नीतिशास्त्र में जॉन रॉल्स
जॉन रॉल्स एक आधुनिक विचारक है ।1971 ईस्वी में पुस्तक लिखी - थ्योरी ऑफ जस्टिस
रॉल्स के समक्ष मुख्य प्रश्न था कि प्राथमिक वस्तुओं का वितरण किस सिद्धांत के आधार पर किया जाए प्राथमिक वस्तुएं जैसे - अधिकार , सम्मान, कर्तव्य, अवसर आदि।
इसने पूर्व के सिद्धांतों की आलोचना की जैसे उपयोगितावाद।
न्यायपूर्ण वितरण के लिए न्याय के एक नए सिद्धांत की आवश्यकता है। इसके लिए सामाजिक समझौते के सिद्धांत का प्रयोग किया जा सकता है।
सामाजिक समझौता सिद्धांत हॉब्स, लॉक, रूसो जैसे विचारकों द्वारा दिया गया। इसके माध्यम से राज्य के अस्तित्व की व्याख्या की गई ।
रॉल्स के अनुसार वास्तविक रूप में ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ होगा परंतु इन विचारकों ने इस समझौते की कल्पना की। हम पुनः ऐसे समझौते की कल्पना कर सकते है जिसका प्रयोग न्याय के सिद्धांत के लिए किया जाएगा ।
ऐसे समझौते के लिए विश्व के बुद्धिजीवियों को बुलाया जाना चाहिए। न्याय पूर्ण तथा निष्पक्ष सिद्धांत हेतु यह आवश्यक है कि इन बुद्धिजीवियों को कुछ बातों का ज्ञान नहीं होना चाहिए। जैसे- इन्हें अपनी सामाजिक स्थिति का ज्ञान नहीं होना चाहिए। इन्हें अपनी क्षमताओं और कमजोरियों का ज्ञान नहीं होना चाहिए। अपनी भविष्य की योजनाओं का ज्ञान नहीं होना चाहिए। इसे अज्ञानता का पर्दा कहा जाता है। अर्थात उन्हें अज्ञानता के पर्दे में रखा जाना चाहिए।
ऐसी परिस्थिति में ये बुद्धिजीवी निम्नलिखित बातों पर सहमत होंगे :-
(1) सभी को समान स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
(2) असमानताओं का वितरण कुछ इस प्रकार से किया जाना चाहिए कि सभी को समान अवसर उपलब्ध हो तथा समाज के सबसे कमजोर वर्ग को संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
रॉल्स ने समाज की तुलना एक चैन से की है चैन को सशक्त बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सबसे कमजोर कड़ी को संरक्षण प्रदान किया जाए ।
वर्तमान की कल्याणकारी योजनाएं रॉल्स के इसी सिद्धांत पर आधारित है।
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