लोक प्रशासन का क्षेत्र
लोक प्रशासन के क्षेत्र के 7 प्रमुख दृष्टिकोण हैं:-1. संकुचित दृष्टिकोण
2. व्यापक दृष्टिकोण
3. POSDCoRB दृष्टिकोण
4. पाठ्य विषय वस्तु दृष्टिकोण
5. लोक निजी दृष्टिकोण
6. लोकनीति दृष्टिकोण
7. आधुनिक दृष्टिकोण
1. संकुचित दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध केवल सरकार की कार्यपालिका शाखा से है अर्थात् इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध व्यवस्थापिका व न्यायपालिका से नहीं है। अतः इस दृष्टिकोण को संकुचित दृष्टिकोण कहा जाता है।समर्थक - साइमन
स्मिथबर्ग
निग्रो।
2. व्यापक दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध सरकार की तीनों शाखाओं से है जो इस प्रकार है -व्यवस्थापिका व लोक प्रशासन -
सदन में बैठकों की व्यवस्था करना
सदस्यों को विभिन्न सूचनाएँ व आंकड़े प्रदान करना,
कार्यपालिका व लोक प्रशासन -
कार्यपालिका द्वारा बनाई गई नीतियों व योजनाओं का क्रियान्वयन
न्यायपालिका व लोक प्रशासन -
न्यायिक निर्णय व आदेशों की पालना सुनिश्चित करना
न्यायपालिका को विभिन्न गवाह व साक्ष्य उपलब्ध करवाना
अत: इस दृष्टिकोण को व्यापक दृष्टिकोण कहा जाता है।
समर्थक- विलोबी
व्हाइट
3. POSDCoRB दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण का प्रतिपादन गुलिक ने किया।गुलिक के अनुसार POSDCoRB -
P - Planning - संसाधनों का समुचित प्रयोग सुनिश्चित करना
O - Oragnising- संगठन में मानव, भौतिक व वित्तीय संसाधनों को संगठित करना
S - Staffing - संगठन में कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण पदोन्नती, वेतन वृद्धि, सेवानिवृत्ति आदि कार्य
D - Directing - अधीनस्थों को निर्देश देना
Co - Cordination - संगठन में कर्मचारियों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करना
R - Reporting - अधीनस्थों से रिपोर्ट लेना और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करना
B - Budgeting - संगठन में वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था करना।
गुलिक ने 1971 में POSDCoRB में एक नया शब्द जोड़ा E- Evaluation
POSDCoRB दृष्टिकोण की आलोचना :-
A. इसमें नीति निर्माण, नीति क्रियान्वयन, नीति मूल्यांकन को स्थान नहीं दिया गया है।
B. लोक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य जनकल्याण हैं जो इस दृष्टिकोण में दिखाई नहीं देता।
C. यह दृष्टिकोण केवल लोक प्रशासन की प्रबंधकीय प्रकृति की व्याख्या करता है।
D. इस दृष्टिकोण में जनसंपर्क को भी शामिल नहीं किया गया है।
4. पाठ्य विषय वस्तु दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण का प्रतिपादन लेविस मेरियम द्वारा किया गया।इनके अनुसार POSDCoRB के द्वारा लोक प्रशासन को नहीं चलाया जा सकता बल्कि लोक प्रशासन की निर्भरता इसकी विषय वस्तु पर है।
विषय वस्तु से अभिप्राय लोक प्रशासन द्वारा दी जाने वाली सेवाएं हैं। चाहे वे कृषि क्षेत्र में हो या स्वास्थ्य शिक्षा, आवास, परिवहन आदि में हो।
मेरियम के अनुसार यह कैंची के दो फलकों के समान है, जिसमें एक फलक पर POSDCoRB तथा दूसरे फलक पर इसकी विषय वस्तु का ज्ञान है। अतः दोनों फलक धारदार होने चाहिए।
इस दृष्टिकोण को POSDCoRB का पूरक कहा जाता है।
5 . लोक निजी दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण में दो समूह है -A. लोक व निजी प्रशासन समान है
B. लोक व निजी प्रशासन असमान है
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A. लोक व निजी प्रशासन समान है
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समर्थक
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मूने व रेले, गुलिक व उरविक
फेयॉल, फॉलेट
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समानता के आधार
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उद्देश्य
मानव संसाधनवित्तीय संसाधन रिकॉर्ड प्रबंधन जनसंपर्क शोध व विकास |
B. लोक व निजी प्रशासन असमान है
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समर्थक
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साइमन, एपलबी, डर्कर, ज्यूसिया स्टैम्प
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असमानता के आधार
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लोक प्रशासन
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निजी प्रशासन
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लोक कल्याण
प्रत्यक्ष राजनीतिक नियंत्रण
नौकरशाही
लालफीताशाही
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लाभोन्मुखी
राजनीतिक नियंत्रण नहीं
नौकरशाही नहीं
लालफीताशाही नहीं
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6. लोक नीति दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन केवल नीति क्रियान्वयन संबंधी कार्य नहीं करता है बल्कि लोक प्रशासन के द्वारा नीति निर्माण व नीति मूल्यांकन संबंधी कार्य भी किए जाते हैं।समर्थक - लासवेल
ड्रॉर
बेली
7. आधुनिक दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का क्षेत्र निरंतर परिवर्तनशील है। जैसे-2 राज्य का कार्यक्षेत्र बढ़ता है, वैसे-2 लोक प्रशासन का क्षेत्र भी बढ़ता है।SAVE WATER
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