भारत-रूस संबंध
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1917 तक रूस में राजतंत्रात्मक शासन था।1917 में लेनिन के नेतृत्व में एक साम्यवादी क्रांति हुई और यूएसएसआर की स्थापना की गई।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व में दो महाशक्ति 1.यूएसए और 2.यूएसएसआर थी।
दोनों के बीच एक वैचारिक युद्ध शुरू हुआ। यूएसए ने पूंजीवाद का नेतृत्व किया तथा यूएसएसआर ने साम्यवाद का नेतृत्व किया।
सैन्य सन्धियां की गई -
1949 में नाटो
1955 में वार्सा पैक्ट
दोनों गुटों द्वारा सैन्यकरण को बढ़ावा दिया गया इसे शीत युद्ध की संज्ञा दी जाती है।
1985 में मिखाईल गोर्बाचेव यूएसएसआर का राष्ट्रपति बना।
इसने दो नीतियां अपनाई -
1. पेरेस्टाइका -
यह रूसी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है - पुनर्गठन
राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्रों में पुनर्गठन किया गया।
राजनीतिक क्षेत्र में सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया तथा सोवियतो को अधिक राजनीतिक शक्तियां दी गई।
आर्थिक क्षेत्र में पुनर्गठन किया गया तथा बाजार पर से सरकारी नियंत्रण कम किया गया ।
2. ग्लासनोस्त -
यह रूसी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है - खुलापन
रूस के समाज में खुलापन लाया गया नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई, प्रेस को सरकार की आलोचना करने का अधिकार दिया गया।
इन नीतियों के कारण सोवियतो में अलगाववादी आंदोलन शुरू हो गए।
अंततः 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया तथा 15 नए देश अस्तित्व में आए जिसमें यूएसएसआर का उत्तराधिकारी रूस था।
रूस ने पूंजीवाद को अपना लिया तथा इसी से वैचारिक युद्ध समाप्त हुआ।
1991 से 2000 तक रूस ने यूएसए से अच्छे संबंध बनाने का प्रयास किया परंतु यूएसए की प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं थी।
भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध
शीत युद्ध के काल में भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई परंतु भारत का वैचारिक झुकाव यूएसएसआर की ओर था।कश्मीर मुद्दे पर यूएसएसआर ने भारत का समर्थन किया।
1971 में भारत व यूएसएसआर के मध्य शांति, मैत्री और सहयोग की संधि संपन्न हुई जिससे 1971 के भारत-पाक युद्ध में सहायता मिली।
भारत द्वारा अधिकतर रक्षा उपकरणों का आयात यूएसएसआर से किया जाता है।
विघटन के बाद लगभग 10 वर्षों तक संबंधों में उदासीनता रही वर्ष 2000 के बाद से संबंध पुनः सक्रिय हुए।
भारत-रूस सहयोग के क्षेत्र
1. सामरिक व राजनीतिक सहयोग
भारत एवं रूस के संबंधों को विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी से परिभाषित किया जाता है।वर्ष 2000 से भारत व रूस के मध्य शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें भारत के प्रधानमंत्री व रूस के राष्ट्रपति भाग लेते हैं।
यह सम्मेलन एक वर्ष भारत में व दूसरे वर्ष रूस में आयोजित होता है।
हाल ही सितम्बर 2019 में 20वां शिखर सम्मेलन रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित हुआ इसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने ईस्टर्न इकोनामिक फोरम की अध्यक्षता की।
रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में निवेश हेतु भारत द्वारा एक बिलियन डॉलर का सस्ता ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा।
चेन्नई व व्लादिवोस्तोक को समुद्री रास्ते से जोड़ा जाएगा।
रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध है, जिनका दोहन भारत के आर्थिक विकास के लिए किया जा सकता है।
निवेश तथा समुद्री रास्ते से चीन के प्रभुत्व को इस क्षेत्र में कम किया जा सकता है।
मंत्रालय स्तर पर सहयोग के लिए दो अंतर सरकारी आयोगों का गठन किया गया।
पहले आयोग में भारत के विदेश मंत्री तथा रूस के उपप्रधानमंत्री भाग लेते हैं इसमें व्यापार अर्थव्यवस्था विज्ञान तकनीकी सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषय पर चर्चा की जाती है
दूसरे आयोग में दोनों देशों के रक्षा मंत्री भाग लेते हैं तथा रक्षा सहयोग पर चर्चा की जाती है।
2. ऊर्जा सहयोग
