राज्य वित्त आयोग
अनुच्छेद 280 के तहत केंद्र के वित्त आयोग की तरह 1993 से देश के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग की स्थापना की गई।
इसका उद्देश्य स्थानीय निकायों के वित्त की समीक्षा और संबंधित सिफारिशें करना है।
1994 में अनुच्छेद 243 (I) में पंचायती राज संस्थाओं के लिए तथा अनुच्छेद 243 (Y) में नगरीय निकायों के लिए राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया।
अप्रैल 1994 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद राजस्थान में पहले राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया। जिसका कार्यकाल 1995 से 2000 तक था।
इसके अध्यक्ष केके गोयल थे।
अभी तक (मई 2020) राजस्थान में 5 राज्य वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है।
इसमें एक अध्यक्ष एवं अधिकतम 4 सदस्यों का प्रावधान किया गया है। (1 अध्यक्ष + 4 सदस्य)
पांचवा राज्य वित्त आयोग
पांचवें राज्य वित्त आयोग का कार्यकाल 2015 से 2020 तक है जिसकी अध्यक्ष ज्योति किरण है।
इसमें केवल एक ही सदस्य प्रद्युमन सिंह का प्रावधान किया गया है।
• नगरीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं द्वारा कौन-कौन से शुल्क, चुंगी, कर, टोल का संग्रहण किया जाना चाहिए उनकी सिफारिश करना।
• राज्य की संचित निधि से स्थानीय निकायों को अनुदान निर्धारित करना।
• राज्य की पंचायतीराज संस्थाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना।
• वित्तीय मुद्दों पर केंद्र व राज्यों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
इस 7.18% का - 75.1% हिस्सा पंचायतीराज संस्थाओं
- 24.9% हिस्सा नगरीय निकायों को दिया जाना चाहिए।
राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अब तक के अध्यक्ष -
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इसका उद्देश्य स्थानीय निकायों के वित्त की समीक्षा और संबंधित सिफारिशें करना है।
1994 में अनुच्छेद 243 (I) में पंचायती राज संस्थाओं के लिए तथा अनुच्छेद 243 (Y) में नगरीय निकायों के लिए राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया।
अप्रैल 1994 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद राजस्थान में पहले राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया। जिसका कार्यकाल 1995 से 2000 तक था।
इसके अध्यक्ष केके गोयल थे।
अभी तक (मई 2020) राजस्थान में 5 राज्य वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है।
इसमें एक अध्यक्ष एवं अधिकतम 4 सदस्यों का प्रावधान किया गया है। (1 अध्यक्ष + 4 सदस्य)
पांचवा राज्य वित्त आयोग
पांचवें राज्य वित्त आयोग का कार्यकाल 2015 से 2020 तक है जिसकी अध्यक्ष ज्योति किरण है।
इसमें केवल एक ही सदस्य प्रद्युमन सिंह का प्रावधान किया गया है।
राज्य वित्त आयोग के कार्य
• शुल्क, चुंगी, कर आदि के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा किए गए राजस्व संग्रहण में से पंचायतीराज संस्थाओं व नगरीय निकायों को कितना प्रतिशत हिस्सा दिया जाए उसकी सिफारिश करना।• नगरीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं द्वारा कौन-कौन से शुल्क, चुंगी, कर, टोल का संग्रहण किया जाना चाहिए उनकी सिफारिश करना।
• राज्य की संचित निधि से स्थानीय निकायों को अनुदान निर्धारित करना।
• राज्य की पंचायतीराज संस्थाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना।
• वित्तीय मुद्दों पर केंद्र व राज्यों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
पांचवें राज्य वित्त आयोग की 2016-17 की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार -
• राज्य सरकार द्वारा राजस्व संग्रहण में से 7.18% हिस्सा स्थानीय निकायों को दिया जाना चाहिए।इस 7.18% का - 75.1% हिस्सा पंचायतीराज संस्थाओं
- 24.9% हिस्सा नगरीय निकायों को दिया जाना चाहिए।
राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अब तक के अध्यक्ष -
वित्त आयोग
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कार्यकाल
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अध्यक्ष
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प्रथम
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1995 से 2000
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कृष्ण कुमार गोयल
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दूसरा
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2000 से 2005
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हीरालाल देवपुरा
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तीसरा
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2005 से 2010
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माणिक चंद सुराणा
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चौथा
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2010 से 2015
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बीडी कल्ला
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पांचवा
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2015 से 2020
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ज्योति किरण
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