शामिल हुए।
इसमें पारदर्शिता, जवाबदेहिता,उत्तरदायित्व, टीमवर्क पर बल दिया गया।
इसमें लोक प्रशासन की लोक कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
नोट - सभी मिन्नोब्रुक सम्मेलन का आयोजन शिराक्यूज विश्वविद्यालय (यूएसए )में किया गया।
मिनो ब्रुक सम्मेलन का आयोजन प्रति 20 वर्ष बाद किया जाता है।
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