रूस के पास ऊर्जा संसाधन प्रचुर मात्रा में है तथा भारत ऊर्जा संसाधनों के लिए आयातों पर निर्भर है इसलिए इस क्षेत्र में एक स्वाभाविक सहयोग स्थापित हुआ है।भारत की ओएनजीसी द्वारा सखालिन गैस क्षेत्र के 20% क्षेत्र में निवेश किया गया।
ओएनजीसी ने रूस की टोम्स्क इंपीरियल एनर्जी लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया है।
रूस की रोजनेफ्ट कंपनी ने भारत के ESSAR GROUP में 12.9 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
यह भारत में आने वाले सबसे बड़े एफडीआई में से एक है।
भारत की गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड व रूस की गाजप्रोम के मध्य गैस आपूर्ति समझौता हुआ है।
तमिलनाडु के कुडनकुलम में रूस द्वारा एक नाभिकीय संयंत्र लगाया गया है।
रूस की रोसैटम व भारत की एनपीसीआईएल के मध्य समझौता हुआ है कि तीसरे देशों में नाभिकीय संयंत्र लगाए जाएंगे।
पहला ऐसा संयंत्र बांग्लादेश के रूपपुर में लगाया जा रहा है।
3. रक्षा सहयोग
भारत द्वारा सर्वाधिक रक्षा उपकरण रूस से खरीदे गए हैंअब तक यह संबंध क्रेता-विक्रेता के थे परंतु वर्तमान में संयुक्त उत्पादन तथा तकनीक हस्तांतरण पर बल दिया जा रहा है
रूस से लिए गए मुख्य उपकरण
मिग - 21 ,27, 29
सुखोई
आईएनएस चक्र - नाभिकीय पनडुब्बी
आईएनएस विक्रमादित्य - विमान वाहक पोत
बैटल टैंक - टी 72
S-400 Triumf missile defence system रूस से खरीदा जा रहा है यह विश्व की अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है जो एक साथ 36 मिसाइल हमलों से रक्षा कर सकती है।
नोट- यूएसए की मिसाइल रक्षा प्रणाली - THAAD ( Terminally High Altitude Air Defence system)
इजराइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली - IRON DOME
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का संयुक्त उत्पादन किया गया है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र व रूस की मौस्कवा नदी पर रखा गया है।
गति - 2.8 mach
परास - 290 km
वर्तमान में भारत एमटीसीआर का सदस्य बन चुका है इसलिए ब्रह्मोस की परास को बढ़ाया जा रहा है।
ब्रह्मोस 2 का विकास भी किया जा रहा है जो कि एक हाइपरसोनिक मिसाइल होगी इसे वियतनाम को निर्यात किया जाएगा।
Kamov 226T Helicopter का भी संयुक्त उत्पादन किया जाएगा।
4. आर्थिक संबंध
भारत व रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंध है परंतु व्यापार में यह संबंध परिलक्षित नहीं होते हैंइसके मुख्य कारण है -
1. सीधे संपर्क का अभाव।
2. दोनों देशों के मध्य किसी भी प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता नहीं किया गया।
3. अधिकतर व्यापार तीसरे देशों की मध्यस्थता से होता है जैसे हीरे का व्यापार।
4. उचित बाजार अध्ययन का अभाव, जिससे एक दूसरे के उत्पादों के बारे में जागरूकता का अभाव है।
5. दोनों देशों के मध्य वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग का अभाव।
6. द्विपक्षीय व्यापार लगभग 10 मिलियन डॉलर का है जो कि अपनी क्षमता से अधिक कम है यह व्यापार रूस की ओर झुका हुआ है तथा मुख्यतः ऊर्जा संसाधनों पर केंद्रित है।
व्यापार समस्या को दूर करने के लिए किए गए प्रयास
1. भारत ईरान और रूस द्वारा सन् 2000 में अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) की शुरुआत की गई जिसमें ईरान और कैस्पियन सागर के माध्यम से भारत व रूस को जोड़ा जा रहा है
वर्तमान में इसमें 13 सदस्य हैं (ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के कारण यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है )
2. चेन्नई व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग का निर्माण।
3. भारत व यूरेशियन आर्थिक संघ के मध्य मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता चल रही है।
4. भारत व रूस के मध्य समझौता किया गया कि मध्यस्थों की भूमिका को समाप्त किया जाएगा।
5. 2025 तक व्यापार को बढ़ाकर 30 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है।
6. सामरिक आर्थिक मंच की शुरुआत की गई है जिसमें आर्थिक सहयोग पर चर्चा की जाती है।
5. अंतरिक्ष सहयोग
भारत के प्रारंभिक उपग्रह रूस की मदद से प्रक्षेपित किए गए। जैसे - आर्यभट्ट, भास्कर आदिभारत के क्रायोजेनिक इंजन विकास में रूस द्वारा मदद की गई।
रूस द्वारा 7 इंजन तैयार अवस्था में भारत को दिए गए।
भारत द्वारा गगनयान नामक मानव मिशन अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा जिसमे रूस द्वारा मदद की जाएगी।
भारतीय प्रधानमंत्री को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान आर्डर ऑफ़ सेंट एंड्रूज द एपोस्टले दिया गया।
रूस में विवाद:-
1. यूक्रेन संकट
1991 से पूर्व यूक्रेन यूएसएसआर का भाग था इसलिए यहां रूस का प्रभुत्व रहा।रूस यूक्रेन को यूरेशियन आर्थिक संघ में शामिल करना चाहता था परंतु यूरोपियन संघ इसका विरोध कर रहा था तथा एक आर्थिक पैकेज यूक्रेन को दिया परंतु यहां के राष्ट्रपति ने इस पैकेज को ठुकरा दिया इसके कारण यूक्रेन में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए।
रूसी भाषी लोगों की रक्षा के लिए रूस की सेनाओं ने क्रीमिया में प्रवेश किया जो कि काला सागर में स्थित यूक्रेन का एक प्रायद्वीप था।
एक जनमत संग्रह के बाद उसने क्रीमिया पर अधिकार कर लिया।
इस घटना के बाद ही पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए।
इसके बाद यूक्रेन के दोन्तेस्क व लुहान्सक प्रांतों में अलगाववादी आंदोलन प्रारंभ हो गए और यूक्रेन में गृहयुद्ध छिड़ गया इसी को यूक्रेन संकट कहा जाता है।
2. चेचन्या विवाद
यह रूस के दक्षिण पश्चिम में स्थित एक प्रांत है जिसमें चेचन जनजाति के मुस्लिम निवास करते हैं। लंबे समय से यहां पर अलगाववादी आंदोलन चल रहा है।1991 में चेचन्या ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
1994 से 1996 के मध्य प्रथम चेचन युद्ध हुआ।
1999 में दूसरी बार चेचन्या पर आक्रमण किया गया तथा यहां की राजधानी ग्रोजनी पर अधिकार कर लिया गया।
इसके बाद रूस में अनेक आतंकवादी हमले हुए।
2008 ई. में रूस ने घोषणा की कि चेचन आतंकवाद को पूर्णतय: समाप्त कर दिया गया है फिर भी कुछ छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती है।
रूस -भारत -चीन (RIC) 2002
इस मंच का विचार रूस द्वारा रखा गया क्योंकि तीनों देशों के मध्य सहयोग के विभिन्न क्षेत्र है। जैसे -
1. विश्व राजनीति में अमेरिकी वर्चस्व को कम करना2. बहु-ध्रुवीय विश्व का निर्माण करना
3. विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना
4. ऊर्जा सहयोग
5. आतंकवाद के विरूद्ध सहयोग आदि।
वर्ष 2002 से तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की जा रही है।
अभी तक 16 बैठक हो चुकी है।
फरवरी 2019 में 16वीं बैठक चीन में आयोजित की गई।
2018 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस व चीन के राष्ट्रपति तथा भारत के प्रधानमंत्री के मध्य बैठक आयोजित की गई।
भारत व चीन के विवादों के कारण यह त्रिकोण अधिक सफल नहीं रहा।
रूस-चीन-पाकिस्तान त्रिकोण (RCP)
यह एक अनौपचारिक त्रिकोण है जो कि पिछले कुछ वर्षों में अस्तित्व में आया है।रूस व चीन के सहयोग के क्षेत्र बढ़े हैं। जैसे -
1. S-400 Triumf missile का रक्षा समझौता।
2. 400 बिलियन डॉलर का ऊर्जा समझौता।
3. रूस बीआरआई परियोजना का सदस्य है।
4. चीन का निवेश रूस में बढ़ा है।
रूस पाकिस्तान के मध्य भी सहयोग के क्षेत्र बढ़े हैं। जैसे-
MI - 35 attack helicopter का रक्षा समझौता।
संयुक्त युद्धाभ्यास।
नौसैनिक सहयोग का समझौता।
पाकिस्तान को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का सदस्य बनाना। (SCO)
यदि यह त्रिकोण प्रभावी होता है तो भारत के राजनीतिक व सामरिक हित प्रभावित हो सकते हैं ।
RCP त्रिकोण की कमियां -
यह त्रिकोण स्वाभाविक ना होकर परिस्थितिजन्य है।
इसकी कमियां निम्न है -
चीन के साथ रक्षा व ऊर्जा समझौते ऐसे समय में किये गये जब रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए हैं।
दीर्घकाल में बी आरआईपरियोजना रूस के लिए भी एक चुनौती है क्योंकि इससे मध्य एशिया में रूस का प्रभुत्व कम होगा।
पाकिस्तान के साथ संबंध प्राथमिक स्तर के हैं। दीर्घकाल के लिए पाकिस्तान एक विश्वसनीय सहयोगी नहीं है।
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